Assalamualaikum Meaning in Hindi | अस्सलामु अलैकुम का मतलब

Assalamualaikum Meaning in Hindi: – जैसा कि अक्सर जब मुख्तलिफ धर्मों के लोग 👨‍👩‍👧‍👦 आपस में एक दुसरे से मुलाकात करते हैं, तो लोग बात करने से पहले अभिवादन करने के लिए कुछ ख़ास और अलग-अलग लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करते हैं।

जैसे कुछ लोग आदाब, नमस्कार 🙏, Good Morning और Good Night आदि।

लेकिन जब मुसलमान एक दुसरे से आपस में मिलते हैं तो वो एक दुसरे से सलाम करते हैं और कहते हैं: – अस्सलामु अलैकुम।

जिसके जवाब में दूसरा शख्स वालेकुम अस्सलाम कहता है।

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आज की इस पोस्ट में हम अस्सलामु अलैकुम का मतलब के बारे में जानेंगे कि आखिर सलाम का मतलब क्या होता है?

तो चलिए जानते हैं कि अस्सलामु अलैकुम का मतलब (Assalamualaikum Meaning in Hindi) क्या होता है।

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अस्सलामु अलैकुम का मतलब हिंदी में | Assalamualaikum Meaning in Hindi

सलाम के बारे में अधिक जानने से पहले यहाँ हम सलाम का मतलब हिंदी में जान लेते हैं।

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह
तुम पर सलामती हो और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें हों

Wa Alaikumus Salam Meaning Hindi

व अलैकुमुस सलाम व रहमतुल लाहि व बरकातुह
तुम पर भी सलामती हो और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें हों

Assalamualaikum In Arabic with Urdu Meaning

السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ
آپ پر سلامتی ہو اور اللہ کی رحمتیں اور برکتیں آپ پر نازل ہوں۔


Assalamualaikum Meaning in Hindi Image

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सलाम करने से क्या फायदा होता है?

इस्लाम एक ऐसा धर्म है कि इसके हर एक अमल में अल्लाह की रहमत और बरकतें नाजिल होती हैं और अल्लाह की हिफाज़त में इंसान रहता है।

तो जब दो मुस्लिम शख्स आपस में एक दुसरे से मिलने पर सलाम करते हैं तो वो एक-दुसरे के लिए सलामती, हिफाज़त और बरकत की दुआ कर रहे होते हैं।


सलाम करने पर कितनी नेकियाँ मिलती हैं?

जब दो मुसलमान आपस में एक दुसरे को सलाम करते हैं, तो अल्लाह ताअला इसके बदले में उनको कुछ नेकियाँ अता करता है।

अगर कोई भी शख्स अस्सलामु अलैकुम कहता है, तो उसे 10 नेकियाँ मिलती हैं,

और अगर व रहमतुल लाहि भी कहता है तो 10 नेकियाँ और मिलती हैं,

फिर व बरकातुह भी कहता है तो 10 नेकियाँ और मिलती हैं। इस तरह कुल 30 नेकियाँ मिलती हैं।

इसी तरह सलाम का जवाब देने वाले को सलाम का जवाब देने के बदले पर 10 नेकियाँ मिलती हैं।

इससे मालूम होता है कि हमेशा सलाम को सबसे पहले करने की कोशिश करनी चाहिए।

▶️ यह भी पढ़ें: – इंशाअल्लाह का मतलब क्या है?


सलाम के कुछ गलत अल्फाज़

आपको यहाँ यह जान लेना बेहद जरूरी है कि सलाम करने के जो सही अल्फाज़ हैं वो हमने ऊपर बताये हैं।

इसके अलावा जो लोग सामलैकुम, सामुअलैकुम या सलामालेकुम वगैरह के अलफाज़ कहते हैं तो वो सही अल्फाज़ नहीं होते है।

सलाम के इन अल्फाजों के इस्तेमाल से सलाम के माने बदल जाते हैं। जैसे अगर आपने कहा सामु अलैकुम, तो इसका मतलब हुआ कि तुम को मौत आये।

तो मालूम हुआ कि हम दुसरे शख्स को सलामती और रहमत न भेज कर, इसके उल्टा कह रहे हैं।

तो सलाम के सही-सही अल्फाज़ होते हैं: – “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह”

तो हमें चाहिए कि सलाम के अल्फाजों को अच्छे से जानकर सही तरीके से सलाम करना सीखें और दूसरों को भी सिखाएं।


सलाम करने का सही तरीका

तो हमने ये तो जान लिया कि अस्सलामु अलैकुम का मतलब हिंदी में (Assalamualaikum Meaning in Hindi) क्या है और सही अल्फाज़ क्या हैं?

लेकिन हमें यह भी जान लेना जरूरी है कि सलाम को करने का सही तरीका क्या है?

तो सलाम करने का सही तरीका यह है कि सवारी में बैठा शख्स पैदल या बैठे शख्स को सबसे पहले सलाम करे, और पैदल चलने वाला बैठे हुए को सलाम करे।

ऐसा नहीं होना चाहिए की बैठा हुआ शख्स, चलने वाले या सवारी वाले को सलाम कर रहा है।

👉 सलाम का तरीका हदीस से

हजरत अबू हुरैरह रज़ि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया,

“छोटा बड़े को सलाम करे, गुज़रने वाला बैठने वाले को और कम ताअदाद वाले बड़ी ताअदाद वालों को।” (अल-बुखारी, 6234)


सलाम का ज़िक्र क़ुरान में

अल्लाह ताअला ने क़ुरान के पारा 18 की सूरह 24 (सूरह नूर) की आयत 61 में इरशाद फ़रमाया है कि

न अंधे के लिए कोई हरज है, न लँगड़े के लिए कोई हरज है और न रोगी के लिए कोई हरज है और न तुम्हारे अपने लिए इस बात में कि तुम अपने घरों से खाओ या अपने बापों के घरों से या अपनी माँओ के घरों से या अपने भाइयों के घरों से या अपनी बहनों के घरों से या अपने चाचाओं के घरों से या अपनी फूफियों (बुआओं) के घरों से या अपने मामाओं के घरों से या अपनी ख़ालाओं के घरों से या जिसकी कुंजियों के मालिक हुए हो या अपने दोस्तों के यहाँ।

इसमें तुम्हारे लिए कोई हरज नहीं कि तुम मिलकर खाओ या अलग-अलग। हाँ, अलबत्ता जब घरों में जाया करो तो अपने लोगों को सलाम किया करो, सलाम अल्लाह की ओर से नियत किया हुआ, बरकतवाला और अत्यधिक पाक। इस तरह अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतों को ज़ाहिर करता है, ताकि तुम अक्ल से काम लो।

📖 सूरह नूर (24:61)

शुरू अल्लाह के नाम से: – और जब तुम्हें सलाम किया जाये तो तुम उससे अच्छा जवाब दो या उन्हीं अल्फाज को लौटा दो, बेशक अल्लाह ताअला हर चीज का हिसाब लेने वाला है।

📖 (सूरः अल-निसा, सूरा नं: 4, आयत न: 86)

शूरू अल्लाह के नाम से: – ऐ ईमान वालों! अपने घरों के सिवा और घरों में ना जाओ जब तक के इजाज़त ना ले लो और वहां के रहने वालों को सलाम न करलो, यही तुम्हारे लिए सारा सर बेहतर है, ता के तुम नसीहत हासिल करो।

अगर वहां तुम्हें कोई भी ना मिल सके तो फिर इजाज़त मिले बगैर अंदर ना जाओ, और अगर तुम से लौट जाने को कहा जाए तो तुम लौट ही जाओ, यही बात तुम्हारे लिए पाकीजा है जो कुछ तुम कर रहे हो अल्लाह ताला खूब जानता है।

📖 (सूरह अल-नूर, सूरह नं. 24, आयत नं. 27-28)

सलाम से जुड़ी चंद हदीसें

यहाँ हमने सलाम के बारे में कुछ हदीसें मौजूद करायी हैं ताकि हम समझ सकें कि सलाम का क्या हुक्म है।

📜 सलाम करना सुन्नत है और सलाम का जवाब देना वाजिब है। सलाम करने से न सिर्फ मुहब्बत में इजाफा होता है बल्कि अल्लाह ने इसमें अजर और सवाब भी रखा है।

📜 एक मर्तबा ऐक सहाबी हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में तशरीफ लाए तो कहा “अस्सलामु अलैकुम”, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन के सलाम का जवाब दिया और कहा 10.

और उस के बाद दूसरे सहाबी आए और कहा “अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह” आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन के सलाम का जवाब दिया और कहा 20.

फिर तीसरे सहाबी आए और सलाम अर्ज किया “अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातुह” आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन के सलाम का जवाब दिया और कहा 30. (अबूदाउद)।

(यानी के हर सलाम के साथ 10 नेकियों का इजाफा)।

📜 रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया! “अफशुस सलामा बैनाकुम” “आपस में सलाम को फैलाओ”। (सही मुस्लिम)

📜 नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हदीस है, जिसमें आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:

“तुम उस वक्त तक जन्नत में नहीं जाओगे, जुब तक इमान नहीं लाओगे और तुम उस वक्त तक मोमिन नहीं हो सकते, जब तक एक दूसरे से मुहब्बत न करो। क्या मैं तुम्हें ऐसी चीज न बताऊँ के जब तुम उसे अपना लोगे तो आपस में मुहब्बत करने लगोगे, (वो ये है के) आपस में सलाम पहलाओ” (बुखारी)।


📍 सलाम से कुछ जरूरी बातें

  • घर में दखिल होते हुए भी घर वालों को सलाम करो। (बुखारी)।
  • जब मज़लिस से उठ कर जाने लगो तो सलाम करे (तिर्मिज़ी)।
  • जब बात शुरू करें तो अल्लाह के नबी की हदीस है (अस्सलामु क़ब्लल कलाम) यानी क बात करने से पहले सलाम किया करो और बात के खत्म होने पर भी सलाम करके रुखसत हो।
  • सलाम जिसको पहचानते हो और जिसे नहीं पहचानते हो हर मुसलमान को किया जाए।
  • यहुदो-नसारा को सलाम करने में पहल न की जाए, उन के सलाम के जवाब में सिर्फ “वालिकुम” कहा जाए।
  • दो रूठे हुए दोस्त, रिश्तेदार और भाई-बहन में जो सलाम में पहल करेगा वो फजीलत का मुस्तहिक होगा।
  • सलाम के लिए अस्सलामु अलैकुम के अल्फाज की जगह, आदाब अर्ज, नमस्ते, हाय, गुड मॉर्निंग बगैरह के अल्फाज़ बिलकुल भी इस्तेमाल ना किए जाए, जो मनुवी जमीयत, वुसा’अत और गहराई इस्लाम के बताये हुए अल्फाज़ में है वो किसी और अल्फाज़ में नहीं, ना उस में कोई अजर-ओ-सवाब है, बल्कि गुनाह का बाइस है।
  • और एक हदीस में आया है कि क़यामत की अलामतों में से ये एक अलामत ये है कि एक वक़्त ऐसा होगा कि लोग सलाम को सुन्नत जिन्दा करने के बजाय, अपनी पहचान बढ़ाने के लिए करेंगे।

अल्लाह हिफ़ाज़त फरमाये और अल्लाह ताला हम सब को अमल करने की तौफीक अता फरमाए आमीन।


आखिरी शब्द

उम्मीद करते है, कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया ये अस्सलामु अलैकुम का मतलब क्या होता है (Assalamu Alaikum Meaning In Hindi) बहुत अच्छे तरीके से समझ में आ गया होगा।

इंशाअल्लाह, आज से आप सलाम के अल्फाजों को सही तरीके से कहेंगे और इसके मतलब को याद रखेंगे।

आपसे गुजारिश है कि आप इस पोस्ट को आगे भी शेयर करें।

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