Jumma Ki Fazilat in Hindi | जुम्मा की नमाज़ की फ़ज़ीलत हिंदी में

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Jumma Ki Fazilat in Hindi: – दोस्तों, क्या आपको मालूम है कि सप्ताह के सभी दिनों में जुमा के दिन की क्या फ़ज़ीलत है?

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अगर आपको मालूम नहीं है तो आप हमारी यह पोस्ट पूरी पढ़ें।

इंशाअल्लाह आपको कुरान और हदीस से जुम्मा के दिन की फ़ज़ीलत (Juma Ke Din Ki Fazilat) मालूम हो जाएगी।

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जुमे के दिन की अहमियत हदीस से

वैसे तो अल्लाह के बनाये सभी दिन एक अहमियत रखते हैं, मगर इन दिनों में जुमा के दिन की अहमियत सबसे ज्यादा है।

अल्लाह के रसूल सल्लललाहु अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फरमाया: –

“वह जुमा का दिन था जिससे अल्लाह ने उन लोगों को महरूम कर दिया, जो हमसे पहले थे।

यहूदियों का इबादत का दिन सब्त (शनिवार) और ईसाइयों के लिए रविवार था।

और अल्लाह ने हमारी ओर रुख किया और हमारे लिए जुमा सबसे अफज़ल इबादत का दिन मुकर्रर किया।

वास्तव में, अल्लाह ने (दिनों की तरतीब इस तरह बनाई कि) पहले जुमा, फिर सनीचर और उसके बाद इतवार।

इस तरह जब कयामत के दिन दोबारा जिन्दा किये जायिंगे तो यहूदी और ईसाई हमसे पीछे होंगे।

हम इस दुनिया के लोगों में (उम्माहों के) तो आखिरी हैं लेकिन कयामत के दिन फैसला किए जाने वाले लोगों में सबसे पहले हैं।”

(यानी कि तमाम उम्मतों में सबसे पहले हमारा फैसला किया जाएगा।) (मुस्लिम-856)


जुम्मा सबसे बेहतर दिन | Jumma sabse Behtar Din

🌹 “सभी दिनों में सबसे बेहतर दिन, जिसका सूरज तुलूअ हुआ हो, वह जुमे का दिन है।

इसी दिन आदम अलैहिस्सलाम को अर्श से जमीन पर उतारा गया।

यही वो दिन है जब उनकी तौबा कुबूल की गई।

इसी दिन आदम अलैहिस्सलाम की वफात हुई और यही वह दिन है जिस दिन कयामत कायम होगी।

हर एक जानदार मखलूक जुमे के दिन सुबह से लेकर सूरज निकलने तक कयामत से डरते हुए उसके इन्तेजार में रहते हैं, सिवाए जिन्न व इन्स के।

और जुमे के दिन एक वक्त ऐसा भी आता है कि ठीक उसी वक्त में जो बन्दा ए मुस्लिम नमाज़ पढ़ रहा हो,

और वह अल्लाह से जिस चीज़ का सवाल करे तो अल्लाह उसे वह चीज अता करता है। (अबुदाऊद-1046-सही)

🌹 “तुम्हारे सभी दिनों में सबसे अफजल और आला दिन, जुमा का दिन है।

इसी दिन आदम अलैहि. को पैदा किया गया और इसी दिन उनको मौत आई।

इसी जुमे के दिन सूर को फूंका जाएगा और इसी दिन एक जोरदार चीख की आवाज़ आएगी।” (अबुदाऊद-1046-सही)

🌹 “बेशक यह यानी जुमे का दिन, ईद का दिन है।

जिसे अल्लाह ताला ने सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों के लिए बनाया है।

तो जो शख्स नमाजे जुमा पढ़ने के लिए जाये, तो उसे चाहिए कि गुस्ल करे, खुश्बु हो तो खुश्बू जरूर लगाएं और तुम पर मिस्वाक करना लाजिम है।” (इब्ने माजा-1098-सही)

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जुमे के दिन की फजीलत | Jumma Ke Din Ki Fazilat

इस बात में कोई शक नहीं है कि जुमे का दिन, बाकी के दिनों के मुकाबले सबसे ज्यादा फ़ज़ीलत बाला दिन है।

“बेशक! जुमा का दिन बाकी के तमाम दिनों का सरदार है और अल्लाह सुब्हाना ताला के नजदीक सबसे ज़्यादा अजमत वाला दिन है।”

इस दिन की बहुत सारी फ़ज़ीलतें हैं। जुमे के दिन की 5 खुसुसियात ये हैं

➻❥ 1. जिस दिन अल्लाह तआला ने आदम अलैहि. को पैदा किया, वो जुमा का दिन था।

➻❥ 2. जिस दिन अल्लाह तआला ने आदम अलैहि. को जमीन पर उतारा, वो जुमा का दिन था।

➻❥ 3. जिस दिन आदम अलैहि. की वफात हुई, वो भी जुमा का दिन था।

➻❥ 4. जुमे के दिन में एक घड़ी ऐसी होती है कि जिसमें अल्लाह, अपने बन्दों की हर दुआ को कुबूल करता है, बशर्ते कि वह हराम सवाल ना करे।

❥ 5. जब भी क़यामत आएगी, तो वो दिन जुमा का होगा।

सब के सब फरिश्ते, आसमान, जमीन, हवाएं, पहाड़ और समन्दर जुमे के दिन से डरते हैं।” (इब्ने माजा-1084-सही)


जुम्मा की नमाज़ की फ़ज़ीलत | jumma Ki Namaz Ki Fazilat

दोस्तों जुमा के दिन सबसे जरूरी अमल जो है, वो है जुम्मा की नमाज़ का जमात के साथ पढ़ना।

➤ जुमा की नमाज़ किस पर फ़र्ज़ है?

जुमा वाले दिन सबसे अहम इबादत जुमा की नमाज़ होती है और यह हर मुकल्लिफ पर फर्ज होती है।

इसके बारे में अल्लाह ताला का इरशाद है-

❤️ “ऐ ईमान वालों ! जब जुमा के दिन, जुमा की नमाज़ के लिए अज़ान पढ़ी जाये, तो नमाज़ के लिए (ज़िक्रे इलाही) दौड़कर चले आओ और खरीद व फरोख्त को छोड़ दो।

अगर तुम जानते हो तो यही तुम्हारे लिए सबसे बेहतर है।” (सूरह जुमा-आयत-9)

❤️ अल्लाह के रसूल सल्लालाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया :

“सिबाए चार अफराद के, जुमा की नमाज़ का पढ़ना, हर मुकल्लिफ मुसलमान पर हक व वाजिब है।

वो चार अफराद ये हैं 1. गुलाम 2. औरत 3. बच्चा और 4. मरीज ।” (अबुदाऊद-1067-सही)

इसी तरह अगर कोई मुसाफिर है तो उस पर भी जुमा फर्ज नहीं है और इस पर उम्मत का इज्माअ है।

यह भी जरूर पढ़ें: – जुमा की नमाज़ की नियत करने का तरीका

➤ जुमा की नमाज़ जमात से पढ़ना फ़र्ज़ है।

जुमा की नमाज़ को अकेले नहीं पढ़ा जा सकता है। जुमा की नमाज़ को जमात के साथ पढ़ना फ़र्ज है।

अगर किसी शख्स की नमाजे जुमा किसी बजह से छूट जाती है तो उसे चाहिए कि वह जुहर की चार रकअत अदा करे।

आपको यह ध्यान रहे कि जुमा की नमाज़ बगैर किसी शरई उज्र के छोड़ना नहीं चाहिये।

➤ जुमा की नमाज़ छोड़ना हदीस में

📢 “अगर कोई शख्स गफलत की वजह से लगातार तीन जुमे छोड़ देता है, तो अल्लाह उसके दिल पर मुहर लगा देता है।”(अबुदाऊद-1052-सही)

📢 और एक हदीस में यह कि “लोगों को चाहिए कि वो नमाज़े जुमा को छोड़ने से बाज आ जायें।

वरना अल्लाह तआला उनके दिलों पर मुहर लगा देगा और फिर वो गाफ़िलों में हो जाएंगे।” (मुस्लिम-865)

📢 आप सल्लल्लाहु अलैहि बसल्लम ने फरमाया है कि “मेरा दिल करता है कि मैं एक आदमी को यह हुक्म दूँ कि वह लोगों को नमाज पढ़ाए।

फिर जो जुमा की नमाज़ से गाफिल रहते है, मैं उन लोगों को उनके घरों समेत आग लगा दूं। (मुस्लिम-852)

➤ जुमे के लिए जल्दी आने की फजीलत | Jumma Namaz Ki Fazilat

अहदीस का मफ़हूम है कि

👉🏽 अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि बसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:

➦ “जो शख्स जुमा के दिन गुसले जिनाबत की तरह गुस्ल करता है, फिर वह नमाज़ के लिए मस्जिद जाता है (पहले घंटे में यानी जल्दी),

तो यह ऐसा है जैसे उसने एक ऊँट की कुर्बानी दी हो,

➦ और जो कोई दूसरे घंटे में जाता है, वह ऐसा है जैसे उसने एक गाय की कुर्बानी दी है,

➦ और जो कोई तीसरे घंटे में जाता है, तो ऐसा लगता है कि उसने एक सींग वाले मेढ़े की कुर्बानी दी है,

➦ और यदि कोई चौथे घंटे में जाता है, तो जैसे मुर्ग़ी की क़ुर्बानी कर दी,

➦ और जो पाँचवे घंटे में गया तो उसने एक अन्डे की कुर्बानी की।

➦ जब इमाम ख़ुत्बा देने लगता है तो फ़रिश्ते उसे सुनने के लिए हाज़िर हो जाते हैं। (बुखारी-881 , मुस्लिम-850)

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि बसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि

👉🏽 “जब जुमा का दिन होता है, तब फ़रिश्ते मस्जिद के दरवाजे खड़े हो जाते है।

और मस्जिद में आने वालों के नाम उनके आने के हिसाब से बारी-बारी लिखते रहते हैं।

फिर जब इमाम खुतबा के लिए आते हैं, तो फरिस्ते अपने सहीफो को लपेट कर मस्जिद में खुत्बा सुनने आ जाते हैं।” (बुखारी-929)

हमें चाहिए कि जुमा के दिन हम जल्द से जल्द मस्जिद में पहुँच जाया करें। जिससे कि फरिस्तों की लिस्ट में हमारा नाम भी शामिल हो सके।

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जुमा के आदाब | Jumma Ke Adab Ki Fazilat

1. गुस्ले जुमा

अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फ़रमाया है कि जुमा के दिन का गुस्ल हर बालिग के लिए जरूरी होता है।

लिहाजा हमें चाहिए कि इस दिन गुसल, सफाई, खुश्बू और अच्छे लिबास का एहतेमाम करें।

अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फरमाया :

🌷 “तुम में से कोई शख़्स जब जुमा की नमाज़ के लिए आना चाहे तो उसे गुस्ल कर लेना चाहिए।” (बुख़ारी-877, मुस्लिम-844)

🌷 “जुमे के दिन का गुसल हर बालिग के लिए जरूरी है।” (बुख़ारी-879 मुस्लिम-846)

2. खुश्बू लगाना

जब आप जुम्मा की नमाज़ को अदा करने के लिए अच्छे से गुस्ल करते हैं और साफ पाक कपड़े पहनते हैं।

तो इसके साथ ही आप खुश्बू भी लगा सकते हैं।

एक हदीस में खुशबु लगाने का हुक्म भी दिया गया है।

3. गर्दनें न फलांगना

जब आप जुम्मा के दिन मस्जिद में जाते हैं, तो आपको जहाँ खाली जगह नज़र आये वहीँ बैठ जायें।

क्यूंकि हदीस में इरशाद हुआ है कि दूसरों की गर्दनें नहीं फलांगना है। जिसकी हदीस नीचे बताई गयी हैं।


तहयतुल मस्जिद का हुक्म | Jumma Ki Fazilat

जब आप जुमा की नमाज़ पढ़ने मस्जिद जाते हैं, तो सबसे पहला काम तहयतुल मस्जिद की अदायगी है।

चाहे वह खुत्बा शुरू होने से पहले मस्जिद में आए या इमाम के खुत्बा शुरू करने के बाद।

🌷 इसलिए कि आप सल्ल. का फरमान है “तुम में से कोई शख्स जब जुमे के दिन उस वक्त आए जब कि इमाम खुत्बा दे रहा हो,

तो वह दो रकअत नमाज अदा करे और उन्हें हल्का फुल्का पढ़े।” (मुस्लिम-875)

🌷 हम से अली बिन अब्दुल्लाह ने रिवायत किया, कहा कि हम से सुफियान बिन उयैना ने अम्र से रिवायत किया, उसने जाबिर से सुना, कि एक व्यक्ति जुमा दिन मस्जिद में आया था।

उस वक़्त आप सल्लल्लाहु अलैहि बसल्लम खुत्बा पढ़ रहे थे।

नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उनसे पूछा, “क्या क्या तुमने नमाज (तहयतुल मस्जिद) अदा की है?”

उस ने कहा: – नहीं।

तब आप सल्ल. ने फरमाया- “उठो! और दो रकअत (तहियात अल-मस्जिद) की नमाज़ पढ़ो। बुखारी-931)

🌷 खुतबे के दौरान खामोश रहें: “अगर आप (यहाँ तक की) अपने साथी से जुमा के दिन खामोश रहने के लिए कहते हैं,

जब इमाम खुतबा दे रहा हो, तो आपने दरहकीकत गैर मुताल्लिक़ बात की। (बुख़ारी-934, मुस्लिम-851)

🌷 अब्दुल्ला बिन अम्र बिन अल-आस, राजी अल्लाह अन्हुमा से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

जो शख्स जुमे के दिन गुस्ल करता है, अगर अपनी बीवी के पास कुछ ख़ुशबू है तो लगा लेता है, अच्छे कपड़े पहन लेता है,

फिर लोगों की गर्दनें नहीं फलांगता है और खुतबे के दौरान फिजूल काम नहीं करता, अगर वह ऐसा करता है,

तो यह उसके इस जुमा से उसके पिछले जुमा तक के गुनाहों का कफ्फारा होगा।

और जो कोई बेतुकी बात करे और लोगों की गर्दन फलांगे, तो वह जुमा का दिन, उसका जुहर का दिन होगा। (अबुदाऊद-347-सही)


जुमा के दिन एक मुबारक घड़ी

🌷 रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जुमा के ज़िक्र में एक दफा फ़रमाया कि इस दिन एक घड़ी ऐसी आती है,

जिसमें अगर कोई मुस्लमान खड़ा नमाज़ पढ़ रहा हो और कोई चीज़ अल्लाह पाक से मांगे,

तो अल्लाह पाक उसे वो चीज़ जरूर देता है।

आपने हाथ के इशारे से बताया कि वो घड़ी बहुत छोटी सी है। (बुखारी-935, मुस्लिम-852)

🌷 “वह मुबारक घड़ी इमाम के मिम्बर पर बैठने से लेकर नमाज़ खत्म होने के बीच होती है। (मुस्लिम-853)

आखिरी शब्द

तो जैसा कि सभी दिनों की अपनी फ़ज़ीलत है। लेकिन जुम्मा के दिन की इन सभी दिनों में सबसे ज्यादा फ़ज़ीलत बयान की गयी है।

हमें कोशिश करना चाहिए कि हम जुम्मा के दिन जुम्मा की नमाज़, जमात के साथ अदा करें और जुमा के दिन की फ़ज़ीलतों को हासिल करें।

अगर इस पोस्ट को लिखने में हमसे कोई गलती हुई हो तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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