Qabar Ke 3 Sawal in Hindi | कब्र में पूछे जाने वाले 3 सवाल हिंदी में

Qabar Ke 3 Sawal: – दोस्तों जैसा कि हम सभी को मालूम है कि जब कोई मोमिन शख्स का इन्तेकाल होता है, तो उसे कब्रिस्तान में दफनाया जाता है। तो जब मय्यत को कब्र में दफना दिया जाता है, तो कब्र में उस मरने वाले शख्स से तीन सवाल पूछे जाते हैं।

आज की इस पोस्ट में हम कब्र के 3 सवालों (Qabar Ke 3 Sawal) के बारे में जानेंगे।

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हर मोमिन मर्द और औरत को यह याद रहे कि कब्र में जो सवाल पूछे जाते हैं वो सवाल सिर्फ तीन हैं। लेकिन अगर कोई शख्स सोचता है कि वो कब्र के इन तीनों सवालों के जवाब आसानी से दे देगा,

तो ऐसा हरगिज़ आसान नहीं है, यह घड़ी हर एक शख्स के लिए सबसे मुश्किल इम्तेहान है।

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मन रब्बुका?مَنْ رَبُّكَ؟तुम्हारा रब कौन है?
मा दीनुका?مَا دِينُكَ ؟तुम्हारा दीन क्या है?
मा हाज़र् रजुलुल् लज़ी बुअि़ स फीकुम?مَا هَذَا الرَّجُلُ الَّذِي بُعِثَ فِيكُمْ؟ये शख्स (यानी रसूलल्लाह सल्ल.) कौन है जो तुममें भेजे गये थे?

कब्र के तीन सवाल | Qabar Ke 3 Sawal in Hindi

हर एक मोमिन शख्स जानता है कि उसे मरना है और मरने के बाद उसे कब्र में जाना ही पड़ेगा।

अगर मरने वाला शख्स मोमिन है और उसने अल्लाह के हुक्म और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताये तरीके से दुनिया में जिन्दगी गुजारी होगी,

तो क़ब्र उस शख्स का इस्तिक्बाल कुछ इस तरह करती है जैसे एक माँ अपने बच्चे को प्यार करती और गले लगाती है।

लेकिन अगर मरने वाला गैर मोमिन है या किसी मोमिन शख्स ने दुनिया में अपनी मनमानी जिन्दगी गुजारी होगी,

तो कब्र उसका स्वागत कुछ ऐसे करती है कि कब्र उसके लिए इस तरह तंग कर दी जाती है

कि दाएं तरफ की पसलियां बाएं तरफ़ की पसलियों के साथ आपस में मिल जाती हैं,

जिस तरह दोनों हाथों की उँगलियाँ आपस में मिल जाती हैं।

इसके बाद, अल्लाह ताअला दो फरिश्तों को कब्र में भेजता है जिनका नाम मुनकर और नकीर है।

ये फ़रिश्ते बाकी के दुसरे फरिश्तों की तरह नहीं हैं और न ही इंसानों की तरह हैं।

वो शक्ल और सूरत के एतबार से बहुत ही भयानक हैं। वे मय्यत के पास आते हैं और उससे तीन सवाल पूछते हैं:


कब्र का पहला सवाल | Qabar Ka Pahla Sawal

مَنْ رَبُّكَ؟

1. मन रब्बुका? (तुम्हारा रब कौन है?)

qabar ka pahla sawal hindi me

यहाँ रब का मतलब सिर्फ और सिर्फ एक अल्लाह ताअला से है।

तो इसका मतलब होता है कि कब्र में सबसे पहला सवाल होगा कि तुम्हारा रब कौन है?

तुमने उसी एक खुदा की इबादत की जिसने तुम्हें पैदा किया था, कहीं ऐसा तो नहीं कि तुमने अपनी तरफ़ से अलग-अलग खुदा बना लिए और उन को पूजना शुरू कर दिया।

👉 अगर मरने वाला सच्चा और पक्का मोमिन होगा तो इसके जवाब में कहेगा: –

رَبِّيَ اللَّهُ
मेरा रब (माबूद) अल्लाह है।

👉 जबकि काफिर और मुनाफ़िक़ पहले सवाल के जवाब में कहेगा: –

هَاهْ هَاهْ لاَ أَدْرِي
हाय अफसोस हाय अफसोस! मुझे नहीं मालूम !!

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कब्र का दूसरा सवाल | Qabar Ka Dusra Sawal

مَا دِينُكَ ؟

2. मा दीनुका? (तुम्हारा दीन क्या है?)

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कब्र का दूसरा सवाल होगा कि तुम्हारा दीन क्या है? यहाँ दीन से मतलब इस्लाम से है और इस्लाम से मतलब ज़िन्दगी गुजारने का तरीक़ा।

तो अगर मरने वाले शख्स ने अल्लाह के हुक्मों और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताये तरीके से जिन्दगी गुज़ारी होगी तो हमें कब्र के तीसरे सवाल का जवाब देना आसान हो जाएगा।

अगर गैरों के बनाये हुए दीन और तरीकों पर अमल करते रहे यहां तक कि तुम्हारी मौत आ गयी तो इस कब्र के तीसरे सवाल का जवाब देना आसान नहीं होगा।

👉 अगर मरने वाला सच्चा और पक्का मोमिन होगा तो इसके जवाब में कहेगा: –

دِينِيَ الْإِسْلَامُ
मेरा दीन इस्लाम है ।

👉 जबकि काफिर और मुनाफ़िक़ पहले सवाल के जवाब में कहेगा: –

هَاهْ هَاهْ لَا أَدْرِي
हाय अफसोस हाय अफसोस! मुझे नहीं मालूम !!


कब्र का तीसरा सवाल | Qabar Ka Teesra Sawal

مَا هَذَا الرَّجُلُ الَّذِي بُعِثَ فِيكُمْ؟

3. मा हाज़र् रजुलुल् लज़ी बुअि़ स फीकुम? (ये शख्स (यानी रसूलल्लाह सल्ल.) कौन है जो तुममें भेजे गये थे?)

teesra sawal

नबी रसूले अकरम ﷺ को दिखाया जायेगा और पुछा जायेगा कि क्या इनको जानते हो?

अगर वो नबी रसूले अकरम ﷺ को हक़ जानता और मानता होगा और उनके लाये हुए दीन पर अमल करता होगा तो पहचान लेगा।

👉 अगर मरने वाला सच्चा और पक्का मोमिन होगा तो इसके जवाब में कहेगा: –

هُوَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ
वो अल्लाह के रसूल (ﷺ) है ।

🔹बुख़ारी के अल्फ़ाज़ है कि मुस्लिम बंदा यह गवाही देगा: –

أَشْهَدُ أَنَّهُ عَبْدُ اللَّهِ وَرَسُولُهُ
“मैं गवाही देता हूं कि आप (ﷺ) अल्लाह के बन्दे और उस के रसूल है।”

👉 जबकि काफिर और मुनाफ़िक़ पहले सवाल के जवाब में कहेगा: –

هَاهْ هَاهْ لَا أَدْرِي,
हाय अफसोस हाय अफसोस! मुझे नही मालूम !!

كُنْتُ أَقُولُ مَا يَقُولُ النَّاسُ
मैं तो वही कहता था जो दूसरे लोग कहते थे (यानी मुझे खुद तो कुछ मालूम नहीं, बस जो लोग कहते थे मैं भी बिना सोचे समझे उनकी पैरवी करता था, कभी मैंने खुद रसूलल्लाह सल्ल. की शख्सियत को नहीं जाना।)

فَيُقَالُ:‏‏‏‏ لَا دَرَيْتَ وَلَا تَلَيْتَ
फिर उससे कहा जायेगा कि, “ना तूने जानने की कोशिश की और ना समझने वालों की राय पर चला।”

तो जब कब्र के ये तीनों सवाल पूछ लिए जायेंगे तो फ़रिश्ते उस शख्स से एक सवाल और पूछेंगे कब्र के इन तीनों सवालों से अलग होगा वो है

وَمَا يُدْرِيكَ ؟
तुम्हें ये सब बातें कहाँ से मालूम हुई?

👉 अगर मरने वाला सच्चा और पक्का मोमिन होगा तो इसके जवाब में कहेगा: –

قَرَأْتُ كِتَابَ اللَّهِ، ‏‏‏‏‏‏فَآمَنْتُ بِهِ، ‏‏‏‏‏‏وَصَدَّقْتُ،

मैंने अल्लाह की किताब पढ़ी और उस पर ईमान लाया और उसको सच समझा।

कब्र के इन सवाल-जवाब के बाद मुस्लिम बंदे के लिए नेअमतों का दरवाजा खोल दिया जाता है और मुनाफ़िक़ और काफिर के लिये अज़ाबे क़ब्र मुसल्लत कर दिया जाता है।

【सहीह बुख़ारी 1374 और सुनन अबू दाऊद 4753 से माखूज】

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कब्र के 3 सवाल की हदीस | Qabar Ke 3 Sawal Ki Hadees

📜 Qabar Ke 3 Sawal की पहली हदीस

हज़रत अनस बिन मालिक़ (रज़ि.) बयान करते है कि रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया कि “आदमी जब अपनी क़ब्र में रखा जाता है और जनाज़े में शरीक (शामिल) होने वाले लोग उस से रुखसत होते है तो अभी वो उन के जूतों की आवाज़ सुनता होता है कि दो फ़रिश्ते (मुनकर -नकीर अलै.) उस के पास आते है।

✨वह उसे बिठा कर पूछते है कि “इस शख़्स यानी मुहम्मद (ﷺ) के बारे में तू क्या ऐतेक़ाद (जानकारी) रखता था?” मोमीन तो ये कहेगा कि “मैं गवाही देता हूं कि आप (ﷺ) अल्लाह के बन्दे और उस के रसूल है।”

इस जवाब पर उससे कहा जायेगा कि “तो ये देख अपना जहन्नम का ठिकाना लेकिन अल्लाह तआला ने इस के बदले में तुम्हारे लिये जन्नत में ठिकाना दे दिया।” उस वक़्त उसे जहन्नम और जन्नत दोनों ठिकाने दिखाये जाएंगे।

क़तादा (रह.) ने बयान किया कि उस की क़ब्र खूब कुशादा कर दी जायेगी (जिससे आराम व राहत मिले)।

✨फिर क़तादा (रह.) ने अनस (रज़ि.) की हदीस बयान करनी शुरू की, फ़रमाया, “और मुनाफ़िक़ व काफ़िर से जब कहा जाएगा कि इस शख़्स के बारे में तू क्या कहता था तो वो जवाब देगा कि मुझे कुछ मालूम नहीं, मैं भी वही कहता था जो दूसरे लोग कहते थे।”

✨फिर उससे कहा जायेगा कि, “ना तूने जानने की कोशिश की और ना समझने वालों की राय पर चला।”

फिर उसे लोहे की गुर्जो (सलाखों) से बड़ी ज़ोर से मारा जायेगा कि वो चीख पड़ेगा और उस की चीख को जिन्न और इंसानों के सिवा उस के आस पास की तमाम मख्लूक़ सुनेगी। (सहीह बुखारी : 1374)


📜 Qabar Ke 3 Sawal की दूसरी हदीस

हज़रत अल बरा इब्ने आज़िब (रज़ि.) बयान करते हैं कि हम रसूलल्लाह (ﷺ) के साथ अंसार के एक शख़्स के जनाज़े में निकले, हम क़ब्र के पास पहुंचे, वे अभी तक तैयार ना थी तो रसूलल्लाह (ﷺ) बैठ गये और हम भी आप के इर्द गिर्द बैठ गये, गोया हमारे सरों पर चिड़िया बैठी है।

आप (ﷺ) के हाथ में एक लकड़ी थी जिस से आप ज़मीन कुरेद रहे थे फिर आप (ﷺ) ने सर उठाया और फ़रमाया, “क़ब्र के अज़ाब से अल्लाह की पनाह तलब करो।” इसे दो बार या तीन बार फ़रमाया।

यहाँ जरीर की रिवायत में इतना इज़ाफ़ा है : और फ़रमाया और वो उनके जूतों की चाप सुन रहा होता है जब वो पीठ फेर कर लौटते हैं। उसी वक़्त उससे पूछा जाता है ऐय जी!

Qabar Ke 3 Sawal

🟢 तुम्हारा रब कौन है?
🟢 तुम्हारा दीन क्या है?
🟢 और तुम्हारा नबी कौन है?

हन्नाद की रिवायत के अल्फ़ाज़ हैं आप (ﷺ) ने फरमाया, “फिर उसके पास दो फ़रिश्ते आते हैं, उसे बैठाते हैं और उससे पूछते है: –

🔵 तुम्हारा रब (माबूद) कौन हैं?
तो वो कहता है, मेरा रब (माबूद) अल्लाह है।

🔵 फ़िर वो दोनों उससे पूछते है तुम्हारा दीन क्या है?
वो कहता है मेरा दीन इस्लाम है ।

🔵 फ़िर पूछते है, ये कौन है जो तुममें भेजे गये था?
वो कहता है वो अल्लाह के रसूल (ﷺ) है ।

🔵 फ़िर वो दोनों उससे कहते हैं तुम्हें ये कहाँ से मालूम हुआ?
वो कहता है मैंने अल्लाह की किताब पढ़ी और उस पर ईमान लाया और उसको सच समझा।

जरीर की रिवायत में यहाँ पर ये इज़ाफ़ा (ज़्यादा) है अल्लाह तआला के कौल (कथन/बात) «يثبت الله الذين آمنوا» से यही मुराद है। (फिर दोनों की रिवायत के अल्फ़ाज़ एक जैसे हैं।)

आप (ﷺ) ने फ़रमाया, “फिर एक पुकारने वाला आसमान से पुकारता है, मेरे बन्दे ने सच कहा लिहाज़ा तुम इस के लिये जन्नत का बिछौना बिछा दो, और इस के लिये जन्नत की तरफ का एक दरवाज़ा खोल दो, और इसे जन्नत का लिबास पहना दो।”

आप (ﷺ) फरमाते है, “फ़िर जन्नत की हवा और उस की खुशबू आने लगती है और ता हदे निगाह उस के लिये कब्र कुशादा कर दी जाती है।” और रहा काफ़िर तो आप (ﷺ) ने उस की मौत का ज़िक्र किया और फ़रमाया, “उस की रूह उस के जिस्म में लौट दी जाती है, उस के पास दो फ़रिश्ते आते हैं,

🟣 उसे उठाते हैं और पूछते हैं, तुम्हारा रब कौन हैं?
वो कहता हैं, हाय अफसोस हाय अफसोस! मुझे नहीं मालूम !!

🟣 वो दोनों उससे पूछते हैं ये आदमी कौन है जो तुम में भेजा गया था?
वो कहता हैं, हाय अफसोस हाय अफसोस! मुझे नही मालूम !!

🟣 फिर वो दोनों उससे पूछते है तुम्हारा दीन क्या हैं?
वो कहता हैं, हाय अफसोस हाय अफसोस! मुझे नही मालूम!!

तो पुकारने वाला आसमान से पुकारता है इस ने झूठ कहा इस के लिये जहन्नम का बिछौना बिछा दो और जहन्नम का लिबास पहना दो और इस के लिये जहन्नम की तरफ का दरवाजा खोल दो, तो उस की तपिश (गर्मी) और उस की ज़हरीली हवा (लू ) आने लगती है और उस की क़ब्र तंग कर दी जाती है यहाँ तक कि उस की पसलियाँ इधर से उधर हो जाती है।”

जरीर की रिवायत में ये इज़ाफ़ा है : फिर उस पर एक अंधा गूँगा (फरिश्ता) मुकर्रर कर दिया जाता है, उस के साथ लोहे का एक गुर्ज़ होता हैं अगर वो उसे किसी पहाड़ पर भी मारे तो वो भी ख़ाक हो जाये,

चुनाँचे वो (फ़रिश्ता) उसे (इंसान को) उस की एक ज़र्ब (चोट/मार) लगाता है जिस को मशरिक़ (पूर्व) व मग़रिब (पश्चिम) की सारी मख़लूक़ सिवाय आदमी व जिन्न के सुनते हैं और वो मिट्टी हो जाता है आप (ﷺ) फ़रमाते है, “फिर उसमें रूह लौटा दी जाती है।” (सुनन अबू दाऊद : 4753)

इसी तरह की अहादीस का बयान: – मुस्नद अहमद हदीस 18733, सुनन अबू दाऊद हदीस 3212 में भी मिलता है।


अगर मय्यत मोमिन नहीं है तो क्या होगा?

अगर मय्यत गैर-मोमिन है, तो वह कभी भी कब्र के इन तीन सवालों के जवाब देने की हालत में नहीं होगी,

वो सिर्फ़ यही कहेगा, “हा हा ला ला अदरी। “(अफ़सोस है कि मुझे कुछ नहीं पता है)।

और कब्र के सवाल-जवाब होने के बाद क़ब्र में दोज़ख़ के दरवाज़े खोल दिए जायेंगे और फिर उसका अज़ाब उस पर मुसल्लत कर दिया जायेगा।


अगर मय्यत मोमिन है तो क्या होगा?

लेकिन अगर मय्यत मोमिन है और उसने अल्ल्लाह के हुक्मों को मानते हुए और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तरीके पर जिन्दगी गुज़ारी होगी, तो उस मय्यत की कब्र में जन्नत की एक खिड़की खोल दी जाएगी।

फिर वो जन्नत के खूबसूरत अहसास से मालामाल हो जायेगा फिर उसको एक मीठी नींद सुला दिया जायेगा।


आखिरी शब्द

तो जैसा कि हमने इस पोस्ट में पढ़ा कि हर शख्स से मरने के बाद कब्र के 3 सवाल (Qabar Ke 3 Sawal) पूछे जायेंगे। अगर मरने वाला पक्का सच्चा मोमिन हुआ तो उसके लिए कब्र के इन 3 सवालों के जवाब देना आसान होगा।

तो हमें चाहिए कि हम अल्लाह के हुक्मों और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताये तरीके पर चलें।

अल्लाह सबको कब्र के अज़ाब से बचाए ! आमीन

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