Roze Ki Fazilat – Sehri, Iftar or Hadees | रोज़े की फ़ज़ीलत हिंदी में

Roze Ki Fazilat: – दोस्तों, इस पोस्ट में हमने 🕌 रोज़े की फ़ज़ीलत को हिंदी में अच्छे से बताया है।

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आप इस पोस्ट में सेहरी की फ़ज़ीलत, इफ्तार की फ़ज़ीलत और रोज़ा की फ़ज़ीलत को हिंदी में हदीस अच्छे से पढ़ेंगे।


रोज़े की फ़ज़ीलत क़ुरान नें | Roze Ki Fazilat Quran Me

अल्लाह रब्बुल आलमीन कुरान-ए-करीम में इरशाद फरमाता है कि,

ए ईमान वालों ! तुम पर रोज़ा फ़र्ज़ किया गया, जैसा उनपर फ़र्ज़ हुआ था, जो तुमसे पहले हुए। ताकि तुम गुनाहों से बचो।

फिर तुममें जो बीमार हो या सफ़र में हों वो और दिनों में गिनती पूरी करें। (बीमारी या सफ़र खत्म होने के बाद रोज़ा रखें।)

और जो ताक़त नहीं रखते (बूढ़ा आदमी या ऐसा बीमार जिसके तंदुरुस्त होने की उम्मीद न हो), वो फिदया दें,

एक मिस्कींन का खाना, फिर जो ज्यादा भलाई करे ये उसके लिए बेहतर है,

और रोज़ा रखना तुम्हारे लिए बेहतर है अगर तुम जानते हो।

👉 (सूरह अल-बक़ारह आयत 187)

▶️ यह भी पढ़ें: – रोज़ा रखने की दुआ इन हिंदी


रोज़े की फ़ज़ीलत हदीस में | Roze Ki Fazilat Hadees Me

रमज़ान के रोज़े की बेशुमार फज़िलतें हदीसे पाक में आई हैं। उन्हीं में से चुनिन्दा हदीसे पाक हम आपकी खिदमत में पेश कर रहे हैं।

📗 Roze Ki Fazilat हदीस न : 1

जब रमज़ान आता है तो रहमत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं, और जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और शयातीन जंजीरों में जकड़ दिए जाते हैं।

👉 (सहीह मुस्लिम, किताबुल सयाम, बाब रमज़ान के फ़ज़ाइल, हदीस: 1079)


📗 Roze Ki Fazilat हदीस न: 2

जन्नत में 8 दरवाज़े हैं उनमें एक दरवाज़े का नाम रैय्यान है, उस दरवाज़े से वही जन्नत में जायेगें जो रोज़ा रखते हैं।

👉 (सहीह बुखारी, जिल्द 1, सफा 394, हदीस: 3257)


📗 Roze Ki Fazilat न: 3

हज़रत अबू उमामह अल बाहीली रज़िअल्लहु अन्हु से मरवी है कि उन्होंने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अर्ज़ किया,

या रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ! मुझे कोई ऐसा अमल बताएं (जिससे मैं जन्नत में दाखिल हो जाऊं)

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: रोज़ा रखो, उसके बराबर कोई अमल नहीं है।

मैनें फिर अर्ज़ किया : या रसूल’अल्लाह ﷺ! मुझे कोई और अमल भी बताएं।

आप ﷺ ने फरमाया: रोज़ा रखो, उसके बराबर कोई अमल नहीं है।

👉 (सुनन नसाई, किताबुस सौम, हदीस: 2223)


📗 Roze Ki Fazilat न: 4

हजरते सय्यैदना अबू हुरैरा र. अ. से रिवायत है कि नबी-ए-अकरम ﷺ फरमाते हैं कि:

“आदमी के हर नेक काम का बदला दस से 700 गुना तक दिया जाता है। अल्लाह ने फरमाया सिवाय रोज़ा के। रोज़ा मेरे लिए है और इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा।

अल्लाह का मजीद इरशाद है, बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है।

रोज़दार के लिए दो खुशियाँ हैं,

एक इफ्तार के वक़्त और एक अपने रब से मुलाकात के वक़्त।

रोजदार के मूँह की बू अल्लाह के नज़दीक मुश्क से ज्यादा पाकीज़ा है।”

👉 (सहीह मुस्लिम: हदीस 1151)


📗 Roze Ki Fazilat न: 5

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र र. अ. से मरवी है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया, “रोज़ा और क़ुरान कियामत के रोज़ मोमिन के लिए शफ़ा’अत करेंगे।

रोज़ा अर्ज़ करेगा: – ए मेरे अल्लाह ! दिन के वक़्त मैंने इसे खाने और शहोबत से रोके रखा, पस इसके हक में मेरी शफा’अत कुबूल फरमा।

और क़ुरान कहेगा: – मैंने रात को इसे जगाये रखा, पस इसके हक में मेरी शफा’अत कुबूल फरमा।

पस दोनों की शफ़ा’अत कुबूल कर ली जाएगी।

👉 (इमाम अहमद बिन हंबल अल मुसनद, Vol : 02, पेग : 174)

▶️ यह भी पढ़ें: – रोज़ा खोलने की दुआ इन हिंदी


सेहरी और इफ्तार की फ़ज़ीलतों की हदीस

दोस्तों, जैसा कि ऊपर हमने रोज़े की फ़ज़ीलतों को हदीस (Sehri Aur Iftar Ki Fazilat in Hindi) के जरिये जाना,

ठीक इसी तरह नीचे हमने सेहरी और इफ्तार की फ़ज़ीलतों को हदीस के जरिये बताया है।

आप इन फ़ज़ीलतों को पढ़ें और इनको अम्ल में लायें।


📜 सेहरी खाने की फ़ज़ीलत | Sehri Khane Ki Fazilat

यहाँ हमने सेहरी खाने की फ़ज़ीलत को हदीस के जरिये बताया है।

आप इन हदीस को पढ़ें और सेहरी की फ़ज़ीलतों को जानें।


📜 सेहरी खाने की हदीस न: 1

हज़रत इब्न सरिया र. अ. से मरवी है, नबी-ए-करीम ﷺ जब भी अपने साथ किसी सहाबी को सहरी खाने बुलाते तो इस तरह बुलाते,

“आओ बरकत का खाना खा लो।”

👉 (सुनन अबू दावूद ,जिल्द : 02, पेज: 444, किताबुस सौम, हदीस: 2344), (सुनन नसाई, किताबुस सौम, हदीस: 2163)


📜 सेहरी खाने की हदीस न: 2

रोज़ा रखने के लिए सेहरी खा कर कुव्वत हासिल करो और दिन के वक़्त आराम करके रात कि इबादत के लिए ताक़त हासिल करो।

👉 (सुनन इब्ने माजा, जिल्द: 2, सफा: 321, हदीस: 1693)


📜 सेहरी खाने की हदीस न: 3

सेहरी बरकत की चीज़ है जो अल्लाह ता’अला ने तुमको अता फरमाई है। इसको मत छोड़ना।

👉 (सुनन नसाई, जिल्द: 2, सफा: 79, हदीस: 2472)


📜 सेहरी खाने की हदीस न: 4

सेहरी, पूरी की पूरी बरकत है पास तुम ना छोड़ो, चाहे यही हो कि तुम पानी का एक घूँट पी लो। बेशक अल्लाह ता’अला और उसके फ़रिश्ते रहमत भेजते हैं सेहरी करने वालों पर।

👉 (मुसनदे अहमद बिन हम्बल, जिल्द: 4, सफा: 88, हदीस: 11396)


📜 सेहरी खाने की हदीस न: 5

खजूर मोमिन की बेहतरीन सेहरी है।

👉 (सुनन अबू दावूद, जिल्द: 2, सफा: 443, हदीस: 2345)


📜 सेहरी खाने की हदीस न: 6

हज़रत अनस रज़िअल्लहु अन्हु फरमाते हैं, नबी-ए-अकरम ﷺ सेहरी के वक़्त मुझसे फरमाते

“मेरा रोज़ा रखने का इरादा है, मुझे कुछ खिलाओ। तो मैं कुछ खजूर और एक बर्तन में पानी पेश करता।”

👉 (सुनन अल-कुबरा, जिल्द: 2, सफा: 80, हदीस: 2477)


📜 सेहरी खाने की हदीस न: 7

हज़रत अमर इब्न अल आस र. अ. से मरवी है नबी-ए-करीम ﷺ ने फरमाया, हमारे और अहले किताब के दरमियान सेहरी खाना फर्क है।

👉 (सहीह मुस्लिम, किताब अल सॉम, हदीस: 1096), (सुनन नसाई, किताब उस सॉम, हदीसः 2166), (सुनन अबू दाऊद, किताब अल सॉम, हदीस: 2343), (जमाई तिर्मिज़ी, किताबुस सॉम, हदीस: 709)


इफ्तार की फ़ज़ीलत | Iftar Ki Fazilat

यहाँ हमने इफ्तार की फ़ज़ीलत को हदीस के जरिये बताया है। आप इन हदीस को पढ़ें और इफ्तार की फ़ज़ीलतों को जानें।

✍🏻 इफ्तार की हदीस: 1

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन अस से रिवायत है कि नबी ﷺ ने इरशाद फरमाया, “इफ्तार के वक़्त रोज़ेदार की दुआ रद्द नहीं होती है।”

👉 (सुनन इब्न माजह , Vol. 2, हदीस : 1753-Hasan)


✍🏻 इफ्तार की हदीस: 2

हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास र. अ. से रिवायत है कि महबूबे रब्बे आलमीन, ﷺ का फरमान है कि,

अल्लाह माहे रमज़ान में रोजाना इफ्तार के वक़्त 10 लाख ऐसे गुनाहगारों को जहन्नम से आज़ाद फरमाता है जिन पर गुनाहों कि वजह से जहन्नम वाजिब हो चुकी थी।

नीज शबे जुमा और रोज़े जुमा (यानी जुमेरात को गुरूबे आफताब से लेकर जुमा को गुरूबे आफताब तक) की हर एक घड़ी में ऐसे 10-10 लाख गुनाहगारों को जहन्नम से आज़ाद किया जाता है, जो आज़ाब के हक़दार करार दिए जा चुके होते हैं।”

👉 (कन्जुल उम्माल, जिल्द: 8, सफा: 223, हदीस: 23716)


✍🏻 इफ्तार की हदीस: 3

हदीस-ए-मुबारक का मफहूम है कि नबी ए करीम صلی اللہ تعالي علیہ والہ وسلم ने इरशाद फरमाया,

रोज़ादार के मूँह की बू (जो भूख की बजह से होती है) अल्लाह ता’अला के नज़दीक मुश्क की खुशबू से भी बेहतर है।”

👉 (सहीह बुखारी : हदीस 7492)


✍🏻 इफ्तार की हदीस: 4

हज़रत सलमान फ़ारसी र. अ. से रिवायत है कि रसूल’अल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया,

जिसने हलाल खाने या पानी से किसी मुसलमान को रोज़ा इफ्तार करवाया, तो फ़रिश्ते माह-ए-रमज़ान के औक़ात में उसके लिए अस्तग्फ़ार करते हैं,

और जिब्रील अलैहिस्सलाम शब-ए-कद्र में उसके लिए अस्तग्फार करते हैं।

👉 (तिबरानी अल मो’एजम अल कबैर, जिल्द: 6, पेज: 242, हदीस: 6162)


✍🏻 इफ्तार की हदीस: 5

हदीस मुबारक का मफहूम है कि हज़रत सय्यैदना सहल बिन सा’अद र. अ. से रिवायत है कि नबी करीम ﷺ ने फरमाया: –

“मेरी उम्मत के लोगों में उस वक़्त तक खैर बाकी रहेगी, जब तक वोह इफ्तार में जल्दी करते रहेंगे।”

👉 (सहीह बुखारी: हदीस: 1957)


✍🏻 इफ्तार की हदीस: 6

रसूल’अल्लाह ﷺ फरमाते हैं कि,
जो रोज़दार को (इफ्तारी में) पानी पिलायेगा, अल्लाह उसे मेरे हौज़ से पानी पिलाएगा कि जन्नत में दाखिल होने तक प्यासा ना होगा।”

👉 (सही इब्ने खुजैमा, जिल्द: 3, पेज: 192, हदीस: 1887)


✍🏻 इफ्तार की हदीस: 7

हज़रत मा’अज़ बिन ज़हरा र. अ. से रिवायत है कि नबी अकरम ﷺ जब इफ्तार करते तो इफ्तार के बाद ये इरशाद फरमाते:

“अल्लाहुम्मा लका सुम्तु व अला रिज़्किक़ा अफ्तरतु।”

मतलब कि “ए अल्लाह ! मैंने तेरी ही खातिर रोज़ा रखा और तेरे ही रिज्क से इफ्तार किया।”

👉 (सुनन अबू दावूद: जिल्द: 02, पेज: 447 किताब अल सियाम, हदीस: 2358)


✍🏻 इफ्तार की हदीस: 8

हज़रत अब्दुल्लाह इब्न अब्बास र. अ. से रिवायत है कि रहमते आलम हुज़ूर ﷺ ने फरमाया,

जिसने मक्काह मुकर्रमा में माहे रमज़ान पाया और रोज़ा रखा और रात में जितना मैसर हुआ क़याम किया तो,

अल्लाह उसके लिए दुनिया की किसी और जगह के एक लाख रमज़ान का सवाब लिखेगा और हर दिन एक गुलाम आज़ाद करने का सवाब और हर रात एक गुलाम आज़ाद करने का सवाब और हर जिहाद में घोड़े पर सवार कर देने का सवाब और हर दिन में नेकी और रात में नेकी लिखेगा।”

👉 (सुनन इब्न माजह, जिल्द : 03, पेज: 523, किताबुल मनासिक-ए-हज्ज, हदीस: 3117)


रमज़ान की फ़ज़ीलत और अल्लाह से दुआ

बेशक! रमजान उम्मत-ए-मोहम्मद ﷺ के लिए एक अपने रब ताअला का दिया एक नायाब तोहफा है। और हम जैसे गुनाहगार लोगों की बख्शीश का सबब है।

हदीस पाक में है कि अगर हम जाने की रमजान की अजमत और शान क्या है, तो बंदे अल्लाह से तमन्ना करें, कि साल भर रमजान हों।

ये वही मुकद्दस महीना है जिसमें अल्लाह ने कुरान-ए-करीम को नाजिल फरमाया और इसी महीने में अल्लाह ने हमें शबे कद्र से नवाजा, जो 1000 महीनों से अफज़ल रात है।

बेशक ! हमारा रब बड़ा रहीम-ओ-करीम है। लिहाज़ा हमारे लिए यही सुनहरा मौका है अपने रब को राजी करने का।

इसे हरगिज गफलत में ना गुजारें। रमजान बंदो की मगफिरत का ज़रिया है।

अब किसी ने अपनी मगफिरत इस महीने में करायी, अपने रब को राजी करने की कोशिश ना की, तो ये अफसोस की बात है। क्या पता अगला रमजान मिले न मिले।

अल्लाह से दुआ करें कि अल्लाह हम सबको हिदायत दे और इस मुकद्दस महीने की क़दर करने की और ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाये।

अमीन। (अव्वल आखिरी दुरूद)


आखिरी शब्द

ऊपर बयान करदा हदीस से सहरी के फ़ज़ाइल हमने पढ़े।

लेकिन आवाम में अक्सर देखा गया है के लोग “फाक़ा रोजा” रखते हैं। यानि बिना सहरी के रोज़ा रखते हैं जो के खिलाफ़ सुन्नत है और नबी-ए-करीम ﷺ ने सहरी को तर्क करने से यानि छोड़ने ने मना फरमाया है।

लिहाज़ा बिना किसी जैज़ शरई मजबूरी के सहरी को ना छोड़े। क्यूंकी रहमते आलम ﷺ का फरमाने आलिशान है के सहरी बरकत वाला खाना है।

तो जिसने सेहरी छोड़ी उसने बरकत छोड़ी। और हममें और अहले किताब यानि यहूद-ओ-नसारा में यही फ़र्क है के वो सहरी नहीं करते।

अब कोई सेहरी में कुछ खाना न चाहता हो तो सिर्फ पानी पी ले, यहां तक ​​हुक्म है, तो इस बात पर गौर की जाए और सहरी को हरगिज ना तर्क करे।

जज़ाकल्लाहू खैर……….

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