Shirk Meaning in Hindi | शिर्क का मतलब और शिर्क की किस्में क्या हैं?

Last updated on फ़रवरी 13th, 2023 at 06:48 अपराह्न

अस्सलामो अलैकुम दोस्तों, जैसा कि हमने पिछली पोस्ट में जाना कि Taqwa Meaning in Hindi क्या होता है। तो आज की पोस्ट में Shirk Meaning in Hindi में जानेंगे ।

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आईये हम जानते हैं कि शिर्क का हिंदी मतलब (Shirk Meaning in Hindi) क्या होता है? और शिर्क आखिर है क्या?

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शिर्क का मतलब | Shirk Meaning in Hindi

आपको यह जान लेना जरूरी है कि शिर्क एक अरबी शब्द है।

शिर्क का हिंदी मतलब (Shirk Meaning in Hindi) होता है: – “अल्लाह के साथ किसी और को शरीक करना।”

दुसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि

अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत करना या अल्लाह का इनकार करके किसी और की इबादत करना शिर्क होता है।

यह भी शिर्क का हिंदी मतलब (Shirk Meaning in Hindi) होता है।


शिर्क होता क्या है? | Shirk Hota Kya Hai?

जैसा कि हमने Shirk Meaning in Hindi से जाना कि अल्लाह के साथ किसी और को शरीक करना शिर्क होता है।

अब आईये इसे अच्छे से समझ लेते हैं आखिर शिर्क है क्या?

शिर्क सभी गनाहों में सबसे बड़ा गुनाह है।

शिर्क क्या है?

जैसे कि दिन का उल्टा, रात होती है, सफ़ेद का उल्टा काला होता है, ठीक वैसे ही तौहीद का उल्टा शिर्क होता है।

तौहीद से मायने एक अल्लाह से है और शिर्क के मायने अल्लाह के अलावा कोई दूसरा माबूद शामिल करना।

हदीस के हवाले से

जैसा कि एक हदीस में आया है कि आप रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि

“शिर्क मत करना चाहे तुझे क़त्ल कर दिया जाये या तुझे जला दिया जाये।”

इसी तरह बुखारी की एक रिवायत है कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि

“क्या मैं तुम्हें न बता दूँ कि गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह क्या है?”

सहाबा ने कहा: – अल्लाह के रसूल जरूर बता दीजिये।

तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: –

“अल्लाह के साथ तू शिर्क कर, यह सबसे बड़ा गुनाह है और कहा कि वालिदैन की नाफ़रमानी कर, यह दूसरा सबसे बड़ा गुनाह है।”

तो जैसा कि इन हदीसों से हमने जाना कि

अल्लाह के प्यारे नबी रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इसकी वजाहत की कि अल्लाह के साथ शिर्क सबसे बड़ा गुनाह है।

क़ुरान के हवाले से

इसी बात को अल्लाह ने सूरह निशा की आयत न. 48 में फ़रमाया है जिसका तर्जुमा यह होता है कि बेशक अल्लाह रब्बुल इज्जत चाहे तो तमाम गुनाहों को माफ़ कर देगा लेकिन शिर्क को माफ़ नहीं करेगा।

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तो जैसा कि अल्लाह ने क़ुरान में साफ-साफ़ इरशाद फरमा दिया है कि

“अल्लाह शिर्क को कभी माफ़ नहीं करता है और शिर्क कहते हैं शिरकत को, मिलाने को, साथ करने को।”

शिर्क करने से हमारी पैदाइश का मकसद खत्म हो जाता है।

हम दुनिया में जिस काम के लिए भेजे गए हैं उसको हम भूल जाते हैं।

तो जाहिर सी बात है जब हमारा दुनिया में आने का मकसद खत्म हो गया तो किसी चीज का करना भी बेकार हो जाता है।

उदाहरण के तौर पर अगर किसी ने दूकान खोली।

उसका दूकान खोलने का मकसद था फायदा होना।

और अगर फायदा ही नहीं हो रहा तो दूकान खोलने का मकसद ही खत्म हो गया और उसकी चीज़ बेकार हो गयी।

तो हमारी पैदाइश का मकद है अल्लाह की इबादत।

अल्लाह ने कुरान में सूरह ज़ारियात की आयत 56 में अल्लाह का इरशाद है कि हमने जिन्न और इंसानों को खालिस अपनी इबादत के लिए पैदा किया है।

तो इंसान की पैदाइश का मकसद इबादत है और अगर हमने अल्लाह की इबादत न करके किसी और की इबादत की,

तो हमारा मकसद ख़त्म हो गया और हमारी पैदाइश का मकसद बेकार हो गया।


शिर्क करने वाले का क्या होगा?

अल्लाह ने क़ुरान में सूरह मायदा की आयत 72 में फ़रमाया है कि जो अल्लाह के साथ शिर्क करता है,

अल्लाह ने उसके लिए जन्नत हराम कर दी और उसका ठिकाना जहन्नुम की आग है,

और ऐसे ज़ालिमों को उस दिन कोई मददगार नहीं मिलेगा।

ठीक इसी तरह

अल्लाह ने रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से खिताब करके क़ुरान में सूरह ज़ूमर की बड़ी सख्त आयत 65 में फ़रमाया है कि

“ए नबी हमने आपकी तरफ वही की और आपसे पहले भी यही वही की थी।”

तो अगर तू भी ए नबी ये शिर्क करे, तो हम तेरे भी इस अम्ल को बर्बाद कर देंगे और तुझे भी जहन्नुम में डाल देंगे।


शिर्क और बिद’अत में क्या फर्क है?

जैसा कि अल्लाह के अलावा किसी और माबूद की इबादत करना शिर्क है।

जबकि बिद’अत के मायने होते हैं कि इस्माल में किसी नए काम दीन समझ कर करना, जिसको इस्लाम में बताया नहीं गया हो।

या ये भी कह सकते हैं कि

इस्लाम में अपने मन-मुताबिक़ नए काम को किया जाये, जिसकी असल या बुनियाद शरियत में नहीं मिलती।

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शिर्क की ऐसी किस्में जो लोग शिर्क नहीं समझते

यहाँ हम कुछ ऎसी बातों को जानेंगे जो आज के वक़्त में लोगों में आम हैं और लोग इन कामों को शिर्क नहीं समझते हैं।

➤ शिर्क की किस्में : –

🔴 1. अल्लाह के अलावा किसी और को पुकारना मदद के लिए, हाजतरबायी, मुश्किलकुशाई के लिए, फौखलअजवाब (यानी कि सबब से ऊपर)

यहाँ यह समझ लेना जरूरी है कि सबब से ऊपर किसी से मदद माँगना शिर्क में आता है।

जैसा कि आप के वालिदैन किसी दूसरे शहर में हैं और आप किसी दुसरे शहर में।

अब आप कह रहे हैं कि खाना चाहिए तो ये तो सबब से ऊपर हुआ।

तो इस तरह किसी से मदद मांगना शिर्क में आता है।

ठीक इसी के उल्टा सबब के नीचे किसी से मदद मांगना शिर्क नहीं होता है।

जैसा कि कोई गड्ढे में गिरा है और आप गुज़र के जा रहे हैं और वो गिरा हुआ शख्स आपसे मदद मांग रहा तो आप उसकी मदद कर सकते हैं।

क्यूंकि अल्लाह ने आपको सलाहियत दी है कि आप मदद कर सकते हैं।

🔴 2. खैर के लिए चीज़ों का बांधना, लटकाना और गाड़ना शिर्क है

धागे, सीपी, कौड़ी, मनका, पत्थर, अँगूठी, माला, नीबूं, मिर्ची, ताबीज़, अंडे, घोड़े की नाल इसके अलावा और भी बहुत कुछ,

इन तमाम चीज़ों का गाड़ना, लटकाना, चिकाना, खाना, और धोना आदि कामों को इस नियत से किया जाता है कि

ये हिफाज़त करेंगे, शैयातीन से महफूज़ रखेंगे और खैरो-बरकत लायेंगे, तो ये शिर्क है।

🔴 3. गैरुल्लाह को खुश करने वाले कलमात का पढ़ना

बहुत से मुसलमान कुछ ऐसे कलमात पढ़ते हैं जिनका मायना खुद वो इंसान नहीं जानते हैं।

वो इसलिए इन कलमात को पढ़ते हैं क्यूंकि उनमें अम्बियायों से दुआ, शोहदा से दुआ और शैयातीन से मदद मांगी जाती है।

यह मालूम होना चाहिए कि ये सब शिर्क है।

इसलिए आपको यह ख्याल रहे कि आप जो भी पढ़ें पहले उसका मतलब जरूर देख लें।

🔴 4. अल्लाह के अलावा किसी और से मन्नत मांगना, नज़र और नियाज़ करना

बहुत से मुसलमान कहते हैं हम तो अल्लाह से मन्नत मांगते है, बस उस जगह करते हैं या उस दर पर करते हैं।

यहाँ यही तो मसला है क्यूंकि उस ज़माने में मुशरिकीन भी यही कर रहे थे।

उनके लिए अल्लाह ही सबसे बड़ा रब था, बस उन्होंने किसी और का डर अपना लिया था।

उनका यही शिर्क था, इसीलिए मुशरिकीन कहलाये।

वो बुतों के सामने कुर्बानी करते, जिससे की वो उस कुर्बानी को अल्लाह के पास पहुंचाए।

जिससे कि अल्लाह खुश हो और आज हम भी यही कर रहे कि फलाँ बाबा के सामने हम ये करेंगे तो वो बाबा हमारी बात अल्लाह तक पहुचायेगा।

तो ये शिर्क है और हमें इससे बचना चाहिए।

🔴 5. अल्लाह के अलावा किसी और से दुआ मांगना और पनाह तलब करना

इससे मुराद ये है कि जब कोई मुसीबत या परेशानी आई तो अल्लाह से दुआ नहीं करते,

बल्कि अल्लाह के अलावा किसी और से दुआ करते हैं कि ए फलां हमारी मदद कर या इस मुश्किल से बचा ले।

तो ऐसा करना शिर्क है।

🔴 6. कब्रों, मकबरों और अलम-ताजियों की इबादत करना

अल्लाह ने इरशाद फरमा दिया है कि उसके अलावा कोई माबूद नहीं जिसकी इबादत की जाये या जिससे दुआ, और मदद तलब की जाये।

तो आजकल लोग कब्रों पर जाकर इसे दुआ मांगते हैं, चढ़ावा चढ़ाते हैं, कुर्बानियां करते हैं, मन्नतें करते हैं और भी बहुत कुछ करते हैं।

ऐसा करना शिर्क है।

🔴 7. जादू का करना या फाल खोलना कुफ्र और शिर्क है

जो लोग अपने मतलब के लिए जादू करते हैं, जिन्नों को काबू करके उनसे अपने काम निकलबाते हैं,

और फाल के जरिये लोगों का भविष्य बताते हैं।

ये सब करना शिर्क है।

🔴 8. नज़रेबद या बिमारी से हिफाज़त और इलाज़ के लिए ताबीज का पहनना

जैसा कि अल्लाह ने क़ुरान में अल्लाह ने फरमाया है कि कुरआन में शिफा है।

तो इसका मतलब है कि क़ुरान को पढ़ा जाये और अल्लाह की रहमतों को हासिल किया जाये।

न की ताबीज़ बनाकर पहन लेने से अल्लाह हिफाज़त करता है।

🔴 9. अल्लाह के अलावा दूसरों के लिये किया अम्ल शिर्क है

यहाँ कहने के मायने ये हैं कि ऎसी मोहब्बत जो खालिश अल्लाह से की जानी चाहिए और हम वो किसी और से कर रहे हैं।

या ऐसा डर, जो खालिश अल्लाह से होना चाहिए, और डर किसी और से रहे हैं।

तो ऐसा करना शिर्क है।

🔴 10. चीज़ों पर अलग-अलग शक्लें हिफाज़त की नियत से बनाना

अक्सर लोग चीज़ों पर मुख्तलिफ किस्म की शक्लें, सलीब के निशान, और कई तरह की शक्लें इसलिए बनाते हैं कि उनसे उनकी हिफाज़त होगी।

तो ऐसा करना शिर्क है।

🔴 11. सूरज, चाँद और सितारों के आने जाने में तासीरात और काम होने न होने का अकीदा रखना

जैसा कि लोग सोचते हैं कि आज इतबार का दिन है, तो लोग समझते ये अच्छा दिन नहीं है इस दिन कोई काम ना करें।

या ऐसा कहते कि आज जुमरात है ये बहुत अच्छा और फ़ज़ीलत का दिन है, इस दिन काम बन जाते हैं।

ये सब करना शिर्क है।

🔴 12. बद्सगूनी लेना शिर्क है

अक्सर लोग कहते हैं कि आपका बिल्ली ने रास्ता काट दिया है इसके आगे मत जाना, नहीं तो बुरा हो सकता है।

या कौआ चिल्ला रहा है तो ऐसा हो सकता है, घर में ये मत लगाओ नहीं तो रिश्ते नहीं आयेंगे।

इन सबको मानना भी शिर्क है।

🔴 13. रिया करना या दिखाबा करना

कोई भी आमाल जो इस नियत से किया जाता है कि लोगों में धाक जमेगी, नाम लेंगे लोग, पहचान बनेगी।

तो ये सब काम करना शिर्क है।

🔴 14. गैरुल्लाह की कसम खाना

ऐसा देखा गया है कि अक्सर लोग अल्लाह के अलावा नबी की कसम, बच्चों की कसम, माँ की कसम, बाप की कसम और भी कसमें खाते हैं।

तो अल्लाह के अलावा किसी और किसी कसम लेना शिर्क है।

🔴 15. गैब की बातें मालूम करना शिर्क है

हदीस में आता है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि

अगर कोई शख्स गैब की बातें मालूम करने किसी के पास जाए, जो वो मालूम करने जाये और उसपर तस्दीक कर दे,

तो उसकी 40 दिन की नमाज़ जाया हो गयी।

🔴 16. नमाज़ का छोड़ना

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सहीह मुस्लिम की हदीस है कि

आपने फ़रमाया कि नमाज़ को छोड़ने वाला काफ़िर भी हो जाता है और मुशरिक भी हो जाता है।

🔴 17. मुख्तलिफ किस्म के कढ़े या बैंड्स का बांधना

आजकल देखा जाता है नौजवान तरह-तरह के बैंड्स पहनते हैं और उनका मानना होता है,

अगर फलाँ किस्म का बैंड पहनते हैं तो दोस्ती गहरी होती है। तो इस तरह के काम करना भी शिर्क है।

🔴 18. अंगूठियों का इस नियत से पहनना कि इससे फायदा होगा

जैसा कि पाया गया है कि लोग तरह-तरह की अंगूठियों को पहनते हैं और जब उनसे पुछा जाता है कि ये आपने क्यूँ पहनीं हैं?

तो कहते हैं कि ये अंगूठी फलाँ मेले से या मजार से लाये हैं।

इससे दिमाग को ठंडक पहुँचती है, गुस्सा कम आता है और कुछ नौजवान मोहब्बत पैदा करने के इरादे से पहनते हैं।

ऐसा करना शिर्क है।

🔴 19. टूटते सितारे से मन्नत माँगना

अक्सर हम लोगों को देखते हैं कि ओग जब सितारा टूटता है तो मन्नतें और दुआएं करने लगते हैं। तो ऐसा करना शिर्क है।

क़ुरान में है कि जब सितारे टूटते हैं तो दरहकीक़त वो शैतान को मारे जाते हैं।

जब शैतान ऊपर जाता है और कुछ बातें सुनता है, तो अल्लाह फरिश्तों को हुक्म देते हैं और फ़रिश्ते एक तारा लेते हैं।

फिर फ़रिश्ते तारे को शैतान पर फेंककर मारते हैं।

तो शैतान भागता है और वो चिल्लाते हुए नीचे वाले शैतान को बोलता है कि ये बात थी और नीचे बाला अपने से नीचे बाले को बोलता है ये बात थी और इसी तरह बात नीचे तक पहुँच जाती है।

और सितारा लगने तक वो शैतान भाग जाता है। लेकिन आजकल मुसलमान इसका कोई और मतलब निकाल कर उससे मन्नतें करने लगते हैं, जो शिर्क है।

🔴 20. सोशल मीडिया पर बेकार मेसेज करना

लोग आज कल सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्स अप्प पर मेसेज भेजते हैं कि ये इतने लोगों को भेजो आपको खुशखबरी मिलेगी या अगर शेयर नहीं किया तो आपका कुछ बुरा हो सकता है। तो इसके डर से इस काम का करना शिर्क है।

🔴 21. तकदीर का हाल मालूम करना या दावा करना

अगर कोई भी शख्स किसी की तकदीर का हाल किसी भी तरह से मालूम करता है या दावा करता है तो उसने शिर्क किया।

आजकल हम मोबाइल में पाते हैं कि इन महीनों में पैदा होने वाले लोग कैसे होते हैं बगैरह-बगैरह।


आखिरी शब्द

तो जैसा की हमने पढ़ा कि आजकल के वक़्त में जिन कामों को हम शिर्क नहीं समझते हैं और खूब मज़े में इन कामों में मुब्तला रहते हैं, असल में वो शिर्क हैं।

अल्लाह से दुआ करें हमें इन कामों से दूर रखे।

अगर हमसे लिखने में कोई गलती हुई हो या आप कुछ पूछना चाहते हैं तो कमेंट में जरूर बताएं।

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