Surah Al Araf in Hindi Tarjuma | सूरह-7 अल-आराफ हिंदी में रुकूअ 1-13

Surah Al Araf in Hindi: – दोस्तों अगर आप सूरह अल-आराफ को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही जगह हो।

इस पोस्ट में हमने सूरह अल-आराफ के रुकूअ 1-13 तक (Surah Al Araf Ruku 1-13) को हिंदी में तर्जुमा के साथ मौजूद कराया है।

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सूरह अल-आराफ कुरान मजीद की सातवें नंबर की सूरह है जोकि पारा 8-9 में मौजूद है। सूरह आराफ मक्का में नाज़िल हुई है और इसमे 206 आयतें और 24 रूकुअ हैं।

सूरह का नामसूरह अल-आराफ (Surah Al Araf)
पारा नंबर8-9
कहाँ नाज़िल हुई?मक्का
कुल रुकुअ24
कुल आयतें206

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Surah Al Araf In Hindi | सूरह आराफ हिंदी में

सूरह न० 7
(सूरह अल-आराफ (मक्की))

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

रुकूअ- 1

अलिफ़-लाम्-मीम्-सॉद् (1)
अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ साद॰

किताबुन उन्ज़ि-ल इलै-क फला यकुन् फी़ सदरि-क ह-रजुम् मिन्हु लितुन्ज़ि-र बिही व ज़िक्रा लिल्मुअ्मिनीन (2)
यह एक किताब है, जो तुम्हारी ओर उतारी गई है – अतः इससे तुम्हारे सीने में कोई तंगी न हो – ताकि तुम इसके द्वारा सचेत करो और यह ईमानवालों के लिए एक प्रबोधन है;

इत्तबिअू मा उन्ज़ि-ल इलैकुम् मिर्रब्बिकुम् वला तत्तबिअू मिन् दूनिही औलिया-अ , कलीलम् मा तज़क्करून (3)
जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, उस पर चलो और उसे छोड़कर दूसरे संरक्षक मित्रों का अनुसरण न करो। तुम लोग नसीहत थोड़े ही मानते हो।

व कम् मिन् कर यतिन् अह़्लक्नाहा फ़जा-अहा बअ्सुना बयातन् औ हुम् का-इलून (4)
कितनी ही बस्तियाँ थीं, जिन्हें हमने विनष्ट कर दिया। उनपर हमारी यातना रात को सोते समय आ पहुँची या (दिन-दहाड़े) आई, जबकि वे दोपहर में विश्राम कर रहे थे।

फ़मा का-न दअ्वाहुम् इज् जा-अहुम् बअ्सुना इल्ला अन् कालू इन्ना कुन्ना ज़ालिमीन (5)
जब उनपर हमारी यातना आ गई तो इसके सिवा उनके मुँह से कुछ न निकला कि वे पुकार उठे, “वास्तव में हम अत्याचारी थे।”

फ़-लनस्-अलन्नल्लज़ी-न उरसि-ल इलैहिम् व ल-नस्-अलन्नल् मुरसलीन (6)
अतः हम उन लोगों से अवश्य पूछेंगे, जिनके पास रसूल भेजे गए थे, और हम रसूलों से भी अवश्य पूछेंगे।

फ-ल-नकु स्सन्-न अलैहिम् बिअिल्मिंव-व मा कुन्ना गा-इबीन (7)
फिर हम पूरे ज्ञान के साथ उनके सामने सब बयान कर देंगे। हम कहीं ग़ायब नहीं थे।

वल्वज्नु यौमइज़ि-निल्हक्कु फ़-मन् सकुलत् मवाज़ीनुहू फ़-उलाइ-क हुमुल्-मुफ्लिहून (8)
और बिल्कुल पक्का-सच्चा वज़न उसी दिन होगा। अतः जिनके कर्म वज़न में भारी होंगे, वही सफलता प्राप्त करेंगे।

व मन् खफ्फत् मवाज़ीनुहू फ़-उला-इकल्लज़ी-न खसिरू अन्फु-सहुम् बिमा कानू बिआयातिना यज़्लिमून (9)
और वे लोग जिनके कर्म वज़न में हलके होंगे, तो वही वे लोग हैं, जिन्होंने अपने आपको घाटे में डाला, क्योंकि वे हमारी आयतों का इनकार औऱ अपने ऊपर अत्याचार करते रहे।

व ल-कद् मक्कन्नाकुम् फ़िलअर्जि व जअ़ल्ना लकुम् फ़ीहा मआयि-श , क़लीलम् मा तश्कुरून (10)*
और हमने धरती में तुम्हें अधिकार दिया और उसमें तुम्हारे लिए जीवन-सामग्री रखी। तुम कृतज्ञता थोड़े ही दिखाते हो।

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रुकूअ- 2

व ल-क़द् खलक्नाकुम् सुम्-म सव्वर्नाकुम् सुम्-म कुल्ना लिल्मलाइ-कतिस्जुदू लिआद-म फ़-स-जदू इल्ला इब्ली-स , लम् यकुम् मिनस्साजिदीन (11)
हमने तुम्हें पैदा करने का निश्चय किया; फिर तुम्हारा रूप बनाया; फिर हमने फ़रिश्तों से कहा, “आदम को सजदा करो।” तो उन्होंने सजदा किया, सिवाय इबलीस के। वह (इबलीस) सजदा करनेवालों में से न हुआ।

का-ल मा म-न-अ-क अल्ला तस्जु-द इज् अमरतु-क , का-ल अ-न खैरूम्-मिन्हु ख़लक़्तनी मिन् नारिंव्-व ख़लक़्तहू मिन् तीन (12)
कहा, “तुझे किसने सजदा करने से रोका, जबकि मैंने तुझे आदेश दिया था?” बोला, “मैं उससे अच्छा हूँ। तूने मुझे अग्नि से बनाया और उसे मिट्टी से बनाया।”

का-ल फ़ह़्बित् मिन्हा फ़मा यकूनु ल-क अन् त-तकब्ब-र फ़ीहा फख्रूज इन्न-क मिनस्सागिरीन (13)
कहा, “उतर जा यहाँ से! तुझे कोई हक़ नहीं है कि यहाँ घमंड करे, तो अब निकल जा; निश्चय ही तू अपमानित है।”

का-ल अन्जिरनी इला यौमि युब्अ़सून (14)
बोला, “मुझे उस दिन तक मुहलत दे, जबकि लोग उठाए जाएँगे।”

का-ल इन्न-क मिनल् मुन्ज़रीन (15)
कहा, “निस्संदेह तुझे मुहलत है।”

का-ल फबिमा अग्वैतनी ल-अक्अुदन्-न लहुम् सिरा-तकल् मुस्तकीम (16)
बोला, “अच्छा, इस कारण कि तूने मुझे गुमराही में डाला है, मैं भी तेरे सीधे मार्ग पर उनके लिए घात में अवश्य बैठूँगा।

सुम्-म लआतियन्नहुम् मिम्-बैनि ऐदीहिम् व मिन् ख़ल्फ़िहिम् व अन् ऐमानिहिम् व अन् शमा-इलिहिम् , व ला तजिदु अक्स-रहुम् शाकिरीन (17)
फिर उनके आगे और उनके पीछे और उनके दाएँ और उनके बाएँ से उनके पास आऊँगा। और तू उनमें अधिकतर को कृतज्ञ न पाएगा।”

कालख्रूज मिन्हा मज्ऊमम-मद्हूरन् , ल-मन् तबि-अ-क मिन्हुम् लअम्-लअन्-न जहन्न-म मिन्कुम अज्मअीन (18)
कहा, “निकल जा यहाँ से! निन्दित ठुकराया हुआ। उनमें से जिस किसी ने भी तेरा अनुसरण किया, मैं अवश्य तुम सबसे जहन्नम को भर दूँगा।”

व या आदमुस्कुन् अन्-त व ज़ौजुकल्जन्न-त फ़-कुला मिन् हैसु शिअ्तुमा व ला तक्रबा हाज़िहिश्-श-ज-र-त फ़-तकूना मिनज्-ज़ालिमीन (19)
और “ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी दोनों जन्नत में रहो-बसो, फिर जहाँ से चाहो खाओ, लेकिन इस वृक्ष के निकट न जाना, अन्यथा अत्याचारियों में से हो जाओगे।”

फ़-वस्व-स लहुमश्-शैतानु लियुब्दि-य लहुमा मा वूरि-य अन्हुमा मिन् सौआतिहिमा व का-ल मा नहाकुमा रब्बुकुमा अन् हाज़िहिश्श-ज-रति इल्ला अन् तकूना म-लकैनि औ तकूना मिनल्ख़ालिदीन (20)
फिर शैतान ने दोनों को बहकाया, ताकि उनकी शर्मगाहों को, जो उन दोनों से छिपी थीं, उन दोनों के सामने खोल दे। और उसने (इबलीस ने) कहा, “तुम्हारे रब ने तुम दोनों को जो इस वृक्ष से रोका है, तो केवल इसलिए कि ऐसा न हो कि तुम कहीं फ़रिश्ते हो जाओ या कहीं ऐसा न हो कि तुम्हें अमरता प्राप्त हो जाए।”

व का-स-महुमा इन्नी लकुमा लमिनन्नासिहीन (21)
और उसने उन दोनों के आगे क़समें खाईं कि “निश्चय ही मैं तुम दोनों का हितैषी हूँ।”

फ़दल्लाहुमा बिगुरूरिन् फ़-लम्मा ज़ाक़श्श-ज-र-त बदत् लहुमा सौआतुहुमा व तफ़िका यख्सिफ़ानि अलैहिमा मिंव्व-रकिल्-जन्नति , व नादाहुमा रब्बुहुमा अलम् अन्हकुमा अन् तिल्कुमश्श-ज-रति व अकुल्-लकुमा इन्नश्शैता-न लकुमा अदुव्वुम् मुबीन (22)
इस प्रकार धोखा देकर उसने उन दोनों को झुका लिया। अन्ततः जब उन्होंने उस वृक्ष का स्वाद लिया, तो उनकी शर्मगाहें एक-दूसरे के सामने खुल गईं और वे अपने ऊपर बाग़ के पत्ते जोड़-जोड़कर रखने लगे। तब उनके रब ने उन्हें पुकारा, “क्या मैंने तुम दोनों को इस वृक्ष से रोका नहीं था और तुमसे कहा नहीं था कि शैतान तुम्हारा खुला शत्रु है?”

काला रब्बना ज़लम्ना अन्फु-सना व इल्लम् तग़फ़िर् लना व तरहम्ना ल-नकूनन्-न मिनल ख़ासिरीन (23)
दोनों बोले, “हमारे रब! हमने अपने आप पर अत्याचार किया। अब यदि तूने हमें क्षमा न किया और हम पर दया न दर्शाई, फिर तो हम घाटा उठानेवालों में से होंगे।”

कालह़्बितू बअ्जुकुम् लि-बअ्ज़िन अ़दुव्वुन् व लकुम् फ़िलअर्जि मुस्तकर्रूंव्-व मताअुन् इला हीन (24)
कहा, “उतर जाओ! तुम परस्पर एक-दूसरे के शत्रु हो और एक अवधि तक तुम्हारे लिए धरती में ठिकाना और जीवन-सामग्री है।”

का-ल फ़ीहा तह़्यौ-न व फ़ीहा तमूतू-न व मिन्हा तुखरजून (25)*
कहा, “वहीं तुम्हें जीना और वहीं तुम्हें मरना है और उसी में से तुमको निकाला जाएगा।”

Surah Al Araf in Hindi रुकूअ- 3

या बनी आद-म कद् अन्ज़ल्ना अ़लैकुम् लिबासंय्युवारी सौआतिकुम् वरीशन् , व लिबासुत्तक्वा ज़ालि-क खैरून , ज़ालि-क मिन् आयातिल्लाहि लअल्लहुम यज़्ज़क्करून (26)
ऐ आदम की सन्तान! हमने तुम्हारे लिए वस्त्र उतारा है जो तुम्हारी शर्मगाहों को छुपाए और रक्षा और शोभा का साधन हो। और धर्मपरायणता का वस्त्र – वह तो सबसे उत्तम है, यह अल्लाह की निशानियों में से है, ताकि वे ध्यान दें।

या बनी आद-म ला यफ्तिनन्नकुमुश्शैतानु कमा अख्र-ज अ-बवैकुम् मिनल्जन्नति यन्ज़िअु अन्हुमा लिबा-सहुमा लियुरि-यहुमा सौआतिहिमा , इन्नहू यराकुम् हु-व व कबीलुहू मिन्हैसु ला तरौनहुम् , इन्ना जअ़ल्नश्शयाती-न औलिया-अ लिल्लज़ी-न ला युअ्मिनून (27)
ऐ आदम की सन्तान! कहीं शैतान तुम्हें बहकावे में न डाल दे, जिस प्रकार उसने तुम्हारे माँ-बाप को जन्नत से निकलवा दिया था; उनके वस्त्र उनपर से उतरवा दिए थे, ताकि उनकी शर्मगाहें एक-दूसरे के सामने खोल दे। निस्संदेह वह और उसका गरोह उस स्थान से तुम्हें देखता है, जहाँ से तुम उन्हें नहीं देखते। हमने तो शैतानों को उन लोगों का मित्र बना दिया है, जो ईमान नहीं रखते।

व इज़ा फ़-अलू फ़ाहि-शतन् कालू वजद्ना अ़लैहा आबा-अना वल्लाहु अ-म-रना बिहा , कुल इन्नल्ला-ह ला यअ्मुरू बिल्फह़्शा-इ , अ-तकूलू-न अलल्लाहि मा ला तअ्लमून (28)
और उनका हाल यह है कि जब वे लोग कोई अश्लील कर्म करते हैं तो कहते हैं कि “हमने अपने बाप-दादा को इसी तरीक़े पर पाया है और अल्लाह ही ने हमें इसका आदेश दिया है।” कह दो, “अल्लाह कभी अश्लील बातों का आदेश नहीं दिया करता। क्या अल्लाह पर थोपकर ऐसी बात कहते हो, जिसका तुम्हें ज्ञान नहीं?”

कुल् अ-म-र रब्बी बिल्क़िस्ति , व अकीमू वुजूहकुम् अिन्-द कुल्लि मस्जिदिंव-वद्अूहु मुख्लिसी-न लहुद्दी-न , कमा ब-द-अकुम् तअूदून (29)
कह दो, “मेरे रब ने तो न्याय का आदेश दिया है और यह कि इबादत के प्रत्येक अवसर पर अपना रुख़ ठीक रखो और निरे उसी के भक्त एवं आज्ञाकारी बनकर उसे पुकारो। जैसे उसने तुम्हें पहली बार पैदा किया, वैसे ही तुम फिर पैदा होगे।”

फ़रीकन् हदा व फ़रीकन् हक्-क अलैहिमुज़्ज़लालतु , इन्नहुमुत्त ख़जुश्शयाती-न औलिया-अ मिन् दूनिल्लाहि व यह़्सबू-न अन्नहुम् मुह़्तदून (30)
एक गरोह को उसने मार्ग दिखाया। परन्तु दूसरा गरोह ऐसा है, जिसके लोगों पर गुमराही चिपककर रह गई। निश्चय ही उन्होंने अल्लाह को छोड़कर शैतानों को अपने मित्र बनाए और समझते यह हैं कि वे सीधे मार्ग पर हैं।

या बनी आद-म खुजू ज़ीन-तकुम् अिन्-द कुल्लि मस्जिदिंव्-व कुलू वश्रबू व ला तुस्रिफू , इन्नहू ला युहिब्बुल मुस्रिफीन (31)*
ऐ आदम की सन्तान! इबादत के प्रत्येक अवसर पर शोभा धारण करो; खाओ और पियो, परन्तु हद से आगे न बढ़ो। निश्चय ही, वह हद से आगे बढ़नेवालों को पसन्द नहीं करता।

Surah Al Araf in Hindi रुकूअ- 4

कुल् मन् हर्र-म ज़ी-नतल्लाहिल्लती अखर-ज लिअिबादिही वत्तय्यिबाति मिनर्रिज्कि , कुल् हि-य लिल्लज़ी-न आमनू फ़िल्हयातिद्दुन्या खालि-सतंय्यौमल्-कियामति , कज़ालि-क नुफस्सिलुल्-आयाति लिकौमिंय्यअ्लमून (32)
कहो, “अल्लाह की उस शोभा को जिसे उसने अपने बन्दों के लिए उत्पन्न किया है और आजीविका की पवित्र, अच्छी चीज़ों को किसने हराम कर दिया?” कह दो, “ये सांसारिक जीवन में भी ईमानवालों के लिए हैं; क़ियामत के दिन तो ये केवल उन्हीं के लिए होंगी। इसी प्रकार हम आयतों को उन लोगों के लिए सविस्तार बयान करते हैं, जो जानना चाहें।”(

कुल इन्नमा हर्र-म रब्बियल्-फवाहि-श मा ज़-ह-र मिन्हा वमा ब-त-न वल्इस्-म वल्बग्-य बिगैरिल्हक़्कि व अन् तुश्रिकू बिल्लाहि मा लम् युनज़्ज़िल बिही सुल्तानंव्-व अन् तकूलू अलल्लाहि मा ला तअ्लमून (33)
कह दो, “मेरे रब ने केवल अश्लील कर्मों को हराम किया है – जो उनमें से प्रकट हो उन्हें भी और जो छिपे हों उन्हें भी – और हक़ मारना, नाहक़ ज़्यादती और इस बात को कि तुम अल्लाह का साझीदार ठहराओ, जिसके लिए उसने कोई प्रमाण नहीं उतारा और इस बात को भी कि तुम अल्लाह पर थोपकर ऐसी बात कहो जिसका तुम्हें ज्ञान न हो।”

व लिकुल्लि उम्मतिन् अ-जलुन् फ़-इज़ा जा-अ अ-जलुहुम् ला यस्तअ्खिरू-न सा-अतंव्-व ला यस्तक्दिमून (34)
प्रत्येक समुदाय के लिए एक नियत अवधि है। फिर जब उनका नियत समय आ जाता है, तो एक घड़ी भर न पीछे हट सकते हैं और न आगे बढ़ सकते हैं।

या बनी आद-म इम्मा यअ्तियन्नकुम् रूसुलुम्-मिन्कुम् यकुस्सू-न अलैकुम् आयाती फ-मनित्तक़ा व अस्ल-ह फला खौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह़्ज़नून (35)
ऐ आदम की सन्तान! यदि तुम्हारे पास तुम्हीं में से कोई रसूल आएँ; तुम्हें मेरी आयतें सुनाएँ, तो जिसने डर रखा और सुधार कर लिया तो ऐसे लोगों के लिए न कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे।

वल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना वस्तक्बरू अन्हा उलाइ-क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (36)
रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और उनके मुक़ाबले में अकड़ दिखाई; वही आगवाले हैं, जिसमें वे सदैव रहेंगे।

फ-मन् अज़्लमु मिम्-मनिफ़्तरा अलल्लाहि कज़िबन् औ कज्ज-ब बिआयातिही , उलाइ-क यनालुहुम् नसीबुहुम् मिनल-किताबि , हत्ता इज़ा जाअत्हुम् रूसुलुना य-तवफ्फ़ौनहुम् कालू ऐ-न मा कुन्तुम् तद्अू-न मिन् दूनिल्लाहि , कालू ज़ल्लू अन्ना व शहिदू अला अन्फुसिहिम् अन्नहुम् कानू काफ़िरीन (37)
अब उससे बढ़कर अत्याचारी कौन है, जिसने अल्लाह पर मिथ्यारोपण किया या उसकी आयतों को झुठलाया? ऐसे लोगों को उनके लिए लिखा हुआ हिस्सा पहुँचता रहेगा, यहाँ तक कि जब हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) उनके प्राण ग्रस्त करने के लिए उनके पास आएँगे तो कहेंगे, “कहाँ हैं, वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते थे?” कहेंगे, “वे तो हमसे गुम हो गए।” और वे स्वयं अपने विरुद्ध गवाही देंगे कि वास्तव में वे इनकार करनेवाले थे।

कालद्खुलू फी उ-ममिन् कद् ख़लत् मिन् क़ब्लिकुम् मिनल-जिन्नि वल्इन्सि फिन्नारि , कुल्लमा द-ख़लतू उम्मतुल्ल-अनत् उख़्तहा , हत्ता इज़द्दा-रकू फीहा जमीअन् कालत् उख़राहुम् लिऊलाहुम् रब्बना हा-उला-इ अज़ल्लूना फ़आतिहिम् अज़ाबन् ज़िअ्फम्-मिनन्नारि , का-ल लिकुल्लिन् ज़िअ्फुंव्-व लाकिल्ला तअ्लमून (38)
वह कहेगा, “जिन्न और इनसान के जो गरोह तुमसे पहले गुज़रे हैं, उन्हीं के साथ सम्मिलित होकर तुम भी आग में प्रवेश करो।” जब भी कोई जमाअत प्रवेश करेगी, तो वह अपनी बहन पर लानत करेगी, यहाँ तक कि जब सब उसमें रल-मिल जाएँगे तो उनमें से बाद में आनेवाले अपने से पहलेवाले के विषय में कहेंगे, “हमारे रब! हमें इन्हीं लोगों ने गुमराह किया था; तो तू इन्हें आग की दोहरी यातना दे।” वह कहेगा, “हरेक के लिए दोहरी ही है। किन्तु तुम नहीं जानते।”

व कालत् ऊलाहुम् लिउख़राहुम् फमा का-न लकुम् अ़लैना मिन् फ़ज्लिन् फजूकुल-अज़ा-ब बिमा कुन्तुम् तक्सिबून (39)*
और उनमें से पहले आनेवाले अपने से बाद में आनेवालों से कहेंगे, “फिर हमारे मुक़ाबले में तुम्हें कोई श्रेष्ठता प्राप्त नहीं, तो जैसी कुछ कमाई तुम करते रहे हो, उसके बदले में तुम यातना का मज़ा चखो!”

रुकूअ- 5

इन्नल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना वस्तक्बरू अ़न्हा ला तुफ़त्तहु लहुम् अब्वाबु स्समा-इ व ला ‘ यद्खुलूनल-जन्न-त हत्ता यलिजल्-ज-मलु फी सम्मिल्-खियाति , व कज़ालि-क नज्ज़िल्-मुज्रिमीन (40)
जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और उनके मुक़ाबले में अकड़ दिखाई, उनके लिए आकाश के द्वार नहीं खोले जाएँगे और न वे जन्नत में प्रवेश करेंगे जब तक कि ऊँट सुई के नाके में से न गुज़र जाए। हम अपराधियों को ऐसा ही बदला देते हैं।

लहुम् मिन् जहन्न-म मिहादुंव-व मिन् फौक़िहिम् गवाशिन् , व कज़ालि-क नज्जिज़्ज़ालिमीन (41)
उनके लिए बिछौना जहन्नम का होगा और ओढ़ना भी उसी का। अत्याचारियों को हम ऐसा ही बदला देते हैं।

वल्लज़ी-न आमनू व अ़मिलुस्-सालिहाति ला नुकल्लिफु नफ्सन् इल्ला वुस्अ़हा उलाइ-क अस्हाबुल्-जन्नति हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (42)
इसके विपरित जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए – हम किसी पर उसकी सामर्थ्य से बढ़कर बोझ नहीं डालते – वही लोग जन्नतवाले हैं। वे उसमें सदैव रहेंगे।

व नज़अ्ना मा फी सुदूरिहिम् मिन् गिल्लिन् तज्री मिन् तह़्तिहिमुल-अन्हारू व कालुल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी हदाना लिहाज़ा , व मा कुन्ना लिनह्तदि-य लौ ला अन् हदानल्लाहु ल-कद् जाअत् रूसुलु रब्बिना बिल्हक़्क़ि , व नूदू अन् तिल्कुमुल्-जन्नतु ऊरिस्तुमूहा बिमा कुन्तुम् तअ्मलून • (43)
उनके सीनों में एक-दूसरे के प्रति जो रंजिश होगी, उसे हम दूर कर देंगे; उनके नीचें नहरें बह रही होंगी और वे कहेंगे, “प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने इसकी ओर हमारा मार्गदर्शन किया। और यदि अल्लाह हमारा मार्गदर्शन न करता तो हम कदापि मार्ग नहीं पा सकते थे। हमारे रब के रसूल निस्संदेह सत्य लेकर आए थे।” और उन्हें आवाज़ दी जाएगी, “यह जन्नत है, जिसके तुम वारिस बनाए गए। उन कर्मों के बदले में जो तुम करते रहे थे।”

व नादा अस्हाबुल्-जन्नति अस्हाबन्नारि अन् कद् वजद्ना मा व-अ-दना रब्बुना हक़्क़न् फ़-हल् वजत्तुम् मा व-अ-द रब्बुकुम् हक़्क़न् , कालू न-अम् फ़-अज़्ज़-न मुअज्ज़िनुम् बैनहुम् अल्लअ्-नतुल्लाहि अ़लज़्ज़ालिमीन (44)
जन्नतवाले आगवालों को पुकारेंगे, “हमसे हमारे रब ने जो वादा किया था, उसे हमने सच पाया। तो क्या तुमसे तुम्हारे रब ने जो वादा कर रखा था, तुमने भी उसे सच पाया?” वे कहेंगे, “हाँ।” इतने में एक पुकारनेवाला उनके बीच पुकारेगा, “अल्लाह की फिटकार है अत्याचारियों पर।”

अल्लज़ी-न यसुद्दू-न अन् सबीलिल्लाहि व यब्गूनहा अि-वजन् व हुम् बिल्आख़ि-रति काफ़िरून • (45)
जो अल्लाह के मार्ग से रोकते और उसे टेढ़ा करना चाहते हैं और जो आख़िरत का इनकार करते हैं,

व बैनहुमा हिजाबुन् व अलल्-अअ्राफ़ि रिजालुंय्यअ्रिफू-न कुल्लम्-बिसीमाहुम् व नादो अस्हाबल्-जन्नति अन् सलामुन् अलैकुम् , लम् यद्खुलूहा व हुम् यत्मअू-न (46)
और इन दोनों के मध्य एक ओट होगी। और ऊँचाइयों पर कुछ लोग होंगे जो प्रत्येक को उसके लक्षणों से पहचानते होंगे, और जन्नतवालों से पुकारकर कहेंगे, “तुम पर सलाम है।” वे अभी जन्नत में प्रविष्ट तो नहीं हुए होंगे, यद्यपि वे आस लगाए होंगे।

व इज़ा सुरिफ़त् अब्सारूहुम् तिल्का-अ अस्हाबिन्नारि कालू रब्बना ला तज्अल्ना मअ़ल् क़ौमिज़्ज़ालिमीन (47)*
और जब उनकी निगाहें आगवालों की ओर फिरेंगी, तो कहेंगे, “हमारे रब, हमें अत्याचारी लोगों में सम्मिलित न करना।”

रुकूअ- 6

व नादा अस्हाबुल्-अअ्राफि रिजालंय्-यअ्रिफूनहुम् बिसीमाहुम् कालू मा अग्ना अ़न्कुम् जम्अुकुम् व मा कुन्तुम् तस्तक्बिरून (48)
और ये ऊँचाइयोंवाले कुछ ऐसे लोगों से, जिन्हें ये उनके लक्षणों से पहचानते हैं, कहेंगे, “तुम्हारे जत्थे तो तुम्हारे कुछ काम न आए और न तुम्हारा अकड़ते रहना ही।

अहा-उला-इल्लज़ी-न अक़्सम्तुम् ला यनालुहुमुल्लाहु बिरह्मतिन् , उद्खुलुल्-जन्न-त ला खौफुन अलैकुम् व ला अन्तुम तह़्ज़नून (49)
“क्या ये वही हैं ना, जिनके विषय में तुम क़समें खाते थे कि अल्लाह उनपर अपनी दया-दृष्टि न करेगा।” जन्नत में प्रवेश करो, तुम्हारे लिए न कोई भय है और न तुम्हें कोई शोक होगा।”

व नादा अस्हाबुन्नारि अस्हाबल्-जन्नति अन् अफ़ीजू अलैना मिनल्मा-इ औ मिम्मा र-ज़-क़कुमुल्लाहु , कालू इन्नल्ला-ह हर्र-महुमा अ़लल्-काफ़िरीन (50)
आगवाले जन्नतवालों को पुकारेंगे कि, “थोड़ा पानी हमपर बहा दो, या उन चीज़ों में से कुछ दे दो जो अल्लाह ने तुम्हें दी हैं।” वे कहेंगे, “अल्लाह ने तो ये दोनों चीज़ें इनकार करनेवालों के लिए वर्जित कर दी हैं।”

अल्लज़ीनत्त-ख़जू दीनहुम् लह़्वंव्-व लअिबंव-व ग़र्रत्हुमुल्-हयातुद्दुन्या फ़ल्यौ-म नन्साहुम् कमा नसू लिका-अ यौमिहिम् हाज़ा व मा कानू बिआयातिना यज्हदून (51)
उनके लिए जिन्होंने अपना धर्म खेल-तमाशा ठहराया और जिन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल दिया, तो आज हम भी उन्हें भुला देंगे, जिस प्रकार वे अपने इस दिन की मुलाक़ात को भूले रहे और हमारी आयतों का इनकार करते रहे।

व ल-कद् जिअ्नाहुम् बिकिताबिन् फ़स्सल्नाहु अ़ला अिल्मिन् हुदंव्-व रह़्मतल्-लिकौमिंय्-युअ्मिनून (52)
और निश्चय ही हम उनके पास एक ऐसी किताब ले आए हैं, जिसे हमने ज्ञान के आधार पर विस्तृत किया है, जो ईमान लानेवालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता है।

हल् यन्जुरू-न इल्ला तअ्वी-लहू , यौ-म यअ्ती तअ्वीलुहू यकूलुल्लज़ी-न नसूहु मिन् कब्लु कद् जाअत् रूसुलु रब्बिना बिल्हक्कि फ़हल्-लना मिन् शु-फ़आ-अ फ़यश्फ़अू लना औ नुरद्दु फ़नअ्-म-ल गैरल्लज़ी कुन्ना नअ्-मलु , क़द् खसिरू अन्फु-सहुम् व जल्-ल अन्हुम् मा कानू यफ़्तरून (53)*
क्या वे लोग केवल इसी की प्रतीक्षा में हैं कि उसकी वास्तविकता और परिणाम प्रकट हो जाए? जिस दिन उसकी वास्तविकता सामने आ जाएगी, तो वे लोग जो इससे पहले उसे भूले हुए थे, बोल उठेंगे, “वास्तव में, हमारे रब के रसूल सत्य लेकर आए थे। तो क्या हमारे कुछ सिफ़ारिशी हैं, जो हमारी सिफ़ारिश कर दें या हमें वापस भेज दिया जाए कि जो कुछ हम करते थे उससे भिन्न कर्म करें?” उन्होंने अपने आपको घाटे में डाल दिया और जो कुछ वे झूठ घढ़ते थे, वे सब उनसे गुम होकर रह गए।

Surah Al Araf in Hindi रुकूअ- 7

इन्-न रब्बकुमुल्लाहुल्लज़ी ख-लक़स्समावाति वल्अर्-ज़ फ़ी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्-अर्शि , युग्शिल्लैलन्नहा-र यत्लुबुहू हसीसंव् वश्शम्-स वल्क़-म-र वन्नुजू-म मुस्ख़्ख़रातिम्-बिअम्रिही , अला लहुल-ख़ल्कु वल्अम्रू , तबा-रकल्लाहु रब्बुल-आलमीन (54)
निस्संदेह तुम्हारा रब वही अल्लाह है, जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया – फिर राजसिंहासन पर विराजमान हुआ। वह रात को दिन पर ढाँकता है जो तेज़ी से उसका पीछा करने में सक्रिय है। और सूर्य, चन्द्रमा और तारे भी बनाए, इस प्रकार कि वे उसके आदेश से काम में लगे हुए हैं। सावधान रहो, उसी की सृष्टि है और उसी का आदेश है। अल्लाह सारे संसार का रब, बड़ी बरकतवाला है।

उद्अू रब्बकुम् त-ज़र्रूअंव्-व खुफ़्य-तन् , इन्नहू ला युहिब्बुल मुअ्तदीन (55)
अपने रब को गिड़गिड़ाकर और चुपके-चुपके पुकारो। निश्चय ही वह हद से आगे बढ़नेवालों को पसन्द नहीं करता।

व ला तुफ़्सीदू फ़िल्अर्ज़ि बअ्-द इस्लाहिहा वद्अूहु ख़ौफ़्ंव्-व त-मअ़न् , इन्-न रह़्मतल्लाहि क़रीबुम् मिनल मुह़्सिनीन (56)
और धरती में उसके सुधार के पश्चात बिगाड़ न पैदा करो। भय और आशा के साथ उसे पुकारो। निश्चय ही, अल्लाह की दयालुता सत्कर्मी लोगों के निकट है।

व हुवल्लज़ी युर्सिलुर्रिया-ह बुश्रम् बै-न यदै रह्मतिही , हत्ता इज़ा-अक़ल्लत् सहाबन् सिक़ालन् सुक्नाहु लि-ब-लदिम् मय्यितिन् फ़-अन्ज़ल्ना बिहिल्-मा-अ फ़अखरज्ना बिही मिन् कुल्लिस्स-मराति , कज़ालि-क नुख़रिजुल्मौता लअ़ल्लकुम् तज़क्करून (57)
और वही है जो अपनी दयालुता से पहले शुभ सूचना देने को हवाएँ भेजता है, यहाँ तक कि जब वे बोझल बादल को उठा लेती हैं तो हम उसे किसी निर्जीव भूमि की ओर चला देते हैं, फिर उससे पानी बरसाते हैं, फिर उससे हर तरह के फल निकालते हैं। इसी प्रकार हम मुर्दों को मृत अवस्था से निकालेंगे – ताकि तुम्हें ध्यान हो।

वल्ब-लदुत्तय्यिबु यखरूजु नबातुहू बि-इज्नि रब्बिही वल्लज़ी ख़बु-स ला यख्रूजु इल्ला नकिदन् , कज़ालि-क नुसर्रिफुल-आयाति लिकौमिंय्यश्कुरून (58)*
और अच्छी भूमि के पेड़-पौधे उसके रब के आदेश से निकलते हैं और जो भूमि ख़राब हो गई है तो उससे निकम्मी पैदावार के अतिरिक्त कुछ नहीं निकलता। इसी प्रकार हम निशानियों को उन लोगों के लिए तरह-तरह से बयान करते हैं, जो कृतज्ञता दिखानेवाले हैं।

Surah Al Araf in Hindi रुकूअ- 8

ल-कद् अरसल्ना नूहन् इला कौमिही फ़का-ल या-कौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् गैरूहू , इन्नी अख़ाफु अ़लैकुम् अ़ज़ा-ब यौमिन् अ़ज़ीम (59)
हमने नूह को उसकी क़ौम के लोगों की ओर भेजा, तो उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। मैं तुम्हारे लिए एक बड़े दिन की यातना से डरता हूँ।”

कालल्म-लउ मिन् कौमिही इन्ना ल-नरा-क फी ज़लालिम्-मुबीन (60)
उसकी क़ौम के सरदारों ने कहा, “हम तो तुम्हें खुली गुमराही में पड़ा देख रहे हैं।”

का-ल या कौमि लै-स बी ज़लालतुंव-व लाकिन्नी रसूलुम् मिर्रब्बिल्-आलमीन (61)
उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! किसी गुमराही का मुझसे सम्बन्ध नहीं, बल्कि मैं सारे संसार के रब का एक रसूल हूँ।

उबल्लिगुकुम् रिसालाति रब्बी व अन्सहु लकुम् व अअ्लमु मिनल्लाहि मा ला तअ्लमून (62)
अपने रब के सन्देश पहुँचाता हूँ और तुम्हारा हित चाहता हूँ, और मैं अल्लाह की ओर से वह कुछ जानता हूँ, जो तुम नहीं जानते।” क्या (तुमने मुझे झूठा समझा) और तुम्हें इस पर आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक आदमी के द्वारा तुम्हारे रब की नसीहत आई? ताकि वह तुम्हें सचेत कर दे और ताकि तुम डर रखने लगो और शायद कि तुमपर दया की जाए।

अ-व अ़जिब्तुम् अन् जा-अकुम् ज़िक्रूम-मिर्रब्बिकुम् अ़ला रजुलिम्-मिन्कुम् लियुन्ज़ि-रकुम् व लि-तत्तकू व लअ़ल्लकुम् तुर्हमून (63)
क्या (तुमने मुझे झूठा समझा) और तुम्हें इस पर आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक आदमी के द्वारा तुम्हारे रब की नसीहत आई? ताकि वह तुम्हें सचेत कर दे और ताकि तुम डर रखने लगो और शायद कि तुमपर दया की जाए।

फ़-कज्जबूहु फ़-अन्जैनाहु वल्लज़ी-न म-अहू फिल्फुल्कि व अग्रक्नल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना , इन्नहुम् कानू कौमन् अ़मीन (64)*
किन्तु उन्होंने झुठला दिया। अन्ततः हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ एक नौका में थे, बचा लिया और जिन लोगों ने हमारी आयतों को ग़लत समझा, उन्हें हमने डूबो दिया। निश्चय ही वे अन्धे लोग थे।

रुकूअ- 9

व इला आदिन अख़ाहुम हूदन् , का-ल या कौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् गैरूहू , अ-फला तत्तकून (65)
और आद की ओर उनके भाई हूद को भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो, उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तो क्या (इसे सोचकर) तुम डरते नहीं?”

कालल्-म-लउल्लज़ी-न क-फरू मिन् कौमिही इन्ना ल-नरा-क-फ़ी सफ़ाहतिंव-व इन्ना ल-नजुन्नु-क मिनल्-काज़िबीन (66)
उसकी क़ौम के इनकार करनेवाले सरदारों ने कहा, “वास्तव में, हम तो देखते हैं कि तुम बुद्धिहीनता में ग्रस्त हो और हम तो तुम्हें झूठा समझते हैं।”

का-ल या कौमि लै-स बी सफ़ाहतुंव-व लाकिन्नी रसूलुम् मिर्रब्बिल-आलमीन (67)
उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं बुद्धिहीनता में कदापि ग्रस्त नहीं हूँ। परन्तु मैं सारे संसार के रब का रसूल हूँ।

उबल्लिगुकुम् रिसालाति रब्बी व अ-न लकुम् नासिहुन् अमीन (68)
तुम्हें अपने रब के संदेश पहुँचाता हूँ और मैं तुम्हारा विश्वस्त हितैषी हूँ।

अ-व अ़जिब्तुम् अन् जा-अकुम् ज़िक्रूम्-मिर्रब्बिकुम् अला रजुलिम्-मिन्कुम् लियुन्ज़ि-रकुम् , वज्कुरू इज् ज-अ-लकुम् खु-लफा-अ मिम् बअ्दि कौमि नूहिंव्-व ज़ादकुम् फिल्ख़ल्कि बस्त-तन् फज़्कुरू आला-अल्लाहि लअ़ल्लकुम् तुफ़्लिहून (69)
क्या (तुमने मुझे झूठा समझा) और तुम्हें इसपर आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक आदमी के द्वारा तुम्हारे रब की नसीहत आई, ताकि वह तुम्हें सचेत करे? और याद करो, जब उसने नूह की क़ौम के पश्चात तुम्हें उसका उत्तराधिकारी बनाया और शारीरिक दृष्टि से भी तुम्हें अधिक विशालता प्रदान की। अतः अल्लाह की सामर्थ्य के चमत्कारों को याद करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।”

कालू अजिअ्तना लिनअ्बुदल्ला-ह वह्दहू व न-ज़-र मा का-न यअ्बुदु आबाउना फअ्तिना बिमा तअिदुना इन् कुन्-त मिनस्-सादिक़ीन (70)
वे बोले, “क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि अकेले अल्लाह की हम बन्दगी करें और जिनको हमारे बाप-दादा पूजते रहे हैं, उन्हें छोड़ दें? अच्छा, तो जिसकी तुम हमें धमकी देते हो, उसे हमपर ले आओ, यदि तुम सच्चे हो।”

का-ल क़द् व-क-अ अलैकुम् मिर्रब्बिकुम् रिज्सुंव्-व ग़-ज़बुन् , अतुजादिलू-ननी फी अस्माइन् सम्मैतुमूहा अन्तुम् व आबाउकुम् मा नज्जलल्लाहु बिहा मिन् सुल्तानिन् , फ़न्तज़िरू इन्नी म-अ़कुम् मिनल् मुन्तज़िरीन (71)
उसने कहा, “तुम पर तो तुम्हारे रब की ओर से नापाकी थोप दी गई है और प्रकोप टूट पड़ा है। क्या तुम मुझसे उन नामों के लिए झगड़ते हो जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने रख छोड़े हैं, जिनके लिए अल्लाह ने कोई प्रमाण नहीं उतारा? अच्छा, तो तुम भी प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।”

फ़-अन्जैनाहु वल्लज़ी-न म-अ़हू बिरह़्मतिम्-मिन्ना व क़तअ्ना दाबिरल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना व मा कानू मुअ्मिनीन (72)*
फिर हमने अपनी दयालुता से उसको और जो लोग उसके साथ थे उन्हें बचा लिया और उन लोगों की जड़ काट दी, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया था और ईमानवाले न थे।

रुकूअ- 10

व इला समू-द अख़ाहुम् सालिहन् • का-ल या कौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम मिन् इलाहिन् गैरूहू , कद् जाअत्कुम् बय्यि-नतुम् मिर्रब्बिकुम् , हाज़िही नाकतुल्लाहि लकुम् आ-यतन् फ़-ज़रूहा तअ्कुल् फी अरज़िल्लाहि व ला तमस्सूहा बिसूइन् फ़-यअ्खु-जकुम् अजाबुन् अलीम (73)
और समूद की ओर उनके भाई सालेह को भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। यह अल्लाह की ऊँटनी तुम्हारे लिए एक निशानी है। अतः इसे छोड़ दो कि अल्लाह की धरती में खाए। और तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा तुम्हें एक दुखद यातना आ लेगी।

वज्कुरू इज् ज-अ-लकुम् खु-लफा-अ मिम्-बअ्दि आदिंव्-व बव्व-अकुम् फ़िल्अर्जि तत्तखिजू-न मिन् सुहूलिहा कुसूरंव-व तन्हितूनल जिबा-ल बुयूतन् फ़ज्कुरू आलाअल्लाहि व ला तअ्सौ फिल्अर्जि मुफ्सिदीन (74)
और याद करो जब अल्लाह ने आद के पश्चात तुम्हें उसका उत्तराधिकारी बनाया और धरती में तुम्हें ठिकाना प्रदान किया। तुम उसके समतल मैदानों में महल बनाते हो और पहाड़ों को काट-छाँट कर भवनों का रूप देते हो। अतः अल्लाह की सामर्थ्य के चमत्कारों को याद करो और धरती में बिगाड़ पैदा करते न फिरो।”

कालल्-म-लउल्लज़ीनस्तक्बरू मिन् कौमिही लिल्लज़ीनस्-तुज्अिफू लिमन् आम-न मिन्हुम् अ-तअ्लमू-न अन्-न सालिहम् मुर्सलुम्-मिर्रब्बिही , कालू इन्ना बिमा उर्सि-ल बिही मुअ्मिनून (75)
उसकी क़ौम के सरदार, जो बड़े बने हुए थे, उन कमज़ोर लोगों से, जो उनमें ईमान लाए थे, कहने लगे, “क्या तुम जानते हो कि सालेह अपने रब का भेजा हुआ (पैग़म्बर) है?” उन्होंने कहा, “निस्संदेह जिस चीज़ के साथ वह भेजा गया है, हम उसपर ईमान रखते हैं।”

कालल्लज़ीनस्तक्बरू इन्ना बिल्लज़ी आमन्तुम् बिही काफिरून (76)
उन घमंड करनेवालों ने कहा, “जिस चीज़ पर तुम ईमान लाए हो, हम तो उसको नहीं मानते।”

फ़-अ-करून्नाक-त व अ़तौ अ़न् अम्रि रब्बिहिम् व कालू या सालिहुअ्तिना बिमा तअिदुना इन् कुन्-त मिनल्-मुर्सलीन (77)
फिर उन्होंने उस ऊँटनी की कूचें काट दीं और अपने रब के आदेश की अवहेलना की और बोले, “ऐ सालेह! हमें तू जिस चीज़ की धमकी देता है, उसे हमपर ले आ, यदि तू वास्तव में रसूलों में से है।”

फ़-अ-खज़त्हुमुर्रज्फतु फ़ अस्बहू फी दारिहिम् जासिमीन (78)
अन्ततः एक हिला मारनेवाली आपदा ने उन्हें आ लिया और वे अपने घरों में औंधे पड़े रह गए।

फ़-तवल्ला अ़न्हुम् व का-ल या कौमि ल-क़द् अब्ल़ग्तुकुम् रिसाल-त रब्बी व नसह्तु लकुम् व लाकिल्ला तुहिब्बूनन्नासिहीन (79)
फिर वह यह कहता हुआ उनके यहाँ से फिरा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं तो तुम्हें अपने रब का संदेश पहुँचा चुका और मैंने तुम्हारा हित चाहा। परन्तु तुम्हें अपने हितैषी पसन्द ही नहीं आते।”

व लूतन् इज् का-ल लिकौमिही अ-तअ्तूनल्-फ़ाहि-श-त मा स-ब-ककुम् बिहा मिन् अ-हदिम् मिनल-आलमीन (80)
और हमने लूत को भेजा। जब उसने अपनी क़ौम से कहा, “क्या तुम वह प्रत्यक्ष अश्लील कर्म करते हो, जिसे दुनिया में तुमसे पहले किसी ने नहीं किया?”

इन्नकुम ल-तअ्तूनर्रिजा-ल शह़्व-तम् मिन् दूनिन्निसा-इ , बल् अन्तुम् कौमुम्-मुस्रिफून (81)
तुम स्त्रियों को छोड़कर मर्दों से कामेच्छा पूरी करते हो, बल्कि तुम नितान्त मर्यादाहीन लोग हो।

व मा का-न जवा-ब कौमिही इल्ला अन् कालू अख्रीजूहुम् मिन् कर् यतिकुम् इन्नहुम् उनासुंय्य-ततह़्हरून (82)
उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके अतिरिक्त और कुछ न था कि वे बोले, “निकालो, उन लोगों को अपनी बस्ती से। ये ऐसे लोग हैं जो बड़े पाक-साफ़ हैं!”

फ-अन्जैनाहु व अह़्लहू इल्लम् र-अ-तहू कानत् मिनल-ग़ाबिरीन (83)
फिर हमने उसे और उसके लोगों को छुटकारा दिया, सिवाय उसकी स्त्री के कि वह पीछे रह जानेवालों में से थी।

व अम्तरना अ़लैहिम् म-तरन् , फ़न्जुर कै-फ़ का-न आकि-बतुल्-मुज्रिमीन (84)*
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई, तो देखो अपराधियों का कैसा परिणाम हुआ।

Surah Al Araf in Hindi रुकूअ- 11

व इला मदय-न अख़ाहुम् शुअै़बन् , का-ल या कौमिअ्बुदुल्ला-ह मा लकुम् मिन् इलाहिन् गैरूहू , कद् जाअत्कुम् बय्यि-नतुम् मिर्रब्बिकुम् फ़-औफुल्कै-ल वल्मीज़ा-न व ला तब्खसुन्ना-स अश्या-अहुम् व ला तुफ्सिदू फ़िल्अर्ज़ि बअ्- द इस्लाहिहा , ज़ालिकुम् खैरूल्लकुम् इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन (85)
और मदयनवालों की ओर हमने उनके भाई शुऐब को भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। तो तुम नाप और तौल पूरी-पूरी करो, और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो, और धरती में उसके सुधार के पश्चात बिगाड़ पैदा न करो। यही तुम्हारे लिए अच्छा है, यदि तुम ईमानवाले हो।

व ला तक़अुदू बिकुल्लि सिरातिन् तूअिदू-न व तसुद्दू-न अन् सबीलिल्लाही मन् आम-न बिही व तब्गूनहा अि-वजन् वज्कुरू इज् कुन्तुम् कलीलन् फ़-कस्स-रकुम् वन्जुरू कै-फ़ का-न आकि-बतुल मुफ्सिदीन (86)
और प्रत्येक मार्ग पर इसलिए न बैठो कि धमकियाँ दो और उस व्यक्ति को अल्लाह के मार्ग से रोकने लगो जो उसपर ईमान रखता हो और न उस मार्ग को टेढ़ा करने में लग जाओ। याद करो, वह समय जब तुम थोड़े थे, फिर उसने तुम्हें अधिक कर दिया। और देखो, बिगाड़ पैदा करनेवालों का कैसा परिणाम हुआ।

व इन् का-न ताइ-फ़तुम् मिन्कुम् आमनू बिल्लज़ी उर्सिल्तु बिही व ताइ-फतुल-लम् युअ्मिनू फ़स्बिरू हत्ता यह्कुमल्लाहु बैनना व हु-व खैरूल् हाकिमीन (87)
और यदि तुममें एक गरोह ऐसा है, जो उसपर ईमान लाया है, जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ और एक गरोह ईमान नहीं लाया, तो धैर्य से काम लो, यहाँ तक कि अल्लाह हमारे बीच फ़ैसला कर दे। और वह सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है।”

कालल् म-लउल्लज़ीनस्तक्बरू मिन् कौमिही लनुखिरजन्न-क या शुअै़बु वल्लज़ी-न आमनू म-अ-क मिन् कर यतिना औ ल-तअूदुन्-न फ़ी मिल्लतिना , का-ल अ-व लौ कुन्ना कारिहीन (88)
उसकी क़ौम के सरदारों ने, जो घमंड में पड़े थे, कहा, “ऐ शुऐब! हम तुझे और तेरे साथ उन लोगों को, जो ईमान लाए हैं, अपनी बस्ती से निकालकर रहेंगे। या फिर तुम हमारे पन्थ में लौट आओ।” उसने कहा, “क्या (तुम यही चाहोगे) यद्यपि यह हमें अप्रिय हो जब भी?(

क़दिफ़्तरैना अलल्लाहि कज़िबन इन् अुद्ना फी मिल्लतिकुम् बअ्- द इज् नज्जानल्लाहु मिन्हा , व मा यकूनु लना अन्-नअू-द फ़ीहा इल्ला अंय्यशा-अल्लाहु रब्बुना , वसि-अ रब्बुना कुल्-ल शैइन् अिल्मन् , अलल्लाहि तवक्कल्ना रब्बनफ़्तह् बैनना व बै-न कौमिना बिल्-हक्क़ि व अन्-त खैरूल्-फ़ातिहीन (89)
हम अल्लाह पर झूठ घड़नेवाले ठहरेंगे, यदि तुम्हारे पन्थ में लौट आएँ, इसके बाद कि अल्लाह ने हमें उससे छुटकारा दे दिया है। यह हमसे तो होने का नहीं कि हम उसमें पलट कर जाएँ, बल्कि हमारे रब अल्लाह की इच्छा ही क्रियान्वित है। ज्ञान की दृष्टि से हमारा रब हर चीज़ को अपने घेरे में लिए हुए है। हमने अल्लाह ही पर भरोसा किया है। हमारे रब, हमारे और हमारी क़ौम के बीच निश्चित अटल फ़ैसला कर दे। और तू सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है।

व क़ालल् म-लउल्लज़ी-न क-फरू मिन् क़ौमिही ल-इनित्तबअ्तुम् शुअैबन् इन्नकुम् इज़ल-लख़ासिरून (90)
उसकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया था, बोले, “यदि तुम शुऐब के अनुयायी बने तो तुम घाटे में पड़ जाओगे।”

फ़-अ-ख़ज़त्हुमुर्रज्फतु फ़अस्बहू फ़ी दारिहिम् जासिमीन (91)
अन्ततः एक दहला देनेवाली आपदा ने उन्हें आ लिया। फिर वे अपने घर में औंधे पड़े रह गए,

अल्लज़ी-न कज़्ज़बू शुअैबन कअल्लम् यग्नौ फ़ीहा , अल्लज़ी-न कज़्ज़बू शुअैबन् कानू हुमुल खासिरीन (92)
शुऐब को झुठलानेवाले, मानो कभी वहाँ बसे ही न थे। शुऐब को झुठलानेवाले ही घाटे में रहे।

फ़-तवल्ला अन्हुम् व का-ल या कौमि ल-कद् अब्लग्तुकुम् रिसालाति रब्बी व नसह्तु लकुम् फ़कै-फ़ आसा अला कौमिन् काफ़िरीन (93)*
तब वह उनके यहाँ से यह कहता हुआ फिरा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैंने अपने रब के सन्देश तुम्हें पहुँचा दिए और मैंने तुम्हारा हित चाहा। अब मैं इनकार करनेवाले लोगों पर कैसे अफ़सोस करूँ!”

Surah Al Araf in Hindi रुकूअ- 12

व मा अरसल्ना फी कर यतिम् मिन् नबिय्यिन् इल्ला अख़ज़्ना अह़्लहा बिल्बअ्सा-इ वज़्ज़र्रा-इ लअ़ल्लहुम् यज़्ज़र्रअून (94)
हमने जिस बस्ती में भी कभी कोई नबी भेजा, तो वहाँ के लोगों को तंगी और मुसीबत में डाला, ताकि वे (हमारे सामने) गिड़गि़ड़ाएँ।

सुम्-म बद्दल्ना मकानस्सय्यि-अतिल् ह-स-न-त हत्ता अफ़ौ व कालू कद् मस्-स आबा-अनज़्ज़र्रा-उ वस्सर्रा-उ फ़-अख़ज्नाहुम् ब़ग्त-तंव्-व हुम् ला यश्अुरून (95)
फिर हमने बदहाली को ख़ुशहाली में बदल दिया, यहाँ तक कि वे ख़ूब फले-फूले और कहने लगे, “ये दुख और सुख तो हमारे बाप-दादा को भी पहुँचे हैं।” अन्ततः जब वे बेख़बर थे, हमने अचानक उन्हें पकड़ लिया।

व लौ अन्-न अह़्लल्कुरा आमनू वत्तकौ ल-फ़तह़्ना अलैहिम् ब-रकातिम् मिनस्समा-इ वल्अर्जि व लाकिन् कज़्ज़बू फ़-अख़ज़्नाहुम् बिमा कानू यक्सिबून (96)
यदि बस्तियों के लोग ईमान लाते और डर रखते तो अवश्य ही हम उनपर आकाश और धरती की बरकतें खोल देते, परन्तु उन्होंने तो झुठलाया। तो जो कुछ कमाई वे करते थे, उसके बदले में हमने उन्हें पकड़ लिया।

अ-फ़ अमि-न अह़्लुल्कुरा अंय्यअ्ति-यहुम् बअ्सुना बयातंव-व हुम् ना-इमून (97)
फिर क्या बस्तियों के लोगों को इस ओर से निश्चिन्त रहने का अवसर मिल सका कि रात में उनपर हमारी यातना आ जाए, जबकि वे सोए हुए हों?

अ-व अमि-न अह़्लुल्कुरा अंय्यअ्ति-यहुम् बअ्सुना जुहंव्वहुम् यल्अ़बून (98)
और क्या बस्तियों के लोगों को इस ओर से निश्चिन्त रहने का अवसर मिल सका कि दिन चढ़े उनपर हमारी यातना आ जाए, जबकि वे खेल रहे हों?

अ-फ़अमिनू मक्रल्लाहि फ़ला यअ्मनु मक़्रल्लाहि इल्लल् कौमुल-खासिरून (99)*
आख़िर क्या वे अल्लाह की चाल से निश्चिन्त हो गए थे? तो (समझ लो उन्हें टोटे में पड़ना ही था, क्योंकि) अल्लाह की चाल से तो वही लोग निश्चिन्त होते हैं, जो टोटे में पड़नेवाले होते हैं।

Surah Al Araf in Hindi रुकूअ- 13

अ-व लम् यह़्दि लिल्लज़ी-न यरिसूनल्-अर्-ज़ मिम्-बअ्दि अह़्लिहा अल्लौ नशा-उ असब्नाहुम् बिजुनूबिहिम् व नत्बअु अला कुलूबिहिम् फ़हुम् ला यस्मअून ( 100 )
क्या जो धरती के, उसके पूर्ववासियों के पश्चात उत्तराधिकारी हुए हैं, उनपर यह तथ्य प्रकट न हुआ कि यदि हम चाहें तो उनके गुनाहों पर उन्हें आ पकड़ें? हम तो उनके दिलों पर मुहर लगा रहे हैं, क्योंकि वे कुछ भी नहीं सुनते।

तिल्कल्कुरा नकुस्सु अ़लै-क मिन् अम्बा-इहा व ल-कद् जाअत्हुम् रूसुलूहुम् बिल्बय्यिनाति फ़मा कानू लियुअ्मिनू बिमा कज़्ज़बू मिन् कब्लु , कज़ालि-क यत्बअुल्लाहु अला कुलूबिल् काफ़िरीन (101)
ये हैं वे बस्तियाँ जिनके कुछ वृत्तान्त हम तुमको सुना रहे हैं । उनके पास उनके रसूल खुली-खुली निशानियाँ लेकर आए परन्तु वे ऐसे न हुए कि ईमान लाते। इसका कारण यह था कि वे पहले से झुठलाते रहे थे। इसी प्रकार अल्लाह इनकार करनेवालों के दिलों पर मुहर लगा देता है।

व मा वजद्ना लिअक्सरिहिम् मिन् अ़ह़्दिन व इंव्-वजद्ना अक्स-रहुम् लफ़ासिक़ीन (102)
हमने उनके अधिकतर लोगों में प्रतिज्ञा का निर्वाह न पाया, बल्कि उनके बहुतों को हमने उल्लंघनकारी ही पाया।

सुम्-म बअ़स्ना मिम्-बअ्दिहिम् मूसा बिआयातिना इला फ़िरऔ-न व म-ल इही फ़-ज़-लमू बिहा फन्जुर् कै-फ़ का-न आकि-बतुल मुफ्सिदीन (103)
फिर उनके पश्चात हमने मूसा को अपनी निशानियों के साथ फ़िरऔन और उसके सरदारों के पास भेजा, परन्तु उन्होंने उनका इनकार और स्वयं पर अत्याचार किया। तो देखो, इन बिगाड़ पैदा करनेवालों का कैसा परिणाम हुआ!

व का-ल मूसा या फ़िरऔनु इन्नी रसूलुम् मिर्रब्बिल-आलमीन (104)
मूसा ने कहा, “ऐ फ़िरऔन! मैं सारे संसार के रब का रसूल हूँ। (104)

हक़ीकुन् अला अल्ला अकू-ल अ़लल्लाहि इल्लल्हक्-क , कद् जिअ्तुकुम् बिबय्यि-नतिम् मिर्रब्बिकुम् फ़-अरसिल् मअि-य बनी इस्राईल (105)
मैं इसका अधिकारी हूँ कि अल्लाह से सम्बद्ध करके सत्य के अतिरिक्त कोई बात न कहूँ। मैं तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से स्पष्ट प्रमाण लेकर आ गया हूँ। अतः तुम इसराईल की सन्तान को मेरे साथ जाने दो।”(

का-ल इन् कुन्-त जिअ्-त बिआयतिन् फ़अ्ति बिहा इन् कुन्-त मिनस्सादिक़ीन (106)
बोला, “यदि तुम कोई निशानी लेकर आए हो तो उसे पेश करो, यदि तुम सच्चे हो।”

फ़अल्क़ा अ़साहु फ़-इज़ा हि-य सुअ्बानुम् मुबीन (107)
तब उसने अपनी लाठी डाल दी। क्या देखते हैं कि वह प्रत्यक्ष अजगर है।

व न-ज़-अ य-दहू फ़-इज़ा हि-य बैज़ा-उ लिन्नाज़िरीन (108)*
और उसने अपना हाथ निकाला, तो क्या देखते हैं कि वह सब देखनेवालों के सामने चमक रहा है।

आगे के रुकूअ यहाँ से पढ़ें: – सूरह आराफ रुकूअ 14-24 तक

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