Surah Al Maidah In Hindi with Tarjuma | सूरह-5 अल-माइदा हिंदी में

Surah Al Maidah in Hindi: – दोस्तों अगर आप सूरह अल-माइदा को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही जगह हो।

इस पोस्ट में हमने सूरह निसा के सभी रुकूअ 1-16 तक (Surah Al Maidah Ruku 1-16) को हिंदी में तर्जुमा के साथ मौजूद कराया है।

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सूरह अल-माइदा कुरान मजीद की पांचवें नंबर की सूरह है जोकि पारा 6-7 में मौजूद है। सूरह अल-माइदा मदीना में नाज़िल हुई है और इसमे 120 आयतें और 16 रूकुअ है।

सूरह का नामसूरह अल-माइदा (Surah Al Maidah)
पारा नंबर6-7
कहाँ नाज़िल हुई?मदीना
कुल रुकुअ16
कुल आयतें120

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Surah Al Maidah In Hindi | सूरह माइदा हिंदी में

सूरह न० 5
(सूरह अल माइदा (मदनी))
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

रुकूअ- 1

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू औफू बिल्-अु़कूदि , उहिल्लत् लकुम् बहीमतुल-अन् आमि इल्ला मा युत्ला अलैकुम् गै-र मुहिल्लिस्-सैदि व अन्तुम् हुरूमुन् , इन्नल्लाह-ह यह़्कुमु मा युरीद (1)
ऐ ईमान लानेवालो! प्रतिबन्धों (प्रतिज्ञाओं, समझौतों आदि) का पूर्ण रूप से पालन करो। तुम्हारे लिए चौपायों की जाति के जानवर हलाल हैं सिवाय उनके जो तुम्हें बताए जा रहे हैं; (हलाल जानवरों को खाओ) लेकिन जब तुम इहराम की दशा में हो तो शिकार को हलाल न समझना। निस्संदेह अल्लाह जो चाहता है, आदेश देता है।

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तुहिल्लू शआ़-इरल्लाहि व लश्शह़रल्-हरा-म व लल्-हद्-य व लल्कलाइ-द व ला आम्मीनल बैतल्-हरा-म यब्तगू-न फज्लम् मिर्रब्बिहिम् व रिज्वानन् , व इज़ा हलल्तुम् फ़स्तादू व ला यज्रिमन्नकुम श-नआनु कौमिन् अन् सद्दूकुम् अनिल् मस्जिदिल्-हरामि अन् तअ्तदू . व तआ़वनू अलल्-बिर्रि वत्तक्वा व ला तआ़वनू अलल्-इस्मि वल-अुद्वानि वत्तकु ल्ला-ह , इन्नल्ला-ह शदीदुल्-अिकाब •(2)
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह की निशानियों का अनादर न करो; न आदर के महीनों का, न क़ुरबानी के जानवरों का और न उन जानवरों का जिनकी गरदनों में पट्टे पड़े हों और न उन लोगों का जो अपने रब के अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता की चाह में प्रतिष्ठित गृह (काबा) को जाते हों। और जब इहराम की दशा से बाहर हो जाओ तो शिकार करो। और ऐसा न हो कि एक गरोह की शत्रुता, जिसने तुम्हारे लिए प्रतिष्ठित घर का रास्ता बन्द कर दिया था, तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम ज़्यादती करने लगो। हक़ अदा करने और ईश-भय के काम में तुम एक-दूसरे का सहयोग करो और हक़ मारने और ज़्यादती के काम में एक-दूसरे का सहयोग न करो। अल्लाह का डर रखो; निश्चय ही अल्लाह बड़ा कठोर दंड देनेवाला है।

हुर्रिमत् अलैकुमुल्मैततु वद्दमु व लह़्मुल-खिन्ज़ीरि व मा उहिल्-ल लिगैरिल्लाहि बिही वल्मुन्खनि-कतु वल्मौ कूज़तु वल्मु-तरद्दियतु वन्नती-हतु व मा अ-कलस्सबुअु इल्ला मा जक्कैतुम् , व मा जुबि-ह अलन्नुसुबि व अन् तस्तक्सिमू बिल्अज्लामि , जालिकुम् फिस्कुन् , अल्यौ-म य-इसल्लज़ी-न क-फरू मिन् दीनिकुम् फ़ला तख़्शौहुम् वख़्शौनि , अल्यौ-म अक्मल्तु लकुम् दीनकुम् व अत्मस्तु अलैकुम् निअ्मती व रजीतु लकुमुल्-इस्ला-म दीनन् , फ़-मनिज्तुर-र फी मख़्म-सतिन् गै-र मु-तजानिफि ल्-लिइस्मिन् फ़-इन्नल्ला-ह गफूरूर्रहीम (3)
तुम्हारे लिए हराम हुआ मुर्दार रक्त, सूअर का मांस और वह जानवर जिसपर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो और वह जो घुटकर या चोट खाकर या ऊँचाई से गिरकर या सींग लगने से मरा हो या जिसे किसी हिंसक पशु ने फाड़ खाया हो – सिवाय उसके जिसे तुमने ज़बह कर लिया हो – और वह किसी थान पर ज़बह किया गया हो। और यह भी (तुम्हारे लिए हराम है) कि तीरों के द्वारा क़िस्मत मालूम करो। यह आज्ञा का उल्लंघन है – आज इनकार करनेवाले तुम्हारे धर्म की ओर से निराश हो चुके हैं तो तुम उनसे न डरो, बल्कि मुझसे डरो। आज मैंने तुम्हारे धर्म को पूर्ण कर दिया और तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दी और मैंने तुम्हारे धर्म के रूप में इस्लाम को पसन्द किया – तो जो कोई भूख से विवश हो जाए, परन्तु गुनाह की ओर उसका झुकाव न हो, तो निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।

यस्अलून-क माज़ा उहिल-ल लहुम् कुल उहिल-ल लकुमुत्तय्यिबातु व मा अल्लम्तुम् मिनल-जवारिहि मुकल्लिबी-न तुअल्लिमूनहुन्-न मिम्मा अल्ल-मकुमुल्लाहु फ़कुलू मिम्मा अम्-सक्-न अलैकुम् वज्कुरूस्मल्लाहि अलैहि वत्तकुल्ला-ह इन्नल्ला-ह सरीअुल-हिसाब (4)
वे तुमसे पूछते हैं कि “उनके लिए क्या हलाल है?” कह दो, “तुम्हारे लिए सारी अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल हैं और जिन शिकारी जानवरों को तुमने सधे हुए शिकारी जानवर के रूप में सधा रखा हो – जिनको जैसे अल्लाह ने तुम्हें सिखाया है, सिखाते हो – वे जिस शिकार को तुम्हारे लिए पकड़े रखें, उसको खाओ और उसपर अल्लाह का नाम लो। और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह जल्द हिसाब लेनेवाला है।”(

अल्यौ-म उहिल्-ल लकुमुत्तय्यिबातु , व तआमुल्लज़ी-न ऊतुल्-किता-ब हिल्लुल्लकुम् व तआ़मुकुम हिल्लुल्लहुम् वल्मुह़्सनातु मिनल-मुअ्मिनाति वल्मुह़्सनातु मिनल्लज़ी-न ऊतुल-किता-ब मिन् कब्लिकुम् इज़ा आतैतुमूहुन्-न उजू रहुन्-न मुह़्सिनी-न गै-र मुसाफ़िही-न व ला मुत्तख़िज़ी अख्दानिन् ,व मंय्यक्फुर बिल्ईमानि फ-कद हबि-त अ-मलुहू व हु-व फ़िल-आखि-रति मिनल-ख़ासिरीन (5)*
आज तुम्हारे लिए अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल कर दी गईं और जिन्हें किताब दी गई उनका भोजन भी तुम्हारे लिए हलाल है और तुम्हारा भोजन उनके लिए हलाल है और शरीफ़ और स्वतंत्र ईमानवाली स्त्रियाँ भी, और वे शरीफ़ और स्वतंत्र ईमानवाली स्त्रियाँ भी जो तुमसे पहले के किताबवालों में से हों, जबकि तुम उनका हक़ (मेह्र्) देकर उन्हें निकाह में लाओ। न तो यह काम स्वछन्द कामतृप्ति के लिए हो और न चोरी-छिपे याराना करने को। और जिस किसी ने ईमान से इनकार किया, उसका सारा किया-धरा अकारथ गया और वह आख़िरत में भी घाटे में रहेगा।

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रुकूअ- 2

या अय्युहलज़ी-न आमनू इज़ा कुम्तुम् इलस्सलाति फ़ग्सिलू वुजूहकुम् व ऐदि-यकुम् इलल्-मराफ़िकि वम्सहू बिरूऊसिकुम् व अर्जु-लकुम् इलल्कअबैनि , व इन् कुन्तुम् जुनुबन् फत्तह़्हरू , व इन् कुन्तुम् मरज़ा औ अला स-फ़रिन् औ जा-अ अ-हदुम् मिन्कुम् मिनल्गा-इति औ लामस्तुमुन्निसा-अ फ़-लम् तजिदू माअन् फ़-तयम्म-मू सअीदन् तय्यिबन् फम्सहू बिवुजूहिकुम् व ऐदीकुम् मिन्हु , मा युरीदुल्लाहु लि-यज्अ़-ल अलैकुम् मिन् ह-रजिंव्-व लाकिंय्युरीदु लियुतह़्हि-रकुम् व लियुतिम्-म निअ्म-तहू अलैकुम् लअ़ल्लकुम तश्करून (6)
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम नमाज़ के लिए उठो तो अपने चेहरों को और हाथों को कुहनियों तक धो लिया करो और अपने सिरों पर हाथ फेर लो और अपने पैरों को भी टख़नों तक धो लो। और यदि नापाक हो तो अच्छी तरह पाक हो जाओ। परन्तु यदि बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से कोई शौच करके आया हो या तुमने स्त्रियों को हाथ लगाया हो, फिर पानी न मिले तो पाक मिट्टी से काम लो। उसपर हाथ मारकर अपने मुँह और हाथों पर फेर लो। अल्लाह तुम्हें किसी तंगी में नहीं डालना चाहता। अपितु वह चाहता है कि तुम्हें पवित्र करे और अपनी नेमत तुमपर पूरी कर दे, ताकि तुम कृतज्ञ बनो।

वज्कुरू निअ्-मतल्लाहि अलैकुम व मीसाक़हुल्लज़ी वास-ककुम् बिही इज़ कुल्तुम् समिअ्ना व अतअ्ना वत्तकुल्ला-ह , इन्नल्ला-ह अलीमुम् बिज़ातिस्सुदूर (7)
और अल्लाह के उस अनुग्रह को याद करो जो उसने तुमपर किया है और उस प्रतिज्ञा को भी जो उसने तुमसे की है, जबकि तुमने कहा था – “हमने सुना और माना।” और अल्लाह का डर रखो। अल्लाह जो कुछ सीनों (दिलों) में है, उसे भी जानता है।

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू कूनू कव्वामी-न लिल्लाहि शु-हदा-अ बिल्किस्ति व ला यज्रिमन्नकुम् श-नआनु कौमिन् अला अल्ला तअ्दिलू इअ्दिलू , हु-व अक्रबु लित्तक्वा वत्तकुल्ला-ह , इन्नल्ला-ह खबीरूम्-बिमा तअ्मलून (8)
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह के लिए ख़ूब उठनेवाले, इनसाफ़ की निगरानी करनेवाले बनो और ऐसा न हो कि किसी गरोह की शत्रुता तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम इनसाफ़ करना छोड़ दो। इनसाफ़ करो, यही धर्मपरायणता से अधिक निकट है। अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह को उसकी ख़बर है।

व-अदल्लाहुल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति लहुम् मग्फ़ि-रतुंव-व अज्रून् अज़ीम (9)
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनसे अल्लाह का वादा है कि उनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिदान है।

वल्लजी-न क-फरू व कज्ज़बू बिआयातिना उलाइ-क अस्हाबुल-जहीम (10)
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही भड़कती आग में पड़नेवाले हैं।

या अय्युहल्लज़ी-न आमनुज्कुरू निअ्-मतल्लाहि अलैकुम इज् हम-म कौमुन् अंय्यब्सुतू इलैकुम् ऐदि-यहुम् फ़-कफ्-फ़ ऐदि-यहुम् अ़न्कुम् वत्तकुल्ला-ह , व अलल्लाहि फल्य-तवक्कलिल् मुअ्मिनून (11)*
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह के उस अनुग्रह को याद करो जो उसने तुमपर किया है, जबकि कुछ लोगों ने तुम्हारी ओर हाथ बढ़ाने का निश्चय कर लिया था तो उसने उनके हाथ तुमसे रोक दिए। अल्लाह का डर रखो, और ईमानवालों को अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।

Surah Al Maidah In Hindi रुकूअ- 3

व ल-क़द् अ-ख़ज़ल्लाहु मीसा-क ‘ बनी इस्राई-ल व बअ़सना मिन्हुमुस्नै अ-श-र नकी़बन् , व कालल्लाहु इन्नी म-अ़कुम् , ल-इन् अकम्तुमुस्सला-त व आतैतुमुज्ज़का-त व आमन्तुम् बिरूसुली व अज़्ज़रतुमूहुम् व अक्रज्तुमुल्ला-ह कर्जन् ह-सनल ल-उकफ्फिरन्-न अन्कुम् सय्यिआतिकुम् व ल-उद्खिलन्नकुम् जन्नातिन् तज्री मिन् तह़्तिहल्-अन्हारू फ़-मन् क-फ़-र बअ्-द ज़ालि-क मिन्कुम् फ़-कद् जल-ल सवाअस्सबील (12)
अल्लाह ने इसराईल की सन्तान से वचन लिया था और हमने उनमें से बारह सरदार नियुक्त किए थे। और अल्लाह ने कहा, “मैं तुम्हारे साथ हूँ, यदि तुमने नमाज़ क़ायम रखी, ज़कात देते रहे, मेरे रसूलों पर ईमान लाए और उनकी सहायता की और अल्लाह को अच्छा ऋण दिया तो मैं अवश्य तुम्हारी बुराइयाँ तुमसे दूर कर दूँगा और तुम्हें निश्चय ही ऐसे बाग़ों में दाख़िल करूँगा, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। फिर इसके पश्चात तुममें से जिसने इनकार किया, तो वास्तव में वह ठीक और सही रास्ते से भटक गया।”(

फबिमा नक्ज़िहिम मीसाक़हुम् लअन्नाहुम् व जअ़ल्ना कुलूबहुम् कासि-यतन् युहर्रिफूनल्कलि-म अम्-मवाज़िअिही व नसू ह़ज्ज़म् मिम्मा जुक्किरू बिही व ला तज़ालु तत्तलिअु अला ख़ाइ-नतिम् मिन्हुम इल्ला कलीलम् मिन्हुम् फ़अ्फु अन्हुम् वस्फ़ह् , इन्नल्ला-ह युहिब्बुल मुह़्सिनीन (13)
फिर उनके बार-बार अपने वचन को भंग कर देने के कारण हमने उनपर लानत की और उनके हृदय कठोर कर दिए। वे शब्दों को उनके स्थान से फेरकर कुछ का कुछ कर देते हैं और जिसके द्वारा उन्हें याद दिलाया गया था, उसका एक बड़ा भाग वे भुला बैठे। और तुम्हें उनके किसी न किसी विश्वासघात का बराबर पता चलता रहेगा। उनमें ऐसा न करनेवाले थोड़े लोग हैं, तो तुम उन्हें क्षमा कर दो और उन्हें छोड़ो। निश्चय ही अल्लाह को वे लोग प्रिय हैं जो उत्तमकर्मी हैं।

व मिनल्लज़ी-न कालू इन्ना नसारा अखज्ना मीसाकहुम् फ़-नसू हज्जम् मिम्मा जुक्किरू बिही फ़-अगरैना बैनहुमुल अदा-व-त वल्ब़ग्जा़-अ इला यौमिल्-कियामति , व सौ-फ युनब्बिउहुमुल्लाहु बिमा कानू यस्नअून (14)
और हमने उन लोगों से भी दृढ़ वचन लिया था, जिन्होंने कहा था कि हम नसारा (ईसाई) हैं, किन्तु जो कुछ उन्हें जिसके द्वारा याद कराया गया था उसका एक बड़ा भाग भुला बैठे। फिर हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा, जो कुछ वे बनाते रहे थे।

या अह़्लल-किताबि कद् जाअकुम् रसूलु युबय्यिनु लकुम् कसीरम्-मिम्मा कुन्तुम् तुख्फू-न मिनल-किताबि व यअ्फू अन् कसीरिन् , कद् जाअकुम् मिनल्लाहि नूरूंव-व किताबुम् मुबीन (15)
ऐ किताबवालो! हमारा रसूल तुम्हारे पास आ गया है। किताब की जो कुछ बातें तुम छिपाते थे, उसमें से बहुत-सी बातें वह तुम्हारे सामने खोल रहा है और बहुत-सी बातों को छोड़ देता है। तुम्हारे पास अल्लाह की ओर से प्रकाश और एक स्पष्ट किताब आ गई है

यह़्दी बिहिल्लाहु मनित्त-ब-अ रिज्वानहू सुबुलस्सलामि व युख्रिजुहम् मिनज्जुलुमाति इलन्नूरि बि-इज्निही व यह़्दीहिम् इला सिरातिम् मुस्तकीम (16)
जिसके द्वारा अल्लाह उस व्यक्ति को जो उसकी प्रसन्नता का अनुगामी है, सलामती की राहें दिखा रहा है और अपनी अनुज्ञा से ऐसे लोगों को अँधेरों से निकालकर उजाले की ओर ला रहा है और उन्हें सीधे मार्ग पर चला रहा है।

ल-क़द् क-फरल्लज़ी-न कालू इन्नल्ला-ह हुवल्-मसीहुब्नु मर्य-म , कुल फ़-मंय्यम्लिकु मिनल्लाहि शैअन् इन् अरा-द अंय्युह़्लिकल्-मसीहब्-न मर्य-म व उम्म-हू व मन् फिलअर्जि जमीअ़न् , व लिल्लाहि मुल्कुस्समावाति वल्अर्जि व मा बैनहुमा , यख्लुकु मा यशा-उ , वल्लाहु अला कुल्लि शैइन् क़दीर (17)
निश्चय ही उन लोगों ने इनकार किया, जिन्होंने कहा, “अल्लाह तो वही मरयम का बेटा मसीह है।” कहो, “अल्लाह के आगे किसका कुछ बस चल सकता है, यदि वह मरयम का पुत्र मसीह को और उसकी माँ (मरयम) को और समस्त धरतीवालों को विनष्ट करना चाहे? और अल्लाह ही के लिए है बादशाही आकाशों और धरती की ओर जो कुछ उनके मध्य है उसकी भी। वह जो चाहता है पैदा करता है। और अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।”

व कालतिल्-यहूदु वन्नसारा नह़्नु अब्नाउल्लाहि व अहिब्बाउहू , कुल फ़लि-म युअ़ज्जिबुकुम् बिजु़ नूबिकुम् , बल् अन्तुम ब-शरूम् मिम्-मन् ख-ल-क , यग्फिरू लिमंय्यशा-उ व युअ़ज्जिबु मंय्यशा-उ , व लिल्लाहि मुल्कुस्समावाति वल्अर्जि व मा बैनहुमा व इलैहिल-मसीर (18)
यहूदी और ईसाई कहते हैं, “हम तो अल्लाह के बेटे और उसके चहेते हैं।” कहो, “फिर वह तुम्हें तुम्हारे गुनाहों पर दंड क्यों देता है? बात यह नहीं है, बल्कि तुम भी उसके पैदा किए हुए प्राणियों में से एक मनुष्य हो। वह जिसे चाहे क्षमा करे और जिसे चाहे दंड दे।” और अल्लाह ही के लिए है बादशाही आकाशों और धरती की और जो कुछ उनके बीच है वह भी, और जाना भी उसी की ओर है।

या अह़्लल्-किताबि कद् जाअकुम् रसूलुना युबय्यिनु लकुम् अला फ़त रतिम् मिनर्रूसुलि अन् तकूलू मा जाअना मिम्-बशीरिंव-व ला नज़ीरिन् फ़-क़द् जा-अकुम् बशीरूंव-व नज़ीरून् , वल्लाहु अला कुल्लि शैइन् कदीर (19)*
ऐ किताबवालो! हमारा रसूल ऐसे समय में तुम्हारे पास आया है और तुम्हारे लिए (हमारा आदेश) खोल-खोलकर बयान करता है, जबकि रसूलों के आने का सिलसिला एक मुद्दत से बन्द था, ताकि तुम यह न कह सको कि “हमारे पास कोई शुभ-समाचार देनेवाला और सचेत करनेवाला नहीं आया।” तो देखो! अब तुम्हारे पास शुभ-समाचार देनेवाला और सचेत करनेवाला आ गया है। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।

Surah Al Maidah In Hindi रुकूअ- 4

व इज् का-ल मूसा लिकौमिही या कौमिज्कुरू निअ्-मतल्लाहि अलैकुम् • इज् ज-अ-ल फ़ीकुम् अम्बिया-अ व ज-अ-लकुम् मुलूकंव-व आताकुम् मा लम् युअ्ति अ-हदम् मिनल-आलमीन (20)
और याद करो जब मूसा ने अपनी क़ौम के लोगों से कहा था, “ऐ मेरे लोगो! अल्लाह की उस नेमत को याद करो जो उसने तुम्हें प्रदान की है। उसनें तुममें नबी पैदा किए और तुम्हें शासक बनाया और तुमको वह कुछ दिया जो संसार में किसी को नहीं दिया था।

या कौमिद्खुलुल अर्ज़ल् मुक़द्द-सतल्लती क-तबल्लाहु लकुम् व ला तर्तद्दू अला अदबारिकुम् फ़-तन्कलिबू ख़ासिरीन (21)
“ऐ मेरे लोगो! इस पवित्र भूमि में प्रवेश करो, जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए लिख दी है। और पीछे न हटो, अन्यथा, घाटे में पड़ जाओगे।”

कालू या मूसा इन्-न फ़ीहा कौमन् जब्बारी-न व इन्ना लन् नद्खु-लहा हत्ता यख्रूजू मिन्हा फ़-इंय्यख्रूजू मिन्हा फ़-इन्ना दाख़िलून (22)
उन्होंने कहा, “ऐ मूसा! उसमें तो बड़े शक्तिशाली लोग रहते हैं। हम तो वहाँ कदापि नहीं जा सकते, जब तक कि वे वहाँ से निकल नहीं जाते। हाँ, यदि वे वहाँ से निकल जाएँ, तो हम अवश्य प्रविष्ट हो जाएँगे।”

का-ल रजुलानि मिनल्लज़ी-न यखाफू-न अन् अमल्लाहु अलैहिमद्खुलू अलैहिमुल्बा-ब फ़-इज़ा दखल्तुमूहु फ़-इन्नकुम् गालिबू-न , व अलल्लाहि फ़-तवक्कलू इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन (23)
उन डरनेवालों में से ही दो व्यक्ति ऐसे भी थे जिनपर अल्लाह का अनुग्रह था। उन्होंने कहा, “उन लोगों के मुक़ाबले में दरवाज़े से प्रविष्ट हो जाओ। जब तुम उसमें प्रविष्टि हो जाओगे, तो तुम ही प्रभावी होगे। अल्लाह पर भरोसा रखो, यदि तुम ईमानवाले हो।”

कालू या मूसा इन्ना लन् नद्खु-लहा अ-बदम् मा दामू फ़ीहा फज्हब् अन्-त व रब्बु-क फ़क़ातिला इन्ना हाहुना काअिदून (24)
उन्होंने कहा, “ऐ मूसा! जब तक वे लोग वहाँ हैं, हम तो कदापि वहाँ नहीं जाएँगे। ऐसा ही है तो जाओ तुम और तुम्हारा रब, और दोनों लड़ो। हम तो यहीं बैठे रहेंगे।”

का-ल रब्बि इन्नी ला अम्लिकु इल्ला नफ्सी व अख़ी फ्फरूक् बैनना व बैनल कौमिल फ़ासिक़ीन (25)
उसने कहा, “मेरे रब! मेरा स्वयं अपने और अपने भाई के अतिरिक्त किसी पर अधिकार नहीं है। अतः तू हमारे और इन अवज्ञाकारी लोगों के बीच अलगाव पैदा कर दे।”

का-ल फ़-इन्नहा मुहर्र-मतुन् अलैहिम् अरबअी-न स-नतन् यतीहू-न फ़िल्अर्ज़ि , फ़ला तअ्- स अलल् कौमिल्-फ़ासिक़ीन (26)*
कहा, “अच्छा तो अब यह भूमि चालीस वर्ष तक इनके लिए वर्जित है। ये धरती में मारे-मारे फिरेंगे तो तुम इन अवज्ञाकारी लोगों के प्रति शोक न करो।”

रुकूअ- 5

वत्लु अलैहिम् न-बअब्नै आद-म बिल्हक्कि • इज् कर्रबा कुर्बानन् फतुकुब्बि-ल मिन् अ-हदिहिमा व लम् यु-तकब्बलुल्लाहु मिनल मुत्तकीन • (27)
और इन्हें आदम के दो बेटों का सच्चा वृत्तान्त सुना दो। जब दोनों ने क़ुरबानी की, तो उनमें से एक की क़ुरबानी स्वीकृत हुई और दूसरे की स्वीकृत न हुई। उसने कहा, “मैं तुझे अवश्य ही मार डालूँगा।” दूसरे ने कहा, “अल्लाह तो उन्हीं की (क़ुरबानी) स्वीकृत करता है, जो डर रखनेवाले हैं।

ल-इम् बसत्-त इलय्-य य-द-क लितक्तु-लनी मा अ-न बिबासितिंय् यदि-य इलै-क लिअक्तु-ल-क इन्नी अख़ाफुल्ला-ह रब्बल्-आलमीन (28)
यदि तू मेरी हत्या करने के लिए मेरी ओर हाथ बढ़ाएगा तो मैं तेरी हत्या करने के लिए तेरी ओर अपना हाथ नहीं बढ़ाऊँगा। मैं तो अल्लाह से डरता हूँ, जो सारे संसार का रब है।

इन्नी उरीदू अन् तबू-अ बि-इस्मी व इस्मि-क फ़-तकू-न मिन् अस्हाबिन्नारि व जालि-क जज़ाउज़्जा़लिमीन (29)
मैं तो चाहता हूँ कि मेरा गुनाह और अपना गुनाह तू ही अपने सिर ले ले, फिर आग (जहन्नम) में पड़नेवालों में से हो जाए, और वही अत्याचारियों का बदला है।”

फ़तव्व-अत् लहू नफ्सुहू कत्-ल अख़ीहि फ़-क-त-लहू फ़-अस्ब-ह मिनल् ख़ासिरीन (30)
अन्ततः उसके जी ने उसे अपने भाई की हत्या के लिए उद्यत कर दिया, तो उसने उसकी हत्या कर डाली और घाटे में पड़ गया।

फ़-ब-असल्लाहु गुराबंय्यब्हसु फ़िल्अर्ज़ि लियुरि-यहू कै-फ़ युवारी सौअ-त अख़ीहि , का-ल या वै-लता अ-अज़ज़्तु अन् अकू-न मिस्-ल हाज़ल्गुराबि फ़-उवारि-य सौअ-त अख़ी फ़-अस्ब-ह मिनन्नादिमीन (31)
तब अल्लाह ने एक कौआ भेजा जो भूमि कुरेदने लगा, ताकि उसे दिखा दे कि वह अपने भाई के शव को कैसे छिपाए। कहने लगा, “अफ़सोस मुझ पर! क्या मैं इस कौए जैसा भी न हो सका कि अपने भाई का शव छिपा देता?” फिर वह लज्जित हुआ।

मिन् अज्लि ज़ालि-क कतब्ना अला बनी इस्राई-ल अन्नहू मन् क़-त-ल नफ़्सम् बिगैरि नफ्सिन् औ फ़सादिन् फिल्अर्जि फ़-कअन्नमा क-तलन्ना-स जमीअन् व मन् अह़्याहा फ़-कअन्नमा अह़्यन्ना-स जमीअ़न् , व ल-क़द् जाअत्हुम् रूसुलुना बिल्बय्यिनाति सुम्-म इन्-न कसीरम् मिन्हुम् बअ्-द ज़ालि-क फ़िल्अर्जि ल-मुस्रिफून (32)
इसी कारण हमने इसराईल की सन्तान के लिए लिख दिया था कि जिसने किसी व्यक्ति को किसी के ख़ून का बदला लेने या धरती में फ़साद फैलाने के अतिरिक्त किसी और कारण से मार डाला तो मानो उसने सारे ही इनसानों की हत्या कर डाली। और जिसने उसे जीवन प्रदान किया, उसने मानो सारे इनसानों को जीवन दान किया। उनके पास हमारे रसूल स्पष्ट प्रमाण ला चुके हैं, फिर भी उनमें बहुत-से लोग धरती में ज़्यादतियाँ करनेवाले ही हैं।

इन्नमा जज़ा-उल्लज़ी-न युहारिबूनल्ला-ह व रसूलहू व यस्औ-न फ़िल्अर्ज़ि फ़सादन् अंय्युकत्तलू औ युसल्लबू औ तुकत्त-अ ऐदीहिम् व अर्जुलुहुम मिन् खिलाफिन् औ युन्फौ मिनल-अर्जि , ज़ालि-क लहुम खिजयुन फिद्दुन्या व लहुम् फिल्-आख़ि-रति अज़ाबुन अज़ीम (33)
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं और धरती में बिगाड़ पैदा करने के लिए दौड़-धूप करते हैं, उनका बदला तो बस यही है कि बुरी तरह से क़त्ल किए जाएँ या सूली पर चढ़ाए जाएँ या उनके हाथ-पाँव विपरीत दिशाओं में काट डाले जाएँ या उन्हें देश से निष्कासित कर दिया जाए। यह अपमान और तिरस्कार उनके लिए दुनिया में है और आख़िरत में उनके लिए बड़ी यातना है।

इल्लल्लज़ी-न ताबू मिन् कब्लि अन् तक्दिरू अलैहिम् फअ् लमू अन्नल्ला-ह गफूरूर्रहीम (34)*
किन्तु जो लोग, इससे पहले कि तुम्हें उनपर अधिकार प्राप्त हो, पलट आएँ (अर्थात तौबा कर लें) तो ऐसी दशा में तुम्हें मालूम होना चाहिए कि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।

रुकूअ- 6

या अय्युहल्लज़ी-न आमनुत्तकुल्ला-ह वब्तगू इलैहिल वसी-ल-त व जाहिदू फ़ी सबीलिही लअ़ल्लकुम् तुफ्लिहून (35)
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और उसका सामीप्य प्राप्त करो और उसके मार्ग में जी-तोड़ संघर्ष करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।

इन्नल्लज़ी-न क-फरू लौ अन्-न लहुम् मा फिल्अर्ज़ि जमीअंव-व मिस्लहू म-अहू लियफ्तदू बिही मिन् अज़ाबि यौमिल्-क़ियामति मा तुकुब्बि-ल मिन्हुम् व लहुम् अज़ाबुन् अलीम (36)
जिन लोगों ने इनकार किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो सारी धरती में है और उतना ही उसके साथ और भी हो कि वह उसे देकर क़ियामत के दिन की यातना से बच जाएँ; तब भी उनकी ओर से यह सब दी जानेवाली वस्तुएँ स्वीकार न की जाएँगी। उनके लिए दुखद यातना ही है।

युरीदू-न अंय्यख्रूजू मिनन्नारि व मा हुम् बिख़ारिजी-न मिन्हा व लहुम् अज़ाबुम् मुक़ीम (37)
वे चाहेंगे कि आग (जहन्नम) से निकल जाएँ, परन्तु वे उससे न निकल सकेंगे। उनके लिए चिरस्थायी यातना है।

वस्सारिकु वस्सारि-कतु फ़क़्तअू ऐदि-यहुमा जज़ाअम् बिमा क-सबा नकालम् मिनल्लाहि , वल्लाहु अज़ीजुन हकीम (38)
और चोर चाहे स्त्री हो या पुरुष दोनों के हाथ काट दो। यह उनकी कमाई का बदला है और अल्लाह की ओर से शिक्षाप्रद दंड। अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।

फ-मन् ता-ब मिम्-बअ्दि जुल्मिही व अस्ल-ह फ़-इन्नल्ला-ह यतूबु अलैहि , इन्नल्ला-ह गफूरूर्रहीम (39)
फिर जो व्यक्ति अत्याचार करने के बाद पलट आए और अपने को सुधार ले, तो निश्चय ही वह अल्लाह की कृपा का पात्र होगा। निस्संदेह, अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।

अलम् तअ्लम् अन्नल्ला-ह लहू मुल्कुस्समावाति वल्अर्ज़ि , युअ़ज़्ज़िबु मंय्यशा-उ व यग्फिरू लिमंय्यशा-उ , वल्लाहु अला कुल्लि शैइन कदीर (40)
क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह ही आकाशों और धरती के राज्य का अधिकारी है? वह जिसे चाहे यातना दे और जिसे चाहे क्षमा कर दे। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।

या अय्युहर्रसूलु ला यह्जुनकल्लज़ी-न युसारिअू-न फ़िल्कुफ्रि मिनल्लज़ी-न कालू आमन्ना बिअफ़्वाहिहिम् व लम् तुअ्मिन् कुलूबुहुम् व मिनल्लज़ी-न हादू सम्माअू-न लिल्कज़िबि सम्माअू-न लिकौमिन् आख़री-न लम् यअ्तू-क , युहर्रिफूनल्-कलि-म मिम्-बअ्दि मवाजिअिही यकूलू-न इन् ऊतीतुम् हाज़ा फ़खुजूहु व इल्लम् तुअ्तौहू फ़ह़्ज़रू , व मंय्युरिदिल्लाहु फ़ित्न-तहू फ़-लन् तम्लि-क लहू मिनल्लाहि शैअन् , उला-इकल्लज़ी-न लम् युरिदिल्लाहु अंय्युतह़्हि-र कुलूबहुम् , लहुम् फ़िद्दुन्या खिज्युंव-व लहुम् फ़िल्-आखि-रति अज़ाबुन् अज़ीम (41)
ऐ रसूल! जो लोग अधर्म के मार्ग में दौड़ते हैं, उनके कारण तुम दुखी न होना; वे जिन्होंने अपने मुँह से कहा कि “हम ईमान ले आए,” किन्तु उनके दिल ईमान नहीं लाए; और वे जो यहूदी हैं, वे झूठ के लिए कान लगाते हैं और उन दूसरे लोगों की भली-भाँति सुनते हैं, जो तुम्हारे पास नहीं आए, शब्दों को उनका स्थान निश्चित होने के बाद भी उनके स्थान से हटा देते हैं। कहते हैं, “यदि तुम्हें यह (आदेश) मिले, तो इसे स्वीकार करना और यदि न मिले तो बचना।” जिसे अल्लाह ही आपदा में डालना चाहे उसके लिए अल्लाह के यहाँ तुम्हारी कुछ भी नहीं चल सकती। ये वही लोग हैं जिनके दिलों को अल्लाह ने स्वच्छ करना नहीं चाहा। उनके लिए संसार में भी अपमान और तिरस्कार है और आख़िरत में भी बड़ी यातना है।

सम्माअू-न लिल्कज़िबि अक्कालू-न लिस्सुहित , फ़-इन् जाऊ-क फ़ह़्कुम् बैनहुम् औ अअ्रिजू अन्हुम् व इन् तुअ्रिजू अन्हुम् फ़-लंय्यजुर्रू-क शैअन् , व इन् हकम्-त फ़ह़्कुम् बैनहुम् बिल्किस्ति , इन्नल्ला-ह युहिब्बुल मुक़्सितीन (42)
वे झूठ के लिए कान लगाते रहनेवाले और बड़े हराम खानेवाले हैं। अतः यदि वे तुम्हारे पास आएँ, तो या तुम उनके बीच फ़ैसला कर दो या उन्हें टाल जाओ। यदि तुम उन्हें टाल गए तो वे तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। परन्तु यदि फ़ैसला करो तो उनके बीच इनसाफ़ के साथ फ़ैसला करो। निश्चय ही अल्लाह इनसाफ़ करनेवालों से प्रेम करता है।

व कै-फ़ युहक्किमून-क व अिन्दहुमुत्तौरातु फ़ीहा हुक्मुल्लाहि सुम्-म य-तवल्लौ-न मिम्-बअ्दि ज़ालि-क , व मा उलाइ-क बिल्-मुअ्मिनीन (43)*
वे तुमसे फ़ैसला कराएँगे भी कैसे, जबकि उनके पास तौरात है, जिसमें अल्लाह का हुक्म मौजूद है! फिर इसके पश्चात भी वे मुँह मोड़ते हैं। वे तो ईमान ही नहीं रखते।

Surah Al Maidah In Hindi रुकूअ- 7

इन्ना अन्ज़ल्नत्तौरा-त फ़ीहा हुदंव-व नूरून् यह़्कुमु बिहन्नबिय्यूनल्लज़ी-न अस्लमू लिल्लज़ी-न हादू वर्रब्बानिय्यू-न वल्-अह़्बारू बिमस्तुह़्फ़िजू मिन् किताबिल्लाहि व कानू अलैहि शु-हदा-अ फ़ला तख़्शवुन्ना-स वख्शौनि व ला तश्तरू बिआयाती स-मनन् कलीलन् , व मल्लम् यह्कुम् बिमा अन्जलल्लाहु फ़-उलाइ-क हुमुल्काफिरून (44)
निस्संदेह हमने तौरात उतारी, जिसमें मार्गदर्शन और प्रकाश था। नबी जो आज्ञाकारी थे, उसको यहूदियों के लिए अनिवार्य ठहराते थे कि वे उसका पालन करें और इसी प्रकार अल्लाहवाले और शास्त्रवेत्ता भी। क्योंकि उन्हें अल्लाह की किताब की सुरक्षा का आदेश दिया गया था और वे उसके संरक्षक थे। तो तुम लोगों से न डरो, बल्कि मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले थोड़ा मूल्य प्राप्त करने का मामला न करना। जो लोग उस विधान के अनुसार फ़ैसला न करें, जिसे अल्लाह ने उतारा है, तो ऐसे ही लोग विधर्मी हैं।

व कतब्ना अलैहिम् फ़ीहा अन्नन्नफू-स बिन्नफ्सि वल्अै-न बिल् अैनि वल्अन्-फ़ बिल्अन्फ़ि वल्अुजु-न बिल-उजुनि वस्सिन्-न बिस्सिन्नि वल्-जुरू-ह किसासुन , फ़-मन् तसद्द-क़ बिही फ़हु-व कफ्फारतुल्लहू , व मल्लम् यह्कुम् बिमा अन्ज़ लल्लाहु फ़-उलाइ-क हुमुज़्ज़ालिमून (45)
और हमने उस (तौरात) में उनके लिए लिख दिया था कि जान जान के बराबर है, आँख आँख के बराबर है, नाक नाक के बराबर है, कान कान के बराबर, दाँत दाँत के बराबर और सब आघातों के लिए इसी तरह बराबर का बदला है। तो जो कोई उसे क्षमा कर दे तो यह उसके लिए प्रायश्चित होगा और जो लोग उस विधान के अनुसार फ़ैसला न करें, जिसे अल्लाह ने उतारा है तो ऐसे ही लोग अत्याचारी हैं।

व कफ्फैना अला आसारिहिम् बिअीसब्नि मर य-म मुसद्दिकल्लिमा बै-न यदैहि मिनत्तौराति व आतैनाहुल इन्जी-ल फ़ीहि हुदंव्-व नूरूंव्-व मुसद्दिकल-लिमा बै-न यदैहि मिनत्तौराति व हुदंव-व मौअि-ज़तल् लिल्मुत्तक़ीन (46)
और उनके पीछे उन्हीं के पद-चिन्हों पर हमने मरयम के बेटे ईसा को भेजा जो पहले से उसके सामने मौजूद किताब ‘तौरात’ की पुष्टि करनेवाला था। और हमने उसे इनजील प्रदान की, जिसमें मार्गदर्शन और प्रकाश था। और वह अपनी पूर्ववर्ती किताब तौरात की पुष्टि करनेवाली थी, और वह डर रखनेवालों के लिए मार्गदर्शन और नसीहत थी। (

वल्यह्कुम् अह्लुल्-इन्जीलि बिमा अन्जलल्लाहु फ़ीहि व मल्लम् यह्कुम् बिमा अन्ज़लल्लाहु फ़-उलाइ-क हुमुल फ़ासिकून (47)
अतः इनजील वालों को चाहिए कि उस विधान के अनुसार फ़ैसला करें, जो अल्लाह ने उस इनजील में उतारा है। और जो उसके अनुसार फ़ैसला न करें, जो अल्लाह ने उतारा है, तो ऐसे ही लोग उल्लंघनकारी हैं।

व अन्ज़ल्ना इलैकल्-किता-ब बिल्हक़्क़ि मुसद्दिकल्लिमा बै-न यदैहि मिनल्-किताबि व मुहैमिनन् अलैहि फ़ह़्कुम् बैनहुम् बिमा अन्जलल्लाहु व ला तत्तबिअ् अह़्वा-अहुम् अम्मा जाअ-क मिनल्-हक्कि , लिकुल्लिन् जअ़ल्ना मिन्कुम् शिर्-अतंव-व मिन्हाजन् , व लौ शाअल्लाहु ल-ज-अ .-लकुम . उम्मतंव्-वाहि-दतंव्-व लाकिल्लियब्लु-वकुम् फी मा आताकुम् फ़स्तबिकुल-खैराति , इलल्लाहि मर्जिअुकुम् जमीअ़न् फ़युनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् फ़ीहि तख़्तलिफून (48)
और हमने तुम्हारी ओर यह किताब हक़ के साथ उतारी है, जो उस किताब की पुष्टि करती है जो उसके पहले से मौजूद है और उसकी संरक्षक है। अतः लोगों के बीच तुम मामलों में वही फ़ैसला करना जो अल्लाह ने उतारा है और जो सत्य तुम्हारे पास आ चुका है उसे छोड़कर उनकी इच्छाओं का पालन न करना। हमने तुममें से प्रत्येक के लिए एक ही घाट (शरीअत) और एक ही मार्ग निश्चित किया है। यदि अल्लाह चाहता तो तुम सबको एक समुदाय बना देता। परन्तु जो कुछ उसने तुम्हें दिया है, उसमें वह तुम्हारी परीक्षा करनी चाहता है। अतः भलाई के कामों में एक-दूसरे से आगे बढ़ो। तुम सबको अल्लाह ही की ओर लौटना है। फिर वह तुम्हें बता देगा, जिसमें तुम विभेद करते रहे हो।

व अनिह़्कुम् बैनहुम् बिमा अन्जलल्लाहु व ला तत्तबिअ् अह़्वा-अहुम् वह़्ज़रहुम् अंय्यफ्तिनू-क अम्बअ्जि मा अन्जलल्लाहु इलै-क , फ़-इन् तवल्लौ फ़अ लम् अन्नमा युरीदुल्लाहु अंय्युसीबहुम् बि-बअ्ज़ि जु़नूबिहिम् , व इन्-न कसीरम् मिनन्नासि लफ़ासिकून (49)
और यह कि तुम उनके बीच वही फ़ैसला करो जो अल्लाह ने उतारा है और उनकी इच्छाओं का पालन न करो और उनसे बचते रहो कि कहीं ऐसा न हो कि वे तुम्हें फ़रेब में डालकर जो कुछ अल्लाह ने तुम्हारी ओर उतारा है उसके किसी भाग से वे तुम्हें हटा दें। फिर यदि वे मुँह मोड़ें तो जान लो कि अल्लाह ही उनके गुनाहों के कारण उन्हें संकट में डालना चाहता है। निश्चय ही अधिकांश लोग उल्लंघनकारी हैं।

अ-फ़हुक्मल जाहिलिय्यति यब्गू-न , व मन् अह्सनु मिनल्लाहि हुक्मल लिकौमिंय्यूकिनून (50)*
अब क्या वे अज्ञान का फ़ैसला चाहते हैं? तो विश्वास करनेवाले लोगों के लिए अल्लाह से अच्छा फ़ैसला करनेवाला कौन हो सकता है?

Surah Al Maidah In Hindi रुकूअ- 8

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तत्तखिजुल् यहू-द वन्नसारा औलिया-अ • बअ्जुहुम् औलिया-उ बअ्ज़िन् , व मंय्य-तवल्लहुम् मिन्कुम् फ-इन्नहू मिन्हुम् , इन्नल्ला-ह ला यह़्दिल् कौमज-ज़ालिमीन (51)
“ऐ ईमान लानेवालो! तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र (राज़दार) न बनाओ। वे (तुम्हारे विरुद्ध) परस्पर एक-दूसरे के मित्र हैं। तुममें से जो कोई उनको अपना मित्र बनाएगा, वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखाता।

फ़-तरल्लज़ी-न फी कुलूबिहिम् मरजुंय्युसारिअू-न फ़ीहिम् यकूलू-न नख्शा अन् तुसीबना दा-इ-रतुन् , फ़-असल्लाहु अंय्यअ्ति-य बिल्फ़त्हि औ अम्रिम् मिन् अिन्दिही फ़युस्बिहू अला मा असर्रू फ़ी अन्फुसिहिम् नादिमीन (52)
तो तुम देखते हो कि जिन लोगों के दिलों में रोग है, वे उनके यहाँ जाकर उनके बीच दौड़-धूप कर रहे हैं। वे कहते हैं, “हमें भय है कि कहीं हम किसी संकट में न ग्रस्त हो जाएँ।” तो सम्भव है कि जल्द ही अल्लाह (तुम्हे) विजय प्रदान करे या उसकी ओर से कोई और बात प्रकट हो। फिर तो ये लोग जो कुछ अपने जी में छिपाए हुए हैं, उसपर लज्जित होंगे।

व यकू लुल्लज़ी-न आमनू अ-हाउलाइल्लज़ी-न अक्समू बिल्लाहि जह्-द ऐमानिहिम् इन्नहुम् ल-म-अकुम् , हबितत् अअ्मालुहुम् फ़अस्बहू ख़ासिरीन • (53)
उस समय ईमानवाले कहेंगे, “क्या ये वही लोग हैं जो अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाकर विश्वास दिलाते थे कि हम तुम्हारे साथ हैं?” इनका किया-धरा सब अकारथ गया और ये घाटे में पड़कर रहे।

या अय्यु हल्लज़ी-न आमनू मंय्यर्तद्-द मिन्कुम् अन् दीनिही फ़सौ-फ़ यअ्तिल्लाहु बिक़ौमिंय्-युहिब्बुहुम् व युहिब्बूनहू अज़िल्लतिन् अलल्-मुअ्मिनी-न अअिज्जतिन् अलल्काफ़िरी-न युजाहिदू-न फ़ी सबीलिल्लाहि व ला यख़ाफून लौ-म-त ला-इमिन् , ज़ालि-क फज्लुल्लाहि युअ्तीहि मंय्यशा-उ , वल्लाहु वासिअुन् अलीम (54)
ऐ ईमान लानेवालो! तुममें से जो कोई अपने धर्म से फिरेगा तो अल्लाह जल्द ही ऐसे लोगों को लाएगा जिनसे उसे प्रेम होगा और जो उससे प्रेम करेंगे। वे ईमानवालों के प्रति नरम और अविश्वासियों के प्रति कठोर होंगे। अल्लाह की राह में जी-तोड़ कोशिश करेंगे और किसी भर्त्सना करनेवाले की भर्त्सना से न डरेंगे। यह अल्लाह का उदार अनुग्रह है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़ी समाईवाला, सर्वज्ञ है।

इन्नमा वलिय्युकुमुल्लाहु व रसूलुहू वल्लज़ी-न आमनुल्लज़ी-न युक़ीमूनस्सला-त व युअ्तूनज्जका-त व हुम् राकिअून (55)
तुम्हारे मित्र तो केवल अल्लाह और उसका रसूल और वे ईमानवाले हैं जो विनम्रता के साथ नमाज़ क़ायम करते और ज़कात देते हैं।

व मंय्य-तवल्लल्ला-ह ब रसूलहू वल्लज़ी-न आमनू फ़-इन्-न हिज्बल्लाहि हुमुल्-ग़ालिबून (56)*
अब जो कोई अल्लाह और उसके रसूल और ईमानवालों को अपना मित्र बनाए, तो निश्चय ही अल्लाह का गिरोह प्रभावी होकर रहेगा।

रुकूअ- 9

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तत्तखिजुल्लज़ीनत्त-खजू दीनकुम् हुजुवंव्-व लअिबम् मिनल्लज़ी-न ऊतुल्-किता-ब मिन् कब्लिकुम् वल्कुफ्फ़ा-र औलिया-अ वत्तकुल्ला-ह इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन (57)
ऐ ईमान लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। और अल्लाह का डर रखो यदि तुम ईमानवाले हो।

व इज़ा नादैतुम् इलस्सलातित्-त-ख़जूहा हुजुवंव-व लअ़िबन् , ज़ालि-क बि-अन्नहुम् कौमुल्ला यअ्किलून (58)
जब तुम नमाज़ के लिए पुकारते हो तो वे उसे हँसी और खेल बना लेते हैं। इसका कारण यह है कि वे बुद्धिहीन लोग हैं।

कुल या अह़्लल्-किताबि हल् तन्किमू-न मिन्ना इल्ला अन् आमन्ना बिल्लाहि व मा उन्ज़ि-ल इलैना व मा उन्जि-ल मिन् क़ब्लु व अन्-न अक्स-रकुम् फ़ासिकून (59)
कहो, “ऐ किताबवालो! क्या इसके सिवा हमारी कोई और बात तुम्हें बुरी लगती है कि हम अल्लाह और उस चीज़ पर ईमान लाए, जो हमारी ओर उतारी गई, और जो पहले उतारी जा चुकी है? और यह कि तुममें से अधिकांश लोग अवज्ञाकारी हैं।”

कुल हल् उनब्बिउकुम् बि-शर्रिम् मिन ज़ालि-क मसू-बतन् अिन्दल्लाहि , मल्ल-अ नहुल्लाहु व ग़ज़ि-ब अ़लैहि व ज-अ-ल मिन्हुमुल कि-र-द-त वल्खनाज़ी-र व अ-ब-दत्तागू-त उलाइ-क शर्रूम् मकानंव्-व अज़ल्लु अन् सवा-इस्सबील (60)
कहो, “क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि अल्लाह के यहाँ परिणाम की दृष्टि से इससे भी बुरी नीति क्या है? कौन गिरोह है जिसपर अल्लाह की फिटकार पड़ी और जिसपर अल्लाह का प्रकोप हुआ और जिसमें से उसने बन्दर और सूअर बनाए और जिसने बढ़े हुए फ़सादी (ताग़ूत) की बन्दगी की, वे लोग (तुमसे भी) निकृष्ट दर्जे के थे। और वे (तुमसे भी अधिक) सीधे मार्ग से भटके हुए थे।”

व इज़ा जाऊकुम् कालू आमन्ना व कद् द-खलू बिल्कुफ्रि व हुम् कद् ख़-रजू बिही , वल्लाहु अअ्लमु बिमा कानू यक्तुमून (61)
जब वे (यहूदी) तुम लोगों के पास आते हैं तो कहते हैं, “हम ईमान ले आए।” हालाँकि वे इनकार के साथ आए थे और उसी के साथ चले गए। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ वे छिपाते हैं।

व तरा कसीरम् मिन्हुम् युसारिअू-न फिल् इस्मि वल अुदवानि व अक्लिहिमुस्सुह-त , लबिअ्-स मा कानू यअ्मलून (62)
तुम देखते हो कि उनमें से बहुतेरे लोग हक़ मारने, ज़्यादती करने और हरामख़ोरी में बड़ी तेज़ी दिखाते हैं। निश्चय ही बहुत ही बुरा है, जो वे कर रहे हैं।

लौ ला यन्हाहुमुर्रब्बानिय्यू-न वल्-अह्बारू अन् कौलिहिमुल-इस्-म व अक्लिहिमुस्सुह्-त , लबिअ्-स मा कानू यस्नअून (63)
उनके सन्त और धर्मज्ञाता उन्हें गुनाह की बात बकने और हराम खाने से क्यों नहीं रोकते? निश्चय ही बहुत बुरा है जो काम वे कर रहे हैं।

व कालतिल-यहूदु यदुल्लाहि मग्लूलतुन् , गुल्लत् ऐदीहिम् व लुअिनू बिमा कालू • बल् यदाहु मब्सूततानि युन्फ़िकु कै-फ़ यशा-उ , व ल-यज़ीद्न्-न कसीरम् मिन्हुम् मा उन्ज़ि-ल इलै-क मिर्रब्बि-क तुग्यानंव-व कुफ्रन् , व अल्कै ना बैनहुमुल्-अदाव-त वल्ब़ग्ज़ा-अ इला यौमिल् कियामति , कुल्लमा औक़दू नारल्-लिल्-हरबि अत्-फ़-अहल्लाहु व यस्औ-न फिल्अर्ज़ि फ़सादन् , वल्लाहु ला युहिब्बुल् मुफ्सिदीन (64)
और यहूदी कहते हैं, “अल्लाह का हाथ बँध गया है।” उन्हीं के हाथ-बँधे हैं, और फिटकार है उनपर, उस बकबास के कारण जो वे करते हैं, बल्कि उसके दोनो हाथ तो खुले हुए हैं। वह जिस तरह चाहता है, ख़र्च करता है। जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर उतारा गया है, उससे अवश्य ही उनके अधिकतर लोगों की सरकशी और इनकार ही में अभिवृद्धि होगी। और हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष डाल दिया है। वे जब भी युद्ध की आग भड़काते हैं, अल्लाह उसे बुझा देता है। वे धरती में बिगाड़ फैलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, हालाँकि अल्लाह बिगाड़ फैलानेवालों को पसन्द नहीं करता।

व लौ अन्-न अह़्लल-किताबि आमनू वत्तकौ ल-कफ्फर-ना अन्हुम् सय्यिआतिहिम् व ल-अद्ख़ल्नाहुम् जन्नातिन् नअीम (65)
और यदि किताबवाले ईमान लाते और (अल्लाह का) डर रखते तो हम उनकी बुराइयाँ उनसे दूर कर देते और उन्हें नेमत भरी जन्नतों में दाख़िल कर देते।

व लौ अन्नहुम् अक़ामुत्तौरा-त वल् इन्जी-ल व मा उन्ज़ि-ल इलैहिम् मिर्रब्बिहिम् ल-अ-कलू मिन् फौकिहिम् व मिन् तह़्ति अर्जुलिहिम् , मिन्हुम् उम्मतुम् मुक़्तसि-दतुन् , व कसीरूम् मिन्हुम् सा-अ मा यअ्मलून (66)*
और यदि वे तौरात और इनजील को और जो कुछ उनके रब की ओर से उनकी ओर उतारा गया है, उसे क़ायम रखते, तो उन्हें अपने ऊपर से भी खाने को मिलता और अपने पाँव के नीचे से भी। उनमें से एक गिरोह सीधे मार्ग पर चलनेवाला भी है, किन्तु उनमें से अधिकतर ऐसे हैं कि जो भी करते हैं बुरा होता है।

रुकूअ- 10

या अय्युहर्रसूलु बल्लिग् मा उन्ज़ि-ल इलै-क मिर्रब्बि-क व इल्लम् तफ्अल् फ़मा बल्लग्-त रिसाल-तहू , वल्लाहु यअ्सिमु-क मिनन्नासि , इन्नल्ला-ह ला यह़्दिल क़ौमल-काफ़िरीन (67)
ऐ रसूल! तुम्हारे रब की ओर से तुम पर जो कुछ उतारा गया है, उसे पहुँचा दो। यदि ऐसा न किया तो तुमने उसका सन्देश नहीं पहुँचाया। अल्लाह तुम्हें लोगों (की बुराइयों) से बचाएगा। निश्चय ही अल्लाह इनकार करनेवाले लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।

कुल या अह़्लल-किताबि लस्तुम् अला शैइन् हत्ता तुकीमुत्तौरा-त वल्-इन्जी-ल व मा उन्ज़ि-ल इलैकुम मिर्रब्बिकुम् , व ल-यज़ीदन्-न कसीरम्-मिन्हुम् मा उन्ज़ि-ल इलै-क ‘ मिर्रब्बि-क तुग्यानंव्-व कुफ्रन् फला तअ्- स अलल कौमिल-काफिरीन (68)
कह दो, “ऐ किताबवालो! तुम किसी भी चीज़ पर नहीं हो, जब तक कि तौरात और इनजील को और जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, उसे क़ायम न रखो।” किन्तु (ऐ नबी!) तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर जो कुछ अवतरित हुआ है, वह अवश्य ही उनमें से बहुतों की सरकशी और इनकार में अभिवृद्धि करनेवाला है। अतः तुम इनकार करनेवाले लोगों की दशा पर दुखी न होना।

इन्नल्लज़ी-न आमनू वल्लज़ी-न हादू वस्साबिऊ-न वन्नसारा मन् आम-न बिल्लाहि वल्यौमिल-आख़िरि व अमि-ल सालिहन फ़ला ख़ौफुन अलैहिम् व ला हुम् यह़्ज़नून (69)
निस्संदेह वे लोग जो ईमान लाए हैं और जो यहूदी हुए हैं और साबई और ईसाई, उनमें से जो कोई भी अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाए और अच्छा कर्म करे तो ऐसे लोगों को न तो कोई डर होगा और न वे शोकाकुल होंगे।

ल-क़द् अख़ज्ना मीसा-क़ बनी इस्राई-ल व अरसल्ना इलैहिम् रूसुलन् , कुल्लमा जाअहुम् रसूलुम् बिमा ला तह़्वा अन्फुसुहम् फ़रीकन् कज़्ज़बू व फरीकंय्यक्तुलून (70)
हमने इसराईल की सन्तान से दृढ़ वचन लिया और उनकी ओर रसूल भेजे। उनके पास जब भी कोई रसूल वह कुछ लेकर आया जो उन्हें पसन्द न था, तो कितनों को तो उन्होंने झुठलाया और कितनों की हत्या करने लगे।

व हसिबू अल्ला तकू-न फ़ित्नतुन् फ़-अमू व सम्मू सुम्-म ताबल्लाहु अलैहिम् सुम्-म अमू व सम्मू कसीरूम्-मिन्हुम् वल्लाहु बसीरूम् बिमा यअ्मलून (71)
और उन्होंने समझा कि कोई आपदा न आएगी; इसलिए वे अंधे और बहरे बन गए। फिर अल्लाह ने उनपर दयादृष्टि की, फिर भी उनमें से बहुत-से अंधे और बहरे हो गए। अल्लाह देख रहा है, जो कुछ वे करते हैं।

ल-कद् क-फरल्लज़ी-न कालू इन्नल्ला-ह हुवल्-मसीहुब्नु मर-य-म , व कालल्मसीहु या बनी इस्राईलअ्बुदुल्ला-ह रब्बी व रब्बकुम , इन्नहू मंय्युश्रिक् बिल्लाहि फ़-कद् हर्रमल्लाहु अलैहिल-जन्न-त व मअ्वाहुन्नारू , व मा लिज्जालिमी-न मिन् अन्सार (72)
निश्चय ही उन्होंने (सत्य का) इनकार किया, जिन्होंने कहा, “अल्लाह मरयम का बेटा मसीह ही है।” जब मसीह ने कहा था, “ऐ इसराईल की सन्तान! अल्लाह की बन्दगी करो, जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है। जो कोई अल्लाह का साझी ठहराएगा, उसपर तो अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी है और उसका ठिकाना आग है। अत्याचारियों का कोई सहायक नहीं।”

ल-क़द क-फरल्लज़ी-न कालू इन्नल्ला-ह सालिसु सलासतिन् • व मा मिन् इलाहिन् इल्ला इलाहुंव्वाहिदुन् , व इल्लम् यन्तहू अम्मा यकूलू-न ल-यमस्सन्नल्लज़ी-न क-फरू मिन्हुम् अज़ाबुन अलीम (73)
निश्चय ही उन्होंने इनकार किया, जिन्होंने कहा, “अल्लाह तीन में का एक है।” हालाँकि अकेले पूज्य के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं। जो कुछ वे कहते हैं यदि इससे बाज़ न आएँ तो उनमें से जिन्होंने इनकार किया है, उन्हें दुखद यातना पहुँचकर रहेगी।

अ-फ़ला यतूबू-न इलल्लाहि व यस्तग्फिरूनहू , वल्लाहु गफूरूर्रहीम (74)
फिर क्या वे लोग अल्लाह की ओर नहीं पलटेंगे और उससे क्षमा याचना नहीं करेंगे, जबकि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।

मल्मसीहुब्नु मर-य-म इल्ला रसूलुन् कद् ख़-लत् मिन् कब्लिहिर्रूसुलु , व उम्मुहू सिद्दीकतुन् , काना यअ्कुलानित्तआ-म उन्जुर् कै-फ नुबय्यिनु लहुमुल्-आयाति सुम्मन्जुर् अन्ना युअ्फ़कून (75)
मरयम का बेटा मसीह एक रसूल के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। उससे पहले भी बहुत-से रसूल गुज़र चुके हैं। उसकी माँ अत्यन्त सत्यवती थी। दोनों ही भोजन करते थे। देखो, हम किस प्रकार उनके सामने निशानियाँ स्पष्ट करते हैं; फिर देखो, ये किस प्रकार उलटे फिरे जा रहे हैं!

कुल अ-तअ्बुदू-न मिन् दूनिल्लाहि मा ला यम्लिकु लकुम् ज़र्रव-व ला नफ्अन् , वल्लाहु हुवस्समीअुल अलीम (76)
कह दो, “क्या तुम अल्लाह से हटकर उसकी बन्दगी करते हो जो न तुम्हारी हानि का अधिकारी है, न लाभ का? हालाँकि सुननेवाला, जाननेवाला अल्लाह ही है।”

कुल या अह़्लल्-किताबि ला तग्लू फ़ी दीनिकुम् गैरल्-हक्कि व ला तत्तबिअू अह़्वा-अ कौमिन् कद् जल्लू मिन् क़ब्लु व अज़ल्लू कसीरंव-व ज़ल्लू अन् सवा-इस्सबील (77)*
कह दो, “ऐ किताबवालो! अपने धर्म में नाहक़ हद से आगे न बढ़ो और उन लोगों की इच्छाओं का पालन न करो, जो इससे पहले स्वयं पथभ्रष्ट हुए और बहुतों को पथभ्रष्ट किया और सीधे मार्ग से भटक गए।

Surah Al Maidah In Hindi रुकूअ- 11

लुअिनल्लज़ी-न क-फरू मिम्-बनी इस्राई-ल अला लिसानि दावू-द व अीसब्नि मर्-य-म , ज़ालि-क बिमा असौ-व कानू यअ्तदून (78)
इसराईल की सन्तान में से जिन लोगों ने इनकार किया, उनपर दाऊद और मरयम के बेटे ईसा की ज़बान से फिटकार पड़ी, क्योंकि उन्होंने अवज्ञा की और वे हद से आगे बढ़े जा रहे थे।

कानू ला य-तनाहौ-न अम् मुन्करिन् फ़-अ़लूहु , लबिअ्-स मा कानू यफ्अलून (79)
जो बुरा काम वे करते थे, उससे वे एक-दूसरे को रोकते न थे। निश्चय ही बहुत ही बुरा था, जो वे कर रहे थे।

तरा कसीरम्-मिन्हुम् य-तवल्लौनल्लज़ी-न क-फरू , लबिअ्-स मा कद्द-मत् लहुम् अन्फुसुहुम् अन् सख़ितल्लाहु अलैहिम् व फिल-अज़ाबि हुम् ख़ालिदून (80)
तुम उनमें से बहुतेरे लोगों को देखते हो जो इनकार करनेवालों से मित्रता रखते हैं। निश्चय ही बहुत बुरा है, जो उन्होंने अपने आगे रखा है। अल्लाह का उनपर प्रकोप हुआ और यातना में वे सदैव ग्रस्त रहेंगे।

व लौ कानू युअ्मिनू-न बिल्लाहि वन्नबिय्यि व मा उन्ज़ि-ल इलैहि मत्त-खजू हुम् औलिया-अ व लाकिन्-न कसीरम्-मिन्हुम् फ़ासिकून (81)
और यदि वे अल्लाह और नबी पर और उस चीज़ पर ईमान लाते, जो उसकी ओर अवतरित हुई तो वे उनको मित्र न बनाते। किन्तु उनमें अधिकतर अवज्ञाकारी हैं।

ल-तजिदन्-न अशद्दन्नासि अदा-व तल-लिल्लज़ी-न आमनुल्-यहू-द वल्लज़ी-न अश्रकू व ल-तजिदन्-न अक़्र-बहुम् मवद्दतल-लिल्लज़ी-न आमनुल्लज़ी-न का़लू इन्ना नसारा , ज़ालि-क बिअन्-न मिन्हुम किस्सीसी-न व रूह़्बानंव-व अन्नहुम् ला यस्तक्बिरून (82)
तुम ईमानवालों का शत्रु सब लोगों से बढ़कर यहूदियों और बहुदेववादियों को पाओगे। और ईमान लानेवालों के लिए मित्रता में सबसे निकट उन लोगों को पाओगे, जिन्होंने कहा कि ‘हम नसारा हैं।’ यह इस कारण है कि उनमें बहुत-से धर्मज्ञाता और संसार-त्यागी सन्त पाए जाते हैं। और इस कारण कि वे अहंकार नहीं करते।

व इज़ा समिअू मा उन्ज़ि-ल इलर्रसूलि तरा अअ्यु-नहुम् तफ़ीजु मिनद्दम्अि मिम्मा अ-रफू मिनल्-हक्क़ि यकूलू-न रब्बना आमन्ना फ़क़्तुब्ना मअश्शाहिदीन (83)
जब वे उसे सुनते हैं जो रसूल पर अवतरित हुआ तो तुम देखते हो कि उनकी आँखे आँसुओं से छलकने लगती हैं। इसका कारण यह है कि उन्होंने सत्य को पहचान लिया। वे कहते हैं, “हमारे रब! हम ईमान ले आए। अतएव तू हमारा नाम गवाही देनेवालों में लिख ले।

व मा लना ला नुअ्मिनु बिल्लाहि व मा जा-अना मिनल-हक्कि व नत्मअु अंय्युद्खि-लना रब्बुना मअल्-कौमिस्सालिहीन (84)
और हम अल्लाह पर और जो सत्य हमारे पास पहुँचा है उसपर ईमान क्यों न लाएँ, जबकि हमें आशा है कि हमारा रब हमें अच्छे लोगों के साथ (जन्नत में) प्रविष्ट करेगा।”

फ़-असाबहुमुल्लाहु बिमा कालू जन्नातिन् तज्री मिन् तह़्तिहल्-अन्हारू ख़ालिदी-न फ़ीहा , व ज़ालि-क जज़ाउल मुह़्सिनीन (85)
फिर अल्लाह ने उनके इस कथन के कारण उन्हें ऐसे बाग़ प्रदान किए, जिनके नीचे नहरें बहती हैं, जिनमें वे सदैव रहेंगे। और यही सत्कर्मी लोगों का बदला है।

वल्लज़ी-न क-फरू व कज़्ज़बू बिआयातिना उलाइ-क अस्हाबुल जहीम (86)*
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वे भड़कती आग (में पड़ने) वाले हैं।

Surah Al Maidah In Hindi रुकूअ- 12

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तुहर्रिमू तय्यिबाति मा अ-हल्लल्लाहु लकुम् व ला तअ्तदू , इन्नल्ला-ह ला युहिब्बुल् मुअ्तदीन (87)
ऐ ईमान लानेवालो! जो अच्छी पाक चीज़ें अल्लाह ने तुम्हारे लिए हलाल की हैं, उन्हें हराम न कर लो और हद से आगे न बढ़ो। निश्चय ही अल्लाह को वे लोग प्रिय नहीं हैं, जो हद से आगे बढ़ते हैं।

व कुलू मिम्मा र-ज़-क कुमुल्लाहु हलालन् तय्यिबंव-वत्तकुल्लाहल्लज़ी अन्तुम् बिही मुअ्मिनून (88)
जो कुछ अल्लाह ने हलाल और पाक रोज़ी तुम्हें दी है, उसे खाओ और अल्लाह का डर रखो, जिसपर तुम ईमान लाए हो।

ला युआखिजुकुमुल्लाहु बिल्लग्वि फ़ी ऐमानिकुम् व लाकिंय्युआख़िजुकुम बिमा अक्कत्तुमुल्-ऐमा-न फ़-कफ्फारतुहू इत्आमु अ-श-रति मसाकी-न मिन् औ-सति मा तुत्अ़िमू-न अह़्लीकुम् औ किस्वतुहुम् औ तह़रीरू र-क-बतिन् , फ़-मल्लम् यजिद् फ़सियामु सलासति अय्यामिन् , ज़ालि-क कफ्फारतु ऐमानिकुम् इज़ा हलफ्तुम् वह्फ़जू ऐमानकुम् , कज़ालि-क युबय्यिनुल्लाहु लकुम् आयातिही लअल्लकुम् तश्कुरून (89)
तुम्हारी उन क़समों पर अल्लाह तुम्हें नहीं पकड़ता जो यूँ ही असावधानी से ज़बान से निकल जाती हैं। परन्तु जो तुमने पक्की क़समें खाई हों, उनपर वह तुम्हें पकड़ेगा। तो इसका प्रायश्चित दस मुहताजों को औसत दर्जे का वह खाना खिला देना है, जो तुम अपने बाल-बच्चों को खिलाते हो या फिर उन्हें कपड़े पहनाना या एक ग़ुलाम आज़ाद करना होगा। और जिसे इसकी सामर्थ्य न हो, तो उसे तीन दिन के रोज़े रखने होंगे। यह तुम्हारी क़समों का प्रायश्चित है, जबकि तुम क़सम खा बैठो। तुम अपनी क़समों की हिफ़ाज़त किया करो। इस प्रकार अल्लाह अपनी आयतें तुम्हारे सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ।

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू इन्नमल-ख़म्रू वल्मैसिरू वल्अन्साबु वल अज्लामु रिज्सुम्-मिन् अ-मलिश्शैतानि फज्तनिबूहु लअल्लकुम् तुफ्लिहून (90)
ऐ ईमान लानेवालो! ये शराब और जुआ और देवस्थान और पाँसे तो गन्दे शैतानी काम हैं। अतः तुम इनसे अलग रहो, ताकि तुम सफल हो।

इन्नमा युरीदुश्शैतानु अंय्यूकि-अ बैनकुमुल अदा-व-त वल-बगज़ा-अ फ़िल्खम्रि वल्मैसिरि व यसुद्दकुम् अन् जिक्रिल्लाहि व अनि स्सलाति फ़-हल् अन्तुम् मुन्तहून (91)
शैतान तो बस यही चाहता है कि शराब और जुए के द्वारा तुम्हारे बीच शत्रुता और द्वेष पैदा कर दे और तुम्हें अल्लाह की याद से और नमाज़ से रोक दे, तो क्या तुम बाज़ न आओगे?

व अतीअुल्ला-ह व अतीअुर्रसू-ल वह्ज़रू फ़-इन् तवल्लैतुम् फअ्लमू अन्नमा अला रसूलिनल् बलागुल् मुबीन (92)
अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल की आज्ञा का पालन करो और बचते रहो, किन्तु यदि तुमने मुँह मोड़ा तो जान लो कि हमारे रसूल पर केवल स्पष्ट रूप से (संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है।

लै-स अलल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति जुनाहुन् फ़ीमा तअि़मू इज़ा मत्तकौ व आमनू व अमिलुस्-सालिहाति सुम्मत्तकौ व आमनू सुम्मत्तकौ व अह्सनू , वल्लाहु युहिब्बुल मुहिसनीन (93)*
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वे पहले जो कुछ खा-पी चुके उसके लिए उनपर कोई गुनाह नहीं; जबकि वे डर रखें और ईमान पर क़ायम रहें और अच्छे कर्म करें। फिर डर रखें और ईमान लाएँ, फिर डर रखें और अच्छे से अच्छा कर्म करें। अल्लाह सत्कर्मियों से प्रेम करता है।

रुकूअ- 13

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ल-यब्लुवन्न-कुमुल्लाहु बिशैइम् मिनस्सैदि तनालुहू ऐदीकुम् व रिमाहुकुम् लि-यअ्-लमल्लाहु मंय्यख़ाफुहू बिल्गैबि फ़-मनिअ्तदा बअ्-द ज़ालि-क फ़-लहू अज़ाबुन् अलीम (94)
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह उस शिकार के द्वारा तुम्हारी अवश्य परीक्षा लेगा जिस तक तुम्हारे हाथ और नेज़े पहुँच सकें, ताकि अल्लाह यह जान ले कि उससे बिन देखे कौन डरता है। फिर इसके पश्चात जिसने ज़्यादती की, उसके लिए दुखद यातना है।

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तक्तुलुस्सै-द व अन्तुम् हुरूमुन् , व मन् क-त-लहू मिन्कुम् मु-तअ़म्मिदन फ-जज़ाउम्-मिस्लु मा क-त-ल मिनन्न-अ़मि यह़्कुमु बिही ज़वा अद् लिम्-मिन्कु म् हद् यम् बालिग़ल-कअ्-बति औ कफ़्फारतुन् तआ़मु मसाकी-न औ अद्लु ज़ालि-क सियामल-लियजू-क व बा-ल अम्रिही , अफ़ल्लाहु अम्मा स-लफ , व मन् आ-द फ़-यन्तकिमुल्लाहु मिन्हु , वल्लाहु अज़ीजुन जुन्तिकाम (95)
ऐ ईमान लानेवालो! इहराम की हालत में तुम शिकार न मारो। तुम में जो कोई जान-बूझकर उसे मारे, तो उसने जो जानवर मारा हो, चौपायों में से उसी जैसा एक जानवर – जिसका फ़ैसला तुम्हारे दो न्यायप्रिय व्यक्ति कर दें – काबा पहुँचाकर क़ुरबान किया जाए, या प्रायश्चित के रूप में मुहताजों को भोजन कराना होगा या उसके बराबर रोज़े रखने होंगे, ताकि वह अपने किए का मज़ा चख ले। जो पहले हो चुका उसे अल्लाह ने क्षमा कर दिया; परन्तु जिस किसी ने फिर ऐसा किया तो अल्लाह उससे बदला लेगा। अल्लाह प्रभुत्वशाली, बदला लेनेवाला है।

उहिल-ल लकुम सैदुल्बह़रि व तआमुहू मताअल्लकुम् व लिस्सय्या-रति व हुर्रि-म अ़लैकुम् सैदुल्बर्रि मा दुम्तुम् हुरूमन् , वत्तकुल्लाहल्लज़ी इलैहि तुह़्शरून (96)
तुम्हारे लिए जल का शिकार और उसका खाना हलाल है कि तुम उससे फ़ायदा उठाओ और मुसाफ़िर भी। किन्तु थलीय शिकार जब तक तुम इहराम में हो, तुमपर हराम है। और अल्लाह से डरते रहो, जिसकी ओर तुम इकट्ठा होगे।

ज-अलल्लाहुल कअ्-बतल् बैतल्-हरा-म कियामल लिन्नासि वश्शहरल्-हरा-म वल्हद्-य वल्कलाइ-द , ज़ालि-क लितअ्लमू अन्नल्ला-ह यअ्लमु मा फिस्समावाति व मा फिल्अर्जि व अन्नल्ला-ह बिकुल्लि शैइन् अलीम (97)
अल्लाह ने आदरणीय घर काबा को लोगों के लिए क़ायम रहने का साधन बनाया और आदरणीय महीनों और क़ुरबानी के जानवरों और उन जानवरों को भी जिनके गले में पट्टे बँधे हों, यह इसलिए कि तुम जान लो कि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और यह कि अल्लाह हर चीज़ से अवगत है।

इअ्लमू अन्नल्ला-ह शदीदुल्-अिकाबि व अन्नल्लाहा-ह ग़फूरूर्रहीम (98)
जान लो अल्लाह कठोर दंड देनेवाला है और यह कि अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।

मा अलर्रसूलि इल्लल्-बलागु , वल्लाहु यअ्लमु मा तुब्दू-न व मा तक्तुमून (99)
रसूल पर (सन्देश) पहुँचा देने के अतिरिक्त और कोई ज़िम्मेदारी नहीं। अल्लाह तो जानता है, जो कुछ तुम प्रकट करते हो और जो कुछ तुम छिपाते हो।

कुल ला यस्तविल्-ख़बीसु वत्तय्यिबु व लौ अअ्ज-ब-क कस् रतुल-ख़बीसि फत्तकुल्ला-ह या उलिल-अल्बाबि लअ़ल्लकुम् तुफ्लिहून (100)*
कह दो, “बुरी चीज़ और अच्छी चीज़ समान नहीं होतीं, चाहे बुरी चीज़ों की बहुतायत तुम्हें प्रिय ही क्यों न लगे।” अतः ऐ बुद्धि और समझवालो! अल्लाह का डर रखो, ताकि तुम सफल हो सको।

रुकूअ- 14

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तस्अलू अन् अश्या-अ इन् तुब्-द लकुम् तसुअ्कुम् व इन् तस्अलू अन्हा ही-न युनज्जलुल-कुरआनु तुब्-द लकुम् , अफ़ल्लाहु अन्हा , वल्लाहु गफूरून् हलीम (101)
ऐ ईमान लानेवालो! ऐसी चीज़ों के विषय में न पूछो कि वे यदि तुम पर स्पष्ट कर दी जाएँ, तो तुम्हें बुरी लगें। यदि तुम उन्हें ऐसे समय में पूछोगे, जबकि क़ुरआन अवतरित हो रहा है, तो वे तुमपर स्पष्ट कर दी जाएँगी। अल्लाह ने उसे क्षमा कर दिया। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है।

कद् स-अ-लहा कौमुम् मिन् कब्लिकुम् सुम्-म अस्बहू बिहा काफ़िरीन (102)
तुमसे पहले कुछ लोग इस तरह के प्रश्न कर चुके हैं, फिर वे उसके कारण इनकार करनेवाले हो गए।

मा ज-अलल्लाहु मिम्-बही-रतिंव-व ला साइ-बतिंव्-व ला वसीलतिंव्-व ला हामिंव्-व लाकिन्नल्लज़ी-न क-फरू यफ्तरू-न अलल्लाहिल्-कज़ि-ब , व अक्सरूहुम् ल यअ्किलून (103)
अल्लाह ने न कोई ‘बहीरा’ ठहराया है और न ‘सायबा’ और न ‘वसीला’ और न ‘हाम’, परन्तु इनकार करनेवाले अल्लाह पर झूठ का आरोपण करते हैं और उनमें अधिकतर बुद्धि से काम नहीं लेते।

व इज़ा की-ल लहुम् तआ़लौ इला मा अन्जलल्लाहु व इलर्रसूलि कालू हस्बुना मा वजद्ना अलैहि आबा-अना , अ-व लौ का-न आबाउहुम् ला यअलमू-न शैअंव-व ला यह्तदून (104)
और जब उनसे कहा जाता है कि उस चीज़ की ओर आओ जो अल्लाह ने अवतरित की है और रसूल की ओर, तो वे कहते हैं, “हमारे लिए तो वही काफ़ी है, जिस पर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।” क्या यद्यपि उनके बाप-दादा कुछ भी न जानते रहे हों और न सीधे मार्ग पर रहे हों?

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू अलैकुम् अन्फु-सकुम् ला यजुर्रूकुम् मन् ज़ल-ल इज़ह्तदैतुम् ,इलल्लाहि मर्जिअुकुम् जमीअ़न् फ़युनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् तअ्मलून (105)
ऐ ईमान लानेवालो! तुमपर अपनी चिन्ता अनिवार्य है, जब तुम रास्ते पर हो, तो जो कोई भटक जाए वह तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अल्लाह की ओर तुम सबको लौटकर जाना है। फिर वह तुम्हें बता देगा, जो कुछ तुम करते रहे होगे।

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू शहादतु बैनिकुम् इजा ह-ज़-र अ-ह-द कुमुल्मौतु हीनल-वसिय्यतिस्नानि ज़वा अ़द्लिम् मिन्कुम् औ आख़रानि मिन् गैरिकुम् इन अन्तुम् ज़रब्तुम् फ़िल्अर्ज़ि फ़ असाबत्कुम् मुसीबतुल्मौति , तह़्बिसूनहुमा मिम्-बअ्दिस्सलाति फ़युक्सिमानि बिल्लाहि इनिर्तब्तुम् ला नश्तरी बिही स-मनंव् व लौ का-न ज़ा कुर्बा व ला नक़्तुमु शहा-दतल्लाहि इन्ना इज़ल लमिनल आसिमीन (106)
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुममें से किसी की मृत्यु का समय आ जाए तो वसीयत के समय तुममें से दो न्यायप्रिय व्यक्ति गवाह हों, या तुम्हारे ग़ैर लोगों में से दूसरे दो व्यक्ति गवाह बन जाएँ, यह उस समय कि यदि तुम कहीं सफ़र में गए हो और मृत्यु तुमपर आ पहुँचे। यदि तुम्हें कोई सन्देह हो तो नमाज़ के पश्चात उन दोनों को रोक लो, फिर वे दोनों अल्लाह की क़समें खाएँ कि “हम इसके बदले कोई मूल्य स्वीकार करनेवाले नहीं हैं चाहे कोई नातेदार ही क्यों न हो और न हम अल्लाह की गवाही छिपाते हैं। निस्सन्देह ऐसा किया तो हम गुनाहगार ठहरेंगे।”

फ-इन् अुसि-र अला अन्नहुमस्तहक़्का़ इस्मन् फ़-आख़रानि यकू मानि मक़ा-महुमा मिनल्लज़ी नस्-तहक्-क अलैहिमुल्-औलयानि फयुक्सिमानि बिल्लाहि ल-शहादतुना अहक्कु मिन् शहादतिहिमा व मअ्तदैना इन्ना इज़ल लमिनज्जालिमीन (107)
फिर यदि पता चल जाए कि उन दोनों ने हक़ मारकर अपने को गुनाह में डाल लिया है, तो उनकी जगह दूसरे दो व्यक्ति उन लोगों में से खड़े हो जाएँ, जिनका हक़ पिछले दोनों ने मारना चाहा था, फिर वे दोनों अल्लाह की क़समें खाएँ कि “हम दोनों की गवाही उन दोनों की गवाही से अधिक सच्ची है और हमने कोई ज़्यादती नहीं की है। निस्सन्देह हमने ऐसा किया तो अत्याचारियों में से होंगे।”

जालि-क अद्ना अंय्यअ्तू बिश्शहा-दति अला वज्हिहा औ यख़ाफू अन् तुरद्-द ऐमानुम् बअ-द ऐमानिहिम् , वत्तकुल्ला-ह वस्मअू , वल्लाहु ला यह़्दिल कौमल फ़ासिक़ीन (108)*
इसमें इसकी अधिक सम्भावना है कि वे ठीक-ठीक गवाही देंगे या डरेंगे कि उनकी क़समों के पश्चात क़समें ली जाएँगी। अल्लाह का डर रखो और सुनो। अल्लाह अवज्ञाकारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।

Surah Al Maidah In Hindi रुकूअ- 15

यौ-म यज्मअुल्लाहुर्रूसु-ल फ़-यकूलु माज़ा उजिब्तुम् , कालू ला अिल्-म लना , इन्न-क अन्-त अल्लामुल्-गुयूब (109)
जिस दिन अल्लाह रसूलों को इकट्ठा करेगा, फिर कहेगा, “तुम्हें क्या जवाब मिला?” वे कहेंगे, “हमें कुछ नहीं मालूम। तू ही छिपी बातों को जानता है।”

इज् कालल्लाहु या अीसब्-न मरयमज्कुर् निअ्मती अलै-क व अला वालिदति-क . इज् अय्यत्तु-क बिरूहिल्कुदुसि , तुकल्लिमुन्ना-स फ़िल्महिद व कहलन् व इज् अल्लम्तुकल् किता-ब वल्हिक्म-त वत्तौरा-त वल्इन्जी-ल व इज् तख़्लुकु मिनत्तीनि कहै-अतित्तैरि बि-इज्नी फ़तन्फुखु फ़ीहा फ़-तकूनु तैरम् बि-इज्नी व तुब्रिउल्-अक्म-ह वल्अब्र-स बि-इज्नी व इज् तुख्रिजुल्मौता बि-इज्नी व इज् कफ़फ्तु बनी इस्राई-ल अन्-क इज् जिअ्तहुम् बिल्बय्यिनाति फकालल्लज़ी-न क-फरू मिन्हुम् इन् हाज़ा इल्ला सिहरूम् मुबीन (110)
जब अल्लाह कहेगा, “ऐ मरयम के बेटे ईसा! मेरे उस अनुग्रह को याद करो जो तुमपर और तुम्हारी माँ पर हुआ है। जब मैंने पवित्र आत्मा से तुम्हें शक्ति प्रदान की; तुम पालने में भी लोगों से बात करते थे और बड़ी अवस्था को पहुँचकर भी। और याद करो, जबकि मैंने तुम्हें किताब और हिकमत और तौरात और इनजील की शिक्षा दी थी। और याद करो जब तुम मेरे आदेश से मिट्टी से पक्षी का प्रारूपण करते थे; फिर उसमें फूँक मारते थे, तो वह मेरे आदेश से उड़नेवाली बन जाती थी। और तुम मेरे आदेश से अंधे और कोढ़ी को अच्छा कर देते थे और जबकि तुम मेरे आदेश से मुर्दों को जीवित निकाल खड़ा करते थे। और याद करो जबकि मैंने तुमसे इसराईलियों को रोके रखा, जबकि तुम उनके पास खुली-खुली निशानियाँ लेकर पहुँचे थे, तो उनमें से जो इनकार करनेवाले थे, उन्होंने कहा, यह तो बस खुला जादू है।”

व इज् औहैतु इलल्-हवारिय्यी-न अन् आमिनू बी व बि-रसूली कालू आमन्ना वश्हद् बिअन्नना मुस्लिमून (111)
और याद करो, जब मैंने हवारियों (साथियों और शागिर्दों) के दिल में डाला कि “मुझपर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ, तो उन्होंने कहा, “हम ईमान लाए और तुम गवाह रहो कि हम मुस्लिम हैं।”

इज़ कालल-हवारिय्यू-न या अीसब-न मर् य-म हल् यस्ततीअु़ रब्बु-क अंय्युनज्जि-ल अलैना माइ-दतम् मिनस्समा-इ , कालत्तकुल्ला-ह इन् कुन्तुम् मुअ्मिनीन (112)
और याद करो जब हवारियों ने कहा, “ऐ मरयम के बेटे ईसा! क्या तुम्हारा रब आकाश से खाने से भरा थाल उतार सकता है?” कहा, “अल्लाह से डरो, यदि तुम ईमानवाले हो।”

कालू नुरीदु अन् नअ्कु-ल मिन्हा व तत्मइन्-न कुलूबुना व नअ्ल-म अन् कद् सदक़्तना व नकू-न अलैहा मिनश्शाहिदीन • (113)
वे बोले, “हम चाहते हैं कि उनमें से खाएँ और हमारे हृदय सन्तुष्ट हों और हमें मालूम हो जाए कि तूने हमसे सच कहा और हम उसपर गवाह रहें।”

का-ल अीसब्नु मरयमल्लाहुम्-म रब्बना अन्ज़िल् अलै माइ-दतम् मिनस्समा-इ तकूनु लना अीदल् लि-अव्वलिना व आखिरिना व आयतम्-मिन्-क वरज़ुक्ना व अन्-त खैरूर्राज़िक़ीन (114)
मरयम के बेटे ईसा ने कहा, “ऐ अल्लाह, हमारे रब! हमपर आकाश से खाने से भरा थाल उतार, जो हमारे लिए और हमारे अगलों और हमारे पिछलों के लिए ख़ुशी का कारण बने और तेरी ओर से एक निशानी हो, और हमें आहार प्रदान कर। तू सबसे अच्छा प्रदान करनेवाला है।”

कालल्लाहु इन्नी मुनज्जिलुहा अलैकुम् फ़-मंय्यक्फुर् बअ्दु मिन्कुम् फ़-इन्नी उअ़ज्जिबुहू अ़ज़ाबल-ला उअ़ज़्ज़िबुहू अ-हदम् मिनल-आलमीन (115)*
अल्लाह ने कहा, “मैं उसे तुमपर उतारूँगा, फिर उसके पश्चात तुममें से जो कोई इनकार करेगा तो मैं अवश्य उसे ऐसी यातना दूँगा जो सम्पूर्ण संसार में किसी को न दूँगा।”

Surah Al Maidah In Hindi रुकूअ- 16

व इज् कालल्लाहु या अीसब्-न मर-य-म अ-अन्-त कुल-त लिन्नासित्तखिजूनी व उम्मि-य इलाहैनि मिन् दुनिल्लाहि , का-ल सुब्हान-क मा यकूनु ली अन् अकूल मा लै-स ली बिहक्किन् , इन् कुन्तु कुल्तुहू फ़-क़द् अलिम्तहू तअ्लमु मा फ़ी नफ़्सी व ला अअ्लमु मा फ़ी नफ्सि-क , इन्न-क अन्-त अल्लामुल्-गुयूब (116)
और याद करो जब अल्लाह कहेगा, “ऐ मरयम के बेटे ईसा! क्या तुमने लोगों से कहा था कि अल्लाह के अतिरिक्त दो और पूज्य मुझे और मेरी माँ को बना लो?” वह कहेगा, “महिमावान है तू! मुझसे यह नहीं हो सकता कि मैं यह बात कहूँ, जिसका मुझे कोई हक़ नहीं है। यदि मैंने यह कहा होता तो तुझे मालूम ही होता। तू जानता है, जो कुछ मेरे मन में है। परन्तु मैं नहीं जानता जो कुछ तेरे मन में है। निश्चय ही, तू छिपी बातों का भली-भाँति जाननेवाला है।

मा कुल्तु लहुम् इल्ला मा अमरतनी बिही अनिअ्बुदुल्ला-ह रब्बी व रब्बकुम् व कुन्तु अलैहिम् शहीदम् मा दुम्तु फ़ीहिम् फ़-लम्मा तवफ्फ़ैतनी कुन-त अन्तर्रकी-ब अलैहिम् , व अन्-त अला कुल्लि शैइन् शहीद (117)
मैंने उनसे उसके सिवा और कुछ नहीं कहा, जिसका तूने मुझे आदेश दिया था, यह कि अल्लाह की बन्दगी करो, जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है। और जब तक मैं उनमें रहा उनकी ख़बर रखता था, फिर जब तूने मुझे उठा लिया तो फिर तू ही उनका निरीक्षक था। और तू ही हर चीज़ का साक्षी है।

इन् तुअ़ज़्ज़िब्हुम् फ़-इन्नहुम् अिबादु-क व इन् तग्फिर लहुम् फ़-इन्न-क अन्तल अज़ीजुल-हकीम (118)
यदि तू उन्हें यातना दे तो वे तो तेरे बन्दे ही हैं और यदि तू उन्हें क्षमा कर दे, तो निस्सन्देह तू अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।”

कालल्लाहु हाज़ा यौमु यन्फ़अुस्सादिक़ी-न सिद्कुहुम् , लहुम् जन्नातुन् तज्री मिन् तह़्तिहल-अन्हारू ख़ालिदी-न फ़ीहा अ-बदन् , रज़ियल्लाहु अन्हुम् व रजू अन्हु , ज़ालिकल फौजुल अज़ीम (119)
अल्लाह कहेगा, “यह वह दिन है कि सच्चों को उनकी सच्चाई लाभ पहुँचाएगी। उनके लिए ऐसे बाग़ हैं, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, उनमें वे सदैव रहेंगे। अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे उससे राज़ी हुए। यही सबसे बड़ी सफलता है।”

लिल्लाहि मुल्कुस्समावाति वल्अर्जि व मा फ़ीहिन्-न , व हु-व अला कुल्लि शैइन् कदीर (120)*
आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है, सबपर अल्लाह ही की बादशाही है और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।

सूरह नंबर 6: – सूरह अनआम हिंदी में

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