Surah Naziat in Hindi Pdf, Tarjuma | सूरह अन-नाज़िआत हिंदी तर्जुमा संग

दोस्तों, इस पोस्ट में हमने आपके लिए सूरह अन-नाज़िआत (Surah Naziat in Hindi) से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी में मौजूद कराने की पूरी कोशिश की है,

जैसे की सूरह नाज़िआत हिंदी में, सूरह नाज़िआत का हिंदी तर्जुमा और सूरह नाज़िआत की पीडीऍफ़।

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दोस्तों, सूरह नाज़िआत हिंदी में पढ़ने से पहले हमें चाहिए की हम सूरह से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लें।

आपको बताते चलें की Surah Naziat का हिंदी मतलब होता है: – “खींचनें बाले”।

सूरह नाज़िआत कुरान करीम के 30वें पारा में मौजूद 79वीं सूरह है। यह मक्की सूरह है।

सूरह का नामसूरह अन-नाज़िआत
पारा नंबर30
सूरह नंबर79
कुल आयतें46
कुल रुकू2
कुल शब्द (अलफ़ाज़)179
कुल अक्षर (हर्फ़)762

सूरह नाज़िआत हिंदी में | Surah Naziat In Hindi Text

दोस्तों यहाँ नीचे हमने सूरह नाज़िआत को हिंदी में मौजूद कराया है। आप नीचे दी गयी Surah Naziat Hindi Mein Text, को पढ़कर आसानी के साथ इस सूरह नाज़िआत की तिलावत कर सकते हैं।

अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम

1. वन्नाज़िआ़ति ग़रक़ंव्

2. वन्नाशिताति नश्तंव्

3. वस्साबिहाति सब्हन्

4. फ़स्साबिक़ाति सब्क़न्

5. फ़ल्मुदब्बिराति अम्रा

6. यौ – म तर्जुफर्राजि – फ़तु

7. तत्बअुहर् – रादिफ़ह्

8. कुलूबुंय् – यौमइज़िंव् – वाजि – फ़तुन्

9. अब्सारुहा ख़ाशिअ़ह्

10. यकूलू – न अ- इन्ना ल – मरदूदू- न फिल् – हाफ़िरह्

11. अ- इज़ा कुन्ना अिजा़मन् – नखिरह्

12. का़लू तिल् – क इज़न् कर्रतुन् ख़ासिरह

13. फ़ – इन्नमा हि – य ज़ज् – रतुंव – वाहि दतुन्

14. फ़ – इज़ा हुम् बिस्साहिरह्

15. हल् अता – क हदीसु मूसा

16. इज् नादाहु रब्बुहू बिल्वादिला – मुक़द्दसि तुवा

17. इज़्हब् इला फ़िरऔ – न इन्नहू तग़ा

18. फ़कुल हल् – ल – क इला अन् तज़क्का

19. व अहदि – य – क इला रब्बि – क फ़ – तख़्शा

20. फ – अराहुल आ – यतल् – कुब्रा

21. फ़ – कज़्ज़ – ब व अ़सा

22. सुम् – म अदब – र यस्आ

23. फ़ – ह – श – र ,फ़नादा

24. फ़का – ल अ – न रब्बुकुमुल् – अअ्ला

25. फ़ – अ- ख़ ज़हुल्लाहु नकालल् आखिरति वल् – ऊला

26. इन् – न फ़ी ज़ालि – क ल – अिब् – रतल् लिमंय्यख़्शा

27. अ – अन्तुम् अशद्दु ख़ल्क़न् अमिस्समा – उ बनाहा

28. र – फ़- अ़ सम्कहा फ़ – सव्वाहा

29. व अगत – श लैलहा व अख्र – ज जुहाहा

30. वल्अर् – ज़ ब – द ज़ालि – क दहाहा

31. अख्र – ज मिन्हा मा – अहा व मरआ़हा

32. वल् – जिबा – ल अर्साहा

33. मताअ़ल् – लकुम् व लि – अन्आ़मिकुम

34. फ़ – इज़ा जा – अतित् – ताम्मतुल् – कुब्रा

35. यौ – म य – तज़क्करुल् – इन्सानु मा सआ़

36. व बुर्रि – ज़तिल् – जहीमु लिमंय्यरा

37. फ़ – अम्मा मन् तग़ा

38. व आ – सरल् हयातदुन्या

39. फ़ – इन्नल् – जही – म हि – यल् – मअ्वा

40. व अम्मा मन् ख़ा – फ़ मका़ – म रब्बिही व नहन् – नफ् – स अ़निल् – हवा

41. फ़ – इन्नल् जन्न – त हि – यल् – मअ्वा

42. यस्अलू – न – क अ़निस्सा – अ़ति अय्या – न मुरसाहा

43. फ़ी – म अन् – त मिन् ज़िक्राहा

44. इला रब्बि – क मुन्तहाहा

45. इन्नमा अन् – त मुन्ज़िरु मंय्यख़्शाहा

46. क – अन्नहुम् यौ – म यरौनहा लम् यल्बसू इल्ला अ़शिय्य तन् औ जुहाहा

जैसा की आपने ऊपर सूरह नाज़िआत को हिंदी टेक्स्ट के जरिये पढ़ ही लिया होगा। हम आपसे दरख्वास्त करते हैं कि आप इस Surah Naziat Translation in Hindi को भी पढ़ें।

क्यूंकि Surah Naziat का तर्जुमा पढ़कर हमें समझ आएगा की अल्लाह ने इस सूरह में क्या इरशाद फ़रमाया है।

सूरह नाज़िआत का तर्जुमा | Surah Naziat Ka Tarjuma

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान , रहम करने वाला है।

वन्नाज़िआ़ति ग़रक़ंव्
क़सम है डूब कर खींचने वाले ( फरिश्तों ) की।

वन्नाशिताति नश्तंव्
और खोल कर छुड़ाने वालों की।

वस्साबिहाति सब्हन्
और तेज़ी से तैरने वालों की।

फ़स्साबिक़ाति सब्क़न्
फिर दौड़ कर आगे बढ़ने वालों की।

फ़ल्मुदब्बिराति अम्रा
फिर हुक्म के मुताबिक़ तदबीर करने वालों की।

यौ – म तर्जुफर्राजि – फ़तु
जिस दिन कांपने वाली कांपे।

तत्बअुहर् – रादिफ़ह्
और उस के पीछे आए पीछे आने वाली।

कुलूबुंय् – यौमइज़िंव् – वाजि – फ़तुन्
कितने दिल उस दिन धड़कते होंगे।

अब्सारुहा ख़ाशिअ़ह्
उन की निगाहें झुकी हुई।

यकूलू – न अ- इन्ना ल – मरदूदू- न फिल् – हाफ़िरह्
वह कहते है क्या हम पहली हालत में लौटाए जाएंगे?

अ- इज़ा कुन्ना अिजा़मन् – नखिरह्
क्या जब हम खोखली हड्डियां हो चुके होंगे?

का़लू तिल् – क इज़न् कर्रतुन् ख़ासिरह
वह बोले कि यह फिर ख़सारे वाली वापसी है।

फ़ – इन्नमा हि – य ज़ज् – रतुंव – वाहि दतुन्
फिर वह तो सिर्फ एक डांट है।

फ़ – इज़ा हुम् बिस्साहिरह्
फिर वह उस वक्त मैदान में ( मौजूद होंगे )।

हल् अता – क हदीसु मूसा
क्या तुम्हारे पास मूसा ( अ ) की बात पहुँची?

इज् नादाहु रब्बुहू बिल्वादिला – मुक़द्दसि तुवा
जब उस को उस के रब ने पुकारा तुवा के मुक़द्दस वादी में।

इज़्हब् इला फ़िरऔ – न इन्नहू तग़ा
के फिरऔन के पास जाओ , वेशक उस ने सरकशी की है।

फ़कुल हल् – ल – क इला अन् तज़क्का
पस कहोः क्या तुझ को ( ख़ाहिश है ) कि तू संवर जाए।

व अहदि – य – क इला रब्बि – क फ़ – तख़्शा
और मैं तुझे तेरे रब की तरफ राह दिखाऊँ कि तू डरे।

फ – अराहुल आ – यतल् – कुब्रा
( मुसा अने ) उस को दिखाई बड़ी निशानी।

फ़ – कज़्ज़ – ब व अ़सा
उस न झुटलाया और नाफरमानी की।

सुम् – म अदब – र यस्आ
फिर पीट फेर कर के (हक के खिलाफ) जी तोड कोशिश किया।

फ़ – ह – श – र ,फ़नादा
फिर ( लोगों को ) जमा किया फिर पुकारा।

फ़का – ल अ – न रब्बुकुमुल् – अअ्ला
फिर कहा कि मैं तुम्हारा सब से बड़ा रब हूँ।

फ़ – अ- ख़ ज़हुल्लाहु नकालल् आखिरति वल् – ऊला
तो अल्लाह ने उस को दुनिया और आख़िरत की सजा में पकड़ा।

इन् – न फ़ी ज़ालि – क ल – अिब् – रतल् लिमंय्यख़्शा
बेशक इस में उस के लिए इव्रत है जो डरे।

अ – अन्तुम् अशद्दु ख़ल्क़न् अमिस्समा – उ बनाहा
क्या तुम्हारा बनाना जियादा मुश्किल है या आस्मान का , उस ने उस को बनाया।

र – फ़- अ़ सम्कहा फ़ – सव्वाहा
उस की छत को बुलन्द किया फिर उस को दुरुस्त किया।

व अगत – श लैलहा व अख्र – ज जुहाहा
और उस की रात को तारीक कर दिया और निकाली दिन की रोशनी।

वल्अर् – ज़ ब – द ज़ालि – क दहाहा
और उस के बाद जमीन को बिछाया।

अख्र – ज मिन्हा मा – अहा व मरआ़हा
उस से उस का पानी निकाला और तुम्हारे और तुम्हारे चीपायों के फाइद के लिए।

वल् – जिबा – ल अर्साहा
और पहाड़ों को काइम किया।

मताअ़ल् – लकुम् व लि – अन्आ़मिकुम
तुम्हारे और तुम्हारे चौपायों के फाइदे के लिए।

फ़ – इज़ा जा – अतित् – ताम्मतुल् – कुब्रा
फिर जब बड़ा हंगामा आएगा ( क़ियामत )।

यौ – म य – तज़क्करुल् – इन्सानु मा सआ़
उस दिन इन्सान याद करेगा जो उस ने कमाया ( अपने आमाल )।

व बुर्रि – ज़तिल् – जहीमु लिमंय्यरा
और जहन्नम हर उस के लिए ज़ाहिर कर दी जाएगी जो देखे।

फ़ – अम्मा मन् तग़ा
पस जिस ने सरकशी की।

व आ – सरल् हयातदुन्या
और दुनिया की ज़िन्दगी को तरजीह दी।

फ़ – इन्नल् – जही – म हि – यल् – मअ्वा
तो यकीनन उस का ठिकाना जहन्नम है।

व अम्मा मन् ख़ा – फ़ मका़ – म रब्बिही व नहन् – नफ् – स अ़निल् – हवा
और जो अपने रब के सामने खड़ा होने से डरा और उस ने रोका अपने दिल को ख़ाहिश से।

फ़ – इन्नल् जन्न – त हि – यल् – मअ्वा
तो यक़ीनन उस का ठिकाना जन्नत है।

यस्अलू – न – क अ़निस्सा – अ़ति अय्या – न मुरसाहा
वह आप ( स ) से पूछते हैं कियामत के बाबत कि कब ( होगा ) उस का कियाम?

फ़ी – म अन् – त मिन् ज़िक्राहा
तुम्हें क्या काम उस के ज़िक्र से?

इला रब्बि – क मुन्तहाहा
तुम्हारे रब की तरफ़ है उस की इन्तिहा।

इन्नमा अन् – त मुन्ज़िरु मंय्यख़्शाहा
आप ( स ) सिर्फ डराने वाले हैं उस को जो उस से डरे।

क – अन्नहुम् यौ – म यरौनहा लम् यल्बसू इल्ला अ़शिय्य तन् औ जुहाहा
गोया वह जिस दिन उस को देखेंगे ( ऐसा लगेगा कि ) वह नहीं ठहरे मगर एक शाम या उस की एक सुवह।

सूरह नाज़िआत इमेज | Surah Naaziaat Hindi Image

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सूरह नाज़िआत पीडीऍफ़ | Surah Naziat Hindi Pdf

जैसा की आपने सूरह नाज़िआत को ऊपर टेक्स्ट के जरिये पढ़ ही लिया होगा और साथ ही साथ आपने सूरह नाज़िआत का हिंदी तर्जुमा भी पढ़ा होगा।

लेकिन हम चाहते हैं की हम इस सूरह को जब चाहे तब पढ़ सकें, उसके लिए हमने नीचे इस सूरह नाज़िआत की पीडीऍफ़ डाउनलोड करने का button दिया है।

आप आसानी के साथ यहाँ से Surah Naziat in Hindi Pdf Download कर सकते हैं।

सूरह नाज़िआत अरबी में | Surah Naaziat In Arabic

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

(1) وَالنَّازِعَاتِ غَرْقًا
(2) وَالنَّاشِطَاتِ نَشْطًا
(3) وَالسَّابِحَاتِ سَبْحًا
(4) فَالسَّابِقَاتِ سَبْقًا
(5) فَالْمُدَبِّرَاتِ أَمْرًا
(6) يَوْمَ تَرْجُفُ الرَّاجِفَةُ
(7) تَتْبَعُهَا الرَّادِفَةُ
(8) قُلُوبٌ يَوْمَئِذٍ وَاجِفَةٌ
(9) أَبْصَارُهَا خَاشِعَةٌ
(10) يَقُولُونَ أَإِنَّا لَمَرْدُودُونَ فِي الْحَافِرَةِ
(11) أَإِذَا كُنَّا عِظَامًا نَخِرَةً
(12) قَالُوا تِلْكَ إِذًا كَرَّةٌ خَاسِرَةٌ
(13) فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ
(14) فَإِذَا هُمْ بِالسَّاهِرَةِ
(15) هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ مُوسَىٰ
(16) إِذْ نَادَاهُ رَبُّهُ بِالْوَادِ الْمُقَدَّسِ طُوًى
(17) اذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُ طَغَىٰ
(18) فَقُلْ هَلْ لَكَ إِلَىٰ أَنْ تَزَكَّىٰ
(19) وَأَهْدِيَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخْشَىٰ
(20) فَأَرَاهُ الْآيَةَ الْكُبْرَىٰ
(21) فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ
(22) ثُمَّ أَدْبَرَ يَسْعَىٰ
(23) فَحَشَرَ فَنَادَىٰ
(24) فَقَالَ أَنَا رَبُّكُمُ الْأَعْلَىٰ
(25) فَأَخَذَهُ اللَّهُ نَكَالَ الْآخِرَةِ وَالْأُولَىٰ
(26) إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَعِبْرَةً لِمَنْ يَخْشَىٰ
(27) أَأَنْتُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمِ السَّمَاءُ ۚ بَنَاهَا
(28) رَفَعَ سَمْكَهَا فَسَوَّاهَا
(29) وَأَغْطَشَ لَيْلَهَا وَأَخْرَجَ ضُحَاهَا
(30) وَالْأَرْضَ بَعْدَ ذَٰلِكَ دَحَاهَا
(31) أَخْرَجَ مِنْهَا مَاءَهَا وَمَرْعَاهَا
(32) وَالْجِبَالَ أَرْسَاهَا
(33) مَتَاعًا لَكُمْ وَلِأَنْعَامِكُمْ
(34) فَإِذَا جَاءَتِ الطَّامَّةُ الْكُبْرَىٰ
(35) يَوْمَ يَتَذَكَّرُ الْإِنْسَانُ مَا سَعَىٰ
(36) وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِمَنْ يَرَىٰ
(37) فَأَمَّا مَنْ طَغَىٰ
(38) وَآثَرَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا
(39) فَإِنَّ الْجَحِيمَ هِيَ الْمَأْوَىٰ
(40) وَأَمَّا مَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ وَنَهَى النَّفْسَ عَنِ الْهَوَىٰ
(41) فَإِنَّ الْجَنَّةَ هِيَ الْمَأْوَىٰ
(42) يَسْأَلُونَكَ عَنِ السَّاعَةِ أَيَّانَ مُرْسَاهَا
(43) فِيمَ أَنْتَ مِنْ ذِكْرَاهَا
(44) إِلَىٰ رَبِّكَ مُنْتَهَاهَا
(45) إِنَّمَا أَنْتَ مُنْذِرُ مَنْ يَخْشَاهَا
(46) كَأَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَهَا لَمْ يَلْبَثُوا إِلَّا عَشِيَّةً أَوْ ضُحَاهَا

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सूरह नाज़िआत की ऑडियो | Surah An-Naziat Mp3

दोस्तों, हमें उम्मीद है की आपने सूरह नाज़िआत को हिंदी और अरबी में पढ़ लिया होगा। यहाँ हमने सूरह नाज़िआत की ऑडियो फाइल मौजूद करायी है।

अगर आपको कुरान की तिलावत अरबी में उर्दू तर्जुमा के साथ सुनना पसंद है, जिसे सुनकर आपको सुकून हासिल होता है, तो हमें नीचे इस Surah An-Naziat Mp3 डाउनलोड करने का button दिया है।

आप आसानी के साथ इसे डाउनलोड कर सकते हैं।

सूरह नाज़िआत की तफसीर | Surah An-Naziat Tafseer

यहाँ नीचे हमने सूरह अन-नाज़िआत की मुख़्तसर सी तफसीर मौजूद करायी है, ज्यादा समझने के लिए कुरआन की तफसीर देखें।

📜 आयत (1-5): – यहाँ से बताया गया है कि तबाही की शुरुआत भारी भूकम्प से होगी और दूसरे ही पल में दुनिया की सारी मखलूक दोबारा जिंदा हो कर जमीन के ऊपर होंगे।

📜 आयत (6-15) : – इन आयतों में कयामत के दिन क्या हालत पेश आयिंगे, बताया गया है और काफ़िरों की दशा बताई गई है कि वे उस दिन किस प्रकार अपने आप को एक खुले मैदान में पायेंगे।

📜 आयत (16-27): – यहाँ से तबाही के होने और दोबारा जिन्दा करने का हबाला आकाश तथा धरती की रचना से दिये जा रहे हैं कि जिस अल्लाह ने यह सब बनाया और तुम्हारी जिंदगी की हिफाज़त की है,

तबाही (क़यामत लाना) करना और फिर सब को दोबारा जिन्दा करना उसके लिये असंभव कैसे हो सकता है? तुम खुद इस बारे में विचार कर के निर्णय करो।

📜 आयत (35): – यह कयामत का तीसरा चरण होगा जब कि वह सामने होगी। उस दिन हर एक व्यक्ति को अपने दुनिया में किये आमाल याद आयेंगे और आमाल के हिसाब से जिस ने सच्चे दीन की शिक्षा का पालन किया होगा उसे जन्नत का सुख मिलेगा,

और जिस ने सच्चे दीन और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नकारा और मनमानी धर्म और आमाल किये होंगे, वह जहन्नम का हमेशा-हमेश का अजाब भोगेगा।

📜 आयत (42): – काफ़िरों का यह सवाल समय जानने के लिये नहीं, बल्कि हंसी उड़ाने के लिये था।

📜आयत (45): – इस आयत में कहा गया है कि (ए नबी!) सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आप का दायित्व मात्र उस दिन से डराने का है।

दीन को बलपूर्वक मनवाने के लिये नहीं। जो नहीं मानेगा उसे स्वयं उस दिन समझ में आ जायेगा कि उसने क्षण भर के दुन्याबी ज़िन्दगी के लालच के लिये अपना हमेशा-हमेश सुख खो दिया। और उस समय पछतावे का कुछ लाभ नहीं होगा।

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