Surah Qariah in Hindi Pdf | सूरह अल-कारिअह हिंदी में तर्जुमा के साथ

प्यारे साथियों इस पोस्ट में हमने सूरह क़ारिअह (Surah Qariah in Hindi) से जुड़ी सारी जानकारी मौजूद करायी है। जैसे की सूरह क़ारिअह हिंदी में टेक्स्ट, सूरह कारिया का तर्जुमा और सूरह अल-क़ारिअह की पीडीऍफ़।

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शुरू करने से पहले हमने आपको सूरह क़ारिअह से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी दी है, इसे जरूर पढ़ें।

Surah Qariah in Hindi, मक्की सूरह है और इसमें 11 आयतें हैं। कुरान में यह सूरह क़ारिया के नाम से 30वें पारा में मौजूद है। यह Surah Qariah 101वीं सूरह है।

सूरह का नामसूरह अल-कारिया
पारा नंबर30
सूरह नंबर101
कुल आयतें11
कुल शब्द36
कुल अक्षर158

सूरह क़ारिअह हिंदी में पढ़ें (Surah Qariah in Hindi)

दोस्तों हमने आपके लिए सूरह कारिअह को हिंदी में मौजूद कराया है। जिसको पढ़कर आप सूरह कारिअह की तिलावत कर सकते हैं।

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

1. अल क़ारिअह

2. मल क़ारिअह

3. वमा अदराक मल क़ारिअह

4. यौमा यकूनुन नासु कल फ़राशिल मब्सूस

5. व तकूनुल जिबालु कल इहनिल मन्फूश

6. फ़ अम्मा मन सकुलत मवाज़ीनुह

7. फ़हुवा फ़ी ईशतिर राज़ियह

8. व अम्मा मन खफ्फत मवाज़ीनुह

9. फ़ उम्मुहू हावियह

10. वमा अदराक मा हियह

11. नारून हामियह

क्या आप सूरह यासीन तर्जुमे के साथ पढ़ते हैं? पढ़ें: – सूरह यासीन हिंदी तर्जुमा के साथ

तो दोस्तों ये थी सूरह क़ारिअह हिंदी में (Surah Al-Qariah Hindi Mein)। हमने नीचे सूरह क़ारिअह हिंदी में तर्जुमा के साथ (Surah Qariah Hindi Translation) मौजूद करायी है, जिससे अल्लाह के पैगाम को आप आसानी के साथ समझ सकते हैं।

सूरह क़ारिअह हिंदी तर्जुमा (Surah Al-Qariah ka Tarjuma Hindi Mein)

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम बाला है।

1. अल क़ारिअह
सबको खड़ खड़ा देने वाला हादसा,

2. मल क़ारिअह
वो खड़खड़ा देने वाला हादसा क्या होगा

3. वमा अदराक मल क़ारिअह
और तुम को क्या खबर ,वो खड़खड़ा देने वाला हादसा क्या होगा

4. यौमा यकूनुन नासु कल फ़राशिल मब्सूस
जिस दिन इंसान बिखरे हुए परवानों की तरह होंगे

5. व तकूनुल जिबालु कल इहनिल मन्फूश
और पहाड़ धूनी हुई रूई की तरह हो जाएंगे

6. फ़ अम्मा मन सकुलत मवाज़ीनुह
तो जिसके नेक अमाल तराज़ू पर भारी होंगे

7. फ़हुवा फ़ी ईशतिर राज़ियह
वो ऐश में राज़ी और खुश होगा

8. व अम्मा मन खफ्फत मवाज़ीनुह
और जिसके अमाल तराज़ू पर कम होंगे

9. फ़ उम्मुहू हावियह
तो उसका ठिकाना हाविया का गड्ढा होगा

10. वमा अदराक मा हियह
आप को क्या मालूम कि हाविया क्या चीज़ है

11. नारून हामियह
वो भड़कती हुई तेज आंच का लावा है

सूरह क़ारिअह हिंदी फोटो (Surah Al-Qariah Printable Image)

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अगर आप आयतुल कुर्सी हिंदी में खोज रहे है तो पढ़ें: – आयतल कुर्सी हिंदी में मतलब के साथ

सूरह कारिअह अरबी में (Surah Qariah in Arabic)

بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ‎

بٱلْقَارِعَةُ

مَا ٱلْقَارِعَةُ

وَمَآ أَدْرَىٰكَ مَا ٱلْقَارِعَةُ

يَوْمَ يَكُونُ ٱلنَّاسُ كَٱلْفَرَاشِ ٱلْمَبْثُوثِ

وَتَكُونُ ٱلْجِبَالُ كَٱلْعِهْنِ ٱلْمَنفُوشِ

فَأَمَّا مَن ثَقُلَتْ مَوَٰزِينُهُۥ

فَهُوَ فِى عِيشَةٍ رَّاضِيَةٍ

وَأَمَّا مَنْ خَفَّتْ مَوَٰزِينُهُۥ

فَأُمُّهُۥ هَاوِيَةٌ

وَمَآ أَدْرَىٰكَ مَا هِيَهْ

نَارٌ حَامِيَةٌۢ

Surah Al-Qariah in Hindi Pdf Download

मेरे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों जैसा की आपने ऊपर सूरह क़ारिया को हिंदी में तर्जुमा के साथ पढ़ा ही है। साथ ही साथ आपने Surah Al-Qariah की Hindi Image भी देखी होगी।

यहाँ हमने Surah Al Qariah Pdf in Hindi मौजूद करायी है, आप आसानी के साथ सूरह क़ारिया की पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते है।

Surah Al-Qariah Mp3 or Audio File Download

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों जैसा की आपने इस पोस्ट में सूरह क़ारिया को सभी भाषाओं में टेक्स्ट और इमेजेज के जरिये पढ़ा ही होगा।

लेकिन अगर आप सूरह सुनना पसंद करते है, जिससे आपने दिल और दिमाग को आराम मिलता है।

उसके लिये हमने नीचे सूरह क़ारिया की Mp3 फाइल डाउनलोड करने का लिंक दिया है। यहाँ से आप आसानी के साथ Surah Qariah Ki Mp3 को डाउनलोड कर सकते हो।

सूरह क़ारिअह से अल्लाह ने क्या बताया है?

1. सिर्फ हमारे अच्छे आमाल ही हमें बचा सकते हैं

बेशक क़यामत का दिन नज़दीक ही आने बाला है और यह दुनिया आखिरकार समाप्त होने जा रही है जिसका मतलब होता है कि हमारे पास अपने आमालों की भरपाई करने के लिए और समय नहीं होगा। उस दिन यानी क़यामत के दिन के लिए हमें अपने तराजू को भारी बनाने पर तबज्जोह देने का यही वाहिद वक़्त है।

क़यामत के दिन को पछतावे का दिन भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है कि हम सभी उस दिन पछताएंगे और उस समय वक़्त को याद करेंगे जब हमारे पास नेकियों को बढ़ाने का मौका और वक़्त था। उस दिन सभी को पछताना पड़ेगा।

अगर उन्होंने एक और अच्छा नेकी का काम किया होता, तो यह उन्हें जहन्नुम की आग से बचा लेता या जन्नत में मर्तबा बढ़ा देता।

हमारे लिए सबक यह है कि खुद को पछताने से बचाने के लिए हम इस दुनिया में समय का सही इस्तेमाल करके अपनी आखिरत की तैयारी का लें।

बेकार की फ़िज़ूल बातों और कामों को छोड़ दें। हर एक अम्ल में अल्लाह की रज़ा हासिल करने की फ़िक्र अपने दिलों में पैदा कर लें। आपका रोजाना का काम इबादत का काम हो सकता है। अपने हर काम से अल्लाह को राज़ी रखने का इरादा रखें।

2. क़यामत गैर मुताबिक तौर पर आएगी

अल्लाह तआला ने क़यामत की वजाहत में से एक के तौर पर लफ्ज़ ‘अल-कारीआह’ इस्तेमाल किया है। अगर लफ्ज़ी तौर पर इस्तेमाल किया जाए तो इसका मतलब है कि यह रात के गैर मुताबिक मेहमानों की तरह होगा, जो आपको तब मिलता है जब आप उनके लिए तैयार नहीं होते हैं।

उसी तरह अल क़रियाह का दिन इतना गैर मुताबिक होगा कि जब आएगा तो आप हैरान रह जाएंगे।

तेज आवाज आपको जगाने वाली है। आपको पता नहीं चलेगा कि आपने क्या मारा है। यह हमें एक सबक सिखाता है कि हमें हर वक़्त अंतिम घंटे के लिए तैयार रहना चाहिए।

ऐसा कोई गलत काम न करें, जिसे करते हुए मरने पर आपको पछताना पड़े। जितना हो सके अच्छे आमाल करो ताकि हमारा पैमाना इतना भारी हो कि हमें जहन्नुम की आग से बचा सके।

3. अल्लाह का डर पैदा करना

हर कोई अपनी जिंदगी को अपनी इच्छाओं के मुताबिक जी रहा है। किसी को भी मौत का यकीन नहीं रहा है की बेशक मौत हर जानदार चीज को आनी है, और एक न एक दिन क़यामत का दिन आएगा, जिस दिन दुनिया पर इंसान का नामो-निशा बाकी नहीं रहेगा। फिर भी हमारे दिलों में अल्लाह का डर बाकि नहीं है।

इसे पढ़ने के बाद हमें इस बात पर गौर फ़िक्र करने की जरूरत है कि हमारे अंदर अल्लाह के लिए कितना डर ​​है? हम उससे कितना प्यार करते हैं? अल्लाह का कलाम पढ़ें और उसकी बनाई मखलूक के बारे में गौर करें।

उसके अहकामात पर अम्ल करें और उसके और हमारे प्यारे नबी रसूलुल्लाह सल्ललाहो अलैह बसल्लम के बताये रास्ते पर चलें। यह न केवल इस दुनिया में बल्कि आखिरत में भी कामयाब जिंदगी का रास्ता है।

जबकि हम अपने भविष्य को बेहतर बनाने में व्यस्त हैं, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमने अतीत में क्या किया है। हमें अपने पिछले गुनाहों को समझने और उनके लिए पश्चाताप करने की भी आवश्यकता है।

4. क़यामत के दिन आमाल सबसे भारी होंगे

अल्लाह यहाँ एक सुंदर विपरीतता को आकर्षित करता है जब वह एक बार के भारी पहाड़ों की कद्र और उन आमालों की कद्र का ज़िक्र करता है जिन्हें आमतौर पर कम समझा जाता है। इन आयतों में नाकाबिले यकीन है वो ये है कि भारी पहाड़ ऊन में फाड़े जाएंगे और भारहीन हो जाएंगे जबकि आमाल भारी होंगे। दुनिया में किये गए आमाल गैर महसूस होते हैं, लेकिन उस दिन उन्हें ठोस दर्जा दिया जाएगा।

इस दिन सब कुछ बदल जाएगा। हमारे लिए सबक यह है कि हमें किसी भी काम को बेकार नहीं समझना चाहिए। हमें इस दुन्याबी जिंदगी में इन आमालों का बदला न मिलकर, आखिरत में ये आमाल काम आयिंगे।

ऐसा करने के लिए हमारा मज़ाक भी उड़ाया जा सकता है क्योंकि वे उन लोगों के ख्यालात के खिलाफ होंगे जो अपनी दुन्याबी ख्वाहिशात का पीछा कर रहे हैं। हमारा इनाम अल्लाह के पास है जो हमें क़यामत के दिन मिलेगा। यह न केवल बेहतर होगा बल्कि अब्दी भी होगा।

5. जहन्नुम की आग

इस सूरह आखिरी आयात में, अल्लाह सुब्हना व तआला ने जहन्नुम की हौलनाक आग को बयान किया है। सूरह अल क़रियाह से पहले और बाद की सूरते उन लोगों के प्रकार को बयान करतीं हैं जो इस आग के लायक हैं: क्रमशः अल अदियत और अत-तकासुर

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैह बसल्लम ने एक जगह फरमाया है: कि जिस आग को हम इस दुनिया में महसूस कर सकते हैं, वह त्वचा के संपर्क में आने पर कितनी दर्दनाक होती है। लेकिन अल्लाह ने जहन्नुम की आग को 70 गुना ज्यादा तेज कर दिया है।

यह तुलना हमें यह महसूस करने के लिए काफी होनी चाहिए कि आख़िरत की सजा कितनी हौलनाक हो सकती हैं। हमें अपने आमालों को एक साथ रखने और खुद को उस आग से बचाने के लिए तैयार रहने की जरूरत है क्योंकि इस दुनिया को खुश करना बेकार है।

सूरह क़ारिअह की मुख़्तसर तफ्सीर

पहली तीन आयतों में, तीन बार अल क़ारिअह का लफ्ज़ आया है जिस से मुराद यहाँ पर क़यामत के दिन सूर से है ( जो कि दिल दहलाने वाला वाक़िया होगा ) जिसको हज़रत इसराफील अ.स. फूंकेंगे, जिस से घबरा कर लोग मर जायेंगे यहाँ पर बार बार इस लफ्ज़ को लाकर उस की अहमियत बताई जा रही है।

चौथी आयत में पतिंगे कमज़ोर भी होते हैं और बिखरे हुए भी। तो बताना मक़सूद ये है कि इंसान उस वक़्त कमज़ोर और बिखरे हुए होंगे। जिस तरह पतिंगे बिखरे और कमज़ोर होते हैं।

आयत न. 5 में है जब ऊन को धुंका जाये तो ऊन हवा में उड़ता रहता है फिर अगर उन पर रंग डाला गया तो अलग अलग रंगों में नज़र आते हैं और चूंकि पहाड़ की चट्टानें अलग-अलग रंगों की होती हैं तो उस वक़्त वो भी अलग रंगों की होंगी और ऊन के माफिक हो जायेंगे।

आयत न. 6 से 8 में है कि उस दिन यानी कयामत के दिन लोगों के आमाल तोले जायेंगे जिस के आमाल का वज़न बढ़ा होगा उसकी ज़िन्दगी अच्छी गुजरेगी और जिसका वज़न कम होगा वो नुकसान उठाएगा और हमेशा के लिए तकलीफ देने वाली ज़िन्दगी गुजारनी होगी।

आमाल के तौलने में दो बातें ज़िक्र की गयी हैं।

अल्लाह के यहाँ कौन से अमल की अहमियत है?

अल्लाह के यहाँ आमाल की तादाद की अहमियत नहीं है बल्कि मेअयार की अहमियत है ( यानि Quantity नहीं बल्कि Quality की अहमियत है ) एक छोटा सा अमल जो सिर्फ अल्लाह के लिए किया गया हो हो सकता है उन कई आमाल से आगे बढ़ जाये जो सिर्फ़ दिखावे के लिए किये गए हों इसीलिए ये नहीं फ़रमाया कि गिने जायेंगे बल्कि फ़रमाया तोले जायेंगे।

आमाल कैसे तोले जायेंगे ?

तोली तो वो चीज़ें जाती हैं जिनका कोई जिस्म हो लेकिन आमाल तो सिर्फ एक कैफियत का नाम है जिसकी लम्बाई, चौड़ाई, गहराई तो है नहीं।

तो जान लीजिये कि आज खून में शूगर और कोलेस्ट्रोल कितना है मालूम कर लिया जाता है बुखार और ब्लड प्रेशर को तोल लिया जाता है। किसने कितना करंट इस्तेमाल किया इसका वज़न कर लिया जाता है।

इसी तरह अल्लाह तआला आमाल तोलने की कोई तराज़ू कायम करेंगे जो तुरंत इंसान की नेकियों और बुराइयों का हिसाब कर देगी। अल्लाह इस कायनात का मालिक है, उसके काबू में सारा जहाँ है, वो जो चाहे वो कर सकता है।

आयत न. 11 में है कि हविया जो कि दोज़ख़ के एक ख़ास दरजे का नाम है, बयाँ किया गया है।

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