Surah Rahman in Hindi Pdf | सूरह रहमान हिंदी में तर्जुमा के साथ

सूरह रहमान मदनी सूरह है, और इस में 78 आयतें हैं। कुरआन में सूरह रहमान 30वें पारा में 55वीं सूरह है। इस Surah Rahman in Hindi में, हमारी रोज़ाना की ज़िन्दगी में आने वाली परेशानी और मुश्किलात का हल मौजूद है।

पहले ही लफ़्ज़ अर रहमान को इस सूरा का नाम क़रार दिया गया है। इसका मतलब ये है कि जो अल रहमान से शुरू होती है ताहम इस नाम को सूरत के मज़मून से भी गहिरी मुनासबत है, क्योंकि इस में शुरू से आख़िर तक अल्लाह ताला की सिफ़त को बताया गया है।

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आज हम इस पोस्ट में surah rahman hindi me, surah rahman pdf hindi mein, surah rahman hindi tarjuma और सूरह रहमान की हिंदी तफसीर पढेंगे।

इस सूरे में अल्लाह ताला ने जो नेमते हम लोगो को दी है उसको याद दिलाया है, हम लोगो को चाहिए की अल्लाह की दी हुई नेमतों का शुक्र अदा करे जैसे की शुक्र अदा करने का हक़ है

सूरह रहमान के बारे में

इस सूरह का शरुआत अल्लाह के मुबारक नाम ((रहमान)) से हुई है। इसलिये इस का नाम सूरह रहमान है।

• इस की शरुआत की आयतों में रहमान (अत्यंत कृपाशील) की सब से बड़ी दया का वर्णन हुआ है कि उस ने मनुष्य को कुरआन का ज्ञान प्रदान किया और उसे बात करने की शक्ति दी जो उस का विशेष गुण है।

• फिर आयत 12 तक धरती तथा आसमान की विचित्र चीज़ों को बयाँ कर के यह प्रश्न किया गया है कि तुम अपने अल्लाह की किन-किन उपकारों तथा नेमतों को ठुकराओगे?

• इस की आयत 13 से 30 तक जिन्नों तथा मनुष्यों की उत्पत्ति, दो पूर्व तथा पश्चिमों की दूरी, दो सागरों का संगम तथा इस प्रकार की अन्य विचित्र निशानियों और अल्लाह की दया की ओर ध्यान दिलाया गया है।

• आयत 31 से 45 तक मनुष्यों तथा जिन्नों को उन के पापों पर कड़ी चेतावनी दी गई है कि वह दिन आ ही रहा है जब तुम्हारे किये का दुःखदायी दण्ड तुम्हें मिलेगा।

• अन्त में उन का शुभ परिणाम बताया गया है जो अल्लाह से डरते रहे। और फिर जन्नत के सुखों की एक झलक दिखायी गई है।

सूरह रहमान हिंदी में ( Surah Rahman in Hindi with Translation)

यहाँ पर सूरे रहमान के अरबी अल्फाज़ को हिंदी में लिखा है जिससे जिसको अरबी नहीं आती वो भी अरबी अल्फाज़ को पढ़ सकता है, और उसके निचे हिंदी तर्जुमा भी लिखा है, आप हिंदी का तर्जुमा भी पढ़ सकते है

अऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम

अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत मेहरबान रहमत वाला हैं

अर रहमान
वही बेहद महेरबान खुदा है

अल लमल कुरआन
जिसने कुरान की तालीम दी

खलक़ल इंसान
उसी ने इंसान को पैदा किया

अल लमहुल बयान
और उसको बोलना सिखाया

अश शम्सु वल कमरू बिहुस्बान
सूरज और चाँद एक ख़ास हिसाब के पाबन्द हैं

वन नज्मु वश शजरू यस्जुदान
तारे और दरख़्त ( पेड़ ) सब सजदे में हैं

वस समाअ रफ़ाअहा व वदअल मीज़ान
उसी ने आसमान को बलंद किया और तराज़ू क़ायम की

अल्ला ततगव फिल मीज़ान
ताकि तुम तौलने में कमी बेशी न करो

व अक़ीमुल वज्ना बिल किस्ति वला तुख सिरुल मीज़ान
इन्साफ के साथ ठीक ठीक तौलो और तौल में कमी न करो

वल अरदा वदअहा लिल अनाम
और ज़मीन को उसने मख्लूक़ के लिए बनाया है

फ़ीहा फाकिहतुव वन नख्लु ज़ातुल अक्माम
जिसमें मेवे और खजूर के दरख़्त हैं, जिनके खोशों पर गिलाफ़ चढ़े हुए हैं

वल हब्बु जुल अस्फि वर रैहान
और जिसमें भूसे वाला अनाज और ख़ुशबूदार फूल होता है

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

खलक़ल इन्सान मिन सल सालिन कल फख्खार
उसने इंसान को ठीकरे जैसी खनखनाती हुई मिट्टी से पैदा किया

व खलक़ल जान्ना मिम मारिजिम मिन नार
और जिन्नात को आग के शोले से पैदा फ़रमाया है

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

रब्बुल मश रिकैनि व रब्बुल मगरिबैन
वही दोनों मशरिकों और दोनों मगरिबों का भी रब है

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

मरजल बह रैनि यल तकियान
उसने दो ऐसे समंदर जारी किये, जो आपस में मिलते हैं

बैनहुमा बरज़खुल ला यब गियान
लेकिन उन दोनों के दरमियान एक रुकावट है कि दोनों एक दुसरे की तरफ़ बढ़ नहीं सकते

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

यख रुजु मिन्हुमल लुअ लूऊ वल मरजान
उन दोनों से बड़े बड़े और छोटे छोटे मोती निकलते हैं

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

वलहुल जवारिल मून शआतु फिल बहरि कल अअ’लाम
और उसी के कब्जे में रवां दवा वो जहाज़ हैं जो समंदर में पहाड़ों की तरह ऊंचे खड़े हैं

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

कुल्लू मन अलैहा फान
जो कुछ भी ज़मीन पर है सब फ़ना होने (मिटने) वाला है

व यब्का वज्हु रब्बिका जुल जलालि वल इकराम
और सिर्फ़ आप के रब की ज़ात बाक़ी रहेगी जो बड़ी इज्ज़त व करम व करम वाली होगी

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

यस अलुहू मन फिस समावाति वल अरज़ि कुल्ला यौमिन हुवा फ़ी शअन
आसमानों ज़मीन में जो लोग भी हैं, वो सब उसी से मांगते हैं हर रोज़ उस की एक शान है

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

सनफ रुगु लकुम अय्युहस सक़लान
ए इंसान और जिन्नात ! अनक़रीब हम तुम्हारे हिसाबो किताब के लिए फारिग़ हो जायेंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

या मअशरल जिन्नि वल इन्सि इनिस त तअतुम अन तन्फुजु मिन अक तारिस सामावती वल अरज़ि फनफुजू ला तन्फुजूना इल्ला बिसुल तान
ए इंसानों और जिन्नातों की जमात ! अगर तुम आसमान और ज़मीन की हदों से निकल भाग सकते हो तो निकल भागो मगर तुम बगैर ज़बरदस्त कुव्वत के नहीं निकल सकते

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

युरसलू अलैकुमा शुवाज़ुम मिन नारिव व नुहासून फला तन तसिरान
तुम पर आग के शोले और धुवां छोड़ा जायेगा फिर तुम मुकाबला नहीं कर सकोगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

फ़इजन शक़ क़तिस समाउ फकानत वर दतन कद दिहान
फिर जब आसमान फट पड़ेगा और तेल की तिलछट की तरह गुलाबी हो जायेगा

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

फयौम इज़िल ला युस अलु अन ज़मबिही इन्सुव वला जान
फिर उस दिन न किसी इंसान से उस के गुनाह के बारे में पुछा जायेगा न किसी जिन से

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

युअ रफुल मुजरिमूना बिसीमाहुम फ़युअ खजु बिन नवासी वल अक़दाम
उस दिन गुनाहगार अपने चेहरे से ही पहचान लिए जायेंगे, फिर वो पेशानी के बालों और पांव से पकड़ लिए जायेंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

हाज़िही जहन्नमुल लती युकज्ज़िबू बिहल मुजरिमून
यही वो जहन्नम है जिसको मुजरिम लोग झुटलाया करते थे

यतूफूना बैनहा व बैन हमीमिन आन
वो दोज़ख़ और खौलते हुए पानी के दरमियान चक्कर लगायेंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

व लिमन खाफ़ा मक़ामा रब्बिही जन नतान
और जो अपने रब के सामने खड़े होने से डरता था उसके लिए दो जन्नते हैं

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

ज़वाता अफ्नान
दोनों बाग़ बहुत सी टहनियों वाले ( घने ) होंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

फीहिमा ऐनानि तजरियान
दोनों में दो चश्मे बह रहे होंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

फीहिमा मिन कुल्लि फकिहतिन ज़वजान
उन बाग़ों में हर मेवे दो दो किस्मों के होंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

मुततकि ईना अला फुरुशिम बताईनुहा मिन इस्तबरक़ वजनल जन्नतैनी दान
( जन्नती लोग ) ऐसे बिस्तरों पर आराम से तकिया लगाये होंगे जिन के अस्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों के फ़ल (क़रीब ही) झुके हुए होंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

फ़ी हिन्ना कासिरातुत तरफि लम यतमिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
उन में नीची नज़र रखने वाली हूरें होंगी, जिन को उन से पहले न किसी इंसान ने हाथ लगाया होगा न किसी जिन ने

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

क अन्न हुन्नल याकूतु वल मरजान
वो हूरें ऐसी होंगी जैसे वो याकूत और मोती हों

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

हल जज़ा उल इहसानि इल्लल इहसान
भला अहसान ( नेक अमल ) का बदला अहसान ( बेहतर अज्र ) के सिवा कुछ और भी हो सकता है

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

वमिन दूनिहिमा जन नतान
और उन दो बाग़ों के अलावा दो और बाग़ भी होंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

मुद हाम मतान
जो दोनों गहरे सब्ज़ रंग के होंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

फीहिमा ऐनानि नज्ज़ा खतान
उन दोनों बाग़ों में दो उबलते हुए चश्मे भी होंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

फीहिमा फाकिहतुव व नख्लुव वरुम मान
उन में मेवे, खजूर, और अनार होंगे

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

फिहिन्ना खैरातुन हिसान
उन में नेक सीरत ख़ूबसूरत औरतें भी होंगी

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

हूरुम मक्सूरातुन फिल खियाम
खेमों में महफूज़ गोरी रंगत वाली हूरें भी होंगी

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

लम यत मिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
उन से पहले न किसी इंसान ने हाथ लगाया होगा न किसी जिन ने

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

मुत तकि ईना अला रफ़रफिन खुजरिव व अब्क़रिय यिन हिसान
( जन्नती लोग ) सब्ज़ तकियों और खूबसूरत कालीनों पर टेक लगाये होंगें

फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे

तबा रकस्मु रब्बिका ज़िल जलाली वल इकराम
आप के परवरदिगार, जो बड़े जलाल व अज़मत वाले हैं, उन का नाम बड़ा ही बा बरकत है

सूरह रहमान इमेजेज ( Surah Ar-Rahman Hindi Printable Image )

दोस्तों यहाँ हमने आपके लिये सूरह रहमान हिंदी में लिखी हुई इमेज मौजूद करायी है। आप इस फोटो को अपने फ़ोन या लैपटॉप में सेव कर सकते है।

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सूरह रहमान पीडीऍफ़ हिंदी में ( Download Surah Rahman Pdf in Hindi )

मेरे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों जैसा की आपने ऊपर सूरह रहमान को हिंदी में तर्जुमा के साथ पढ़ा ही होगा। साथ ही साथ आपने Surah Rehman Ka Tarjuma Hindi Mein भी पढ़ा होगा।

यहाँ हमने Surah Rahman Pdf Hindi मौजूद करायी है आप आसानी के साथ सूरह फातिहा की पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते है।

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सूरह रहमान तफसीर हिन्दी में

हमारे प्यारे दोस्तों, हमने नीचे आपके लिए सूरह रहमान की तफसीर आयत के हिसाब से मौजूद करायी है। उम्मीद है आप सूरह रहमान की हिंदी तफसीर को जरूर पढ़ेंगे।

सूरए रहमान मदीने में उतरी, इसमें 78 आयतें, तीन रूकू हैं।

सूरए रहमान – पहला रूकू (1-25)

अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमत वाला (1)
(1) सूरए रहमान मक्की है इसमें तीन रूकूअ, छिहत्तर या अठहत्तर आयतें, तीन सौ इक्यानवे कलिमे और एक हज़ार छ सौ छत्तीस अक्षर हैं।

रहमान ने {1} अपने मेहबूब को क़ुरआन सिखाया(2){2}
(2) जब आयत “उस्जुदू लिर्रहमाने” यानी रहमान को सजदा करो (सूरए अलफ़ुरक़ान, आयत 60) उतरी, मक्के के काफ़िरों ने कहा, रहमान क्या है हम नहीं जानते, इसपर अल्लाह तआला ने अर्रहमान उतारी कि रहमान जिसका तुम इन्कार करते हो वही है जिसने क़ुरआन नाज़िल किया।

और एक क़ौल है कि मक्के वालों ने जब कहा कि मुहम्मद को कोई बशर सिखाता है तो यह आयत उतरी और अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि रहमान ने क़ुरआन अपने हबीब सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को सिखाया। (ख़ाज़िन)

इन्सानियत की जान मुहम्मद को पैदा किया {3} माकाना व मायकून (जो हुआ और जो होने वाला है) का बयान उन्हें सिखाया(3){4}
(3) इन्सान से इस आयत में सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम मुराद हैं। और बयान से मकाना वमा यकून का बयान क्योंकि नबीये करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अगलों पिछलों की ख़बरें देते थे। (ख़ाज़िन)

सूरज और चांद हिसाब से हैं। (4){5}
(4) कि निर्धारित तक़दीर के साथ अपने बुर्जों और मंज़िलों में यात्रा करते हैं और उसमें सृष्टि के लिये फ़ायदे हैं. औक़ात के हिसाब से बरसों और महीनों की गिनती उन्हीं पर है।

और सब्ज़े़ और पेड़ सज्दे करते हैं(5){6}
(5) अल्लाह के हुक्म के आधीन हैं।

और आसमानों को अल्लाह ने बलन्द किया(6)
(6) और अपने फ़रिश्तों का ठिकाना और अपने अहकाम का केन्द्र बनाया।

और तराज़ू रखी(7){7}
(7) जिससे चीज़ों का वज़न किया जाए और उनकी मात्राएं मालूम हों ताकि लैन दैन में न्याय हो सके।

कि तराज़ू में बेएतिदाली न करो(8){8}
(8) ताकि किसी का अधिकार न मारा जाए।

और इन्साफ़ के साथ तौल क़ायम करो और वज़न न घटाओ {9} और ज़मीन रखी मख़लूक़ के लिये (9){10}
(9) जो उसमें रहती बस्ती है ताकि उसमें आराम करें और फ़ायदे उठाएं।

उसमें मेवे और ग़लाफ़ वाली खजूरें (10){11}
(10) जिनमें बहुत बरकत है।

और भूस के साथ अनाज(11)
(11) गेहूँ जौ वग़ैरह के समान।

और ख़ुश्बू के फूल{12} तो ऐ जिन्न व इन्स (मानव), तुम दोनों अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे(12){13}
(12) इस सूरत में यह आयत 31 बार आई है. बारबार नेअमतों का ज़िक्र फ़रमाकर यह इरशाद फ़रमाया गया है कि अपने रब की कौन सी नेअमत को झुटलाओगे।

यह हिदायत और सीख का बेहतरीन अन्दाज़ है ताकि सुनने वाले की अन्तरात्मा को तम्बीह हो और उसे अपने जुर्म और नाशुक्री का हाल मालूम हो जाए कि उसने कितनी नेअमतों को झुटलाया है और उसे शर्म आए और वह शुक्र अदा करने और फ़रमाँबरदारी की तरफ़ माइल हो और यह समझ ले कि अल्लाह तआला की अनगिन्त नेअमतें उस पर हें।

हदीस शरीफ़ में है सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि यह सूरत मैंने जिन्नात को सुनाई, वो तुमसे अच्छा जवाब देते थे। जब मैं आयत “तो तुम दोनो अपने रब की कौन सी नेअमत को झुटलाओगे” पढता, वो कहते ऐ रब हमारे हम तेरी किसी नेअमत को नहीं झुटलाते, तुझे हम्द है। (तिर्मिज़ी)

आदमी को बनाया बजती मिट्टी से जैसे ठीकरी(13){14}
(13) यानी सूखी मिट्टी से जो बजाने से बजे और कोई चीज़ खनखनाती आवाज़ दे. फिर उस मिट्टी को तर किया कि वह गारे की तरह हो गई फिर उसको गलाया कि वह काली कीच तरह हो गई।

और जिन्न को पैदा फ़रमाया आग के लूके (लपट) से(14){15}
(14) यानी ख़ालिस बग़ैर धुएं वाले शोले से।

तो तुम दोनों अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {16} दोनों पूरब का रब और दोनो पश्चिम का रब(15) {17}
(15) दोनो पूरब और दोनो पच्छिम से मुराद सूरज के उदय होने के दोनों स्थान हैं गर्मी के भी और जाड़े के भी। इसी तरह अस्त होने के भी दोनों स्थान हैं।

तो तुम दोनों अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे{18} उसने दो समन्दर बहाए(16)
(16) मीठा और खारी।

कि देखने में मालूम हो मिले हुए(17){19}
(17) न उनके बीच ज़ाहिर में कोई दीवार न कोई रोक।

और हैं उनमें रोक(18)
(18) अल्लाह तआला की क़ुदरत से।

कि एक दूसरे पर बढ़ नहीं सकता (19){20}
(19) हर एक अपनी सीमा पर रहता है और किसी का स्वाद नहीं बदलता।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {21} उनमें से मोती और मूंगा निकलता है। {22} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {23} और उसी की हैं वो चलने वालियाँ कि दरिया में उठी हुई हैं जैसे पहाड़ (20){24} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे। {25}
(20) जिन चीज़ों से वो किश्तियाँ बनाई गईं वो भी अल्लाह तआला ने पैदा कीं और उनको तर्कीब देने और किश्ती बनाने और सन्नाई करने की अक़ल भी अल्लाह तआला ने पैदा की और दरियाओं में उन किश्तियों का चलना और तैरना यह सब अल्लाह तआला की क़ुदरत से है।

सूरए रहमान – दूसरा रूकू (26-45)

ज़मीन पर जितने हैं सब को फ़ना है(1){26}
(1) हर जानदार वगै़रह हलाक होने वाला है।

और बाक़ी है तुम्हारे रब की ज़ात अज़मत और बुज़ुर्गी वाला(2){27}
(2) कि वह सृष्टि के नाश के बाद उन्हें ज़िन्दा करेगा और हमेशा की ज़िन्दगी अता करेगा और ईमानदारों पर लुत्फ़ो करम करेगा।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {28} उसी के मंगता हैं जितने आसमानों और ज़मीन में हैं(3)
(3) फ़रिश्ते हों या जिन्न या इन्सान या और कोई प्राणी, कोई भी उससे बेनियाज़ नहीं. सब उसकी मेहरबानी के मोहताज हैं और हर सूरत में उसकी बारगाह में सवाली।

उसे हर दिन एक काम है (4) {29}
(4) यानी वह हर वक़्त अपनी क़ुदरत के निशान ज़ाहिर फ़रमाता है किसी को रोज़ी देता है, किसी को मारता है, किसी को जिलाता है, किसी को इज़्ज़त देता है, किसी को ज़िल्लत, किसी को ग़नी करता है, किसी को मोहताज, किसी के गुनाह बख़्शता है, किसी की तकलीफ़ दूर करता है।

कहा गया है कि यह आयत यहूदियों के रद में उतरी जो कहते थे कि अल्लाह तआला सनीचर के दिन कोई काम नहीं करता।उनके क़ौल का खुला रद फ़रमाया गया।कहते हैं कि एक बादशाह ने अपने वज़ीर से इस आयत के मानी पूछे। उसने एक दिन का समय मांगा और बड़ी चिन्ता और दुख की हालत में अपने मकान पर आया। उसके एक हब्शी ग़ुलाम ने वज़ीर को परेशान देखकर कहा ऐ मेरे मालिक आपको क्या मुसीबत पेश आई।

वज़ीर ने बयान किया तो ग़ुलाम ने कहा कि इसके मानी मैं बादशाह को समझा दूंगा। वज़ीर ने उसको बादशाह के सामने पेश किया तो ग़ुलाम ने कहा ऐ बादशाह अल्लाह की शान यह है कि वह रात को दिन में दाख़िल करता है और दिन को रात में और मुर्दे से ज़िन्दा निकालता है और ज़िन्दा से मुर्दे को और बीमार को स्वास्थ्य देता है और स्वस्थ को बीमार करता है। मुसीबत ज़दा को रिहाई देता है और बेग़मों को मुसीबत में जकड़ता है।

इज़्ज़त वालों को ज़लील करता है और ज़लीलों को इज़्ज़त देता है, मालदारों को मोहताज करता है, मोहताजों को मालदार, बादशाह ने ग़ुलाम का जवाब पसन्द किया और वज़ीर को हुक्म दिया कि ग़ुलाम को विज़ारत का ख़िलअत पहनाए, ग़ुलाम ने वज़ीर से कहा ऐ आक़ा यह भी अल्लाह की एक शान है।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओंगे {30} ज़ल्द सब काम निपटाकर हम तुम्हारे हिसाब का क़स्द फ़रमाते हैं ऐ दोनो भारी गिरोह (5){31}
(5) जिन्न व इन्स के।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {32} ऐ जिन्न व इन्स के गिरोह, अगर तुम से हो सके कि आसमानों और ज़मीन के किनारों से निकल जाओ तो निकल जाओ, जहाँ निकल कर जाओगे उसी की सल्तनत है(6){33}
(6) तुम उससे कहीं भाग नहीं सकते।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {34} तुम पर(7)
(7) क़यामत के दिन जब तुम क़ब्रों से निकलोगे।

छोड़ी जाएगी बेधुंए की आग की लपट और बेलपट का काला धुंआं(8)
(8) इमाम अहमद रज़ा ने फ़रमाया लपट में धुवाँ हो तो उसके सब हिस्से जलाने वाले न होंगे कि ज़मीन के हिस्से शामिल हैं जिनसे धुंआँ बनता है और धुंऐं में लपट हो तो वह पूरा सियाह और अंधेरा न होगा कि लपट की रंगत शामिल है उनपर बेधुंवे की लपट भेजी जाएगी जिसके सब हिस्से जलाने वाले होंगे और बेलपट का धुवाँ जो सख़्त काला अंधेरा और उसी के करम की पनाह……

तो फिर बदला न ले सकोगे(9){35}
(9) उस अज़ाब से न बच सकोगे और आपस में एक दूसरे की मदद न कर सकोगे बल्कि यह लपट और धुवाँ तुम्हें मेहशर की तरफ़ ले जाएंगे। पहले से इसकी ख़बर दे देना यह भी अल्लाह तआला का करम है ताकि उसकी नाफ़रमानी से बाज़ रह कर अपने आपको उस बला से बचा सको।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {36} फिर जब आसमान फट जाएगा तो ग़ुलाब के फूल सा हो जाएगा (10)
(10) कि जगह जगह से शक़ और रंगत का सुर्ख़।

जैसे सुर्ख़ नरी (बकरे की रंगी हुई खाल) {37} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे{38}
तो उस दिन(11)
(11) यानी जबकि मुर्दे क़ब्रों से उठाए जाएंगे और आसमान फटेगा।

गुनाहगार के गुनाह की पूछ न होगी किसी आदमी और जिन्न से(12){39}
(12) उस रोज़ फ़रिश्ते मुजरिमों से पूछेंगे नहीं, उनकी सूरतें ही देखकर पहचान लेंगे। और सवाल दूसरे वक़्त होगा जब मैदाने मेहशर में जमा होंगे।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {40} मुजरिम अपने चेहरे से पहचाने जाएंगे(13)
(13) कि उनके मुंह काले और आँखें नीली होंगी।

तो माथा और पाँव पकड कर जहन्नम में डाले जाएंगे(14){41}
(14) पाँव पीठे के पीछे से लाकर पेशानियों से मिला दिये जाएंगे और घसीट कर जहन्नम में डाले जाएंगे और यह भी कहा गया है कि कुछ लोग पेशानियों से घसीटे जाएंगे. कुछ पाँव से।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे (15) {42}
(15) और उनसे कहा जाएगा।

यह है वह जहन्नम जिसे मुजरिम झुटलाते हैं {43} फेरे करेंगे इसमें और इन्तिहा के जलते खौलते पानी में(16){44} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे{45}
(16) कि जब जहन्नम की आग से जल भुनकर फ़रियाद करेंगे तो उन्हें जलता खौलता पानी पिलाया जाएगा और उसके अज़ाब में मुब्तिला किये जाएंगे। ख़ुदा की नाफ़रमानी के इस परिणाम से आगाह करना अल्लाह की नेअमत है।

सूरए रहमान – तीसरा रूकू (46-78)

और जो अपने रब के हुज़ूर (समक्ष) खड़े होने से डरे(1)
(1) यानी जिसे अपने रब के हुज़ूर क़यामत के दिन मेहशर के मैदान में हिसाब के लिये खड़े होने का डर हो और वह गुनाह छोड़ दे और अल्लाह के अहकाम पर अमल करे।

उसके लिये दो जन्नतें हैं(2){46}
(2) जन्नते अदन और जन्नते नईम और यह भी कहा गया है कि एक जन्नत रब से डरने का सिला और एक वासना त्यागने का इनआम।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे{47} बहुत सी डालों वालियाँ(3){48}
(3) और हर डाली में क़िस्म क़िस्म के मेवे।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे{49} उनमें दो चश्मे बहते हैं (4){50}
(4) एक मीठे पानी का और एक पवित्र शराब का या एक तस्नीम दूसरा सलसबील।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {51} उनमें हर मेवा दो दो क़िस्म का {52} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {53} और ऐसे बिछौनों पर तकिया लगाए जिनका अस्तर क़नादीज़ का (5)
(5) यानी संगीन रेशम का जब अस्तर का यह हाल है तो अबरा कैसा होगा, सुब्हानल्लाह !

और दोनों के मेवे इतने झुके हुए कि नीचे से चुन लो (6){54}
(6) हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा ने फ़रमाया कि दरख़्त इतना क़रीब होगा कि अल्लाह तआला के प्यारे खड़े बैठे उसका मेवा चुन लेंगे।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {55} उन बिछौनों पर वो औरतें हैं कि शौहर के सिवा किसी को आँख उठा कर नहीं देखतीं(7)
(7) जन्नती बीबियाँ अपने शौहर से कहेंगी मुझे अपने रब के इज़्ज़तो जलाल की क़सम, जन्नत में मुझे कोई चीज़ तुझ से ज़्यादा अच्छी नहीं मालूम होती, तो उस ख़ुदा की हम्द है जिसने तुझे मेरा शौहर किया और मुझे तेरी बीबी बनाया।

उनसे पहले उन्हें न छुआ किसी आदमी और न जिन्न ने{56} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {57} गोया वो लअल और याक़ूत और मूंगा हैं (8) {58}
(8) सफ़ाई और ख़ुशरंगी में। हदीस शरीफ़ में है कि जन्नती हूरों के शरीर की नफ़ासत का यह हाल है कि उनकी पिंडली का गूदा इस तरह नज़र आता है जिस तरह बिल्लौर की सुराही में लाल शराब।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {59} नेकी का बदला क्या है मगर नेकी (9){60}
(9) यानी जिसने दुनिया में नेकी की उसकी जज़ा आख़िरत में अल्लाह का एहसान है, हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा ने फ़रमाया कि जो लाइलाहा इल्लल्लाह का क़ायल हो और शरीअते मुहम्मदिया पर आमिल, उसकी जज़ा जन्नत है।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {61} और इनके सिवा दो जन्नतें और हैं(10){62}
(10) हदीस शरीफ़ में है कि दो जन्नतें तो ऐसी हैं जिनके बर्तन और सामान चाँदी के हैं और दो जन्नतें ऐसी है जिनके सामान और बर्तन सोने के. और एक क़ौल यह भी है कि पहली दो जन्नते सोने और चाँदी की और दूसरी याक़ूत और ज़बरजद की।

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {63} निहायत सब्ज़ी से सियाही की झलक दे रही है {64} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे{65} उनमें दो चश्में हैं छलकते हुए। {66} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {67} उनमें मेवे और खजूरें और अनार हैं {68} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {69} उनमें औरतें हैं आदत की नेक, सूरत की अच्छी। {70}

तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {71} हूरें हैं ख़ैमों में पर्दा नशीन(11){72}
(11) कि उन ख़ैमों से बाहर नहीं निकलतीं यह उनकी शराफ़त और करामत है। हदीस शरीफ़ में है कि अगर जन्नती औरतों में से किसी एक की झलक ज़मीन की तरफ़ पड़ जाए तो आसमान और ज़मीन के बीच की तमाम फ़ज़ा रौशन हो जाए और ख़ुश्बू से भर जाए और उनके ख़ैमे मोती और ज़बरजद के होंगे।

तो अपने रब की कौन सी नेअमतें झुटलाओगे {73} उनसे पहले उन्हें हाथ न लगाया किसी आदमी और जिन्न ने {74} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे(12){75}
(12) और उनके शौहर जन्नत में ऐश करेंगे।

तकिया लगाए हुए सब्ज़ बिछौनों और मुनक़्क़श ख़ूबसूरत चांदनियों पर {76} तो अपने रब की कौन सी नेअमत झुटलाओगे {77} बड़ी बरकत वाला है तुम्हारे रब का नाम जो अज़मत और बुज़ुर्गी वाला {78} (13)

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