Surah Takasur in Hindi with Pdf | सूरह तकासुर हिंदी में तर्जुमा के साथ

Last updated on सितम्बर 7th, 2022 at 06:45 अपराह्न

इस पोस्ट में हम आपको सूरह तकासुर हिंदी में (Surah Takasur in Hindi) और सूरह तकासुर का हिंदी तर्जुमा (Surah Takasur ka Hindi Tarjuma) जानेंगे।

साथ ही साथ हमने सूरह तकासुर की हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड करने का लिंक भी दिया है, जिसकी मदद से आप सूरह तकासुर को हिंदी में डाउनलोड करके अपने पास रख सकते हैं, और जब मन हो इसकी तिलावत कर सकते हैं।

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शुरू करने से पहले सूरह तकासुर के बारे में कुछ जानकारी देख लेते हैं।

सूरह तकासुर कुरआन के पारा न० 30 की 102 नंबर सूरह है, सूरह तकासुर में कुल 8 आयतें हैं और ये मक्की सूरह है।

तकासुर का मतलब है (Surah Takasur Meaning in Hindi) होता है: – किसी भी चीज़ की कसरत (ज़्यादती) की ख्वाहिश और चाहत रखना चाहे माल ओ दौलत में हो औलाद में या ओहदे और शोहरत में हो।

सूरह का नामसूरह अत-तकासुर
पारा नंबर30
सूरह नंबर102
कुल आयतें8
कुल शब्द28
कुल अक्षर122

सूरह तकासुर हिंदी में पढ़ें (Surah Takasur In Hindi)

प्यारे साथियों यहाँ नीचे हमने आपके लिए Surah Takasur को Hindi में टेक्स्ट के जरिये मौजूद कराया है। आप सूरह तकासुर की आसानी के साथ पढ़कर तिलावत कर सकते हैं।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

अल्हाकुमुत् तकासुरु

हत्ता जुरतुमुल् मक़ाबिर

कल्ला सौ-फ़ तअ्लमून

सुम्म कल्ला सौ-फ़ तअ्लमून

कल्ला लौ तअ्लमू-न अिल्मल् यकी़न

ल-त-र वुन्नल् जहीम

सुम्म ल-त-र वुन्नहा अैनल् यक़ीन

सुम्म लतुस् अलुन्-न यौमइज़िन् अ़निन् नअ़ीम

क्या आप चार कुल जानते हैं? जानें: – कुरान के चार कुल हिंदी में

सूरह तकासुर तर्जुमा (Surah Takasur ka tarjuma hindi mein)

यहाँ पर हमने आपकी आसानी के लिए आसान लफ्ज़ो में Surah Takasur in Hindi Tarjuma में मौजूद कराया है। जिससे आप जब चाहे जहाँ भी इस सूरह को पढ़ सकते है।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है

अल्हाकुमुत् तकासुरु

कुल व माल की बहुतायत ने तुम लोगों को ग़ाफ़िल रखा

हत्ता जुरतुमुल् मक़ाबिर

यहाँ तक कि तुम लोगों ने कब्रें देखी (मर गए)

कल्ला सौ-फ़ तअ्लमून

देखो तुमको अनक़रीब ही मालुम हो जाएगा

सुम्म कल्ला सौ-फ़ तअ्लमून

फिर देखो तुम्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा

कल्ला लौ तअ्लमू-न अिल्मल् यकी़न

देखो अगर तुमको यक़ीनी तौर पर मालूम होता (तो हरगिज़ ग़ाफिल न होते)

ल-त-र वुन्नल् जहीम

तुम लोग ज़रूर दोज़ख़ को देखोगे

सुम्म ल-त-र वुन्नहा अैनल् यक़ीन

फिर तुम लोग यक़ीनी देखना देखोगे

सुम्म लतुस् अलुन्-न यौमइज़िन् अ़निन् नअ़ीम

फिर तुमसे नेअमतों के बारें ज़रूर बाज़ पुर्स की जाएगी

सूरह तकासुर की फोटो (Surah Takasur Printable Image)

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आपको ये भी जानना चाहिए: – अकीका क्या है और कैसे करें?

सूरह अत-तकासुर अरबी में (Surah Takasur In arabic)

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

أَلْهَاكُمُ التَّكَاثُرُ

حَتَّىٰ زُرْتُمُ الْمَقَابِرَ

كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ

ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ

كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ الْيَقِينِ

لَتَرَوُنَّ الْجَحِيمَ

ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ الْيَقِينِ

ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ

सूरह तकासुर की पीडीऍफ़ (Surah At-Takasur Hindi Pdf)

मेरे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों जैसा की आपने ऊपर सूरह तकासुर को हिंदी में तर्जुमा के साथ पढ़ा ही होगा। साथ ही साथ आपने Surah Al-Takasur की Hindi Image भी देखी होंगी।

यहाँ हमने Surah Al Takasur Hindi Pdf उपलब्ध करायी है आप आसानी के साथ सूरह तकासुर की पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते है।

सूरह तकासुर ऑडियो में सुनें

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों जैसा की आपने इस पोस्ट में सूरह तकासुर को सभी भाषाओं में टेक्स्ट और इमेजेज के जरिये पढ़ा ही होगा।

लेकिन अगर आप सूरह सुनना पसंद करते है, जिससे आपने दिल और दिमाग को आराम मिलता है।

उसके लिये हमने नीचे सूरह तकासुर की Mp3 फाइल डाउनलोड करने का लिंक दिया है। यहाँ से आप आसानी के साथ Surah Takasur Ki Mp3 को डाउनलोड कर सकते हो।

सूरह तकासुर के फायदे (Surah Takasur ki Fazilat)

🤲 1. सिरदर्द या माइग्रेन के दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए सूरह तकासुर की तिलावत कर सकते हैं। अपनी शहादत की ऊँगली को अपने माथे पर रखें और इस पाक सूरह का की तिलावत करें और इंशा अल्लाह, अल्लाह आपके दर्द को कम करेगा।

🤲 2. जिनका अल्लाह पर यकीन होता है, अल्लाह सुब्हाना व ताअला उनके गुनाहों को माफ़ करता है, जो मग़रिब की नमाज़ के बाद रोज़ाना सिर्फ एक बार सूरह अत-तकासुर की तिलावत करते हैं।

🤲 3. कर्ज से छुटकारा पाने के लिए, 17 दिनों तक ईशा की नमाज के बाद 170 बार सूरह अत-तकासुर की तिलावत करें। इंशा अल्लाह, अल्लाह की मदद से आप अपने सभी कर्जों से मुक्त हो जाएंगे।

🤲 4. यदि कंजूस व्यक्ति अपने कंजूसपन की आदत को दूर करना चाहता है, तो उसे फज्र की नमाज़ के बाद 21 बार सूरह अत-तकासुर पढ़ना चाहिए।

🤲 5. और अगर आप चाहते हैं कि किसी को इस आदत से छुटकारा मिले तो फज्र की नमाज़ के बाद 21 बार सूरह की तिलावत करें और उस व्यक्ति पर या उसके खाना/पानी पर फूंक मारें। इंशाअल्ला, उसका दिल दुख से मुक्त हो जाएगा।

सूरह तकासुर की तफसीर (Surah Takasur ki Tafseer)

दुनिया की मुहब्बत आख़िरत से गाफिल करने वाली चीज़ है

इरशाद होता है कि जब दुनिया की मुहब्बत और उसके हासिल करने की कोशिश ने तुम्हें आख़िरत की तलब और नेक कामों से गाफिल कर दिया , तुम इसी दुनिया की उधेड़ – बुन में रहे कि अचानक मौत आ गयी और तुम कब्रों में पहुँच गये।

रसूलुल्लाह सल्ल . ﷺ फरमाते हैं कि अल्लाह की इताअत से तुमने दुनिया की जुस्तजू में फंसकर बेतवज्जोही कर ली और मरते दम तक गफलत बरती । (इब्ने अबी हातिम)

हसन बसरी रह . फरमाते हैं कि माल और औलाद की ज़्यादती की हवस में मौत का ख्याल तक न आया।

सही बुखारी में है , हज़रत उबई बिन कब रजि . फरमाते हैं कि हमः ( यानी अगर इनसान के पास एक जंगल भरकर सोना हो ….. ) इसे हम कुरआन की आयत ही समझते रहे यहाँ तक कि सूरः तकासुर Surah Takasur नाज़िल हुई । Surah Takasur

मुस्नद अहमद में है , हज़रत अब्दुल्लाह बिन शिख्वीर रज़ि . फरमाते हैं कि मैं जनाब रसूले ख़ुदा सल्ल . ﷺ की खिदमत में जब आया तो आप इस आयत को पढ़ रहे थे ।

आपने फरमाया- आदम का बेटा कहता रहता है कि मेरा माल मेरा माल , हालाँकि तेरा माल सिर्फ वह है जिसे तूने खाकर फना कर दिया , या पहनकर फाड़ दिया , या सदका देकर बाक़ी रख लिया। सही मुस्लिम शरीफ में इतना और ज़्यादा है कि इसके सिवा जो कुछ है उसे तो तू लोगों के लिये छोड़कर चल देगा।

बुख़ारी की हदीस में है कि मय्यत के साथ तीन चीजें जाती हैं जिनमें से दो तो पलट आती हैं सिर्फ एक साथ रह जाती है। वो तीन चीजें है घर वाले , माल और आमाल। घर वाले और माल तो लौट आये , अमल साथ रह गये।

मुस्नद अहमद की हदीस में है कि इनसान बूढ़ा हो जाता है लेकिन दो चीजें उसके साथ बाकी रह जाती हैं , लालच और लम्बी आरजूयें।

हज़रत ज़हाक रह . ने एक शख्स के हाथ में एक दिरहम देखकर पूछा कि यह दिरहम किसका है ? उसने कहा मेरा , फरमाया तेरा तो उस वक्त होगा कि जब किसी नेक काम में तू खर्च कर दे या अल्लाह के शुक्र के तौर पर खर्च करे।

हज़रत अहनफ बिन कैस रह . ने इस वाकिए को बयान करके फिर यह शेर पढ़ाः यानी जब तू माल को लिये बैठा है तो तू माल की मिल्कियत में है , हाँ जब उसे खर्च कर देगा उस वक्त माल तेरी मिल्कियत में हो जायेगा।

इब्ने बुरैदा रह . फरमाते हैं कि अन्सार के कबीले बनू हारिसा और बनू हारिस आपस में फन व गुरूर करने लगे ( यानी अपनी बड़ाई जताने लगे ) एक कहता देखो हम हैं फुलाँ शख्स ऐसा बहादुर, ऐसा ताकतवर या इतना मालदार वगैरह। दूसरे कबीले वाले भी अपने में के ऐसों को पेश करते थे।

जब ये ज़िन्दों के साथ फन कर चुके और अपनी शान बघार चुके तो कहने लगे कि आओ कब्रिस्तान में चलें, वहाँ जाकर अपने-अपने मुर्दो की कब्रों की तरफ इशारा करके कहने लगे बतलाओ इस जैसा भी तुम में कोई गुज़रा है?

वे, उन्हें अपने मुर्दो के साथ इल्ज़ाम देने लगे। इस पर ये सूरः तकासुर Surah Takasur की दोनों शुरू की आयतें उतरीं कि तुम अपनी बड़ाईयाँ जताते हुए और आपस में फक्र करते हुए कब्रिस्तान पहुँच गये और अपने – अपने मुर्दो पर भी फक्र व गुरूर करने लगे , यहाँ तक कि एक – एक होकर कब्रों में ठुस गये।

मतलब यह है कि माल व सामान की अधिकता ! की तमन्ना ने गफलत में ही रखा , यहाँ तक कि मर गये और कब्रों में दफन हो गये।

एक सही हदीस में है कि नबी सल्ल . ﷺ एक देहाती की बीमारी का हाल पूछने को तशरीफ ले गये और आदत के मुताबिक फरमाया कि काई डर खौफ तो नहीं , इन्शा – अल्लाह तआला गुनाहों से पाकीज़गी हासिल होगी। उसने कहा आप इसे खूब जानते हैं, यह तो वह बुख़ार है जो बड़ों – बूढ़ों पर सवार होता है और कब्र तक पहुँचाकर रहता है। पाकी बतला रहे आपने फरमाया अच्छा फिर यूही सही।

इस हदीस में भी लफ्ज़ ” तज़ीरुहुल – कुबूर ” है और यहाँ कुरआन में भी “ जुरतुमुल् मकाबिर ” है । पस मालूम होता है कि इससे मुराद मरकर कब्र में दफन होना ही है।

तिर्मिज़ी में है , हज़रत अली करीमल्लाहु वज्हहू फरमाते हैं कि जब तक यह आयत न उतरी हम अज़ाबे कब्र के बारे में शक में ही रहे। यह हदीस गरीब है, इब्ने अबी हातिम में है कि हज़रत उमर बिन अब्दुल – अज़ीज़ रह . ने इस आयत की तिलावत की, फिर कुछ देर सोचकर फरमाने लगे- मैमून ! ( यह आपके गुलाम का नाम था ) कब्रों को देखना तो सिर्फ बतौर ज़ियारत है और हर ज़ियारत करने वाला अपनी जगह लौट जाता है। यानी चाहे जन्नत की तरफ चाहे दोज़न की तरफ।

एक देहाती ने भी एक शख्स की ज़बानी इन दोनों आयतों की तिलावत सुनकर यही फरमाया था कि असल मकाम और ही है। फिर अल्लाह तआला धमकाते हुए दो – दो मर्तबा फ़रमाता है कि असलियत का इल्म तुम्हें अभी हो जायेगा। यह मतलब भी बयान किया गया है कि पहले से मुराद काफ़िर हैं , दोबारा वाले से मोमिन मुराद हैं।

फिर फरमाता है कि अगर तुम यक़ीनी इल्म के साथ इसे मालूम कर लेते, यानी अगर ऐसा होता तो तुम गफलत में न पड़ते, और मरते दम तक अपनी आख़िरी मन्ज़िल से गाफिल न रहते।

फिर जिस चीज़ से पहले धमकाया था उसी का बयान कर रहा है कि तुम जहन्नम को अपनी आँखों से देख लोगे, कि उसकी एक ही जुंबिश ( हरकत ) के साथ और तो और अम्बिया अलैहिमुस्सलाम भी घबराहट व ख़ौफ़ के मारे घुटनों के बल गिर जायेंगे। उसकी विशालता और दहशत हर दिल पर छाई हुई होगी जैसे कि बहुत – सी हदीसों में यह तफ़सील से मौजूद है।

फिर फरमाया कि उस दिन तुम से नेमतों के मुताल्लिक सवाल होगा। सेहत, अमन, रिज्क वगैरह तमाम नेमतों के बारे में सवाल होगा कि इनका शुक्र कहाँ तक अदा किया।

इब्ने अबी हातिम की एक गरीब हदीस में है कि ठीक दोपहर को रसूलुल्लाह सल्ल . ﷺ अपने घर से चले , देखा कि हज़रत अबू बक्र रजि . भी मस्जिद में आ रहे हैं। पूछा कि इस वक्त कैसे निकले हो? कहा हुजूर ! ﷺ जिस चीज़ ने आपको निकाला है उसी ने मुझे भी निकाला है।

इतने में हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रजि . भी आ गये , उनसे भी हुजूर सल्ल . ﷺ ने यही फरमाया और आपने भी यही जवाब दिया। फिर हुजूर सल्ल . ﷺ ने इन दोनों बुजुर्गों से बातें करनी शुरू की , फिर फरमाया कि अगर हिम्मत हो तो उस बाग तक चले चलो खाना पीना मिल ही जायेगा और सायेदार जगह भी। हमने कहा बहुत अच्छा, पस आप हमें लेकर अबुल–हैसम अन्सारी रजि . के बाग के दरवाजे पर आये, आपने सलाम किया और इजाज़त चाही।

उम्मे हैसम अन्सारिया दरवाज़े के पीछे ही खड़ी थीं, सुन रही थीं लेकिन ऊँची आवाज़ से जवाब नहीं दिया, इस तमन्ना में कि ख़ुदा के रसूल और ज़्यादा सलामती कि दुआ करें और कई – कई मर्तबा आपका सलाम सुनें जब तीन मर्तबा हुजूर सल्ल. सलाम कर चुके और कोई जवाब न मिला तो आप वापस चल दिये। अब तो अबुल – हैसम रजि . की बीवी साहिबा दौड़ी और कहा हुजूर! मैं आपकी आवाज़ सुन रही थी, लेकिन मेरी तमन्ना थी कि ख़ुदा करे आप कई–कई मर्तबा सलाम करें, इसलिये मैंने अपनी आवाज़ आपको न सुनाई।

आप सल्ल . तशरीफ ले चले आपने उनके इस फेल को अच्छी नज़रों से देखा ( यानी पसन्द किया ) । फिर फरमाया कि अबुल – हैसम कहाँ हैं ? उनकी बीवी ने कहा हुजूर ! वह यहीं करीब ही पानी लेने गये हैं । आप तशरीफ़ लाईये इन्शा – अल्लाह वह आते ही होंगे । हुजूरे पाक सल्ल . बाग में दाखिल हुए , उन बीबी ने एक सायेदार पेड़ के नीचे कुछ बिछा दिया जिस पर आप बैठ गये । इतने में अबुल – हैसम भी आ गये , बेहद खुश हुए , आँखों को ठण्डक और दिल को सुख नसीब हुआ ।

जल्दी–जल्दी एक खजूर के दरख्त पर चढ़ गये और अच्छे–अच्छे गुच्छे उतार– उतार कर देने लगे यहाँ तक कि खुद आप सल्ल. ﷺ ने रोक दिया। सहाबी ने कहा या रसूलल्लाह ! गदरी, तर और बिल्कुल पकी हुई जिस तरह की चाहें खाएं। जब खजूरे खा चुके तो मीठा पानी लाये जिसे पिया। फिर हुजूर सल्ल .फरमाने लगे यही वे नेमते है, जिनके बारे में खुदा के यहाँ सवाल होगा।

इब्ने जरीर की इसी हदीस में है कि हज़रत अबू बक्र व हज़रत उमर रजि. बैठे हुए थे कि उनके पास हुज़ूर सल्ल. तशरीफ़ लाये और फरमाया- यहाँ कैसे बैठे हो? दोनों ने कहा हुजूर! भूख की वजह से घर से निकल खड़े हुए हैं। फरमाया उस ख़ुदा की कसम जिसने मुझे हक के साथ भेजा है, मैं भी इसी वजह से इस वक़्त निकला हूँ।

अब आप सल्ल . ﷺ उन्हें लेकर चले और एक अन्सारी सहाबी के घर आये, उनकी बीवी साहिबा मिल गयीं, पूछा कि तुम्हारे मियाँ कहाँ गये हैं? कहा घर के लिये मीठा पानी लाने गये हैं। इतने में वह मश्क उठाये हुए आ ही गये। खुश हो गये और कहने लगे मुझ जैसा खुश–किस्मत आज कोई भी नहीं। जिसके घर अल्लाह के नबी तशरीफ लाये हैं।

मश्क तो लटका दी और खुद जाकर खजूरों के ताजा–ताज़ा खोशे ( गुच्छे ) ले आये। आप सल्ल . ﷺ ने फरमाया- चुनकर अलग–अलग करके लाते, उन्होंने जवाब दिया कि हुजूर! मैंने चाहा कि आप अपनी तबीयत के मुताबिक अपनी पसन्द से चुन लें और खा लें।

फिर छुरी हाथ में थामी कि कोई जानवर ज़िबह करके गोश्त पकायें तो आप सल्ल . ﷺ ने फरमाया- दूध देने वाला जानवर ज़िबह न करना। चुनाँचे उन्होंने एक जानवर ज़िबह किया और आप सल्ल . ﷺ ने वहीं खाना तनावुल फरमाया। फरमाने लगे देखो घर से भूखे निकले और पेट भरकर जा रहे हो, यही वे नेमतें हैं जिनके बारे में कियामत के दिन सवाल होगा।

रसूलुल्लाह सल्ल . ﷺ के आज़ाद गुलाम हज़रत अबू असीब रजि . का बयान है कि रात को रसूलुल्लाह सल्ल . ﷺ ने मुझे आवाज़ दी, मैं निकला फिर हज़रत अबू बक्र को बुलाया फिर हज़रत उमर को बुलाया, फिर किसी अन्सारी सहावी के बाग में तशरीफ़ ले गये और फरमाया लाओ भाई खाने को दो।

वह अंगूर के ख़ोशे ( गुच्छे ) उठा लाये और आपके सामने रख दिये। आपने और आपके साथियों ने खाये। फिर फ़रमाया ठण्डा पानी पिलाओ। वह लाये आपने पिया। फिर फरमाने लगे कियामत के दिन इसके बारे में सवाल होगा। हज़रत उमर रजि . ने वह लोशा ( गुच्छा ) उठाकर ज़मीन पर दे मारा और कहने लगे इसके बारे में भी खुदा के यहाँ सवाल और पूछ होगी? आपने फ़रमाया हाँ सिर्फ तीन चीज़ों की तो पूछ नहीं , पर्दापोशी के लायक कपड़ा, भूख रोकने के काबिल टुकड़ा और सर्दी गर्मी में सर छुपाने के लिये मकान। ( मुस्नद अहमद )

मुस्नद की एक और हदीस में है कि जब यह सूरत सूरः तकासुर Surah Takasur नाज़िल हुई और हुजूर सल्ल . ﷺ ने पढ़कर सुनाई तो सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम कहने लगे कि हमसे किस नेमत पर सवाल होगा? खजूरें खा रहे हैं और पानी पी रहे हैं, तलवारें गर्दनों में लटक रही हैं और दुश्मन सर पर खड़ा है। आप सल्ल . ﷺ ने फरमाया घबराओ नहीं जल्दी ही नेमतें आ जायेंगी।

हज़रत उमर रज़ि . फरमाते हैं कि एक मर्तबा हम बैठे हुए थे कि हुजूर सल्ल . ﷺ तशरीफ लाये और नहाये हुए मालूम होते थे। हमने कहा हुजूर! इस वक़्त तो आप खुश व प्रसन्न नज़र आते हैं। आपने फरमाया हाँ। फिर लोग मालदारी का ज़िक्र करने लगे। रसूलुल्लाह सल्ल . ﷺ ने फ़रमाया जिसके दिल में खौफे ख़ुदा हो उसके लिये मालदारी कोई बड़ी चीज़ ही नहीं, और याद रखो मुत्तकी शख्स के लिये सेहत मालदारी से भी अच्छी है, और खुशी हासिल रहना भी ख़ुदा की नेमत है। ( मुस्नद अहमद )

इब्ने माजा में भी यह हदीस है, तिर्मिज़ी शरीफ में नेमतों के सवाल में कियामत वाले दिन सबसे पहले यह कहा जायेगा कि क्या हमने तुझे सेहत नहीं दी थी? और ठण्डे पानी से तुझे राहत नहीं पहुँचाया करते थे?

इब्ने अबी हातिम की रिवायत में है कि इस आयतः सूरः तकासुर Surah Takasur ( यानी इस सूरत सूरः तकासुर Surah Takasur की आखिरी आयत जिसमें नेमतों के बारे में सवाल होने का ज़िक्र है ) को सुनकर सहाबा रजि . कहने लगे कि हुजूर! हम तो जौ की रोटी और वह भी आधा पेट खा रहे हैं, तो ख़ुदा की तरफ से वही आयी की क्या तुम पैर बचाने के लिये जूतियाँ नहीं पहनते? और क्या तुम ठण्डा पानी नहीं पीते? यही पूछगछ के काबिल नेमतें हैं।

एक और रिवायत में है कि अमन और सेहत को लेकर सवाल होगा । पेट भर खाने से , ठण्डे पानी से , सायेदार घरों से , मीठी नींद से भी सवाल होगा । शहद पीने से , लज्जतें हासिल करने से , सुबह व शाम के खाने से , घी शहद और मेदे की रोटी वगैरह , गर्ज कि इन तमाम नेमतों के बारे में खुदा के यहाँ सवाल होगा ।

हज़रत इब्ने अब्बास रज़ि . इसकी तफसीर में फरमाते हैं कि बदन की सेहत, कानों और आँखों की सेहत के बारे में सवाल होगा कि इन ताकतों से क्या–क्या काम किये। जैसे क़ुरआने करीम में एक दूसरी जगह है: हर शख्स से उसकी आँख, उसके कान और उसके दिल के बारे में भी पूछ होगी।

सही बुख़ारी वगैरह की हदीस में है कि दो नेमतों के बारे में लोग बहुत ही गफलत बरत रहे हैं- सेहत और फरागत। यानी न तो इनका पूरा शुक्र अदा करते हैं न इनकी अहमियत को जानते हैं, न इन्हें ख़ुदा की मर्जी के मुताबिक इस्तेमाल करते हैं। बज़्ज़ार में है कि तहबन्द, सायेदार दीवारों और रोटी के टुकड़े के सिवा हर चीज़ का कियामत के दिन हिसाब देना पड़ेगा।

मुस्नद अहमद की मरफूल हदीस में है कि अल्लाह तआला कियामत के दिन फरमायेगा ऐ इनसान! मैंने तुझे घोड़ों और ऊँटों पर सवार कराया, औरतें तेरे निकाह में दीं, तुझे मोहलत दी कि तू हंसी–खुशी आराम व राहत से ज़िन्दगी गुज़ारे, अब बता कि इसका शुक्रिया कहाँ है? ( यानी इन नेमतों के बदले कितने नेक आमाल किये )

अल्हम्दु लिल्लाह Surah Takasur Hindi Tafseer सूरः तकासुर की तफसीर पूरी हुई ।

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