Tahajjud ki Namaz Ka Tarika, Time, Fazilat | तहज्जुद की नमाज़

Last updated on जनवरी 17th, 2024 at 02:13 अपराह्न

इस पोस्ट में हमने आपके लिए तहज्जुद की नमाज़ का तरीका (Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika) और Tahajjud Ki Namaz से जुड़ी सारी जानकारी एक ही जगह मौजूद करायी है।

जैसे की तहज्जुद की नमाज़ का टाइम क्या है, तहज्जुद की नमाज़ की नियत कैसे करनी है और तहज्जुद की नमाज़ की क्या फ़ज़ीलत है? सब कुछ इस पोस्ट में मौजूद है।

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Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika Hindi Me
Tahajjud Ki Namaz Ki रकात2 से लेकर 12 रकत तक
तहज्जुद की नमाज़ का टाइम11 बजे से लेकर सूबह सादिक तक (फज़र की अज़ान से पहले तक)
तहज्जुद की नमाज़ फर्ज़ है या नफिल?नफिल है।
तहज्जुद की नमाज़ की नियत”नियत करता हूँ मैं दो रकात नफ्ल नमाज तहज्जुद वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़”, अल्लाहुअकबर

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Table of Contents

Tahajjud ki Namaz क्या है?

तहज्जुद की नमाज़ के बारे में आपको थोड़ी बहुत तो जानकारी जरुर होगी,

तभी आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हो लेकिन हमारी कोशिश है कि हम आपको ज्यादा से ज्यादा इस्लाम की जानकारी दे सकें।

📌 आपको बताते चलें कि तहज्जुद की नमाज़ को “Night Prayer” या “Qiyam-u-lail” (यानि रात को पढ़ी जाने वाली नमाज़) के नाम से जाना जाता है।

तहज्जुद की नमाज़ इशा की नमाज़ के बाद शुरू होती है। Tahajjud शब्द Hujud से लिया गया है जिसका मतलब होता है “कुरान के साथ जागना”।

आपको यह बात मालूम होनी चाहिए कि तहज्जुद की नमाज़ की बहुत बढ़ी फ़ज़ीलत है।

हदीसों से साफ़ मालूम होता है कि रात के आखिरी हिस्से में अल्लाह तआला अपने पूरे लुत्फो करम और अपनी ख़ास शाने रहमत के साथ आसमाने जमीन पर अपने बन्दों की तरफ मुतवज्जेह होता है,

और जिन बन्दों को अल्लाह ने इस बात की कुछ अक्ल और शुऊर बख्शा है तो वो इस मुबारक वक़्त में तहज्जुद की नमाज़ (Tahajjud Ki Namaaz) पढ़कर इन बरकतों को महसूस करते हैं।

और इसीलिए वो बिस्तरों को छोड़ कर शैतान के किये कराये पर पानी फेर कर वज़ू करके अल्लाह के सामने हाथ बाँध कर नमाज़ में खड़े हो जाते हैं,

और इस मुबारक वक़्त में अल्लाह के सामने रुकू करते हैं, सज्दा करते हैं, और अपने गुनाहों पर रोते हैं और अपनी मगफिरत की दुआ करते हैं।

जिसका फायदा यह होता है कि अल्लाह ऐसे लोगों के चेहरों पर एक ख़ास क़िस्म का नूर अता कर देते हैं।

तहज्जुद की नमाज़ फ़र्ज है या नफिल?

तहज्जुद की नमाज़, फ़र्ज़ नमाज़ नहीं बल्कि नफिल है।

अगर आपने इस नमाज़ की नहीं भी पढ़ा, तो आप पर गुनाह नहीं होगा लेकिन आप बहुत सारे खजाने से मरहूम हो जायेंगे।

लेकिन अगर आप तहज्जुद की नमाज़ अदा करते हैं तो बहुत ज्यादा सवाब का काम है, जिससे आप अल्लाह की बहुत सारी रहमतों को हासिल कर सकते हैं।


तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त | Tahajjud Ki Namaz Ka Time

हर एक नमाज़ का समय ⏰ अलग-अलग होता है चाहे फ़र्ज़, सुन्नत, नफिल, या तहज्जुद की नमाज़ हो, सभी का टाइम अलग-अलग होता है।

अगर आप इन नमाज़ों को टाइम के अंदर पढ़ते है तो आपको ज्यादा से ज्यादा सवाब मिलता है।

“आधी रात के बाद में, सोकर उठने से लेकर सुबह सादिक तक होता है।

इसको अगर आसानी से समझें तो जो वक़्त आपके यहाँ सहरी ख़त्म होने का होता है,

बस उससे पहले का एक घंटा सब से अच्छा वक़्त है कि उस में तहज्जुद की नमाज़ पढ़ी जाये और अल्लाह की इबादत की जाये और ये रात का तिहाई हिस्सा होता है।”

कहा जाये तो आप ईशा की नमाज़ पढ़कर सो जाए और जब आपकी नींद खुले तो तहज्जुद की नमाज़ का टाइम शुरू हो जाता है और सुबह सादिक तक होता है।

वैसे Tahajjud का Time रात 11-12 बजे शुरू हो जाता है।

तहज्जुद की नमाज़ का सबसे अच्छा समय यह है की रात में जब आपकी नींद खुले तो उसी वक़्त वजू करके नमाज़ अदा करें।

बेहतर है फज़र की अज़ान से पहले 1 घंटे या 1.5 घंटे पहले ही तहज्जुद की नमाज़ अदा करें।


Tahajjud Ki Namaz Ke Tarike में कितनी रकात होती हैं?

तहज्जुद की कम से कम दो रकात और औसतन आठ और ज्यादा से ज्यादा बारह रकातें हैं,

हमारे नबी मुहम्मद (सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम) की आदत मुबारका आठ रकात पढ़ने की थी और कभी कभार बारह भी पढ़ते थे।

लेकिन आम आदत आठ रकात की ही थी तो इसलिए आप ज़्यादा से ज़्यादा 12 भी पढ़ सकते हैं और कम से कम दो रकात भी पढ़ सकते हैं

तहज्जुद की नमाज़ 2 rakat से शुरू होकर 12 rakat तक होती है और आप 2, 2 rakat करके पूरी नमाज़ पढ़ सकते है।

📌 मसअला: - अगर कोई शख्स तहज्जुद पढ़ रहा हो और पढ़ते में ही फज्र की अज़ान हो जाये या किसी और तरह से पता चले की सुबह सादिक हो गयी है तो ऐसी सूरत में अपनी नमाज़ पूरी कर ले।

तहज्जुद की नमाज़ का तरीका | Tahajjud ki Namaz ka Tarika

Tahajjud ki Namaz Padhne ka Tarika कोई नया तरीका नहीं है जिस तरह से फज़र से ईशा तक की नमाज़ पढ़ते हैं उसी तरह से तहज्जुद की भी नमाज़ पढ़ना होता है।

आपको सिर्फ नियत और rakat में फर्क देखने को मिलेगा।

मतलब यह है कि तहज्जुद की नमाज़ की नियत और नमाजो की नियत करने से अलग होती है।

और दो-दो रकातें करके नमाज पढ़ी जाती है।

जब आप रात को नींद से जग जाए तो अगर आप बा वजू है तो नमाज़ पढ़ने की तैयारी करें और अगर वजू नहीं है तो बेहतर और इत्मीनान से वजू करें।

वजू करने के बाद आप जहाँ पर नमाज़ पढ़ते है वहां पर मुसल्लाह बिछा दे और नमाज़ के लिए खड़े हो जाए।

फिर तहज्जुद की नमाज़ की नियत करें।

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तहज्जुद की नियत का तरीक़ा | Tahajjud Ki Namaz Ki Niyat Ka Tarika

दोस्तों जैसा कि हम जानतेे हैं कि हर नमाज की नियत होती है और नियत से ही नमाज शुरु होती है;

उसी तरह tahajjud ki namaz ki niyat भी है, जिससे हम इस नमाज़ की नियत के साथ शुरू करते हैं।

Tahajjud Ki Namaz की नियत करना

1. नमाज़े तहज्जुद नफ्ल नमाज़ है इसलिए दो रकात नफ्ल नमाज़ ( तहज्जुद ) की नियत करें जैसे आप और नमाज़ों की नियत करते हैं।

”नियत करता हूँ मैं दो रकात नफ्ल नमाज तहज्जुद वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़”,

2. अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध लें।

3. सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि “सुबहानकल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारक इस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुक”

3. दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ें।

4. सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें।

4. क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें।

Tahajjud Ki Namaz में रुकू करना

5. उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा “सुब्हान रब्बिल अजीम” कहें।

6. फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा “रब्बना लकल हम्द” भी कहें।

Tahajjud Ki Namaz में सजदा करना

7. फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ दो सजदे करें और दोनों सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें।

इसी तरह से Tahajjud ki Namaz ka Tarika दूसरी rakat में भी पढ़न होता है।


Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika aur Quran Padhna

अबू हुरैरा र.अ. से रिवायत है कि नबी स. अ. रात की नमाज़ में कुरान कभी बलंद आवाज़ से पढ़ते थे और कभी धीरे से पढ़ते थे।

तो अगर आप के आस पास कोई सो न रहा हो तो तेज़ आवाज़ में पढ़ सकते हैं नहीं तो धीरे ही पढ़ें।

ज़्यादा बेहतर है, क्यूंकि अगर आपके तेज़ कुरान पढ़ने से किसी की नींद में ख़लल पैदा हुई, तो तहज्जुद की फ़ज़ीलत हासिल नहीं होगी।

क्यूंकि आप किसी को दिक्क़त में डाल कर अल्लाह की इबादत करना ये हर हाल में ग़ैर मुनासिब है।


तहज्जुद में कौन सी सूरतें पढ़ें? | Tahajjud ki Namaz Ki Suratein

tahajjud namaz ki surtein

हमने आपको बताया कि तहज्जुद एक नफल नमाज़ है और किसी भी नमाज़ के लिए कोई ख़ास सूरह तय नहीं है।

आप क़ुरआन की कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं। अगर कोई सूरह बड़ी हो तो उसका कुछ हिस्सा भी पढ़ सकते हैं।

खुलासा ये है कि पूरे कुरान में जहाँ से चाहें पढ़ सकते हैं। अगर आपको छोटी सूरतें ही याद हैं तो कोई बात नहीं है आप छोटी सूरतें ही पढ़ लें।

जैसे कि surah yaseen, यह एक बड़ी सुरह है, जिसे लोग 8 रकातों में मुकम्मल करते हैं, और लोग इसे काफी सही मानते हैं।

क्योंकि कुछ किताबों मे बड़ी सुरह को तोड़-तोड़ कर पूरा करने को कहा गया है।

अगर आपको बड़ी सूरह याद नहीं है तो आपको मायूस होने की जरुरत नहीं है, आपको एक सूरह भी याद है तो उसी सूरह को बार बार हर रकत में पढ़ सकते है।

बेहतर यही है की आप ज्यादा से ज्यादा सूरह याद करने की कोशिश करे। इसके लिए आप हमारी और दूसरी पोस्ट को पढ़ सकते हैं।


Tahajjud ki Namaz ka Tarika औरतों के लिए

women praying tahajjud ki namaz ka tarika in hindi
तहज्जुद की नमाज़ का तरीका औरतों के लिए

औरत (Ladies) के लिए भी यही तरीका होगा जो ऊपर बताया गया है।

जिस तरीके से औरते अपनी नमाज़ अदा करती हैं उसी तरह से पढ़ना होगा।

लेकिन आपको तहज्जुद की नमाज़ की नियत करना होगा जो हमने ऊपर बताई है।


तहज्जुद की नमाज़ की फ़ज़ीलत | Tahajjud ki Namaz ki Fazilat

अगर आप इस पोस्ट को पढ़ रहे है तो आप इस नमाज़ की फज़ीलत और फायदे भी जरुर जानना चाहते होंगे।

तभी आपको नमाज़ पढ़ने का मन कर रहा है।

तो हमने आपके लिए नीचे कुछ तहज्जुद की नमाज़ की फज़ीलत के बारे में जानकारी मौजूद करायी है।

हदीस में है कि हमारे प्यारे आक़ा “हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम” ने इरशाद फ़रमाया कि

हमारा रब अल्लाह ताला हर रात में, जब पिछली तिहाई बाकी रहती है तब आसमाने दुनिया पर खास तजल्ली फरमाता है और फरमाता है की:

है कोई दुआ करने वाला कि उसकी दुआ क़बूल करूँ, है कोई मांगने वाला कि उसे दूँ, है कोई मग़फ़िरत चाहने वाला कि उसकी वख्शिस कर दूँ।

ये हैं Tahajjud Ki Namaz Padne ki Fazilat

👍1. नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि बसल्लम फरमाते हैं कि तहज्जुद की नमाज़ अल्लाह की बहुत बड़ी दौलत है; जिसे पढ़ने से अल्लाह काफी खुश होता है और सवाब देता है।

👍2. तहज्जुद की नमाज जहन्नुम की आग से बचाती है।

👍3. कुछ हदीसों में है कि तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से मुसलमान अल्लाह के काफी करीब होते हैं।

👍4. तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से हम गुनाहों से बचते हैं और ये नमाज़ हमे गुनाहों से बचाती है।

👍5. तहज्जुद की नमाज़ का मर्तबा फर्ज नमाज के बाद सबसे आला है।

👍6. तहज्जुद गुज़ार लोग सलामती के साथ जन्नत में दाखिल होंगे।

👍7. प्यारे नबी कहते हैं कि तहज्जुद की नमाज़ में मांगी गई दुआ; फर्ज नमाज के बाद मांगी गई सभी दुआओं में सबसे ज्यादा कबूलियत वाली है।

👍8. तहज्जुद कब्र की वहशत से बचाती है।

👍9. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) कहते हैं, कि तहज्जुद नमाज़ पढ़ने वाले को अल्लाह एक के बदले 100 या उससे भी ज्यादा देगा।

👍10. मिया बीवी साथ उठकर तहज्जुद की नमाज पढ़ें; अगर दोनों में से एक उठ जाए और दूसरा ना उठे तो सोते हुए पर पानी झोंक दें; ताकि दूसरे की नींद टूट जाए और नमाज़ पढे।

👍11. रात में जब सब सो रहे हो उस वक्त अल्लाह َकी इबादत करना निहायत ही मुफीद अमल है। ना मालुम कौन सा वक़्त क़बूलियात् का हो और हमारी दुआ सुन ली जाए।

और भी कई सारी फज़िलतें है………


तहज्जुद की नमाज़ और नींद का रिश्ता

कोई शख्स तहज्जुद की नमाज़ पढ़ रहा हो लेकिन उस पर नींद तारी हो तो उस के लिए सो जाना बेहतर है।

हदीस में आता है कि रसूलुल्लाह (स.अ.व) ने फ़रमाया: – जब तुम में से किसी को नमाज़ में नींद आ जाये तो वो सो जाए जब तक कि उसकी नींद न चली जाए,

क्यूंकि जब नमाज़ पढ़ते वक़्त नींद आ रही हो, तो हो सकता है कि इस्तिग्फार के बजाये वो अपने आप को गालियाँ दे रहा हो।


तहज्जुद के लिए कैसे उठें ? | Tahajjud Ke Liye Kaise Uthen ?

सूरह कहफ़ की आखिरी पांच आयात “इन्नल लज़ीना से लेकर आखिर तक” सोते वक़्त पढ़ लेने से उसकी हिफाज़त होगी और वो रात में जब चाहेगा इंशाअल्लाह उठ जाएगा।

Surah Zilzal तीन मरतबा पढ़ कर सो जाने से आदमी जब चाहे उठ सकता है। इंशाअल्लाह किसी के जगाने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी।


क्या तहज्जुद के लिए थोड़ी देर सोना ज़रूरी है?

नहीं, सोना बिलकुल ज़रूरी नहीं है। लेकिन बेहतर यही है कि सोकर उठें तब पढ़ें।

लेकिन अगर आप रात भर जागे हैं और सोच रहे हैं कि तहज्जुद पढ़ लें, तो बगैर कोई शक के आप तहज्जुद की नमाज़ अदा कर सकते हैं।


क्या सोने से पहले तहज्जुद पढ़ सकते हैं?

बिलकुल, अगर आप 12 या 1 बजे देर से सोते हैं, और आपको यह डर है कि जब तक आपकी नींद खुलेगी, तब तक तहज्जुद का वक़्त ख़त्म हो जायेगा।

या अगर आप सो गए तो तहज्जुद छूट सकती है, इससे बेहतर है कि आप कुछ रकातें तहज्जुद की नियत से पढ़ लें।

उलमा फ़रमाते है कि इस से भी तहज्जुद की फ़ज़ीलत हासिल हो जाएगी।

अगर आप तहज्जुद के लिए सोने के बाद उठ नहीं पाते हों तो बेहतर यही है कि ईशा की नमाज़ अदा करते वक़्त नमाज़े वित्र से पहले चार रकात (दो दो रकात कर के) तहज्जुद की नियत से पढ़ ले, फिर नमाज़े वित्र पढ़े।

तो इंशाअल्लाह उस को नमाज़े तहज्जुद का सवाब मिल जायेगा अगरचे वैसा सवाब न होगा जो सोकर उठने के बाद पढने का है।


क्या तहज्जुद का बदल किसी अमल में है ?

रात के तिहाई हिस्से में उठ कर अल्लाह को याद करने का बदल हो ही नहीं सकता, लेकिन कुछ चीज़ें मन्कूल हैं जो इख्तियार की जाएँ तो उस का सवाब मिल सकता है।

रात में सोते वक़्त सूरह बकरा की आखिरी दो आयत पढ़ कर सोना तहज्जुद का बदल है।

या तहज्जुद छूट जाने पर जुहर से पहले या चाश्त के वक़्त चार रकात पढ़ ले तो भी तहज्जुद का सवाब मिलेगा।


तहज्जुद से जुड़ी कुछ हदीस | Tahajjud ki Namaz ki Hadees

तहज्जुद की नमाज़ के बारे में बहुत सी हदीसों में आया है लेकिन कुछ ही हदीस का जिक्र किया है।

जिसको पढ़कर आप नमाज़ पढ़ें के लिए Motivate हो जाएंगे।

📒 पहली हदीस: – अबु हुरैरा से रिवायत है कि; नबी पाक सल्लल्लाहो-अलेही – वसल्लम फरमाते हैं, कि फर्ज नमाज के बाद सबसे ज्यादा अफजल तहज्जुद की नमाज है।

📒 दूसरी हदीस: – अबु हुरैरा से रिवायत है कि; नबी पाक सल्लल्लाहो-अलेही – वसल्लम फरमाते हैं कि रात चार तिहाई पूरी होने के बाद; अल्लाह-त-आला आसमान-ए-दुनिया मे नाजिल होता है और कहता है…

“क्या कोई बांदा है, जो मुझसे दुआ मांगे और मैं कबूल करूँ; क्या कोई बांदा है जो मुझसे माफी मांगे और मैं माफ़ करूँ।”

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19 thoughts on “Tahajjud ki Namaz Ka Tarika, Time, Fazilat | तहज्जुद की नमाज़”

  1. अल्लाह आपको दोनों जहां के मालोदोलत से नवाजे,बहुत ही है उम्दा (आसान) तरीके से बात समझाई। बहुत बहुत शुक्रिया । jazakallhkhair

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