Surah Al An’am in Hindi with Tarjuma | सूरह-6 अल-अनआम हिंदी में

Surah Al An’am in Hindi: – दोस्तों अगर आप सूरह अल-अनआम को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही जगह हो।

इस पोस्ट में हमने सूरह अनआम के सभी रुकूअ 1-20 तक (Surah Al Anaam Ruku 1-20) को हिंदी में तर्जुमा के साथ मौजूद कराया है।

two muslim boy performing dua with quran in middle and surah al an'am in hindi

सूरह अल-अनआम कुरान मजीद की छठे नंबर की सूरह है जोकि पारा 7-8 में मौजूद है। सूरह अनाम मक्का में नाज़िल हुई है और इसमे 165 आयतें और 20 रूकुअ हैं।

सूरह का नामसूरह अल-अनआम (Surah Al-An’am)
पारा नंबर7-8
कहाँ नाज़िल हुई?मक्का
कुल रुकुअ20
कुल आयतें165

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Surah Al An’am In Hindi | सूरह अनआम हिंदी में

सूरह न० 6
(सूरह अल-अनआम (मक्की) )

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

रुकूअ- 1

अल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी ख-लक़स्समावाति वल्अर्-ज़ व ज-अलज्-जुलुमाति वन्नू-र , सुम्मल्लज़ी-न क-फरू बिरब्बिहिम् यअ्दिलून (1)
प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया और अँधरों और उजाले का विधान किया; फिर भी इनकार करनेवाले लोग दूसरों को अपने रब के समकक्ष ठहराते हैं।

हुवल्लज़ी ख़-ल-ककुम् मिन् तीनिन सुम्-म क़ज़ा अ-जलन , व अ-जलुम् मुसम्मन् अिन्दहू सुम्-म अन्तुम् तम्तरून (2)
वही है जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर (जीवन की) एक अवधि निश्चित कर दी और उसके यहाँ (क़ियामत की) एक अवधि और निश्चित है; फिर भी तुम संदेह करते हो!

व हुवल्लाहु फिस्समावाति व फिल्अर्जि , यअ्लमु सिर्रकुम् व जहरकुम् व यअ्लमु मा तक्सिबून (3)
वही अल्लाह है, आकाशों में भी और धरती में भी। वह तुम्हारी छिपी और तुम्हारी खुली बातों को जानता है, और जो कुछ तुम कमाते हो, वह उससे भी अवगत है।

व मा तअ्तीहिम् मिन् आयतिम् मिन् आयाति रब्बिहिम् इल्ला कानू अन्हा मुअ्रिज़ीन (4)
हाल यह है कि उनके रब की निशानियों में से कोई निशानी भी उनके पास ऐसी नहीं आई, जिससे उन्होंने मुँह न मोड़ लिया हो।

फ़-कद् कज़्ज़बू बिल्हक्क़ि लम्मा जा-अहुम् फ़सौ-फ़ यअ्तीहिम् अम्बा-उ मा कानू बिही यस्तह़्ज़िऊन (5)
उन्होंने सत्य को झुठला दिया, जबकि वह उनके पास आया। अतः जिस चीज़ की वे हँसी उड़ाते रहे हैं, जल्द ही उसके सम्बन्ध में उन्हें ख़बरें मिल जाएँगी।

अलम् यरौ कम् अह़्लक्ना मिन् क़ब्लिहिम् मिन् करनिम् मक्कन्नाहुम् फिल्अर्ज़ि मा लम् नुमक्किल्लकुम् व अर्सल्नस्समा-अ अलैहिम् मिदरारंव-व जअ़ल्नल-अन्हा-र तज्री मिन् तह़्तिहिम् फ़-अह़्लक्नाहुम् बिजुनूबिहिम् व अन्शअ्ना मिम्-बअ्दिहिम् कर्नन् आख़रीन (6)
क्या उन्होंने नहीं देखा कि उनसे पहले कितने ही गिरोहों को हम विनष्ट कर चुके हैं। उन्हें हमने धरती में ऐसा जमाव प्रदान किया था, जो तुम्हें नहीं प्रदान किया। और उनपर हमने आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ दिया और उनके नीचे नहरें बहाईं। फिर हमने उन्हें उनके गुनाहों के कारण विनष्ट़ कर दिया और उनके पश्चात दूसरे गिरोहों को उठाया।

व लौ नज़्ज़ल्ना अलै-क किताबन् फ़ी किरतासिन् फ़-ल-मसूहु बिऐदीहिम् लकालल्लज़ी-न क-फरू इन् हाज़ा इल्ला सिह़रूम् मुबीन (7)
और यदि हम तुम्हारे ऊपर काग़ज़ में लिखी-लिखाई किताब भी उतार देते और उसे लोग अपने हाथों से छू भी लेते तब भी, जिन्होंने इनकार किया है, वे यही कहते, “यह तो बस एक खुला जादू है।”

व कालू लौ ला उन्जि-ल अलैहि म-लकुन् , व लौ अन्ज़ल्ना म-लकल् लकुज़ियल्-अम्रू सुम्-म ला युन्ज़रून (8)
उनका तो कहना है, “इस (नबी) पर कोई फ़रिश्ता (खुले रूप में) क्यों नहीं उतारा गया?” हालाँकि यदि हम फ़रिश्ता उतारते तो फ़ैसला हो चुका होता। फिर उन्हें कोई मुहलत ही न मिलती।

व लौ जअल्नाहु म-लकल् ल-जअल्लाहु रजुलंव्-व ल-लबस्ना अलैहिम् मा यल्बिसून (9)
यह बात भी है कि यदि हम उसे (नबी को) फ़रिश्ता बना देते तो उसे आदमी ही (के रूप का) बनाते। इस प्रकार उन्हें उसी सन्देह में डाल देते, जिस सन्देह में वे इस समय पड़े हुए हैं।

व ल-कदिस्तुह़्ज़ि-अ बिरूसुलिम्-मिन् कब्लि-क फ़हा-क बिल्लज़ी-न सखिरू मिन्हुम् मा कानू बिही यस्तह़्ज़िऊन (10)*
तुमसे पहले कितने ही रसूलों की हँसी उड़ाई जा चुकी है। अन्ततः जिन लोगों ने उनकी हँसी उड़ाई थी, उन्हें उसी ने आ घेरा जिस बात पर वे हँसी उड़ाते थे।

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रुकूअ- 2

कुल् सीरू फ़िल्अर्ज़ि सुम्मन्जुरू कै-फ़ का-न आकि-बतुल मुकज़्ज़िबीन (11)
कहो, “धरती में चल-फिरकर देखो कि झुठलानेवालों का क्या परिणाम हुआ!”

कुल लिमम्-मा फिस्समावाति वल्अर्ज़ि कुल-लिल्लाहि , क-त-ब अला नफ्सिहिर्रह़्म-त , ल-यज्मअ़न्नकुम् इला यौमिल-कियामति ला रै-ब फीहि , अल्लज़ी-न खसिरू अन्फु-सहुम् फ़हुम् ला युअ्मिनून (12)
कहो, “आकाशों और धरती में जो कुछ है किसका है?” कह दो, “अल्लाह ही का है।” उसने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है। निश्चय ही वह तुम्हें क़ियामत के दिन इकट्ठा करेगा, इसमें कोई सन्देह नहीं है। जिन लोगों ने अपने-आपको घाटे में डाला है, वही हैं जो ईमान नहीं लाते।

व लहू मा-स-क-न फ़िल्लैलि वन्नहारि , व हुवस्समीअुल अलीम (13)
हाँ, उसी का है जो भी रात में ठहरता है और दिन में (गतिशील होता है), और वह सब कुछ सुनता, जानता है।

कुल अगैरल्लाहि अत्तखिजु वलिय्यन् फ़ातिरिस्समावाति वल्अर्जि व हु-व युत्अिमु व ला युत्अमु , कुल इन्नी उमिरतु अन् अकू-न अव्व-ल मन् अस्ल-म व ला तकू नन्-न मिनल्मुश्रिकीन (14)
कहो, “क्या मैं आकाशों और धरती को पैदा करनेवाले अल्लाह के सिवा किसी और को संरक्षक बना लूँ? उसका हाल यह है कि वह खिलाता है और स्वयं नहीं खाता।” कहो, “मुझे आदेश हुआ है कि सबसे पहले मैं उसके आगे झुक जाऊँ। और (यह कि) तुम बहुदेववादियों में कदापि सम्मिलित न होना।”

कुल इन्नी अख़ाफु इन् असैतु रब्बी अज़ा-ब यौमिन् अज़ीम (15)
कहो, “यदि मैं अपने रब की अवज्ञा करूँ, तो उस स्थिति में मुझे एक बड़े (भयानक) दिन की यातना का डर है।”

मंय्युस्रफ् अन्हु यौमइज़िन् फ़-कद् रहि-महू , व जालिकल् फौजुल्मुबीन (16)
उस दिन वह जिसपर से टल गई, उसपर अल्लाह ने दया की, और यही स्पष्ट सफलता है।

व इंय्यम् सस्कल्लाहु बिजुर्रिन् फला काशि-फ़ लहू इल्ला हु-व , व इंय्यम् सस्-क बिखैरिन् फहु-व अला कुल्लि शैइन् क़दीर (17)
और यदि अल्लाह तुम्हें कोई कष्ट पहुँचाए तो उसके अतिरिक्त उसे कोई दूर करनेवाला नहीं है और यदि वह तुम्हें कोई भलाई पहुँचाए तो उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।

व हुवल्क़ाहिरू फ़ौ-क अिबादिही , व हुवल हकीमुल्-ख़बीर (18)
उसे अपने बन्दों पर पूर्ण अधिकार प्राप्त है। और वह तत्वदर्शी, ख़बर रखनेवाला है।

कुल अय्यु शैइन् अक्बरू शहा-दतन् , कुलिल्लाहु , शहीदुम् बैनी व बैनकुम् , व ऊहि-य इलय्-य हाजल कुरआनु लिउन्ज़ि-रकुम बिही व मम्-ब-ल-ग , अइन्नकुम् लतश्हदू-न अन्-न मअ़ल्लाहि आलि-हतन् उख़रा , कुल ला अश्हदु कुल इन्नमा हु-व इलाहुंव-वाहिदुंव्-व इन्ननी बरीउम् मिम्मा तुश्रिकून • (19)
कहो, “किस चीज़ की गवाही सबसे बड़ी है?” कहो, “मेरे और तुम्हारे बीच अल्लाह गवाह है। और यह क़ुरआन मेरी ओर वह्य (प्रकाशना) किया गया है, ताकि मैं इसके द्वारा तुम्हें सचेत कर दूँ। और जिस किसी को यह पहुँचे, वह भी ऐसा ही करे। क्या तुम वास्तव में गवाही देते हो कि अल्लाह के साथ दूसरे पूज्य भी हैं?” तुम कह दो, “मैं तो इसकी गवाही नहीं देता।” कह दो, “वह तो बस अकेला पूज्य है। और तुम जो उसका साझी ठहराते हो, उससे मेरा कोई सम्बन्ध नहीं।”

अल्लज़ी-न आतैनाहुमुल किता-ब यअ्रिफूनहू कमा यअ्रिफू-न अब्ना-अहुम् , अल्लज़ी-न खसिरू अन्फु-सहुम् फहुम् ला युअ्मिनून (20)*
जिन लोगों को हमने किताब दी है, वे उसे इस प्रकार पहचानते हैं, जिस प्रकार अपने बेटों को पहचानते हैं। जिन लोगों ने अपने आपको घाटे में डाला है, वही ईमान नहीं लाते।

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 3

व मन् अज़्लमु मिम्-मनिफ़्तरा अलल्लाहि कज़िबन् औ कज्ज-ब बिआयातिही , इन्नहू ला युफ्लिहुज्-ज़ालिमून (21)
और उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े या उसकी आयतों को झुठलाए। निस्सन्देह अत्याचारी कभी सफल नहीं हो सकते।

व यौ-म नह़्शुरूहुम् जमीअ़न् सुम्-म नकूलु लिल्लज़ी-न अश्रकू ऐ-न शु-रकाउ-कुमुल्लज़ी-न कुन्तुम् तज्अुमून (22)
और उस दिन को याद करो जब हम सबको इकट्ठा करेंगे; फिर बहुदेववादियों से पूछेंगे, “कहाँ हैं तुम्हारे ठहराए हुए साझीदार, जिनका तुम दावा किया करते थे?”

सुम्-म लम् तकुन फ़ित्नतुहुम् इल्ला अन् कालू वल्लाहि रब्बिना मा कुन्ना मुश्रिकीन (23)
फिर उनका कोई फ़ित्ना (उपद्रव) शेष न रहेगा। सिवाय इसके कि वे कहेंगे, “अपने रब अल्लाह की सौगन्ध! हम बहुदेववादी न थे।”

उन्जुर् कै-फ़ क-ज़बू अला अन्फुसिहिम् व जल्-ल अन्हुम् मा कानू यफ्तरून (24)
देखो, कैसा वे अपने विषय में झूठ बोले। और वह गुम होकर रह गया जो वे घड़ा करते थे।

व मिन्हुम् मंय्यस्तमिअु इलै-क व जअ़ल्ना अला कुलूबिहिम् अकिन्नतन् अंय्यफ्कहूहु व फ़ी आज़ानिहिम् वक़रन् , व इंय्यरौ कुल-ल आयतिल ला युअ्मिनू बिहा , हत्ता इज़ा जाऊ-क युजादिलून-क यकूलुल्लज़ी-न क-फरू इन् हाज़ा इल्ला असातीरूल अव्वलीन (25)
और उनमें कुछ लोग ऐसे हैं जो तुम्हारी ओर कान लगाते हैं, हालाँकि हमने तो उनके दिलों पर परदे डाल रखे हैं कि वे उसे समझ न सकें और उनके कानों में बोझ डाल दिया है। और वे चाहे प्रत्येक निशानी देख लें तब भी उसे मानेंगे नहीं; यहाँ तक कि जब वे तुम्हारे पास आकर तुमसे झगड़ते हैं, तो अविश्वास की नीति अपनानेवाले कहते हैं, “यह तो बस पहले के लोगों की गाथाएँ हैं।”

व हुम् यन्हौ-न अन्हु व यन्औ-न अन्हु व इंय्युह़्लिकू-न इल्ला अन्फु-सहुम् व मा यश्अुरून (26)
और वे उससे दूसरों को रोकते हैं और स्वयं भी उससे दूर रहते हैं। वे तो बस अपने आपको ही विनष्ट कर रहे हैं, किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं।

व लौ तरा इज् वुकिफू अलन्नारि फ़क़ालू या-लैतना नुरद्दु व ला नुकज्जि-ब बिआयाति रब्बिना व नकू-न मिनल मुअ्मिनीन (27)
और यदि तुम उस समय देख सकते, जब वे आग के निकट खड़े किए जाएँगे और कहेंगे, “काश! क्या ही अच्छा होता कि हम फिर लौटा दिए जाएँ (कि मानें) और अपने रब की आयतों को न झुठलाएँ और माननेवालों में हो जाएँ।”

बल् बदा लहुम् मा कानू युख्फू-न मिन् कब्लु , व लौ रूद्दू लआदू लिमा नुहू अन्हु व इन्नहुम् लकाज़िबून (28)
कुछ नहीं, बल्कि जो कुछ वे पहले छिपाया करते थे, वह उनके सामने आ गया। और यदि वे लौटा भी दिए जाएँ, तो फिर वही कुछ करने लगेंगे जिससे उन्हें रोका गया था। निश्चय ही वे झूठे हैं।

व कालू इन् हि-य इल्ला हयातु नद्दुन्या व मा नह़्नु बिमब्अूसीन (29)
और वे कहते हैं, “जो कुछ है बस यही हमारा सांसारिक जीवन है; हम कोई फिर उठाए जानेवाले नहीं हैं।”

व लौ तरा इज् वुकिफू अला रब्बिहिम् , का-ल अलै-स हाज़ा बिल्हक्कि , कालू बला व रब्बिना , का-ल फ़जूकुल अज़ा-ब बिमा कुन्तुम् तक्फुरून (30)*
और यदि तुम देख सकते जब वे अपने रब के सामने खड़े किेए जाएँगे! वह कहेगा, “क्या यह यथार्थ नहीं है?” कहेंगे, “क्यों नहीं, हमारे रब की क़सम!” वह कहेगा, “अच्छा तो उस इनकार के बदले जो तुम करते रहे हो, यातना का मज़ा चखो।”

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 4

क़द् खसिरल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिलिका-इल्लाहि , हत्ता इज़ा जाअत्हुमुस्-सा-अतु बग्-ततन् कालू या-हस्र-तना अला मा फर्रत्ना फ़ीहा व हुम् यह़्मिलू-न औज़ारहुम् अला जुहूरिहिम् , अला सा-अ मा यज़िरून (31)
वे लोग घाटे में पड़े, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया, यहाँ तक कि जब अचानक उनपर वह घड़ी आ जाएगी तो वे कहेंगे, “हाय! अफ़सोस, उस कोताही पर जो इसके विषय में हमसे हुई।” और हाल यह होगा कि वे अपने बोझ अपनी पीठों पर उठाए होंगे। देखो, कितना बुरा बोझ है जो ये उठाए हुए हैं!

व मल्हयातुद्दुन्या इल्ला लअिबुंव-व लह़्वुन् , व लद्दारूल्-आख़ि-रतु खैरूल लिल्लज़ी-न यत्तकून अ-फला तअ्किलून (32)
सांसारिक जीवन तो एक खेल और तमाशे (ग़फ़लत) के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है, जबकि आख़िरत का घर उन लोगों के लिए अच्छा है, जो डर रखते हैं। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?

कद् नअ्लमु इन्नहू ल-यह़्जुनुकल्लज़ी यकलू-न फ़-इन्नहुम् ला युकज्जिबून-क व लाकिन्नज्जालिमी-न बिआयातिल्लाहि यज्हदून (33)
हमें मालूम है, जो कुछ वे कहते हैं उससे तुम्हें दुख पहुँचता है। तो वे वास्तव में तुम्हें नहीं झुठलाते, बल्कि उन अत्याचारियों को तो अल्लाह की आयतों से इनकार है।

व ल-क़द् कुज़्ज़िबत् रूसुलुम् मिन् कब्लि-क फ़-स-बरू अला मा कुज्जिबू व ऊजू हत्ता अताहुम् नस्रूना व ला मुबद्दि-ल लि-कलिमातिल्लाहि व ल-क़द् जाअ-क मिन् न-बइल् मुर्सलीन (34)
तुमसे पहले भी बहुत-से रसूल झुठलाए जा चुके हैं, तो वे अपने झुठलाए जाने और कष्ट पहुँचाए जाने पर धैर्य से काम लेते रहे, यहाँ तक कि उन्हें हमारी सहायता पहुँच गई। कोई नहीं जो अल्लाह की बातों को बदल सके। तुम्हारे पास तो रसूलों की कुछ ख़बरें पहुँच ही चुकी हैं।

व इन् का-न कबु-र अलै-क इअ्राजुहुम् फ़-इनिस्-ततअ्-त अन् तब्तगि-य न-फ़कन् फ़िल्अर्ज़ि औ सुल्लमन् फ़िस्समा-इ फ़-तअ्तियहुम् बिआयतिन् , व लौ शाअल्लाहु ल-ज-म-अहुम् अलल्हुदा फ़ला तकूनन्-न मिनल जाहिलीन • (35)
और यदि उनकी विमुखता तुम्हारे लिए असहनीय है, तो यदि तुमसे हो सके कि धरती में कोई सुरंग या आकाश में कोई सीढ़ी ढूँढ निकालो और उनके पास कोई निशानी ले आओ, तो (ऐसा कर देखो), यदि अल्लाह चाहता तो उन सबको सीधे मार्ग पर इकट्ठा कर देता। अतः तुम उजड्ड और नादान न बनना।

इन्नमा यस्तजीबुल्लज़ी-न यस्मअू-न , वल्मौता यब्असुहुमुल्लाहु सुम्-म इलैहि युर्जअून (36)
मानते तो वही लोग हैं जो सुनते हैं; रहे मुर्दे, तो अल्लाह उन्हें (क़ियामत के दिन) उठा खड़ा करेगा; फिर वे उसी की ओर पलटेंगे।

व कालू लौ ला नुज्ज़ि-ल अलैहि आयतुम् मिर्रब्बिही , कुल इन्नल्ला-ह कादिरून् अला अंय्युनज्ज़ि-ल आयतंव्-व लाकिन्-न अक्स-रहुम् ला यअ्लमून (37)
वे यह भी कहते हैं, “उस (नबी) पर उसके रब की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गई?” कह दो, “अल्लाह को तो इसकी सामर्थ्य प्राप्त है कि कोई निशानी उतार दे; परन्तु उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते।”

व मा मिन् दाब्बतिन् फिल्अर्जि व ला ताइरिंय्यतीरू बि-जनाहैहि इल्ला उ-ममुन् अम्सालुकुम् , मा फर्रत्ना फ़िल्किताबि मिन् शैइन् सुम्-म इला रब्बिहिम् युह्शरून (38)
धरती में चलने-फिरनेवाला कोई भी प्राणी हो या अपने दो परों से उड़नेवाला कोई पक्षी, ये सब तुम्हारी ही तरह के गिरोह हैं। हमने किताब में कोई भी चीज़ नहीं छोड़ी है। फिर वे अपने रब की ओर इकट्ठे किए जाएँगे।

वल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना सुम्मुंव्-व बुक्मुन् फिज़्जु़लुमाति , मंय्य-श इल्लाहु युज्लिल्हु , व मंय्यशअ् यज्अ़ल्हु अला सिरातिम् मुस्तकीम (39)
जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया, वे बहरे और गूँगे हैं, अँधेरों में पड़े हुए हैं। अल्लाह जिसे चाहे भटकने दे और जिसे चाहे सीधे मार्ग पर लगा दे।

कुल अ-रऐतकुम् इन् अताकुम् अज़ाबुल्लाहि औ अतत्कुमुस्-सा-अतु अगै़रल्लाहि तदअू-न इन् कुन्तुम् सादिक़ीन (40)
कहो, “क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुमपर अल्लाह की यातना आ पड़े या वह घड़ी तुम्हारे सामने आ जाए, तो क्या अल्लाह के सिवा किसी और को पुकारोगे? बोलो, यदि तुम सच्चे हो?

बल् इय्याहु तद्अू-न फ़-यक्शिफु मा तद्अू-न इलैहि इन् शा-अ व तन्सौ-न मा तुश्रिकून (41)*
बल्कि तुम उसी को पुकारते हो-फिर जिसके लिए तुम उसे पुकारते हो, वह चाहता है तो उसे दूर भी कर देता है-और उन्हें भूल जाते हो जिन्हें साझीदार ठहराते हो।”

रुकूअ- 5

व ल-क़द् अरसल्ना इला उ-ममिम् मिन् कब्लि-क फ़-अखज्नाहुम् बिल्बअ्सा-इ वज्जर्रा-इ लअ़ल्लहुम् य-तज़र्रअून (42)
तुमसे पहले कितने ही समुदायों की ओर हमने रसूल भेजे फिर उन्हें तंगियों और मुसीबतों में डाला, ताकि वे विनम्र हों।

फ़लौ ला इज् जाअहुम् बअ्सुना तज़र्रअू व लाकिन् क़-सत् कुलूबुहुम् व जय्य-न लहुमुश्शैतानु मा कानू यअ्मलून (43)
जब हमारी ओर से उनपर सख़्ती आई तो फिर क्यों न वे विनम्र हुए? परन्तु उनके हृदय तो कठोर हो गए थे और जो कुछ वे करते थे शैतान ने उसे उनके लिए मोहक बना दिया।

फ़-लम्मा नसू मा जुक्किरू बिही फ़तह़्ना अलैहिम् अब्वा-ब कुल्लि शैइन् , हत्ता इज़ा फ़रिहू बिमा ऊतू अखजनाहुम् बग्-ततन् फ़-इज़ा हुम् मुब्लिसून (44)
फिर जब उसे उन्होंने भुला दिया जो उन्हें याद दिलाई गई थी, तो हमने उनपर हर चीज़ के दरवाज़े खोल दिए; यहाँ तक कि जो कुछ उन्हें मिला था, जब वे उसमें मग्न हो गए तो अचानक हमने उन्हें पकड़ लिया, तो क्या देखते हैं कि वे बिल्कुल निराश होकर रह गए।

फ़कुति-अ दाबिरूल कौमिल्लज़ी-न ज़-लमू , वल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल-आ़लमीन (45)
इस प्रकार अत्याचारी लोगों की जड़ काटकर रख दी गई। प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, जो सारे संसार का रब है।

कुल अ-रऐतुम् इन् अ-ख़ज़ल्लाहु सम्अ़कुम् व अब्सारकुम् व ख़-त-म अला कुलूबिकुम् मन् इलाहुन् गैरूल्लाहि यअ्तीकुम् बिही , उन्जुर् कै-फ़ नुसर्रिफुल्-आयाति सुम्-म हुम् यस्दिफून (46)
कहो, “क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि अल्लाह तुम्हारे सुनने की और तुम्हारी देखने की शक्ति छीन ले और तुम्हारे दिलों पर ठप्पा लगा दे, तो अल्लाह के सिवा कौन पूज्य है जो तुम्हें ये चीज़ें लाकर दे?” देखो, किस प्रकार हम तरह-तरह से अपनी निशानियाँ बयान करते हैं! फिर भी वे किनारा ही खींचते जाते हैं।

कुल अ-रऐतकुम् इन् अताकुम् अज़ाबुल्लाहि बग्-ततन् औ जह्-रतन् हल् युह़्लकु इल्लल् कौमुज्जालिमून (47)
कहो, “क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुमपर अचानक या प्रत्यक्षतः अल्लाह की यातना आ जाए, तो क्या अत्याचारी लोगों के सिवा कोई और विनष्ट होगा?”

व मा नुर्सिलुल-मुरसली-न इल्ला मुबश्शिरी-न व मुन्ज़िरी-न फ़-मन् आम-न व अस्ल-ह फ़ला ख़ौफुन् अलैहिम् व ला हुम् यह्जनून (48)
हम रसूलों को केवल शुभ-सूचना देनेवाले और सचेतकर्ता बनाकर भेजते रहे हैं। फिर जो ईमान लाए और सुधर जाए, तो ऐसे लोगों के लिए न कोई भय है और न वे कभी दुखी होंगे।

वल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना यमस्सुहुमुल्-अज़ाबु बिमा कानू यफ्सुकून (49)
रहे वे लोग, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, उन्हें यातना पहुँचकर रहेगी, क्योंकि वे अवज्ञा करते रहे हैं।

कुल ला अकूलु लकुम् अिन्दी ख़ज़ाइनुल्लाहि व ला अअ्लमुल्गै-ब व ला अकूलु लकुम् इन्नी म-लकुन् इन् अत्तबिअु इल्ला मा यूहा इलय्-य , कुल हल यस्तविल्-अअ्मा वल्बसीरू , अ-फ़ला त-तफ़क्करून (50)*
कह दो, “मैं तुमसे यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने हैं, और न मैं परोक्ष का ज्ञान रखता हूँ, और न मैं तुमसे कहता हूँ कि मैं कोई फ़रिश्ता हूँ। मैं तो बस उसी का अनुपालन करता हूँ जो मेरी ओर वह्य की जाती है।” कहो, “क्या अंधा और आँखोंवाला दोनों बराबर हो जाएँगे? क्या तुम सोच-विचार से काम नहीं लेते?”

रुकूअ- 6

व अन्जिर् बिहिल्लज़ी-न यख़ाफू-न अंय्युह्शरू इला रब्बिहिम् लै-स लहुम् मिन् दूनिही वलिय्युंव-व ला शफ़ीअुल लअल्लहुम् यत्तकून (51)
और तुम इसके द्वारा उन लोगों को सचेत कर दो, जिन्हें इस बात का भय है कि वे अपने रब के पास इस हाल में इकट्ठा किए जाएँगे कि उसके सिवा न तो उसका कोई समर्थक होगा और न कोई सिफ़ारिश करनेवाला, ताकि वे बचें।

व ला ततरूदिल्लज़ी-न यद्अू-न रब्बहुम् बिल्गदाति वल्अशिय्यि युरीदू-न वज्हहू , मा अलै-क मिन हिसाबिहिम् मिन् शैइंव-व मा मिन् हिसाबि-क अलैहिम् मिन् शैइन् फ़-ततरू-दहुम् फ़-तकू-न मिनज्जालिमीन (52)
और जो लोग अपने रब को उसकी ख़ुशी की चाह में प्रातः और सायंकाल पुकारते रहते हैं, ऐसे लोगों को दूर न करना। उनके हिसाब की तुमपर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं है और न तुम्हारे हिसाब की उनपर कोई ज़िम्मेदारी है कि तुम उन्हें दूर करो और फिर हो जाओ अत्याचारियों में से।

व कज़ालि-क फ़तन्ना बअ्ज़हुम् बिबअ्ज़िल-लियकूलू अ-हाउला-इ मन्नल्लाहु अलैहिम् मिम्-बैनिना , अलैसल्लाहु बिअअ् ल-म बिश्शाकिरीन (53)
और इसी प्रकार हमने इनमें से एक को दूसरे के द्वारा आज़माइश में डाला, ताकि वे कहें, “क्या यही वे लोग हैं, जिनपर अल्लाह ने हममें से चुनकर एहसान किया है ?”-क्या अल्लाह कृतज्ञ लोगों से भली-भाँति परिचित नहीं है?

व इज़ा जा-अकल्लज़ी-न युअ्मिनू-न बिआयातिना फ़कुल् सलामुन् अलैकुम् क-त-ब रब्बुकुम् अला नफ्सिहिर्रह़्म-त अन्नहू मन् अमि-ल मिन्कुम् सूअम् बि-जहालतिन् सुम्-म ता-ब मिम्-बअ्दिही व अस्ल-ह फ़-अन्नहू गफूरूर्रहीम (54)
और जब तुम्हारे पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों को मानते हैं, तो कहो, “सलाम हो तुमपर! तुम्हारे रब ने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि तुममें से जो कोई नासमझी से कोई बुराई कर बैठे, फिर उसके बाद पलट आए और अपना सुधार कर ले तो यह है कि वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।”

व कज़ालि-क नुफस्सिलुल्-आयाति व लितस्तबी-न सबीलुल-मुज्रिमीन (55)*
इसी प्रकार हम अपनी आयतें खोल-खोलकर बयान करते हैं (ताकि तुम हर ज़रूरी बात जान लो) और इसलिए कि अपराधियों का मार्ग स्पष्ट हो जाए।

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 7

कुल इन्नी नुहीतु अन् अअ्बुदल्लज़ी-न तद्अू-न मिन् दूनिल्लाहि , कुल ला अत्तबिअु अह़्वा-अकुम् कद् जलल्तु इज़ंव्-व मा अ-न मिनल मुह्तदीन (56)
कह दो, “तुम लोग अल्लाह से हटकर जिन्हें पुकारते हो, उनकी बन्दगी करने से मुझे रोका गया है।” कहो, “मैं तुम्हारी इच्छाओं का अनुपालन नहीं करता, क्योंकि तब तो मैं मार्ग से भटक गया और मार्ग पानेवालों में से न रहा।”

कुल इन्नी अला बय्यि-नतिम् मिर्रब्बी व कज़्ज़ब्तुम् बिही , मा अिन्दी मा तस्तअ्जिलू-न बिही , इनिल्हुक्मु इल्ला लिल्लाहि , यकुस्सुल्हक्-क व हु-व खैरूल्-फ़ासिलीन (57)
कह दो, “मैं अपने रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर क़ायम हूँ और तुमने उसे झुठला दिया है। जिस चीज़ के लिए तुम जल्दी मचा रहे हो, वह कोई मेरे पास तो नहीं है। निर्णय का सारा अधिकार अल्लाह ही को है, वही सच्ची बात बयान करता है और वही सबसे अच्छा निर्णायक है।”

कुल् लौ अन्-न अिन्दी मा तस्तअ्जिलू-न बिही लकुज़ियल्-अम्रू बैनी व बैनकुम् , वल्लाहु अअ्लमु बिज्जालिमीन (58)
कह दो, “जिस चीज़ की तुम्हें जल्दी पड़ी हुई है, यदि कहीं वह चीज़ मेरे पास होती तो मेरे और तुम्हारे बीच कभी का फ़ैसला हो चुका होता। और अल्लाह अत्याचारियों को भली-भाँति जानता है।”

व अिन्दहू मफ़ातिहुल्गैबि ला यअ्लमुहा इल्ला हु-व , व यअ्लमु मा फ़िल्बर्रि वल्बहिर , व मा तस्कुतु मिंव्व-र क़तिन् इल्ला यअ्लमुहा व ला हब्बतिन् फ़ी जुलुमातिल-अर्जि व ला रतबिंव्-व ला याबिसिन् इल्ला फ़ी किताबिम् मुबीन (59)
उसी के पास परोक्ष की कुंजियाँ हैं, जिन्हें उसके सिवा कोई नहीं जानता। जल और थल में जो कुछ है, उसे वह जानता है। और जो पत्ता भी गिरता है, उसे वह निश्चय ही जानता है। और धरती के अँधेरों में कोई भी दाना हो और कोई भी आर्द्र (गीली) और शुष्क (सूखी) चीज़ हो, वह निश्चय ही एक स्पष्ट किताब में मौजूद है।

व हुवल्लज़ी य-तवफ्फाकुम् बिल्लैलि व यअ्लमु मा जरह्तुम् बिन्नहारि सुम्-म यब्अ़सुकुम् फ़ीहि लियुक्ज़ा अ-जलुम् मुसम्मन् सुम्-म इलैहि मर्जिअुकुम् सुम्-म युनब्बिअुकुम् बिमा कुन्तुम् तअ्मलून (60)*
और वही है जो रात को तुम्हें मौत देता है और दिन में जो कुछ तुमने किया उसे जानता है। फिर वह इसलिए तुम्हें उठाता है, ताकि निश्चित अवधि पूरी हो जाए; फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना है, फिर वह तुम्हें बता देगा जो कुछ तुम करते रहे हो।

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 8

व हुवलकाहिरू फौ-क अिबादिही व युर्सिलु अ़लैकुम ह-फ़-जतन् , हत्ता इज़ा जा-अ अ-ह-दकुमुल्मौतु तवफ्फ़हु रूसुलुना व हुम् ला युफ़र्रितून (61)
और वही अपने बन्दों पर पूरा-पूरा क़ाबू रखनेवाला है और वह तुमपर निगरानी करनेवाले को नियुक्त करके भेजता है, यहाँ तक कि जब तुममें से किसी की मृत्यु आ जाती है, तो हमारे भेजे हुए कार्यकर्त्ता उसे अपने क़ब्ज़े में कर लेते हैं और वे कोई कोताही नहीं करते।

सुम्-म रूद्दू इलल्लाहि मौलाहुमुल्-हक्कि , अला लहुल्हुक्मु , व हु-व अस्रअु़ल-हासिबीन (62)
फिर सब अल्लाह की ओर, जो उनका वास्तविक स्वामी है, लौट जाएँगे। जान लो, निर्णय का अधिकार उसी को है और वह बहुत जल्द हिसाब लेनेवाला है।

कुल् मंय्युनज्जीकुम् मिन् जुलुमातिल-बर्रि वल्बह़रि तद्अूनहू तज़र्रूअंव-व खुफ्यतन् ल-इन् अन्जाना मिन् हाज़िही ल-नकूनन-न मिनश्शाकिरीन (63)
कहो, “कौन है जो थल और जल के अँधेरों से तुम्हे छुटकारा देता है, जिसे तुम गिड़गिड़ाते हुए और चुपके-चुपके पुकारने लगते हो कि यदि हमें इससे बचा लिया तो हम अवश्य कृतज्ञ हो जाएँगे?”(

कुलिल्लाहु युनज्जीकुम् मिन्हा व मिन् कुल्लि करबिन् सुम्-म अन्तुम् तुश्रिकून (64)
कहो, “अल्लाह तुम्हें इनसे और हरेक बेचैनी और पीड़ा से छुटकारा देता है, लेकिन फिर तुम उसका साझीदार ठहराने लगते हो।”

कुल हुवल्कादिरू अला अंय्यब्अ़-स अलैकुम् अज़ाबम् मिन् फौकिकुम् औ मिन् तह़्ति अर्जुलिकुम् औ यल्बि-सकुम् शि-यअ़ंव-व युज़ी-क बअ्ज़कुम् बअ्- स बअ्ज़िन् , उन्जुर् कै-फ नुसर्रिफुल्-आयाति लअल्लहुम् यफ़्कहून (65)
कहो, “वह इसकी सामर्थ्य रखता है कि तुमपर तुम्हारे ऊपर से या तुम्हारे पैरों के नीचे से कोई यातना भेज दे या तुम्हें टोलियों में बाँटकर परस्पर भिड़ा दे और एक को दूसरे की लड़ाई का मज़ा चखाए।” देखो, हम आयतों को कैसे, तरह-तरह से, बयान करते हैं, ताकि वे समझें।

व कज्ज़-ब बिही कौमु-क व हुवल्हक्कु , कुल् लस्तु अलैकुम् बि-वकील (66)
तुम्हारी क़ौम ने तो उसे झुठला दिया, हालाँकि वह सत्य है। कह दो, “मैं तुमपर कोई संरक्षक नियुक्त नहीं हूँ।

लिकुल्लि न-बइम् मुस्तकररूंव्-व सौ-फ तअ्लमून (67)
हर ख़बर का एक निश्चित समय है और शीघ्र ही तुम्हें ज्ञात हो जाएगा।”

व इज़ा रऐतल्लज़ी-न यखूजू-न फी आयातिना फ-अअ्रिजू अन्हुम् हत्ता यखूजू फी हदीसिन् गैरिही , व इम्मा युन्सियन्न-कश्शैतानु फला तक्अुद् बअ्दज्ज़िक्रा मअ़ल् कौमिज़्ज़ालिमीन (68)
और जब तुम उन लोगों को देखो, जो हमारी आयतों पर नुक्ताचीनी करने में लगे हुए हैं, तो उनसे मुँह फेर लो, ताकि वे किसी दूसरी बात में लग जाएँ। और यदि कभी शैतान तुम्हें भुलावे में डाल दे, तो याद आ जाने के बाद उन अत्याचारियों के पास न बैठो।

व मा अलल्लज़ी-न यत्तकू-न मिन् हिसाबिहिम् मिन् शैइंव-व लाकिन् ज़िक्रा लअ़ल्लहुम् यत्तकून (69)
उनके हिसाब के प्रति तो उन लोगों पर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं, जो डर रखते हैं। यदि है तो बस याद दिलाने की; ताकि वे डरें।

व ज़रिल्लज़ीनत्त-खजू दीनहुम् लअिबंव-व लह़्वंव्-व गर्रत्हुमुल् हयातुद्दुन्या व ज़क्किर् बिही अन् तुब्स-ल नफ्सुम्-बिमा क-सबत् लै-स लहा मिन् दूनिल्लाहि वलिय्युंव्-व ला शफ़ीअुन् व इन् तअ्दिल् कुल्-ल अद्लिल्-ला युअ्खज् मिन्हा , उला-इकल्लज़ी-न उब्सिलू बिमा क-सबू लहुम् शराबुम् मिन् हमीमिंव्-व अ़ज़ाबुन् अलीमुम् बिमा कानू यक्फुरून (70)*
छोड़ो उन लोगों को, जिन्होंने अपने धर्म को खेल और तमाशा बना लिया है और उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल रखा है। और इसके द्वारा उन्हें नसीहत करते रहो कि कहीं ऐसा न हो कि कोई अपनी कमाई के कारण तबाही में पड़ जाए। अल्लाह से हटकर कोई भी नहीं, जो उसका समर्थक और सिफ़ारिश करनेवाला हो सके और यदि वह छुटकारा पाने के लिए बदले के रूप में हर सम्भव चीज़ देने लगे, तो भी वह उससे न लिया जाए। ऐसे ही लोग हैं, जो अपनी कमाई के कारण तबाही में पड़ गए। उनके लिए पीने को खौलता हुआ पानी है और दुखद यातना भी; क्योंकि वे इनकार करते रहे थे।

रुकूअ- 9

कुल् अ-नद्अू मिन् दूनिल्लाहि मा ला यन्फ़अु-ना व ला यजु़र्रूना व नुरद्दु अ़ला अअ्क़ाबिना बअ्- द इज् हदानल्लाहु कल्लज़िस् तह़्वत्हुश्शयातीनु फिल्अर्ज़ि हैरा-न लहू अस्हाबुंय्-यद्अूनहू इलल्-हुदअ्तिना , कुल इन्-न हुदल्लाहि हुवल्हुदा , व उमिरना लिनुस्लि-म लिरब्बिल् आ़लमीन (71)
कहो, “क्या हम अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारने लग जाएँ जो न तो हमें लाभ पहुँचा सके और न हमें हानि पहुँचा सके और हम उलटे पाँव फिर जाएँ, जबकि अल्लाह ने हमें मार्ग पर लगा दिया है?-उस व्यक्ति की तरह जिसे शैतानों ने धरती पर भटका दिया हो और वह हैरान होकर रह गया हो। उसके कुछ साथी हों, जो उसे मार्ग की ओर बुला रहे हों कि हमारे पास चला आ!” कह दो, “मार्गदर्शन केवल अल्लाह का मार्गदर्शन है और हमें इसी बात का आदेश हुआ है कि हम सारे संसार के स्वामी को समर्पित हो जाएँ।”

व अन् अक़ीमुस्सला-त वत्तकूहु , व हुवल्लज़ी इलैहि तुह्शरून (72)
और यह कि “नमाज़ क़ायम करो और उसका डर रखो। वही है, जिसके पास तुम इकट्ठे किए जाओगे,

व हुवल्लज़ी ख-लकस्समावाति वल्अर्-ज़ बिल्हक्कि , व यौ-म यकूलु कुन् फ़-यकून • कौलुहुल-हक्कु , व लहुल्मुल्कु यौ-म युन्फखु फिस्सूरि , आलिमुल्गैबि वश्शहा-दति , व हुवल हकीमुल-ख़बीर (73)
“और वही है जिसने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया। और जिस समय वह किसी चीज़ को कहे, ‘हो जा’, तो उसी समय वह हो जाती है। उसकी बात सर्वथा सत्य है और जिस दिन ‘सूर’ (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी, राज्य उसी का होगा। वह सभी छिपी और खुली चीज़ का जाननेवाला है, और वही तत्वदर्शी, ख़बर रखनेवाला है।”(

व इज् का-ल इब्राहीमु लि-अबीहि आज़-र अ-तत्तखिजु अस्नामन् आलि-हतन् इन्नी अरा-क व कौम-क फ़ी ज़लालिम् मुबीन (74)
और याद करो, जब इबराहीम ने अपने बाप आज़र से कहा था, “क्या तुम मूर्तियों को पूज्य बनाते हो? मैं तो तुम्हें और तुम्हारी क़ौम को खुली गुमराही में पड़ा देख रहा हूँ।”

व कज़ालि-क नुरी इब्राही-म म-लकूतस्समावाति वल्अर्जि व लियकू-न मिनल् मूकिनीन (75)
और इस प्रकार हम इबराहीम को आकाशों और धरती का राज्य दिखाने लगे (ताकि उसके ज्ञान का विस्तार हो) और इसलिए कि उसे विश्वास हो।

फ़-लम्मा जन्-न अलैहिल्लैलु रआ कौ-कबन् का-ल हाज़ा रब्बी फ़-लम्मा अ-फ़-ल का-ल ला उहिब्बुल आफ़िलीन (76)
अतएवः जब रात उसपर छा गई, तो उसने एक तारा देखा। उसने कहा, “इसे मेरा रब ठहराते हो!” फिर जब वह छिप गया तो बोला, “छिप जानेवालों से मैं प्रेम नहीं करता।”

फ़-लम्मा रअल्-क-म-र बाज़िग़न् का-ल हाज़ा रब्बी फ़-लम्मा अ-फ़-ल का-ल ल-इल्लम् यह़्दिनी रब्बी ल-अकूनन्-न मिनल् कौमिज्जाल्लीन (77)
फिर जब उसने चाँद को चमकता हुआ देखा, तो कहा, “इसको मेरा रब ठहराते हो!” फिर जब वह छिप गया, तो कहा, “यदि मेरा रब मुझे मार्ग न दिखाता तो मैं भी पथभ्रष्ट! लोगों में सम्मिलित हो जाता।”

फ़-लम्मा रअश्शम्-स बाज़ि-ग़तन् का-ल हाज़ा रब्बी हाज़ा अक्बरू फ़-लम्मा अ-फ़लत् का-ल याक़ौमि इन्नी बरीउम् मिम्मा तुश्रिकून (78)
फिर जब उसने सूर्य को चमकता हुआ देखा, तो कहा, “इसे मेरा रब ठहराते हो! यह तो बहुत बड़ा है।” फिर जब वह भी छिप गया, तो कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं विरक्त हूँ उनसे जिनको तुम साझी ठहराते हो।

इन्नी वज्जह़्तु वज्हि-य लिल्लज़ी फ़-तरस्समावाति वल्अर्-ज़ हनीफंव् व मा अ-न मिनल्-मुश्रिकीन (79)
मैंने तो एकाग्र होकर अपना मुख उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया। और मैं साझी ठहरानेवालों में से नहीं।”

व हाज्जहू कौमुहू , का-ल अतुहाज्जून्नी फ़िल्लाहि व कद् हदानि , व ला अख़ाफु मा तुश्रिकू-न बिही इल्ला अंय्यशा-अ रब्बी शैअन् , वसि-अ रब्बी कुल-ल शैइन् अिल्मन् , अ-फ़ ला त-तज़क्करून (80)
उसकी क़ौम के लोग उससे झगड़ने लगे। उसने कहा, “क्या तुम मुझसे अल्लाह के विषय में झगड़ते हो? जबकि उसने मुझे मार्ग दिखा दिया है। मैं उनसे नहीं डरता, जिन्हें तुम उसका सहभागी ठहराते हो, बल्कि मेरा रब जो कुछ चाहता है वही पूरा होकर रहता है। प्रत्येक वस्तु मेरे रब की ज्ञान-परिधि के भीतर है। फिर क्या तुम चेतोगे नहीं?

व कै-फ़ अख़ाफु मा अश्रक़्तुम् व ला तख़ाफू-न अन्नकुम् अश्रक़्तुम् बिल्लाहि मा लम् युनज्जिल बिही अलैकुम् सुल्तानन् , फ़-अय्युल फ़रीकैनि अहक़्कु बिल्-अम्नि इन् कुन्तुम् तअ्लमून • (81)
और मैं तुम्हारे ठहराए हुए साझीदारों से कैसे डरूँ, जबकि तुम इस बात से नहीं डरते कि तुमने अल्लाह का सहभागी उस चीज़ को ठहराया है, जिसका उसने तुमपर कोई प्रमाण अवतरित नहीं किया? अब दोनों फ़रीक़ों में से कौन अधिक निश्चिन्त रहने का अधिकारी है? बताओ यदि तुम जानते हो।

अल्लज़ी-न आमनू व लम् यल्बिसू ईमानहुम् बिजुल्मिन् उलाइ-क लहुमुल्-अम्नु व हुम् मुह्तदून (82)*
जो लोग ईमान लाए और अपने ईमान में किसी (शिर्क) ज़ुल्म की मिलावट नहीं की, वही लोग हैं जो भय मुक्त हैं और वही सीधे मार्ग पर हैं।”

रुकूअ- 10

व तिल-क हुज्जतुना आतैनाहा इब्राही-म अला कौमिही , नरफ़अु द-रजातिम् मन्-नशा-उ , इन्-न रब्ब-क हकीमुन् अलीम (83)
यह है हमारा वह तर्क जो हमने इबराहीम को उसकी अपनी क़ौम के मुक़ाबले में प्रदान किया था। हम जिसे चाहते हैं दर्जों (श्रेणियों) में ऊँचा कर देते हैं। निस्संदेह तुम्हारा रब तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है।

व वहब्ना लहू इस्हा-क व यअ्कू-ब , कुल्लन् हदैनो व नूहन् हदैना मिन् कब्लु व मिन् जुर्रिय्यतिही दावू-द व सुलैमा-न व अय्यू-ब व यूसु-फ़ व मूसा व हारू-न , व कज़ालि-क नजज़िल मुह़्सिनीन (84)
और हमने उसे (इबराहीम को) इसहाक़ और याक़ूब दिए; हर एक को मार्ग दिखाया-और नूह को हमने इससे पहले मार्ग दिखाया था, और उसकी सन्तान में दाऊद, सुलैमान, अय्यूब, यूसुफ़, मूसा और हारून को भी-और इस प्रकार हम शुभ-सुन्दर कर्म करनेवालों को बदला देते हैं –

व ज़-करिय्या व यह्या व अीसा व इल्या-स कुल्लुम् मिनस्सालिहीन (85)
और ज़करिया, यह्या, ईसा और इलयास को भी (मार्ग दिखलाया) । इनमें का हर एक योग्य और नेक था।

व इस्माअी-ल वल्य-स-अ व यूनु-स व लूतन् , व कुल्लन् फज़्ज़ल्ना अलल् आलमीन (86)
और इसमाईल, अलयसअ, यूनुस और लूत को भी। इनमें से हर एक को हमने संसार वालों के मुक़ाबले में श्रेष्ठता प्रदान की।

व मिन् आबाइहिम् व जुर्रिय्यातिहिम् व इख़्वानिहिम् वज्तबैनाहुम् व हदैनाहुम् इला सिरातिम् मुस्तकीम (87)
और उनके बाप-दादा और उनकी सन्तान और उनके भाई-बन्धुओं में भी कितने ही लोगों को (मार्ग दिखाया) । और हमने उन्हें चुन लिया और उन्हें सीधे मार्ग की ओर चलाया।

ज़ालि-क हुदल्लाहि यह़्दी बिही मंय्यशा-उ मिन् अिबादिही , व लौ अश्रकू ल-हबि-त अन्हुम् मा कानू यअ्मलून (88)
यह अल्लाह का मार्गदर्शन है, जिसके द्वारा वह अपने बन्दों में से जिसको चाहता है मार्ग दिखाता है, और यदि उन लोगों ने कहीं अल्लाह का साझी ठहराया होता, तो उनका सब किया-धरा अकारथ हो जाता।

उला-इ कल्लजी-न आतैनाहुमुल-किता-ब वल्हुक्-म वन्नुबुव्व-त फ़-इंय्यक्फुर् बिहा हा-उला-इ फ़-क़द् वक्कल्ना बिहा कौमल्लैसू बिहा बिकाफ़िरीन (89)
वे ऐसे लोग हैं जिन्हें हमने किताब और निर्णय-शक्ति और पैग़म्बरी प्रदान की थी (उसी प्रकार हमने मुहम्मद को भी किताब, निर्णय-शक्ति और पैग़म्बरी दी है) । फिर यदि ये लोग इसे मानने से इनकार करें, तो अब हमने इसको ऐसे लोगों को सौंपा है जो इसका इनकार नहीं करते।

उला-इकल्लज़ी-न हदल्लाहु फबिहुदाहुमुक़्तदिह , कुल ला अस्अलुकुम् अलैहि अज्रन् , इन् हु-व इल्ला ज़िक्रा लिल-आलमीन (90)*
वे (पिछले पैग़म्बर) ऐसे लोग थे, जिन्हें अल्लाह ने मार्ग दिखाया था, तो तुम उन्हीं के मार्ग का अनुसरण करो। कह दो, “मैं तुमसे उसका कोई प्रतिदान नहीं माँगता। वह तो सम्पूर्ण संसार के लिए बस एक प्रबोध है।”

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 11

व मा क-दरूल्ला-ह हक्-क कद्रिही इज् कालू मा अन्ज़लल्लाहु अला ब-शरिम् मिन् शैइन् , कुल् मन् अन्ज़लल्-किताबल्लज़ी जा-अ बिही मूसा नूरंव्-व हुदल्-लिन्नासि तज्अलूनहू कराती-स तुब्दूनहा व तुख्फू-न कसीरन् व अल्लिम्तुम् मा लम् तअ्लमू अन्तुम् वला आबाउकुम् , कुलिल्लाहु सुम्-म ज़रहुम् फी ख़ौज़िहिम् यल्अबून (91)
उन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी उसकी क़द्र जाननी चाहिए थी, जबकि उन्होंने कहा, “अल्लाह ने किसी मनुष्य पर कुछ अवतरित ही नहीं किया है।” कहो, “फिर वह किताब किसने अवतरित की, जो मूसा लोगों के लिए प्रकाश और मार्गदर्शन के रूप में लाया था, जिसे तुम पन्ना-पन्ना करके रखते हो? उन्हें दिखाते भी हो, परन्तु बहुत-सा छिपा जाते हो। और तुम्हें वह ज्ञान दिया गया, जिसे न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप-दादा ही।” कह दो, “अल्लाह ही ने,” फिर उन्हें छोड़ो कि वे अपनी नुक्ताचीनियों से खेलते रहें।

व हाज़ा किताबुन् अन्ज़ल्नाहु मुबारकुम्-मुसद्दिकुल्लज़ी बै-न यदैहि व लितुन्ज़ि-र उम्मल्कुरा व मन् हौलहा , वल्लज़ी-न युअ्मिनू-न बिल्आखि-रति युअ्मिनू-न बिही व हुम् अला सलातिहिम् युहाफिजून (92)
यह किताब है जिसे हमने उतारा है; बरकतवाली है; अपने से पहले की पुष्टि में है (ताकि तुम शुभ-सूचना दो) और ताकि तुम केन्द्रीय बस्ती (मक्का) और उसके चतुर्दिक बसनेवाले लोगों को सचेत करो और जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं, वे इसपर भी ईमान लाते हैं। और वे अपनी नमाज़ की रक्षा करते हैं।

व मन् अज़्लमु मिम्-मनिफ्तरा अलल्लाहि कज़िबन औ का-ल ऊहि-य इलय्-य व लम् यू-ह इलैहि शैउंव्-व मन् का-ल स-उन्जिलु मिस्-ल मा अन्ज़लल्लाहु , व लौ तरा इज़िज़्ज़ालिमू-न फी ग़-मरातिल-मौति वल्मलाइ-कतु बासितू ऐदीहिम् अख्रिजू अन्फु-सकुम् , अल्यौ-म तुज्ज़ौ-न अज़ाबल्हूनि बिमा कुन्तुम् तकूलू-न अलल्लाहि गैरल्हक्कि व कुन्तुम् अ़न् आयातिही तस्तक्बिरून (93)
और उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर मिथ्यारोपण करे या यह कहे कि “मेरी ओर प्रकाशना (वह्य,) की गई है,” हालाँकि उसकी ओर भी प्रकाशना न की गई हो। और उस व्यक्ति से (बढ़कर अत्याचारी कौन होगा) जो यह कहे कि “मैं भी ऐसी चीज़ उतार दूँगा, जैसी अल्लाह ने उतारी है।” और यदि तुम देख सकते, तुम अत्याचारी मृत्यु-यातनाओं में होते हैं और फ़रिश्ते अपने हाथ बढ़ा रहे होते हैं कि “निकालो अपने प्राण! आज तुम्हें अपमानजनक यातना दी जाएगी, क्योंकि तुम अल्लाह के प्रति झूठ बका करते थे और उसकी आयतों के मुक़ाबले में अकड़ते थे।”

व ल-क़द् जिअ्तुमूना फुरादा कमा ख़लक़्नाकुम् अव्व-ल मर्रतिंव्-व तरक्तुम् मा खव्वल्नाकुम् वरा-अ-जुहूरिकुम् व मा नरा-म-अकुम् शु-फ़आ-अकुमुल्लज़ी-न ज़अ़म्तुम् अन्नहुम् फ़ीकुम् शु-रका-उ , लकत्त-कत्त-अ बैनकुम् व जल्-ल अन्कुम् मा कुन्तुम् तज्अुमून (94)*
और निश्चय ही तुम उसी प्रकार एक-एक करके हमारे पास आ गए, जिस प्रकार हमने तुम्हें पहली बार पैदा किया था। और जो कुछ हमने तुम्हें दे रखा था, उसे अपने पीछे छोड़ आए और हम तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफ़ारिशियों को भी नहीं देख रहे हैं, जिनके विषय में तुम दावे से कहते थे, “वे तुम्हारे मामले में (अल्लाह के) शरीक हैं।” तुम्हारे पारस्परिक सम्बन्ध टूट चुके हैं और वे सब तुमसे गुम होकर रह गए, जो दावे तुम किया करते थे।

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 12

इन्नल्ला-ह फ़ालिकुल-हब्बि वन्नवा , युख्रिजुल हय्-य मिनल्मय्यिति व मुख्रिजुल्मय्यिति मिनल्-हय्यि , ज़ालिकुमुल्लाहु फ़-अन्ना तुअ्फ़कून (95)
निश्चय ही अल्लाह दाने और गुठली को फाड़ निकालता है, सजीव को निर्जीव से निकालता है और निर्जीव को सजीव से निकालनेवाला है। वही अल्लाह है-फिर तुम कहाँ औंधे हुए जाते हो? –

फ़ालिकुल-इस्बाहि व ज-अलल्लै-ल स-कनंव्-वश्शम्-स वल्क-म-र हुस्बानन् , ज़ालि-क तक़्दीरूल अज़ीज़िल-अलीम (96)
पौ फाड़ता है, और उसी ने रात को आराम के लिए बनाया और सूर्य और चन्द्रमा को (समय के) हिसाब का साधन ठहराया। यह बड़े शक्तिमान, सर्वज्ञ का ठहराया हुआ परिणाम है।

व हुवल्लज़ी ज-अ-ल लकुमुन्नुजू-म लितह्तदू बिहा फी जुलुमातिल्बर्रि वल्बह़रि , कद् फस्सलनल-आयाति लिकौमिंय्-यअलमून (97)
और वही है जिसने तुम्हारे लिए तारे बनाए, ताकि तुम उनके द्वारा स्थल और समुद्र के अंधकारों में मार्ग पा सको। जो लोग जानना चाहें उनके लिए हमने निशानियाँ खोल-खोलकर बयान कर दी हैं।

व हुवल्लज़ी अन्श-अकुम् मिन् नफ़्सिंवाहि-दतिन् फमुस्त-कर्रूंव्-व मुस्तौदअुन् , कद् फस्सलनल-आयाति लिकौमिंय्-यफ्कहून (98)
और वही तो है, जिसने तुम्हें अकेली जान पैदा किया। अतः एक अवधि तक ठहरना है और फिर सौंप देना है। उन लोगों के लिए, जो समझे हमने निशानियाँ खोल-खोलकर बयान कर दी हैं।

व हुवल्लज़ी अन्ज़-ल मिनस्समा-इ माअन् फ़-अख़्रज्ना बिही नबा-त कुल्लि शैइन फ़-अख्रज्ना मिन्हु ख़ज़िरन् नुखरिजु मिन्हु हब्बम् मु-तराकिबन् व मिनन्नख्लि मिन् तल्अिहा किन्वानुन् दानियतुंव्-व जन्नातिम् मिन् अअ्नाबिंव-वज्जैतू-न वर्रूम्मा-न मुश्तबिहंव्-व गै-र मु-तशाबिहिन् , उन्जुरू इला स-मरिही इज़ा अस्म-र व यन्अिही , इन-न फ़ी ज़ालिकुम् लआयातिल-लिकौमिंय्युअ्मिनून (99)
और वही है जिसने आकाश से पानी बरसाया, फिर हमने उसके द्वारा हर प्रकार की वनस्पति उगाई; फिर उससे हमने हरी-भरी पत्तियाँ निकालीं और तने विकसित किए, जिससे हम तले-ऊपर चढ़े हुए दाने निकालते हैं-और खजूर के गाभे से झुके पड़ते गुच्छे भी-और अंगूर, ज़ैतून और अनार के बाग़ लगाए, जो एक-दूसरे से मिलते-जुलते भी हैं और एक-दूसरे से भिन्न भी होते हैं। उसके फल को देखो, जब वह फलता है और उसके पकने को भी देखो! निस्संदेह ईमान लानेवाले लोगों के लिए इनमें बड़ी निशानियाँ हैं।

व ज-अलू लिल्लाहि शु-रकाअल्-जिन्-न व ख़-ल-कहुम् व ख-रकू लहू बनी-न व बनातिम् बिगैरि अिल्मिन् , सुब्हानहू व तअ़ाला अम्मा यसिफून (100)*
और लोगों ने जिन्नों को अल्लाह का साझी ठहरा रखा है; हालाँकि उन्हें उसी ने पैदा किया है। और बेजाने-बूझे उनके लिए बेटे और बेटियाँ घड़ ली हैं। यह उसकी महिमा के प्रतिकूल है! यह उन बातों से उच्च है, जो वे बयान करते हैं!

रुकूअ- 13

बदीअुस्समावाति वल्अर्जि , अन्ना यकूनु लहू व-लदुंव-व लम् तकुल्लहू साहि-बतुन् , व ख-ल-क कुल-ल शैइन् व हु-व बिकुल्लि शैइन् अ़लीम (101)
वह आकाशों और धरती का सर्वप्रथम पैदा करनेवाला है। उसका कोई बेटा कैसे हो सकता है, जबकि उसकी पत्नी ही नहीं? और उसी ने हर चीज़ को पैदा किया है और उसे हर चीज़ का ज्ञान है।

ज़ालिकुमुल्लाहु रब्बुकुम् ला इला-ह इल्ला हु-व खालिकु कुल्लि शैइन् फ़अ्बुदूहु व हु-व अला कुल्लि शैइंव्-वकील (102)
वही अल्लाह तुम्हारा रब; उसके सिवा कोई पूज्य नहीं; हर चीज़ का स्रष्टा है; अतः तुम उसी की बन्दगी करो। वही हर चीज़ का ज़िम्मेदार है।

ला तुदरिकुहुल-अब्सारू व हु-व युदरिकुल्-अब्सा-र व हुवल लतीफुल्-ख़बीर (103)
निगाहें उसे नहीं पा सकतीं, बल्कि वही निगाहों को पा लेता है। वह अत्यन्त सूक्ष्म (एवं सूक्ष्मदर्शी) ख़बर रखनेवाला है।

कद् जा-अकुम बसा-इरू मिर्रब्बिकुम् फ-मन् अब्स-र फ़लिनफ्सिही व मन् अमि-य फ़-अलैहा , व मा अ-न अलैकुम् बिहफ़ीज़ (104)
तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से आँख खोल देनेवाले प्रमाण आ चुके हैं; तो जिस किसी ने देखा, अपना ही भला किया और जो अंधा बना रहा, तो वह अपने ही को हानि पहुँचाएगा। और मैं तुमपर कोई नियुक्त रखवाला नहीं हूँ।

व कज़ालि-क नुसर्रिफुल्-आयाति व लियकूलू दरस्-त व लिनुबय्यि-नहू लिकौमिंय्-यअ्लमून (105)
और इसी प्रकार हम अपनी आयतें विभिन्न ढंग से बयान करते हैं (कि वे सुनें) और इसलिए कि वे कह लें, “(ऐ मुहम्मद!) तुमने कहीं से पढ़-पढ़ा लिया है।” और इसलिए भी कि हम उनके लिए जो जानना चाहें, सत्य को स्पष्ट कर दें।

इत्तबिअ् मा ऊहि-य इलै-क मिर्रब्बि-क ला इला-ह इल्ला हु-व व अअ्रिज़ अ़निल मुश्रिकीन (106)
तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी तरफ़ जो वह्य की गई है, उसी का अनुसरण किए जाओ, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं और बहुदेववादियों (की कुनीति) पर ध्यान न दो।

वलौ शाअल्लाहु मा अश्रकू , व मा जअ़ल्ना-क अलैहिम् हफ़ीज़न व मा अन्-त अलैहिम् बि-वकील (107)
यदि अल्लाह चाहता तो वे (उसका) साझी न ठहराते। तुम्हें हमने उनपर कोई नियुक्त संरक्षक तो नहीं बनाया है और न तुम उनके कोई ज़िम्मेदार ही हो।

व ला तसुब्बुल्लज़ी-न यद्अू-न मिन् दूनिल्लाहि फ़-यसुब्बुल्ला-ह अद्वम् बिगैरि अिल्मिन् , कज़ालि-क ज़य्यन्ना लिकुल्लि उम्मतिन् अ-म-लहुम् सुम्-म इला रब्बिहिम् मर्जिअुहुम् फ़-युनब्बिउहुम् बिमा कानू यअ्मलून (108)
अल्लाह के सिवा जिन्हें ये पुकारते हैं, तुम उनके प्रति अपशब्द का प्रयोग न करो। ऐसा न हो कि वे हद से आगे बढ़कर अज्ञान वश अल्लाह के प्रति अपशब्द का प्रयोग करने लगें। इसी प्रकार हमने हर गिरोह के लिए उसके कर्म को सुहावना बना दिया है। फिर उन्हें अपने रब ही की ओर लौटना है। उस समय वह उन्हें बता देगा, जो कुछ वे करते रहे होंगे।

व अक्समू बिल्लाहि जह्-द ऐमानिहिम् ल-इन् जाअत्हुम् आयतुल् लयुअ्मिनुन्-न बिहा , कुल इन्नमल-आयातु अिन्दल्लाहि व मा युश्अिरूकुम् अन्नहा इज़ा जाअत् ला युअ्मिनून (109)
वे लोग तो अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाते हैं कि यदि उनके पास कोई निशानी आ जाए, तो उसपर वे अवश्य ईमान लाएँगे। कह दो, “निशानियाँ तो अल्लाह ही के पास हैं।” और तुम्हें क्या पता कि जब वे आ जाएँगी तो भी वे ईमान नहीं लाएँगे।

व नुकल्लिबु अफ्इ-द-तहुम् व अब्सारहुम् कमा लम् युअ्मिनू बिही अव्व-ल मर्रतिंव्-व न-ज़रूहुम् फ़ी तुग्यानिहिम् यअ्महून (110)*
और हम उनके दिलों और उनकी निगाहों को फेर देंगे, जिस प्रकार वे पहली बार ईमान नहीं लाए थे। और हम उन्हें छोड़ देंगे कि वे अपनी सरकशी में भटकते रहें।

रुकूअ- 14

व लौ अन्नना नज्ज़ल्ला इलैहिमुल-मलाइ-क-त व कल्ल-महुमुल्-मौता व हशरना अलैहिम् कुल्-ल शैइन् कुबुलम् मा कानू लियुअ्मिनू इल्ला अंय्यशा-अल्लाहु व लाकिन्-न अक्स-रहुम् यज्हलून (111)
यदि हम उनकी ओर फ़रिश्ते भी उतार देते और मुर्दे भी उनसे बातें करने लगते और प्रत्येक चीज़ उनके सामने लाकर इकट्ठा कर देते, तो भी वे ईमान न लाते, बल्कि अल्लाह ही का चाहा क्रियान्वित है। परन्तु उनमें से अधिकतर लोग अज्ञानता से काम लेते हैं। (

व कज़ालि-क जअ़ल्ना लिकुल्लि नबिय्यिन् अ़दुव्वन् शयातीनल-इन्सि वलजिन्नि यूही बअ्जुहुम् इला बअ्जिन् जुखरूफ़ल्कौलि गुरूरन् , व लौ शा-अ रब्बु-क मा फ़-अलूहु फ़-जरहुम् व मा यफ़्तरून (112)
और इसी प्रकार हमने मनुष्यों और जिन्नों में से शैतानों को प्रत्येक नबी का शत्रु बनाया, जो चिकनी-चुपड़ी बात एक-दूसरे के मन में डालकर धोखा देते थे-यदि तुम्हारा रब चाहता तो वे ऐसा न कर सकते। अब छोड़ो उन्हें और उनके मिथ्यारोपण को। –

व लितस्गा इलैहि अफ्इ दतुल्लजी-न ला युअ्मिनू-न बिल्-आख़िरति व लियरज़ौहु व लियक्तरफूि मा हुम् मुक्तरिफून (113)
और ताकि जो लोग परलोक को नहीं मानते, उनके दिल उसकी ओर झुकें और ताकि वे उसे पसन्द कर लें, और ताकि जो कमाई उन्हें करनी है कर लें।

अ-फगैरल्लाहि अब्तगी ह-कमंव्-व हुवल्लज़ी अन्ज़-ल इलैकुमुल्-किता-ब मुफ़स्सलन् , वल्लज़ी-न आतैनाहुमुल किता-ब यअ्लमू-न अन्नहू मुनज्जलुम्-मिर्रब्बि-क बिल्हक्कि फ़ला तकूनन्-न मिनल्-मुम्तरीन (114)
अब क्या मैं अल्लाह के सिवा कोई और निर्णायक ढूढूँ? हालाँकि वही है जिसने तुम्हारी ओर किताब अवतरित की है, जिसमें बातें खोल-खोलकर बता दी गई हैं और जिन लोगों को हमने किताब प्रदान की थी, वे भी जानते हैं कि यह तुम्हारे रब की ओर से हक़ के साथ अवतरित हुई है, तो तुम कदापि सन्देह में न पड़ना।

व तम्मत् कलि-मतु रब्बि-क सिद्कंव्-व अद्लन् , ला मुबद्दि-ल लि-कलिमातिही व हुवस्समीअुल्-अ़लीम (115)
तुम्हारे रब की बात सच्चाई और इनसाफ़ के साथ पूरी हुई, कोई नहीं जो उसकी बातों को बदल सके, और वह सुनता, जानता है।

व इन् तुतिअ् अक्स-र मन् फिल्अर्जि युज़िल्लू-क अन् सबीलिल्लाहि , इंय्यत्तबिअू-न इल्लज्जन्-न व इन् हुम् इल्ला यख्रूसून (116)
और धरती में अधिकतर लोग ऐसे हैं कि यदि तुम उनके कहने पर चले तो वे अल्लाह के मार्ग से तुम्हें भटका देंगे। वे तो केवल अटकल के पीछे चलते हैं और वे निरे अटकल ही दौड़ाते हैं।

इन्-न रब्ब-क हु-व अअ्लमु मंय्यज़िल्लु अन् सबीलिही व हु-व अअ्लमु बिल्मुह्तदीन (117)
निस्संदेह तुम्हारा रब उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटकता है और वह उन्हें भी जानता है जो सीधे मार्ग पर हैं।

फ़-कुलू मिम्मा जुकिरस् मुल्लाहि अलैहि इन् कुन्तुम् बिआयातिही मुअ्मिनीन (118)
अतः जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया हो, उसे खाओ; यदि तुम उसकी आयतों को मानते हो।

व मा लकुम् अल्ला तअ्कुलू मिम्मा जुकिरस्मुल्लाहि अलैहि व कद् फस्स-ल लकुम् मा हर्र-म अलैकुम् इल्ला मज्तुरिरतुम् इलैहि , व इन्-न कसीरल्-लयुज़िल्लू-न बिअहवाइहिम् बिगैरि अिल्मिन् , इन्-न रब्ब-क हु-व अअ्लमु बिल्मुअ्तदीन (119)
और क्या आपत्ति है कि तुम उसे न खाओ, जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया हो, बल्कि जो कुछ चीज़ें उसने तुम्हारे लिए हराम कर दी हैं, उनको उसने विस्तारपूर्वक तुम्हें बता दिया है। यह और बात है कि उसके लिए कभी तुम्हें विवश होना पड़े। परन्तु अधिकतर लोग तो ज्ञान के बिना केवल अपनी इच्छाओं (ग़लत विचारों) के द्वारा पथभ्रष्ट करते रहते हैं। निस्सन्देह तुम्हारा रब मर्यादाहीन लोगों को भली-भाँति जानता है।

व ज़रू ज़ाहिरल्-इस्मि व बाति-नहू , इन्नल्लज़ी-न यक्सिबूनल-इस्-म सयुज्ज़ौ-न बिमा कानू यक्तरिफून (120)
छोड़ो खुले गुनाह को भी और छिपे को भी। निश्चय ही गुनाह कमानेवालों को उसका बदला दिया जाएगा, जिस कमाई में वे लगे रहे होंगे।

व ला तअ्कुलू मिम्मा लम् युज् करिस् मुल्लाहि अलैहि व इन्नहू लफिस्कुन् , व इन्नश्शयाती-न लयूहू-न इला औलिया-इहिम् लियुजादिलूकुम् व इन् अतअ्तुमूहुम् इन्नकुम् लमुश्रिकून (121)*
और उसे न खाओ जिसपर अल्लाह का नाम न लिया गया हो। निश्चय ही वह तो आज्ञा का उल्लंघन है। शैतान तो अपने मित्रों के दिलों में डालते हैं कि वे तुमसे झगड़ें। यदि तुमने उनकी बात मान ली तो निश्चय ही तुम बहुदेववादी होगे।

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 15

अ-व मन् का-न मैतन् फ़-अह़्यैनाहु व जअ़ल्ना लहू नूरंय्यम्शी बिही फिन्नासि कमम् म-सलुहू फिज़्जुलुमाति लै-स बिख़ारिजिम् मिन्हा , कज़ालि-क जुय्यि-न लिल्काफ़िरी-न मा कानू यअ्मलून (122)
क्या वह व्यक्ति जो पहले मुर्दा था, फिर उसे हमने जीवित किया और उसके लिए एक प्रकाश उपलब्ध किया जिसको लिए हुए वह लोगों के बीच चलता-फिरता है, उस व्यक्ति की तरह हो सकता है जो अँधेरों में पड़ा हुआ हो, उससे कदापि निकलनेवाला न हो? ऐसे ही इनकार करनेवालों के कर्म उनके लिए सुहावने बनाए गए हैं।

व कज़ालि-क जअ़ल्ना फ़ी कुल्लि कर यतिन् अकाबि-र मुज्रिमीहा लियम्कुरू फ़ीहा , व मा यम्कुरू-न इल्ला बिअन्फुसिहिम् व मा यश्अुरून (123)
और इसी प्रकार हमने प्रत्येक बस्ती में उसके बड़े-बड़े अपराधियों को लगा दिया है कि वे वहाँ चालें चलें। वे अपने ही विरुद्ध चालें चलते हैं, किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं।

व इज़ा जाअत्हुम् आयतुन् कालू लन्-नुअमि-न हत्ता नुअ्ता मिस्-ल मा ऊति-य रूसुलुल्लाहि • अल्लाहु अअ्लमु हैसु यज्अलु रिसाल-तहू , सयुसीबुल्लज़ी-न अज्रमू सगारून अिन्दल्लाहि व अज़ाबुन शदीदुम् बिमा कानू यम्कुरून (124)
और जब उनके पास कोई आयत (निशानी) आती है तो वे कहते हैं, “हम कदापि नहीं मानेंगे, जब तक कि वैसी ही चीज़ हमें न दी जाए जो अल्लाह के रसूलों को दी गई है।” अल्लाह भली-भाँति उस (के औचित्य) को जानता है, जिसमें वह अपनी पैग़म्बरी रखता है। अपराधियों को शीघ्र ही अल्लाह के यहाँ बड़े अपमान और कठोर यातना का सामना करना पड़ेगा, उस चाल के कारण जो वे चलते रहे हैं।

फ़मंय्युरिदिल्लाहु अंय्यह़्दि-यहू यहू यशरह् सद्-रहू लिल्इस्लामि व मंय्युरिद् अंय्युज़िल्लहू यज्अल सद्-रहू ज़य्यिक़न् ह-रजन् कअन्नमा यस्सअ्-अ़दु फिस्समा-इ , कज़ालि-क यज्अलुल्लाहुर्रिज्-स अलल्लज़ी-न ला युअ्मिनून (125)
अतः (वास्तविकता यह है कि) जिसे अल्लाह सीधे मार्ग पर लाना चाहता है, उसका सीना इस्लाम के लिए खोल देता है। और जिसे गुमराही में पड़ा रहने देना चाहता है, उसके सीने को तंग और भिंचा हुआ कर देता है; मानो वह आकाश में चढ़ रहा है। इस तरह अल्लाह उन लोगों पर गन्दगी डाल देता है, जो ईमान नहीं लाते।

व हाज़ा सिरातु रब्बि-क मुस्तकीमन् , कद् फस्सल्नल-आयाति लिकौमिंय्-यज़्ज़क्करून (126)
और यह तुम्हारे रब का रास्ता है, बिल्कुल सीधा। हमने निशानियाँ, ध्यान देनेवालों के लिए खोल-खोलकर बयान कर दी हैं।

लहुम् दारूस्सलामि अिन्-द रब्बिहिम् व हु-व वलिय्युहुम् बिमा कानू यअ्मलून (127)
उनके लिए उनके रब के यहाँ सलामती का घर है और वह उनका संरक्षक मित्र है, उन कामों के कारण जो वे करते रहे हैं।

व यौ-म यह्शुरूहुम् जमीअन् या मअ्शरल्-जिन्नि कदिस्तक्सरतुम् मिनल्-इन्सि व का-ल औलियाउहुम् मिनल-इन्सि रब्बनस् तम् त-अ बअ्जुना बि बअ्ज़िंव्-व बलग्ना अ-ज-लनल्लज़ी अज्जल्-त लना , कालन्नारू मस्वाकुम् ख़ालिदी-न फ़ीहा इल्ला मा शाअल्लाहु , इन्-न रब्ब-क हकीमुन् अ़लीम (128)
और उस दिन को याद करो, जब वह उन सबको घेरकर इकट्ठा करेगा, (कहेगा), “ऐ जिन्नों के गिरोह! तुमने तो मनुष्यों पर ख़ूब हाथ साफ़ किया।” और मनुष्यों में से जो उनके साथी रहे होंगे, कहेंगे, “ऐ हमारे रब! हमने आपस में एक-दूसरे से लाभ उठाया और अपने उस नियत समय को पहुँच गए, जो तूने हमारे लिए ठहराया था।” वह कहेगा, “आग (नरक) तुम्हारा ठिकाना है, उसमें तुम्हें सदैव रहना है।” अल्लाह का चाहा ही क्रियान्वित है। निश्चय ही तुम्हारा रब तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है।

व कज़ालि-क नुवल्ली बअ्ज़ज़्ज़ालिमी-न बअ्ज़म् बिमा कानू यक्सिबून (129)*
इसी प्रकार हम अत्याचारियों को एक-दूसरे के लिए (नरक का) साथी बना देंगे, उस कमाई के कारण जो वे करते रहे थे।

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 16

या मअ्शरल्-जिन्नि वल्-इन्सि अलम् यअ्तिकुम् रूसुलुम् मिन्कुम् यकुस्सू-न अलैकुम् आयाती व युन्ज़िरूनकुम् लिका-अ यौमिकुम् हाज़ा , कालू शहिद्ना अला अन्फुसिना व गर्रत्हुमुल्-हयातुद्दुन्या व शहिदू अला अन्फुसिहिम् अन्नहुम् कानू काफ़िरीन (130)
“ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे, जो तुम्हें मेरी आयतें सुनाते और इस दिन के पेश आने से तुम्हें डराते थे?” वे कहेंगे, “क्यों नहीं! (रसूल तो आए थे) हम स्वयं अपने विरुद्ध गवाह हैं।” उन्हें तो सांसारिक जीवन ने धोखे में रखा। मगर अब वे स्वयं अपने विरुद्ध गवाही देने लगे कि वे इनकार करनेवाले थे।

ज़ालि-क अल्लम् यकुर्रब्बु-क मुह़्लिकल्कुरा बिजुल्मिंव-व अह़्लुहा ग़ाफ़िलून (131)
यह जान लो कि तुम्हारा रब ज़ुल्म करके बस्तियों को विनष्ट करनेवाला न था, जबकि उनके निवासी बेसुध रहे हों।

व लिकुल्लिन् द-रजातुम्-मिम्मा अ़मिलू , व मा रब्बु-क बिग़ाफ़िलिन् अम्मा यअ्मलून (132)
सभी के दर्जे उनके कर्मों के अनुसार हैं। और जो कुछ वे करते हैं, उससे तुम्हारा रब अनभिज्ञ नहीं है।

व रब्बुकल-ग़निय्यु जुर्रहमति , इंय्यशअ् युज्हिब्कुम् व यस्तख्लिफ् मिम्-बअ्दिकुम् मा यशा-उ कमा अन्श-अकुम् मिन् जुर्रिय्यति क़ौमिन् आख़रीन (133)
तुम्हारा रब निस्पृह, दयावान है। यदि वह चाहे तो तुम्हें (दुनिया से) ले जाए और तुम्हारे स्थान पर जिसको चाहे तुम्हारे बाद ले आए, जिस प्रकार उसने तुम्हें कुछ और लोगों की सन्तति से उठाया है।

इन्-न मा तू-अदू-न लआतिंव्-व मा अन्तुम् बिमुअ्जिज़ीन (134)
जिस चीज़ का तुमसे वादा किया जाता है, उसे अवश्य आना है और तुममें उसे मात करने की सामर्थ्य नहीं।

कुल या कौमिअ्मलू अला मकानतिकुम् इन्नी आमिलुन फ़सौ-फ़ तअ्लमू-न मन् तकूनु लहू आकि-बतुद्दारि , इन्नहू ला युफ्लिहुज्जालिमून (135)
कह दो, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह कर्म करते रहो, मैं भी अपनी जगह कर्मशील हूँ। शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि घर (लोक-परलोक) का परिणाम किसके हित में होता है। निश्चय ही अत्याचारी सफल नहीं होते।”

व ज-अलू लिल्लाहि मिम्मा ज़-र-अ मिनल्-हर्सि वल्-अन्आमि नसीबन् फ़क़ालू हाज़ा लिल्लाहि बिज़अ्मिहिम् व हाज़ा लिशु-रकाइना फ़मा का-न लिशु-र काइहिम् फला यसिलु इलल्लाहि व मा का-न लिल्लाहि फहु-व यसिलु इला शु-रकाइहिम , सा-अ मा यह़्कुमून (136)
उन्होंने अल्लाह के लिए स्वयं उसी की पैदा की हुई खेती और चौपायों में से एक भाग निश्चित किया है और अपने ख़याल से कहते हैं, “यह हिस्सा अल्लाह का है और यह हमारे ठहराए हुए साझीदारों का है।” फिर जो उनके साझीदारों का (हिस्सा) है, वह अल्लाह को नहीं पहुँचता, परन्तु जो अल्लाह का है, वह उनके साझीदारों को पहुँच जाता है। कितना बुरा है, जो फ़ैसला वे करते हैं!

व कज़ालि-क ज़य्य-न लि-कसीरिम्-मिनल्-मुश्रिकी-न कत्-ल औलादिहिम् शु-र काउहुम् लियुरदूहुम् व लियल्बिसू अलैहिम् दीनहुम् , व लौ शाअल्लाहु मा फ़-अलूहु फ़-ज़रहुम् व मा यफ़्तरून (137)
इसी प्रकार बहुत-से बहुदेववादियों के लिए उनके साझीदारों ने उनकी अपनी सन्तान की हत्या को सुहाना बना दिया है, ताकि उन्हें विनष्ट कर दें और उनके लिए उनके धर्म को संदिग्ध बना दें। यदि अल्लाह चाहता तो वे ऐसा न करते; तो छोड़ दो उन्हें और उनके झूठ घड़ने को।

व कालू हाज़िही अन्आमुंव-व हरसुन् हिज्रूल्ला यत्अमुहा इल्ला मन्-नशा-उ बिज़अ्मिहिम् व अन्आमुन् हुर्रिमत् जुहूरूहा व अन्आमुल्ला यज़्कुरूनस्मल्लाहि अलै हफ़्तिराअन् अलैहि , सयज्ज़ीहिम् बिमा कानू यफ़्तरून (138)
और वे कहते हैं, “ये जानवर और खेती वर्जित और सुरक्षित हैं। इन्हें तो केवल वही खा सकता है, जिसे हम चाहें।”-ऐसा वे स्वयं अपने ख़याल से कहते हैं-और कुछ चौपाए ऐसे हैं, जिनकी पीठों को (सवारी के लिए) हराम ठहरा लिया है और कुछ जानवर ऐसे हैं जिनपर अल्लाह का नाम नहीं लेते। यह सब उन्होंने अल्लाह पर झूठ घड़ा है, और वह शीघ्र ही उन्हें उनके झूठ घड़ने का बदला देगा।

व कालू मा फी बुतूनि हाज़िहिल-अन्आमि ख़ालि-सतुल लिजुकूरिना व मुहर्रमुन् अला अज़्वाजिना व इंय्यकुम् मै-ततन् फहुम् फ़ीहि शु-रका-उ , सयज्ज़ीहिम् वस्फ़हुम् , इन्नहू हकीमुन् अलीम (139)
और वे कहते हैं, “जो कुछ इन जानवरों के पेट में है वह बिल्कुल हमारे पुरुषों ही के लिए है और वह हमारी पत्नियों के लिए वर्जित है। परन्तु यदि वह मुर्दा हो, तो वे सब उसमें शरीक हैं।” शीघ्र ही वह उन्हें उनके ऐसा कहने का बदला देगा। निस्संदेह वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है।

क़द् ख़सिरल्लज़ी-न क-तलू औलादहुम् स-फ़हम् बिगैरि अिल्मिंव्-व हर्रमू मा र-ज़-कहुमुल्लाहु फ तिरा-अन् अलल्लाहि , क़द् ज़ल्लू व मा कानू मुह्तदीन • ( 140 )*
वे लोग कुछ जाने-बूझे बिना घाटे में रहे, जिन्होंने मूर्खता के कारण अपनी सन्तान की हत्या की और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें प्रदान किया था, उसे अल्लाह पर झूठ घड़कर हराम ठहरा लिया। वास्तव में वे भटक गए और वे सीधा मार्ग पानेवाले न हुए।

रुकूअ- 17

व हुवल्लज़ी अन्श-अ जन्नातिम् मअ् रूशातिंव्-व गै-र मअ्रूशातिंव्-वन्नख्-ल वज़्ज़र्-अ मुख़्तलिफ़न् उकुलुहू वज्जैतू-न वर्रूम्मा-न मु-तशाबिहंव्-व गै-र मु-तशाबिहिन् , कुलू मिन् स-मरिही इज़ा अस्म-र व आतू हक्क़हू यौ-म हसादिही व ला तुस्रिफू इन्नहू ला युहिब्बुल मुस्रिफ़ीन (141)
और वही है जिसने बाग़ पैदा किए; कुछ जालियों पर चढ़ाए जाते हैं और कुछ नहीं चढ़ाए जाते और खजूर और खेती भी जिनकी पैदावार विभिन्न प्रकार की होती है, और ज़ैतून और अनार जो एक-दूसरे से मिलते-जुलते भी हैं और नहीं भी मिलते हैं। जब वह फल दे, तो उसका फल खाओ और उसका हक़ अदा करो जो उस (फ़सल) की कटाई के दिन वाजिब होता है। और हद से आगे न बढ़ो, क्योंकि वह हद से आगे बढ़नेवालों को पसन्द नहीं करता।

व मिनल्-अन्आमि हमूलतंव-व फ़र्शन , कुलू मिम्मा र-ज़-ककुमुल्लाहु व ला तत्तबिअू खुतुवातिश्शैतानि , इन्नहू लकुम् अदुव्वुम् मुबीन (142)
और चौपायों में से कुछ बोझ उठानेवाले बड़े और कुछ छोटे जानवर पैदा किए। अल्लाह ने जो कुछ तुम्हें दिया है, उसमें से खाओ और शैतान के क़दमों पर न चलो। निश्चय ही वह तुम्हारा खुला हुआ शत्रु है।

समानिय-त अज़्वाजिन् मिनज़्ज़अ् निस्नैनि व मिनल्-मअ् ज़िस्नैनि , कुल आज़्ज़-करैनि हर्र-म अमिल्-उन्सयैनि अम्मश्त-मलत् अलैहि अर्हामुल-उन्सयैनि , नब्बिऊनी बिअिल्मिन् इन् कुन्तुम् सादिक़ीन (143)
आठ नर-मादा पैदा किए-दो भेड़ की जाति से और दो बकरी की जाति से-कहो, “क्या उसने दोनों नर हराम किए हैं या दोनों मादा को? या उसको जो इन दोनों मादा के पेट में हो? किसी ज्ञान के आधार पर मुझे बताओ, यदि तुम सच्चे हो।”

व मिनल् इबिलिस्नैनि व मिनल् ब-क़रिस्नैनि , कुल आज़्ज़-करैनि हर्र-म अमिल्-उन्सयैनि , अम्मश्त-मलत् अलैहि अरहामुल-उन्सयैमि , अम् कुन्तुम् शु-हदा-अ इज् वस्साकुमुल्लाहु बिहाज़ा फ़-मन् अज़्लमु मिम्-मनिफ्तरा अलल्लाहि कज़िबल-लियुज़िल्लन्ना-स बिगैरि अिल्मिन् , इन्नल्ला-ह ला यह्दिल कौमज़्ज़ालिमीन (144)*
और दो ऊँट की जाति से और दो गाय की जाति से, कहो, “क्या उसने दोनों नर हराम किए हैं या दोनों मादा को? या उसको जो इन दोनों मादा के पेट में हो? या, तुम उपस्थित थे, जब अल्लाह ने तुम्हें इसका आदेश दिया था? फिर उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो लोगों को पथभ्रष्ट करने के लिए अज्ञानता-पूर्वक अल्लाह पर झूठ घड़े? निश्चय ही, अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।”

रुकूअ- 18

कुल् ला अजिदु फ़ी मा ऊहि-य इलय्-य मुहर्रमन् अला ताअिमिंय्यत्-अमुहू इल्ला अंय्यकू-न मै-ततन् औ दमम्-मस्फूहन् औ लह्-म खिन्ज़ीरिन् फ़-इन्नहू रिज्सुन् औ फ़िस्क़न् उहिल्-ल लिगैरिल्लाहि बिही फ़-मनिज्तुर्-र गै-र बागिंव्-व ला आदिन् फ़-इन्-न रब्ब-क गफूर्रहीम (145)
कह दो, “जो कुछ मेरी ओर प्रकाशना की गई है, उसमें तो मैं नहीं पाता कि किसी खानेवाले पर उसका कोई खाना हराम किया गया हो, सिवाय इसके कि वह मुरदार हो, या बहता हुआ रक्त हो या, सुअर का मांस हो-कि वह निश्चय ही नापाक है-या वह चीज़ जो मर्यादा से हटी हुई हो, जिसपर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो। इसपर भी जो बहुत विवश और लाचार हो जाए; परन्तु वह अवज्ञाकारी न हो और न हद से आगे बढ़नेवाला हो, तो निश्चय ही तुम्हारा रब अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।”(

व अलल्लज़ी-न हादू हर्रम्ना कुल्-लजी जुफुरिन् व मिनल ब-क़रि वल्ग-नमि हर्रम्ना अलैहिम् शुहू-महुमा इल्ला मा ह-मलत् जुहूरूहुमा अविल्हवाया औ मख्त-ल-त बिअ़ज्मिन् , ज़ालि-क जज़ैनाहुम् बिबग्यिहिम् व इन्ना लसादिकून (146)
और उन लोगों के लिए जो यहूदी हुए हमने नाख़ूनवाला जानवर हराम किया था और गाय और बकरी में से इन दोनों की चरबियाँ उनके लिए हराम कर दी थीं, सिवाय उस (चर्बी) के जो उन दोनों की पीठों या आँखों से लगी हुई या हड्डी से मिली हुई हों। यह बात ध्यान में रखो। हमने उन्हें उनकी सरकशी का बदला दिया था और निश्चय ही हम सच्चे हैं।

फ़-इन् कज्जबू-क फ़-कुर्रब्बुकुम् जू रह़्मतिंव-वासि-अतिन् व ला युरद्दु बअ्सुहू अनिल कौमिल्-मुजरिमीन (147)
फिर यदि वे तुम्हें झुठलाएँ तो कह दो, “तुम्हारा रब व्यापक दयालुतावाला है और अपराधियों से उसकी यातना नहीं फिरती।”

स-यकूलुल्लज़ी-न अश्रकू लौ शाअल्लाहु मा अश्रक्ना व ला आबाउना व ला हर्रम्ना मिन् शैइन् , कज़ालि-क कज़्ज़बल्लज़ी-न मिन् कब्लिहिम् हत्ता ज़ाकू बअ्सना , कुल हल् अिन्दकुम् मिन् अिल्मिन् फ़-तुख्रिजू हु लना इन् तत्तबिअू-न इल्लज़्ज़न्-न व इन् अन्तुम् इल्ला तख़्रूसून (148)
बहुदेववादी कहेंगे, “यदि अल्लाह चाहता तो न हम साझीदार ठहराते और न हमारे पूर्वज ही; और न हम किसी चीज़ को (बिना अल्लाह के आदेश के) हराम ठहराते।” ऐसे ही उनसे पहले के लोगों ने भी झुठलाया था, यहाँ तक कि उन्हें हमारी यातना का मज़ा चखना पड़ा। कहो, “क्या तुम्हारे पास कोई ज्ञान है कि उसे हमारे पास पेश करो?” तुम लोग केवल गुमान पर चलते हो और निरे अटकल से काम लेते हो।

कुल फ़लिल्लाहिल-हुज्जतुल-बालि-गतु फ़लौ शा-अ ल-हदाकुम् अज्मअ़ीन (149)
कह दो, “पूर्ण तर्क तो अल्लाह ही का है। अतः यदि वह चाहता तो तुम सबको सीधा मार्ग दिखा देता।”

कुल हलुम्-म शु-हदा-अकुमुल्लज़ी-न यश्हदू-न अन्नल्ला-ह हर्र-म हाज़ा फ़-इन् शहिदू फ़ला तश्हद् म-अहुम् व ला तत्तबिअ् अह़्वा-अल्लज़ी-न कज़्ज़बू बिआयातिना वल्लज़ी-न ला युआ्मिनू-न बिल्-आखि-रति व हुम् बिरब्बिहिम् यअ्दिलून (150)*
कह दो, “अपने उन गवाहों को लाओ, जो इसकी गवाही दें कि अल्लाह ने इसे हराम किया है।” फिर यदि वे गवाही दें तो तुम उनके साथ गवाही न देना, औऱ उन लोगों की इच्छाओं का अनुसरण न करना जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और जो आख़िरत को नहीं मानते और (जिनका) हाल यह है कि वे दूसरों को अपने रब के समकक्ष ठहराते हैं।

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 19

कुल तअ़ालौ अत्लु मा हर्र-म रब्बुकुम् अलैकुम् अल्ला तुश्रिकू बिही शैअंव्-व बिल्वालिदैनि इह़्सानन् व ला तक़्तुलू औलादकुम् मिन् इम्लाकिन् , नह़्नु नरज़ुकुकुम् व इय्याहुम् व ला तक्रबुल-फ़वाहि-श मा ज़-ह-र मिन्हा व मा ब-त-न वला तक्तुलुन्नफ़्सल्लती हर्रमल्लाहु इल्ला बिल्हक्कि ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तअ्किलून (151)
कह दो, “आओ, मैं तुम्हें सुनाऊँ कि तुम्हारे रब ने तुम्हारे ऊपर क्या पाबन्दियाँ लगाई हैं: यह कि किसी चीज़ को उसका साझीदार न ठहराओ और माँ-बाप के साथ सद्व्यवहार करो और निर्धनता के कारण अपनी सन्तान की हत्या न करो; हम तुम्हें भी रोज़ी देते हैं और उन्हें भी। और अश्लील बातों के निकट न जाओ, चाहे वे खुली हुई हों या छिपी हुई हों। और किसी जीव की, जिसे अल्लाह ने आदरणीय ठहराया है, हत्या न करो। यह और बात है कि हक़ के लिए ऐसा करना पड़े। ये बातें हैं, जिनकी ताकीद उसने तुम्हें की है, शायद कि तुम बुद्धि से काम लो।

व ला तक्रबू मालल्-यतीमि इल्ला बिल्लती हि-य अह्सनु हत्ता यब्लु-ग अशुद्दहू व औफुल्कै-ल वल्मीज़ा-न बिल्किस्ति ला नुकल्लिफु नफ़्सन इल्ला वुस्अ़हा व इज़ा कुल्तुम् फअ़दिलू व लौ का न जा़ कुर्बा व बि-अह़्दील्लाहि औफू ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तज़क्करून (152)
और अनाथ के धन को हाथ न लगाओ, किन्तु ऐसे तरीक़े से जो उत्तम हो, यहाँ तक कि वह अपनी युवावस्था को पहुँच जाए। और इनसाफ़ के साथ पूरा-पूरा नापो और तौलो। हम किसी व्यक्ति पर उसी काम की ज़िम्मेदारी का बोझ डालते हैं जो उसकी सामर्थ्य में हो। और जब बात कहो, तो न्याय की कहो, चाहे मामला अपने नातेदार ही का क्यों न हो, और अल्लाह की प्रतिज्ञा को पूरा करो। ये बातें हैं, जिनकी उसने तुम्हें ताकीद की है। आशा है तुम ध्यान रखोगे।

व अन्-न हाज़ा सिराती मुस्तकीमन् फ़त्तबिअुहु व ला तत्तबिअुस्सुबु-ल फ़-तफ़र्र-क बिकुम् अन् सबीलिही , ज़ालिकुम् वस्साकुम् बिही लअ़ल्लकुम् तत्तकून (153)
और यह कि यही मेरा सीधा मार्ग है, तो तुम इसी पर चलो और दूसरे मार्गों पर न चलो कि वे तुम्हें उसके मार्ग से हटाकर इधर-उधर कर देंगे। यह वह बात है जिसकी उसने तुम्हें ताकीद की है, ताकि तुम (पथभ्रष्टता से) बचो।”

सुम्-म आतैना मूसल्-किता-ब तमामन् अलल्लज़ी अह़्स-न व तफ़्सीलल्-लिकुल्लि शैइंव्-व हुदंव्-व रह़्म-तल् लअ़ल्लहुम् बिलिका-इ रब्बिहिम् युअ्मिनून (154)*
फिर (देखो) हमने मूसा को किताब दी थी, (धर्म को) पूर्णता प्रदान करने के लिए, जिसे उसने उत्तम रीति से ग्रहण किया था; और हर चीज़ को स्पष्ट रूप से बयान करने, मार्गदर्शन देने और दया करने के लिए, ताकि वे लोग अपने रब से मिलने पर ईमान लाएँ।

Surah Al An’am in Hindi रुकूअ- 20

व हाज़ा किताबुन् अन्ज़ल्नाहु मुबारकुन् फत्तबिअूहु वत्तकू लअल्लकुम् तुरहमून (155)
और यह किताब भी हमने उतारी है, जो बरकतवाली है; तो तुम इसका अनुसरण करो और डर रखो, ताकि तुमपर दया की जाए,

अन् तकूलू इन्नमा उन्ज़िलल्-किताबु अला ताइ-फ़तैनि मिन् कब्लिना व इन् कुन्ना अन् दिरा-सतिहिम् लग़ाफ़िलीन (156)
कि कहीं ऐसा न हो कि तुम कहने लगो, “किताब तो केवल हमसे पहले के दो गिरोहों पर उतारी गई थी और हमें तो उनके पढ़ने-पढ़ाने की ख़बर तक न थी।”

औ तकूलू लौ अन्ना उन्ज़ि-ल अलैनल्-किताबु लकुन्ना अह़्दा मिन्हुम् फ़-कद् जाअकुम् बय्यि-नतुम् मिर्रब्बिकुम् व हुदंव-व रह़्मतुन् फ़-मन् अज़्लमु मिम्मन् कज्ज़-ब बिआयातिल्लाहि व स-द-फ़ अन्हा , स-नजज़िल्लज़ी-न यस्दिफू-न अन् आयातिना सूअल-अ़ज़ाबि बिमा कानू यस्दिफून (157)
या यह कहने लगो, “यदि हमपर किताब उतारी गई होती तो हम उनसे बढ़कर सीधे मार्ग पर होते।” तो अब तुम्हारे पास रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण, मार्गदर्शन और दयालुता आ चुकी है। अब उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो अल्लाह की आयतों को झुठलाए और दूसरों को उनसे फेरे? जो लोग हमारी आयतों से रोकते हैं, उन्हें हम इस रोकने के कारण जल्द बुरी यातना देंगे।

हल् यन्जु रू-न इल्ला अन् तअ्ति-यहुमुल्मलाइ-कतु औ यअ्ति-य रब्बु-क औ यअ्ति-य बअ्जु आयाति रब्बि-क , यौ-म यअ्ती बअ्जु आयाति रब्बि-क ला यन्फअु नफ़्सन् ईमानुहा लम् तकुन आ-मनत् मिन् कब्लु औ क-सबत् फी ईमानिहा खैरन् , कुलिन्तज़िरू इन्ना मुन्तज़िरून (158)
क्या ये लोग केवल इसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि उनके पास फ़रिश्ते आ जाएँ या स्वयं तुम्हारा रब आ जाए या तुम्हारे रब की कोई निशानी आ जाए? जिस दिन तुम्हारे रब की कोई निशानी आ जाएगी, फिर किसी ऐसे व्यक्ति को उसका ईमान कुछ लाभ न पहुँचाएगा जो पहले ईमान न लाया हो या जिसने अपने ईमान में कोई भलाई न कमाई हो। कह दो, “तुम भी प्रतीक्षा करो, हम भी प्रतीक्षा करते हैं।”

इन्नल्लज़ी-न फ़र्रकू दीनहुम् व कानू शि-यअ़ल्लस्-त मिन्हुम् फी शैइन् , इन्नमा अम्रूहुम् इलल्लाहि सुम्-म युनब्बिउहुम् बिमा कानू यफ्अलून (159)
जिन लोगों ने अपने धर्म के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और स्वयं गिरोहों में बँट गए, तुम्हारा उनसे कोई सम्बन्ध नहीं। उनका मामला तो बस अल्लाह के हवाले है। फिर वह उन्हें बता देगा जो कुछ वे किया करते थे।

मन् जा-अ बिल्ह-स नति फ़-लहू अश्रू अम्सालिहा व मन् जा-अ बिस्सय्यि-अति फ़ला युज्ज़ा इल्ला मिस्लहा व हुम् ला युज्लमून (160)
जो कोई अच्छा चरित्र लेकर आएगा उसे उसका दस गुना बदला मिलेगा और जो व्यक्ति बुरा चरित्र लेकर आएगा, उसे उसका बस उतना ही बदला मिलेगा, उनके साथ कोई अन्याय न होगा।

कुल इन्ननी हदानी रब्बी इला सिरातिम् मुस्तकीम , दीनन् कि-य-मम् मिल्ल-त इब्राही-म हनीफ़न व मा का-न मिनल मुश्रिकीन (161)
कहो, “मेरे रब ने मुझे सीधा मार्ग दिखा दिया है, बिल्कुल ठीक धर्म, इबराहीम के पंथ की ओर जो सबसे कटकर एक (अल्लाह) का हो गया था और वह बहुदेववादियों में से न था।”

कुल इन्-न सलाती व नुसुकी व मह़्या-य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल्-आलमीन (162)
कहो, “मेरी नमाज़ और मेरी क़ुरबानी और मेरा जीना और मेरा मरना सब अल्लाह के लिए है, जो सारे संसार का रब है।

ला शरी-क लहू व बिज़ालि-क उमिरतु व अ-न अव्वलुल् मुस्लिमीन (163)
उसका कोई साझी नहीं है। मुझे तो इसी का आदेश मिला है और सबसे पहला मुस्लिम (आज्ञाकारी) मैं हूँ।”

कुल् अगैरल्लाहि अब्गी रब्बंव्-व हु-व रब्बु कुल्लि शैइन् , व ला तक्सिबु कुल्लु नफ्सिन् इल्ला अलैहा व ला तज़िरू वाज़ि-रतुंव्विज़-र उखरा सुम् म इला रब्बिकुम् मर्जिअुकुम् फ़-युनब्बिउकुम् बिमा कुन्तुम् फ़ीहि तख़्तलिफून (164)
कहो, “क्या मैं अल्लाह से भिन्न कोई और रब ढूढूँ, जबकि हर चीज़ का रब वही है!” और यह कि प्रत्येक व्यक्ति जो कुछ कमाता है, उसका फल वही भोगेगा; कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ नहीं उठाएगा। फिर तुम्हें अपने रब की ओर लौटकर जाना है। उस समय वह तुम्हें बता देगा, जिसमें परस्पर तुम्हारा मतभेद और झगड़ा था।

व हु वल्लज़ी ज-अ-लकुम् खला-इफ़ल-अर्ज़ि व र-फ़-अ बअ्ज़कुम् फ़ौ-क बअ्जिन् द-रजातिल लियब्लु-वकुम् फ़ी मा आताकुम् , इन्-न रब्ब-क सरीअुल-अ़िक़ाबि व इन्नहू ल-गफूरूर्रहीम • (165)*
वही है जिसने तुम्हें धरती में ख़लीफ़ा (अधिकारी, उत्तराधिकारी) बनाया और तुममें से कुछ लोगों के दर्जे कुछ लोगों की अपेक्षा ऊँचे रखे, ताकि जो कुछ उसने तुमको दिया है उसमें वह तुम्हारी परीक्षा ले। निस्संदेह तुम्हारा रब जल्द सज़ा देनेवाला है। और निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।

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